12th Hindi Elective बिस्कोहर की माटी JCERT/JAC Reference Book

12th Hindi Elective बिस्कोहर की माटी JCERT/JAC Reference Book

 

12th Hindi Elective बिस्कोहर की माटी JCERT/JAC Reference Book

3. बिस्कोहर की माटी

जीवन परिचय (विश्वनाथ त्रिपाठी)

*जन्म काल - 16 फरवरी 1931 में हुआ था।

*जन्म स्थान - उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला ( अब सिध्दार्थ नगर) के बिस्कोहर गांव।

*शिक्षा कानपुर और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में। विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से पीएच. डी.। पंजाब

*15 नवंबर, 1958 को देवी सिंह बिष्ट महाविद्यालय नैनीताल में अध्यापक नियुक्त हुए।

*8 अक्टूबर, 1959 को किरोड़ीमल कॉलेज दिल्ली में नियुक्ति हुई।

*बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिण परिसर में अध्यापन। 15 फरवरी, 1996 को 65 वर्ष पूरे होने के बाद सेवानिवृत्त हो गये।

2. साहित्यिक परिचय

प्रमुख रचनाएं

हिन्दीआलोचना - 1970

लोकवादी तुलसीदास - 1974

प्रारम्भिक अवधी - 1975

मीरा का काव्य- 1979 (1989

हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास 1986

देश के इस दौर में (परसाई केन्द्रित 198

हरिशंकर परसाई (विनिबंध) - 2007

• कुछ कहानियाँ : कुछ विचार - 1998

• पेड़ का हाथ (केदारनाथ अग्रवाल केन्द्रित) 2002

• केदारनाथ अग्रवाल का रचना-लोक 2013

• जैसा कह सका (कविता संकलन) 2014

• नंगातलाई का गाँव (स्मृति-आख्यान) 2004

• गंगा स्नान करने चलोगे (संस्मरण) 2006

• अपना देस-परदेस (विविध विषयक आलेख एवं टिप्पणियाँ) - 2010

• व्योमकेश दरवेश (आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की जीवनी एवं आलोचना) 2011

• गुरु जी की खेती-बारी (संस्मरण) 2015

• उपन्यास का अन्त नहीं हुआ है - 2015

• कहानी के साथ-साथ - 2016

• आलोचक का सामाजिक दायित्व - 2016

3. सम्मान

गोकुलचंद्र शुक्ल आलोचना पुरस्कार,

डॉ० रामविलास शर्मा सम्मान

सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार

साहित्य सम्मान हिन्दी अकादमी द्वारा

शान्तिकुमारी वाजपेयी सम्मान

शमशेर सम्मान

मैथिलीशरण गुप्त सम्मान - 2012-13

व्यास सम्मान - 2013 ('व्योमकेश दरवेश' के लिए)

भाषा सम्मान - साहित्य अकादमी द्वार

मूर्तिदेवी पुरस्कार दरवेश' के लिए) 2014 (व्योमकेश

भारत भारती सम्मान - 2015

*हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक, कवि और गद्यकार हैं।

* प्रगतिशील विचारधारा से सम्बद्ध आलोचक

*उन्होंने ने मध्यकालीन साहित्य से लेकर समकालीन साहित्य तक की आलोचना में गंभीरता के साथ प्रस्तुत किया है। 'जीवनी एवं संस्मरण लेखन के क्षेत्र में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण मुकाम हासिल किया।

* त्रिपाठी जी ने तुलसीदास तथा मीरा के काव्य पर एक-एक पुस्तक लिखी हैं।

* त्रिपाठी जी भाषा एवं साहित्य दोनों के गम्भीर ।

* उनकी पहली पुस्तक 'हिन्दी आलोचना' आज भी अपनी मौलिकता, प्रांजलता, ईमानदार अभिव्यक्ति तथा सटीक एवं व्यापक विश्लेषण के कारण अपने क्षेत्र में अद्वितीय है।

पाठ का सार

1. प्राकृतिक परिवेश का पाखी एवं सफल गद्य रचनाकार श्री विश्वनाथ त्रिपाठी द्वारा रचित स्वयं की आत्मकथा "नंगातलाई का गांव" के अंश 'बिस्कोहर की माटी' है। इसमें लेखक ने अपने गांव और उसके प्राकृतिक परिवेश ग्रामीण जीवन शैली का सजीव चित्रण किया है।

2. जिसमें सुंदर फूल, जहरीले जीव (सांप), पारिवारिक भ्रमण का सटीक वर्णन प्रस्तुत किया है। जिसमें कोईयां एक प्रकार का पानी का फूल है, जिसे कुमुद और कोकाबेली भी कहा जाता है। शरद ऋतु में जहां पानी इकट्ठा होता है। कोईयां फूल उग जाते हैं । शरद की चांदनी में कोइयां के पत्ते और तेज चमकीली चांदनी जैसी दिखती है। आगे लेखक दूधिया रंग के सिंघाड़े का चित्रण करते हैं। इसके अतिरिक्त गांव में अनेक फूल तथा वनस्पतियां भी मिलती थी। यहां का आकाश, चंद्रमा और प्राकृतिक वातावरण भी अद्भुत था ।

3. लेखक ने मां तथा बच्चे के संबंधों की चर्चा करते हुए इस रिश्ते को अद्भुत बताया है। बच्चे के पैदा होते ही मां का दूध भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। नवजात शिशु के लिए दूध अमृत के समान होता है। बच्चा न केवल मां से दूध ग्रहण करता है बल्कि उसके संस्कार भी प्राप्त करता है। जो उसके चरित्र और व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करते हैं। बच्चा सुकबुकता है रोता है मां को मारता है और कभी-कभी मां भी मार देती है। फिर भी बच्चा मां से लिपट रहता है। दांत निकलने पर बच्चा टीस्ता है अर्थात दांतों से सब कुछ काटता है। बत्तख भी किसी मां की तरह अपने अंडों की देखभाल करती है इन सब के पीछे कुछ ना कुछ परियोजना अवश्य होता है लेखक का मानना है।

4. लेखक का छोटा भाई जन्म लेता है जिसे वे अपने ऊपर अत्याचार कहते हैं, क्योंकि मां का दूध छिन गया अर्थात बिसनाथ अभी मां का दूध पीता ही था कि उनके छोटे भाई का जन्म होने के कारण मां के दूध पर छोटे भाई का अधिकार हो गया और बिसनाथ का दूध छूट गया बिसनाथ का पालन पोषण पड़ोसी की किशसेरनी दाई तब तक किया जब वह 3 साल के थे। दाई ने मां के स्थान ले लिया यह बिसनाथ पर अत्याचार हुआ।

5. फूलों में केवल कमल, कोईयां, हरसिंगार ही नहीं बल्कि गांव में अनेक प्रकार के फूल होते हैं, जिनसे अलग-अलग प्रकार की गंध आती है। उस फूलों का प्रयोग रोगों के उपचार में भी होता है। फूलों के अलावा गांव में तालाबों के भीटों, मैदानों तथा खेतों में डोंडहा, मजगिदवा, धामिन, गोहुंअन (जिसे लेखक के गांव में फेंटारा भी कहते हैं) घोर कडाइच, भटिहा जैसे विषैले सांप भी मिलते हैं। जो अलग अलग तरीके से अपना शिकार करते हैं। यहां बिच्छू भी बहुत होते हैं। जिनके काटने पर बहुत दर्द होता है। फूलों की गंधों से सांप, महामारी, देवी, चुडैल आदि का संबंध जोडा जाता है।

6. लेखक अब गर्मियों के दिनों का वर्णन करते हैं। गर्मियों की दोपहर में वे चुपचाप घर से बाहर निकल जाते थे। लू लगने की स्थिति में मां धोति या कमीज में गांठ बांधकर प्याज को बांध देती थी। लू लगने पर कच्चे आम का पन्ना (शरबत) पिया जाता था आम को भूलने या उबालने के बाद इसकी चासनी में गुड़ या चीनी मिलाकर पिया जाता था। उसे शरीर पर लेप कर नहाया जाता और उससे सिर धोया जाता। कच्चे आम की हरी गंध, पकने से पहले हैं जामुन खाना तोड़ना और कटहल गर्मी का फल और तरकारी होना आदि है।

7. यहां की बरसात अत्यंत भीषण होती है , बादल जोर-जोर से गरजते हैं और आंधियां भी चलती है। बारिश आने से मनुष्यों के साथ- साथ जानवरों में भी खुशी फैल जाती है। इस बारिश से फोड़े-फुंसी आदि ठीक हो जाते हैं। लेकिन मच्छर, मक्खी तथा अन्य कीड़े पैदा हो जाते हैं। फिर भी बारिश से चारों ओर हरियाली छा जाती है। लेकिन कभी - कभी बारिश इतनी अधिक होती है कि बाढ़ तक आ जाती है। जिससे यहां का जीवन अत्यंत कठिन हो जाता है। खेत-खलिहान , खाने पीने का सामान आदि बर्बाद हो जाता है। यहां खेती के लिए छोटी-छोटी नालियां बनाई जाती है जिन्हें 'बरहा 'कहते हैं।

8. लेखक ने दस साल की अवस्था में एक औरत को देखा जो उम्र में उससे लगभग दुगनी थी। वे अपने एक रिश्तेदार के घर उस खूबसूरत महिला को देखा, जिसकी सुंदरता लेखक के दिल में बस गई। लेखक ने उस स्त्री को प्रकृति की तरह पाया। उसके मन में उस औरत के प्रति आकर्षण का भाव पैदा हुआ। उन्होंने प्रकृति में विद्यमान समस्त सौंदर्य उसके आगे फीका लगने लगा। कुदरत के तमाम नजरों में जूही की लता चांदनी की छटा फूलों की महक में उस औरत को देखने लगे। लेकिन बिसनाथ अपनी भावना उसके आगे व्यक्त न कर पाए और उसकी शादी बिस्कोहर में ही हो गई। बिसनाथ को अपना गांव और यहां की औरतें सबसे सुंदर लगती हैं। लेखक को लगा कि सुंदर प्रकृति स्त्री के रूप में आई है। लेखक जिस स्त्री को देखकर प्रकृति के सौंदर्य को भूल गया। उसके प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकता। वह सफेद रंग की साड़ी पहने रहती और आंखों में कैसी व्यथा लिए दिखती। वह किसी का इंतजार करती दिख रही है।

9. बिसनाथ को अपने आसपास के समस्त पदार्थों की गंध मादक गंभीर असीमित की ओर ले जाने वाली लगती थी। गंध, संगीत और प्राकृतिक वातावरण बिसनाथ आज भी नहीं भूल सकते। कितना कुछ पाया कितना नहीं पाया। लेकिन आज भी वे स्मृतियां आंखों में विद्यमान है। लेखक के लिए वह हर सुख - दुःख से जुड़ने का सेतु है। साथ ही स्मृतियों में मृत्यु का बोध भी अजीब तौर पर जुड़ा है।

शब्दार्थ

भसीण = कमल का तना, कमलनाल

कुमुद = जल पुष्प, कुइयां

अनवरत = लगातार

सिंघाड़ा = एक कांटेदार फल जो पानी में होता है

बतिया = फल का अविकसित रूप

पितर पक्ख = पितृ कुल

सकर्मक = कर्मयुक्त

अकर्मक = जिसके लिए कर्म जरूरी न हो

पुलक = रोमांच

प्रयोजन = उद्देश्य

केसरीन = बर्तन बनाने व बेचने वाली जाति

कथरी = बिछौना

इफरात = अधिकता

सत्यानाशी = सत्यानाश करने वाला

आंख आना = आंखों का एक रोग

भीटों = टीला

अवचेतन = जिसमें जीतना न हो

अगाध = भरपूर

बरहा = खेतों की सिंचाई के लिए छोटी नाली

तदाकार = उसी के आकार

परिणति = परिणत होने की अवस्थ

उत्कट = तीव्र

आर्द्र = नम

व्यथा = आंतरिक दुःख

स्थापत्य = वास्तुकला

बोध = ज्ञान

प्रश्न-अभ्यास

1. कोइयाँ किसे कहते हैं? उसकी विशेषताएँ बताइए।

उत्तर:- कोइयाँ जल में उत्पन्न होने वाला पुष्प है। इसे 'कुमुद' तथा 'कोका-बेली' के नामों से भी जाना जाता है।

इसकी विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

(क) कोइयाँ पानी से भरे गड्ढे में भी सरलता से पनप जाती है।

(ख) यह भारत में अधिकतर स्थानों में पाई जाती है।

(ग) इसकी खुशबू मन को प्रिय लगने वाली होती है।

(घ) शरद ऋतु की चाँदनी में तालाबों में चाँदनी की जो छाया बनती है, वह कोइयों की पत्तियों के समान लगती है। दोनों एक समान लगती हैं।

2. 'बच्चे का माँ का दूध पीना सिर्फ़ दूध पीना नहीं, माँ से बच्चे के सारे संबंधों का जीवन- चरित होता है'- टिप्पणी कीजिए।

उत्तर:- बच्चे का अपनी माँ से बहुत गहरा संबंध होता है। यह संबंध माँ की कोख में आने के साथ ही जुड़ जाता है। जब वह जन्म लेता है, तो माँ के दूध पर ही 6 महीने तक निर्भर रहता है। इस दूध को वह आगे 3 वर्षों तक और ग्रहण करता है। माँ अपने बच्चे को दूध पिलाते समय अपने आँचल की छाँव में रखती है। इससे माँ- बच्चे के मध्य संबंध सजीव हो उठता है। इस तरह दोनों एक-दूसरे के साथ जीवन के कई वर्ष बिताते हैं। बच्चा माँ के साथ ही रोता, हँसता, खेलता, खाता, पीता बड़ा होता है। माँ इन क्रियाओं से सुखी होती है। वह बच्चे पर अपनी ममता लुटाती है। वह बच्चे को अपनी ममता की छाँव के तले रखती है। बच्चा माँ के आँचल में दूध पीता हुआ अपनी माँ के स्पर्श तथा गरमाहट को महसूस करता है। वह बच्चे के लिए उसका पोषण करने वाली, मित्र तथा एक स्त्री होती है। माँ का दूध पीकर बच्चा मानव जीवन की सार्थकता को पूर्ण कर देता है।

3. बिसनाथ पर क्या अत्याचार हो गया?

उत्तर :- बिसनाथ अभी छोटे थे। माँ के दूध का सेवन ही कर रहे थे कि उनके छोटे भाई का जन्म हो गया। छोटे भाई के जन्म के कारण उन्हें माँ का दूध पिलाना बंद कर दिया गया। अब माँ का दूध छोटा भाई पीता था। बिसनाथ इसे स्वयं पर अत्याचार कहते हैं। माँ का दूध कट जाना उनके लिए अत्याचार के समान ही है। छोटा भाई माँ का दूध पिता और बिसनाथ को गाय के दूध पर निर्भर रहना पड़ा।

4. गर्मी और लू से बचने के उपायों का विवरण दीजिए। क्या आप भी उन उपायों से परिचित हैं?

उत्तर :- गर्मी और लू से बचने के लिए निम्नलिखित उपाए किए जाते हैं-

(क) धोती तथा कमीज़ में गाँठ लगाकर प्याज़ बाँध दिया जाता था।

(ख) लू से बचने के लिए कच्चे आम का पन्ना पिया जाता था।

(ग) कच्चे आम को भूना जाता था। गुड़ तथा चीनी के साथ उसका शरबत पीया जाता था। उसे शरीर पर लगाया जाता था तथा उससे नहाया भी जाता था।

(घ) कच्चे आम को भूनकर या उबालकर सिर भी धोया जाता था।

हम केवल प्याज़ के प्रयोग तथा आम पन्ना पीने वाले उपाय से परिचित हैं। अन्य विवरण हमारे द्वारा सुना नहीं गया है।

5. लेखक बिसनाथ ने किन आधारों पर अपनी माँ की तुलना बत्तख से की है?

उत्तर :- बत्तख अंडे देने के बाद पानी में नहीं जाती है। जब तक उसके अंडों से बच्चे नहीं निकल जाते हैं, तब तक वह उन्हें सेती है। वे अंडों को अपने पंखों के मध्य रखती है। इस तरह वह बच्चों को सबसे बचाकर रखती है। वह अपने अंडों तथा बच्चों की सुरक्षा के लिए बहुत सतर्कता के साथ-साथ कोमलता से काम लेती है। एक तरफ जहाँ वह सतर्क होती है, वहीं दूसरी ओर वह प्रयास करती है कि उसके अंडों तथा उनसे निकलने वाले बच्चों को कोई नुकसान न हो। ऐसे ही बिसनाथ की माँ भी करती है। वह अपने बच्चे की बहुत अच्छे से देखभाल करती है। वह उसे दूध पिलाती है। अपने साथ सुलाती है। उसका हर कार्य करती है। इसी कारण लेखक बिसनाथ ने अपनी माँ की तुलना बत्तख से की है।

6. बिस्कोहर में हुई बरसात का जो वर्णन बिसनाथ ने किया है उसे अपने शब्दों में लिखिए?

उत्तर :- बिस्कोहर की बरसात सीधे नहीं होती है। पहले आकाश में बादल घिर जाते हैं। उसके बाद वह गड़गड़ाहते हैं। दिन में यदि बादल आकाश में छा जाए तो लगता है मानो रात हो गई है। तेज़ बारिश होने लगती है। बारिश होने का स्वर तबला, मृदंग तथा सितार जैसा लगता है। लेकिन जब तेज़ होती है, तो लगता है मानो दूर से घोड़े भागे चले आ रहे हों। प्रत्येक स्थान को वर्षा भीगा देती है। एक दिन होकर वर्षा बंद नहीं होती है। कई-कई दिन तक होती रहती है। इसके कारण किसी मकान की छत उड़ जाती है, तो कभी जमीन धंस जाती है। नदी में बाढ़ तक आ जाती है। गाँव के सभी पशु-पक्षी बरसात का आनंद उठाते हुए यहाँ से वहाँ भागते दिखाई देते हैं। नदी-नाले भर जाते हैं। चारों तरफ पानी ही पानी हो जाता है। पहली बरसात से चर्म रोग दूर हो जाते हैं।

7. 'फूल केवल गंध ही नहीं देते दवा भी करते हैं', कैसे?

उत्तर:- लोगों का मानना है कि फूल अपने रंग तथा गंध के कारण पहचाने जाते हैं। लेखक इस बात को नकारता है। वह गंध की महत्व को स्वीकार करता है लेकिन वह यह भी कहता है कि फूल केवल गंध नहीं देते, वह दवा भी करते हैं। वह भरभंडा नामक फूल का वर्णन करता है। इस फूल से निकलने वाला दूध आँखे आने पर दवा का काम करता है। इसे आँख में निचोड़ देने से आँख की बीमारी सही हो जाती है। नीम के फूल चेचक के मरीज को ठीक कर सकते हैं। बेर के फूलों को सूँघने मात्र से ही बर्रे-ततैये का डंक अपने आप झड़ जाता है।

8. 'प्रकृति सजीव नारी बन गई' इस कथन के संदर्भ में लेखक की प्रकृति, नारी और सौंदर्य संबंधी मान्यताएँ सपष्ट कीजिए।

उत्तर :- लेखक की प्रकृति, नारी और सौंदर्य संबंधी कुछ मान्यताएँ हैं। ये मान्यताएँ आपस में गुथी हुई हैं। जब लेखक दस बरस का था, तो उसने एक स्त्री को देखा था। वह उससे दस वर्ष बड़ी थी। उसका सौंदर्य अद्भुत था। संतोषी भाई के घर के बाहर आँगन में एक जूही की लता लगी थी। उससे आने वाली सुंगध लेखक के प्राणों तक को महका गई थी।

लेखक चाँदनी रात में लता पर खिले फूलों में चाँदनी को देखता है। उसे प्रतीत होता है मानो चाँदनी जूही के फूलों के रूप में लता में उग आई हो। यहाँ लेखक प्रकृति को जूही, खुशबू, लता तथा स्त्री के रूप में देखता है। उसके लिए ये अलग-अलग नहीं हैं। ये सब आपस में जुड़े हुए ही हैं। अतः वह औरत को चाँदनी के रूप में जूही की लता सी प्रतीत होती है। वह प्रकृति में उस औरत को और औरत को प्रकृति के रूप में देखता है।

9. ऐसी कौन सी स्मृति है जिसके साथ लेखक को मृत्यु का बोध अजीब तौर से जुड़ा मिलता है?

उत्तर :- लेखक ने एक बार गाँव में ठुमरी सुनी थी। उस ठुमरी को सुनकर लेखक का रोने का मन करने लगा था। लेखक कहते हैं कि उस ठुमरी को सुनते समय उस स्त्री की याद हो जाती है, जिसे अपनी मृत्यु की गोद में गए पति की याद आती है। उसे बस प्रियतम से मिलने का इतंज़ार है। उसका प्रियतम हर रूप में उसके साथ है। इसी स्मृति को याद करके लेखक को मृत्यु का बोध अजीब तौर से जुड़ा मिलता है।

योग्यता विस्तार प्रश्न

1. पाठ में आए फूलों के नाम, साँपों के नाम छाँटिए और उनके रूप, रंग, विशेषताओं के बारे में लिखिए।

उत्तर :- फूलों के नाम इस प्रकार हैं-

* कमल- यह पूजा के काम आता है। इसका बीज, डंठल आदि खाए जाते हैं। इसके पत्ता भोजन परोसने के काम आता है।

* कोइयाँ- यह जल में खिलने वाला पुष्प है। यह कहीं भी जल से भरे गड्ढे में उग जाता है। इसमें से मीठी गंध आती है।

* सिघाड़े का फूल- यह भी जल में उगता है। यह सफेद रंग का होता है। इसके फूल से ही सिघाड़ा नामक फल मिलता है, जिसे खाया जाता है।

* हरसिंगार - यह शरत ऋतु में खिलता है। यह सफेद रंग का होता है तथा इसकी डंडी संतरी रंग की होती है। यह खुशबूदार फूल होता है। यह पूजा के काम आता है। इसे परिजात तथा शेफाली के नामों से जाना जाता है। इसके फूल, पत्ते तथा छाल आयुर्वेद में उपयोगी माने गए हैं।

* कदंब के फूल- यह फूल नींबू के आकार का होता है गोल होता है। यह संतरी रंग का होता है तथा इसमें सफेद रंग की छोटी-छोटी सफेद पंखुड़ियाँ निकली होती है। यह गुच्छे में होता है। इसकी खुशबू बहुत ही अच्छी होती है। यह बहुत उपयोगी फूल है।

* सरसों के फूल- यह पीले रंग के होते हैं। इनसे तैलीय गंध आती है। इसे सरसों के साथ ही पकाया जाता है। इससे सरसों के बीज मिलते हैं।

* भरभंडा- इसे सत्यनाशी कहते हैं। यह बहुत सुंदर होता है। यह पीले रंग का होता है। यह फूल कोमल होता है। बरसात में जब आँखों की बीमारी का प्रकोप फैलता है, तो इस फूल का रस उसे ठीक करने के काम आता है।

* जूही- यह सफेद रंग का खुशबूदार होता है। इसे गजरा बनाने में प्रयोग में लाया जाता है। भगवान को भी इसके फूल चढ़ाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त लेखक ने तोरी, लौकी, भिंडी, भटकटैया, इमली, अमरूद, बैंगन, कोंहड़ा, शरीफ़ा, आम के बौर, कटहल, बेल, अरहर, उड़द, चना, मसूर, मटर के फूल, सेमल के फूलों का भी वर्णन किया है। इनसे हमें फल-सब्ज़ियाँ मिलते हैं।

साँपों के नाम इस प्रकार हैं-

* डोंड़हा- यह विषहीन साँप हैं। इसे मारा नहीं जाता है। यह वामन जाति का कहलाता है।

* मजगिदवा - यह विषहीन साँप हैं।

* धामिन- यह लंबा होता है। यह भी विषहीन होता है। यदि मुँह से कुछ पकड़कर अपनी पूँछ मारे दे तो वह अंग सड़ जाता है।

* गोंहुअन - इसे फेंटारा नाम से भी जानते हैं। यदि यह किसी को काट ले तो मनुष्य घोड़े की तरह हिनहिनाकर मर सजाता है।

2. इस पाठ से गाँव के बारे में आपको क्या- क्या जानकारियाँ मिलीं? लिखिए।

उत्तर :- इस पाठ से हमें गाँव के बारे में इस प्रकार की जानकारियाँ मिलीं-

(क) गाँव के परिवेश के बारे में पता चला।

(ख) गाँव में उगने वाले फूल, फल, पेड़-पौधे तथा साँपों के बारे में पता चला।

(ग) ऋतुओं में गाँवों में होने वाले बदलावों तथा उससे संबंधित बीमारियों के बारे में पता चला।

(घ) गाँवों में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्दों का पता चला।

(ङ) गाँव में व्याप्त प्राकृतिक सौंदर्य का पता चला।

3. वर्तमान समय-समाज में माताएँ नवजात शिशु को दूध नहीं पिलाना चाहतीं। आपके विचार से माँ और बच्चे पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है?

उत्तर :- वर्तमान समय में माताएँ अपने शारीरिक सौंदर्य के समाप्त होने के डर से बच्चों को दूध नहीं पिलाती हैं। इससे माँ तथा बच्चे पर बहुत गलत प्रभाव पड़ रहे हैं। आज के समय में माताओं में स्तन का कैंसर देखने को मिल रहा है। जिससे व असमय मृत्यु की गोद में समा रही हैं। माँ के दूध में बच्चे के लिए पर्याप्त पोषण होता है। वह नहीं मिल पाने से बच्चे कुपोषित हो रहे हैं। उनमें विभिन्न तरह की बीमारियाँ देखी जा सकती हैं। वे कमज़ोर हो रहे हैं। माँ जब बच्चे को दूध पिलाती है, तो बच्चे तथा माँ के मध्य एक नजदीकी संबंध बनता है, वह दिखाई नहीं दे रहा है। अब भावनात्मक रिश्ते की कमी दिखाई देती है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

Q-1 कोइयां से क्या अभिप्राय है

(क) कोयला

(ख) जल में उगने वाला पुष्प

(ग) लकड़ी

(घ) इनमें से कोई नहीं

Q- 2 विश्वनाथ पर क्या अत्याचार हुए ?

(क) उनको जेल हो ग

(ख) चोरी हो जाना

(ग) रोजगार छिन जाना

(घ) मां का दूध कट जाना

Q-3 इनमें से कौन सा पाठ में आए फूलों का नाम है

(क) गुलाब का

(ख) कमल का

(ग) गेंदे का

(घ) उपरोक्त सभी फूल है जो पाठ में आए हैं

Q- 4 इनमे से कोनसा साप का नाम है ?

(क) घेरकडाइव

(ख) गोहुअ

(ग) धामिन

(घ) इनमे से सभी

Q- 5 गर्मी और लू से बचने के उपाय कौन से

(क) बहुत ज्यादा दूध पीना चाहिए

(ख) नींबू का पानी अत्याधिक पीना चाहिए

(ग) कमीज में या धोती में गांठ लगाकर प्याज बांध लेना चाहिए

(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं

6. 'बिस्कोहर की माटी' के लेखक कौन है?

(क) प्रेमचंद

(ख) विश्वनाथ त्रिपाठी

(ग) प्रभाष जोशी

(घ) जयशंकर प्रसाद

7. 'बिस्कोहर की माटी 'कौन-सा आत्मकथा का अंश है?

(क) एक कहानी यह भी

(ख) जूठन

(ग) नंगातलाई का गांव

(घ) आज का अतीत

8. विश्वनाथ विश्वनाथ त्रिपाठी का जन्म कहां और कब हुआ था

(क) 1931 उत्तर प्रदेश

(ख) 1930 उत्तर प्रदेश

(ग) 1932 मध्य प्रदेश

(घ) 1935 मध्य प्रदेश

9. नंगा तलाई का गांव कब प्रकाशित हुआ

(क) 2003 ईस्वी

(ख) 2004ई.

(ग) 2005 ई.

(घ) 2006ई.

10. विश्वनाथ त्रिपाठी को किस रचना पर व्यास सम्मान दिया गया था?

(क) नंगा तलाई का गांव

(ख) अपना देश परदेश

(ग) व्योमकेश दरवेश

(घ) गंगा स्नान करने चलोगे

JCERT/JAC REFERENCE BOOK

Hindi Elective (विषय सूची)

भाग-1

क्रं.सं.

विवरण

1.

देवसेना का गीत

2.

सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

3.

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

4.

बनारस

5.

विष्णु खरे

6.

वसंत आया

7.

भरत राम का प्रेम पद

8.

बारहमासा

9.

विद्यापति (पद)

10.

रामचंद्रचंद्रिका

11.

घनानंद

12.

प्रेमघन की छाया-स्मृति

13.

सुमिरनी के मनके

14.

कच्चा चिट्ठा

15.

संवदिया

16.

गांधी नेहरू और यासर अराफात

17.

शेरपहचानचार हाथसाझा

18.

जहां कोई वापसी नहीं

19.

यथास्मै रोचते विश्वम

20.

दूसरा देवदास

21.

हजारी प्रसाद द्विवेदी

भाग-2

कं.सं.

विवरण

1.

सूरदास की झोंपड़ी

2.

आरोहण

3.

बिस्कोहर की माटी

4.

अपना मालवा खाऊ-उजाडू सभ्यता


JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

अंतरा भाग 2

पाठ

नाम

खंड

कविता खंड

पाठ-1

जयशंकर प्रसाद

(क) देवसेना का गीत

(ख) कार्नेलिया का गीत

पाठ-2

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

(क) गीत गाने दो मुझे

(ख) सरोज - स्मृति

पाठ-3

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

(क) यह दीप अकेला

(ख) मैंने देखा एक बूँद

पाठ-4

केदारनाथ सिंह

(क) बनारस

(ख) दिशा

पाठ-5

विष्णु खरे

(क) एक कम

(ख) सत्य

पाठ-6

रघुबीर सहाय

(क) बसंत आया

(ख) तोड़ो

पाठ-7

तुलसीदास

(क) भरत - राम का प्रेम

(ख) पद

पाठ-8

मलिक मुहम्मद जायसी

बारहमासा

पाठ-9

विद्यापति

पद

पाठ-10

केशवदास

कवित्त / सवैया

पाठ-11

घनानंद

कवित्त / सवैया

गद्य खंड

पाठ-1

रामचन्द्र शुक्ल

प्रेमधन की छायास्मृति

पाठ-2

पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी

सुमिरनी के मनके

पाठ-3

ब्रजमोहन व्यास

कच्चा चिट्ठा

पाठ-4

फणीश्वरनाथ 'रेणु'

संवदिया

पाठ-5

भीष्म साहनी

गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफत

पाठ-6

असगर वजाहत

शेर, पहचान, चार हाथ, साझा

पाठ-7

निर्मल वर्मा

जहाँ कोई वापसी नहीं

पाठ-8

रामविलास शर्मा

यथास्मै रोचते विश्वम्

पाठ-9

ममता कालिया

दूसरा देवदास

पाठ-10

हजारी प्रसाद द्विवेदी

कुटज

अंतराल भाग - 2

पाठ-1

प्रेमचंद

सूरदास की झोपडी

पाठ-2

संजीव

आरोहण

पाठ-3

विश्वनाथ तिरपाठी

बिस्कोहर की माटी

पाठ-

प्रभाष जोशी

अपना मालवा - खाऊ- उजाडू सभ्यता में

अभिव्यक्ति और माध्यम

1

अनुच्छेद लेखन

2

कार्यालयी पत्र

3

जनसंचार माध्यम

4

संपादकीय लेखन

5

रिपोर्ट (प्रतिवेदन) लेखन

6

आलेख लेखन

7

पुस्तक समीक्षा

8

फीचर लेखन

JAC वार्षिक इंटरमीडिएट परीक्षा, 2023 प्रश्न-सह-उत्तर

Class 12 Hindi Elective (अंतरा - भाग 2)

पद्य खण्ड

आधुनिक

1.जयशंकर प्रसाद (क) देवसेना का गीत (ख) कार्नेलिया का गीत

2.सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (क) गीत गाने दो मुझे (ख) सरोज स्मृति

3.सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय (क) यह दीप अकेला (ख) मैंने देखा, एक बूँद

4.केदारनाथ सिंह (क) बनारस (ख) दिशा

5.विष्णु खरे (क) एक कम (ख) सत्य

6.रघुबीर सहाय (क) वसंत आया (ख) तोड़ो

प्राचीन

7.तुलसीदास (क) भरत-राम का प्रेम (ख) पद

8.मलिक मुहम्मद जायसी (बारहमासा)

9.विद्यापति (विद्यापति के पद)

10.केशवदास (रामचंद्रचंद्रिका)

11.घनानंद (घनानंद के कवित्त / सवैया)

गद्य-खण्ड

12.रामचंद्र शुक्ल (प्रेमघन की छाया-स्मृति)

13.पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी (सुमिरिनी के मनके)

14.ब्रजमोहन व्यास (कच्चा चिट्ठा)

15.फणीश्वरनाथ रेणु (संवदिया)

16.भीष्म साहनी (गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात)

17.असगर वजाहत (शेर, पहचान, चार हाथ, साझा)

18.निर्मल वर्मा (जहाँ कोई वापसी नहीं)

19.रामविलास शर्मा (यथास्मै रोचते विश्वम्)

20.ममता कालिया (दूसरा देवदास)

21.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (कुटज)

12 Hindi Antral (अंतरा)

1.प्रेमचंद = सूरदास की झोंपड़ी

2.संजीव = आरोहण

3.विश्वनाथ त्रिपाठी = बिस्कोहर की माटी

4.प्रभाष जोशी = अपना मालवा खाऊ-उजाडू सभ्यता में

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