Class 12 History Jac Model Paper Solution 2025-26

Class 12 History Jac Model Paper Solution 2025-26

Class 12 History Jac Model Paper Solution 2025-26

 झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्,राँची

वार्षिक इन्टरमीडिएट परीक्षा – 2025-26 मॉडल प्रश्न पत्र

Class-12

Sub- History

Time - 3 Hours

Full Marks- 80

Instructions / निर्देश :

1. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें। पुस्तिका में 12 मुद्रित पृष्ठ है।

2. इस प्रश्न पत्र में चार खण्ड A, B, C, एवं D है। कुल प्रश्नों की संख्या 52 है।

3. खण्ड A में कुल 30 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं, इनमें से एक सही विकल्प का चयन कीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 1 अंक निर्धारित है।

4. खण्ड B में प्रश्न संख्या 31 38 अति लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।

5. खण्ड C में प्रश्न संख्या 39 46 लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।

6. खण्ड D में प्रश्न संख्या 47 52 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।

 Section-A बहुविकल्पीय प्रश्न (1x30=30)

1. हड़प्पा सभ्यता में कौन सा पशु अज्ञात था ?

(A) गाय

(B) घोडा

(C) हाथी

(D) कुत्ता

2. हड़प्पा की खोज किस ईस्वी में हुई?

(A) 1919

(B) 1922

(C) 1921

(D) 1914

3. सिंधु सभ्यता के घर किससे बनाये जाते थे ?

(A) ईट से

(B) बांस से

(C) पत्थर से

(D) लकडी से

4. मौर्य काल में किस लिपि का सर्वाधिक प्रयोग हुआ ?

(A) अरामाइक

(B) खरोष्ठी

(C) यूनानी

(D) बह्मी

5. अष्टाध्याई की रचना किसनें की ?

(A) पतंजलि

(B) पाणिनी

(C) शुद्रक

(D) कालिदास

6. मौर्य साम्राज्य के प्रथम शासक कौन थे ?

(A) बिंदुसार

(B) बृहद्रथ

(C) चंद्रगुप्त मौर्य

(D) अकबर

7. कलिंग का युद्ध कब हुआ था ?

(A) 261 ईसा पूर्व में

(B) 250 ईसा पूर्व में

(C) 247 ईसा पूर्व में

(D) 236 ईसा पूर्व में

8. रामायण के मौलिक रचनाकार कौन थे ?

(A) तुलसीदास

(B) वेदव्यास

(C) वाल्मिकी

(D) कालिदास

9. महाभारत का युद्ध कितनें दिनों तक चला ?

(A) 14 दिन

(B) 15 दिन

(C) 18 दिन

(D) 20 दिन

10. जातक कथा में किसके पूर्व जन्म की कथाएं संकलित हैं ?

(A) बुद्ध

(B) महावीर

(C) कृष्ण

(D) इनमें से सभी

11. थेरवाद किस धर्म से संबंधित है?

(A) जैन

(B) बौद्ध

(C) सनातन

(D) पारसी

12. रिहला के लेखक थे ?

(A) इब्नबतूता

(B) इब्न इना

(C) इब्न जुजाई

(D) नसीरूद्दीन

13. किसका जन्म स्थान तलवंडी था ?

(A) कबीर

(B) नानक

(C) रैदास

(D) मीरा

14. बंगाल के प्रसिद्ध संत कौन थे ?

(A) गुरू नानक

(B) चैतन्य महाप्रभु

(C) रामानंद

(D) कबीर

15. किस युद्ध के बाद विजयनगर साम्राज्य ध्वस्त हो गया ?

(A) चौसा

(B) तालिकोटा

(C) पानीपत

(D) खनवा

16. मुगल काल में सर्वाधिक उपजाऊ भूमि को क्या कहा जाता था ?

(A) पोलज

(B) चाचर

(C) परती

(D) बंजर

17. विजयनगर का महानतम शासक कौन था ?

(A) वीरन सिंह

(B) कृष्णदेव राय

(C) अच्युत राय

(D) सदाषिव राय

18. संथाल विद्रोह किस वर्ष हुआ था ?

(A) 1832

(B) 1885

(C) 1855

(D) 1876

19. 1857 ई के विद्रोह में अवध में स्वतंत्रता सेनानियों का नेतृत्व किसने किया ?

(A) बेगम हजरत महल

(B) खान बहादुर खान

(C) बहादुर शाह व्दितीय

(D) तात्या टोपे

20. सहायक संधि व्यवस्था को किसने आरंभ किया ?

(A) वेलेजली

(B) वारेन हेस्टिंग्स

(C) डलहौजी

(D) विलियम बैटिक

21. चौरी चौरा कांड कब हुआ था ?

(A) 5 जनवरी 1922

(B) 4 फरवरी 1922

(C) 20 मार्च 1922

(D) 5 मई 1922

22. गांधी इरविन पैक्ट कब हुआ था ?

(A) 1927

(B) 1928

(C) 1931

(D) 1935

23. स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गर्वनर जनरल कौन थे ?

(A) लॉर्ड माउंटबेटन

(B) सी राजगोपालाचारी

(C) रेडक्लिफ

(D) सरदार पटेल

24. भारतीय संविधान में संसदीय प्रणाली किस दे से ली गई है ?

(A) अमेरिका

(B) ब्रिटेन

(C) रूस

(D) कनाडा

25. मूल संविधान में कितने अनुच्छेद हैं ?

(A) 390

(B) 392

(C) 395

(D) 399

26. विजयनगर की यात्रा निम्न में से किसने की थी ?

(A) बर्नियर

(B) इब्नबतूता

(C) निकोली कॉन्टी

(D) इनमें से कोइ नहीं

27. नयसार संत किसकी पूजा करते थे ?

(A) शि

(B) विष्णु

(C) इंद्र

(D) ब्रह्म

28. इब्नबतूता ने किस पुस्तक की रचना की ?

(A) किताब उल हिन्द

(B) रिहला

(C) आईने अकबरी

(D) बाबरनामा

29. इनमे से कौन सा मूलतः भारत का नहीं है ?

(A) मक्का

(B) आलू

(C) टमाटर

(D) इनमें से सभी

30. तंबाकू पर किस शासक ने प्रतिबंध लगाया था ?

(A) अकबर

(B) बाबर

(C) शाहजहां

(D) जहांगीर

 Section-B अति लघु उत्तरीय प्रश्न

31. भारतीय इतिहास का कौन सा काल स्वर्ण काल के नाम से जाना जाता है ?

उत्तर - भारतीय इतिहास में गुप्त काल (लगभग 320 ईस्वी से 550 ईस्वी) को 'स्वर्ण काल' के रूप में जाना जाता है।

32. पितृसत्तात्मकता से आप क्या समझाते है ?

उत्तर - इसका अर्थ है-एक व्यक्ति के पिता होने पर अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने पुत्र से पौत्र को इसी तरह आगे उत्तराधिकार की वंशीय परंपरा है।

33. गोत्र से आप क्या समझते है ?

उत्तर- 'गोत्र' शब्द का मूल अर्थ-गोष्ठ या वह स्थान जहाँ समूचे कुल का गोधन पाला जाता है। परन्तु बाद में इसका अर्थ एक ही मूल पुरुष से उत्पन्न लोगों का समुदाय हो गया।

34. दीपवंश और महावंश किस देश से संबंधित है ?

उत्तर - दीपवंश और महावंश श्रीलंका के प्राचीन ऐतिहासिक ग्रंथ हैं जो पाली भाषा में लिखे गए हैं।

35. भक्ति आंदोलन को दक्षिण भारत से उत्तर भारत कौन लाया ?

उत्तर - रामानन्द

36. गोपुरम क्या है ?

उत्तर- द्रविड़ शैली के मंदिरों में 'गोपुरम' से तात्पर्य प्रांगण का मुख्य प्रवेशद्वार से है। इसका आधार भाग प्रायः वर्गाकार होता है। इसके ऊपर का भाग सीधा पिरामिडनुमा बना रहता है, जिसमें अनेक मंजिलें होती हैं। इसका शीर्षभाग गुंबदाकार होता है।

37. भारत आने वाले पहले यूरोपियन कौन थे ?

उत्तर - भारत आने वाले पहले यूरोपीय पुर्तगाली थे, जिनमें वास्को डी गामा सबसे पहले थे, जो 20 मई 1498 को कालीकट (कोझिकोड) में उतरे थे।

38. साइमन कमीशन का भारतीयों द्वारा विरोध क्यों किया गया ?

उत्तर - 1919 के भारत सरकार अधिनियम के कार्यों की समीक्षा करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1927 ई० में सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक कमीशन बनाया। इसमें सात सदस्य थे लेकिन इसमें कोई भी भारतीय नहीं था। इसलिए भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध किया।

 Section - C लघु उत्तरीय प्रश्न

39. मगध साम्राज्य के शक्तिशाली होने के क्या कारण थे ?

उत्तर - छठी शताब्दी ई. पू. तक उत्तर और मध्य भारतीय क्षेत्र में 16 महाजनपदों का उद्भव हो चुका था जिनमें मगध सबसे अधिक शक्तिशाली था।

मगध के सबसे शक्तिशाली महाजनपद होने के निम्नलिखित कारण थे-

1. मगध तीनों ओर से सुरक्षित पहाड़ियों से घिरा हुआ था।

2. मगध के मध्य में जीवनदायिनी गंगा तथा सोन नदी बहती थी।

3. मगध की सीमाओं में प्रचुर मात्रा में खनिज सम्पदा उपलब्ध थी विशेष रूप से लोहे की खानें थीं।

4.  मगध महाजनपद को शक्तिशाली तथा महत्वाकांक्षी राजाओं की प्राप्ति हुई।

5. मगध शासकों ने अपनी कूटनीति तथा वैवाहिक सम्बन्धों से मगध को शक्तिशाली बनाया।

इस प्रकार मगध महाजनपद को एक नहीं अपितु अनेक लाभदायक स्थितियाँ प्राप्त थीं जिनके कारण मगध महाजनपद ही शक्तिशाली महाजनपद बना।

40. स्तूप क्यों और कैसे बनाए जाते थे ? चर्चा करें ?

उत्तर - स्तूप, बौद्ध धर्म से जुड़ा एक स्मारक है। स्तूप को बौध्य धर्मावलंबी एक पवित्र स्थान मानते है। जिन स्थानों पर बौधिसत्वों एवं बुद्ध से जुड़े कुछ अवशेष जैसे उनकी अस्थियाँ या उनके द्वारा प्रयुक्त सामान गाड़ दिये गये थे। इन टीलो को स्तूप कहते थे।

स्तूप बनाने की परंपरा बुद्ध से पहले की रही होगी लेकिन वह बौद्ध धर्म से जुड़ गई। स्तूपों को बनाने के लिए कई राजाओं के द्वारा दान दिया गया जैसे सातवाहन वंश के राजा। इसके अलावा अशोक ने भी अपने राज्य में अनेक स्तूपों का निर्माण करवाया स्तूप निर्माण के लिए दान, शिल्पकारों और व्यापारियों की श्रेणियों द्वारा दिए गए। स्तूप का संस्कृत अर्थ टीला होता है, जो एक गोलार्द्ध के रूप में होता है शुरू में यह मिट्टी के टीले के रूप में विकसित हुआ परंतु धीरे-धीरे इसकी संरचना जटिल होती गई और यह चौकोर, गोल और अर्द्धअंडाकार रूप लेने लगा।

41. अल बिरूनी कौन था ? भारत यात्रा का उसका उद्देश्य क्या था ?

उत्तर- अलबरूनी मध्य एशिया के ख्वारिज्म का निवासी था। उसका जन्म आधुनिक उजबेकिस्तान में ख्वारिज्म के पास बेरु नामक स्थान पर 4 दिसम्बर, 973 ई. को हुआ था। ख्वारित्म शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र था। अतः अलबरूनी ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की और एक विद्वान के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की। वह कई भाषाओं का ज्ञाता था जिसमें सीरियासी, फारसी, हिब्रू तथा संस्कृति आदि भी थी। गजनी के शासक सुल्तान महमूद ने 1017 ई. में ख्वारिज्म पर आक्रमण किया एवं वहाँ से कई विद्वानों को अपने साथ राजधानी गजनी ले आया। इसके बाद 70 वर्ष की आयु में अपनी मृत्यु सितम्बर 1048 ई. तक अलबरूनी गजनी में ही रहा। महमूद गजनी के भारत पर आक्रमण के समय ही अलबरूनी भारत आया। उसने भारत में जो कुछ भी देखा उसका वर्णन उसने अपने वृत्तान्तों में किया। अलबरूनी ने भारत पर अरबी भाषा में लगभग 20 पुस्तकें लिखीं लेकिन इन सबमें 'किताब-उल-हिन्द' अथवा 'तहकीक-ए-हिन्द' एक बेजोड़ ग्रन्थ है। उसने इस पुस्तक का सृजन 30 अप्रैल, 1030 ई. से 29 दिसम्बर, 1031 ई. के बीच किया।

भारत आने का उसका मुख्य उद्देश्य सैन्य या राजनीतिक नहीं, बल्कि पूरी तरह से अकादमिक और बौद्धिक था। वह भारत की सभ्यता और संस्कृति को गहराई से समझना चाहता था।

42. खानकाह से आप क्या समझते है ?

उत्तर - यह फारसी शब्द "ख़ान" (घर) और "गाह" (स्थान) से मिलकर बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ "इबादत का घर" है।

सूफी संतों और अनुयायियों का घर, जो इबादत, शिक्षा और आध्यात्मिक साधना के लिए एक पवित्र स्थान होता है। यह एक धर्मशाला के रूप में भी काम करता था, जहाँ यात्री और विद्यार्थी रुक सकते थे। खानकाह में धार्मिक चर्चाएँ होती थीं और लोग आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते थे।

43. विजयनगर साम्राज्य का पतन किस तरह से हुआ ?

उत्तर - विजयनगर साम्राज्य 1336 ई. में स्थापित हुआ तथा लगभग 300 वर्षों तक निरन्तर राजनीतिक सत्ता का केन्द्र बना रहा। परन्तु कृष्णदेव राय की मृत्यु के पश्चात् 1529 ई. में राजकीय ढाँचे में तनाव उत्पन्न होने लगा। उसके उत्तराधिकारियों को विद्रोही नायकों या सेनापतियों से चुनौती का सामना करना पड़ा। अब विजयनगर के शासक कुशल राजनीतिज्ञ एवं कूटनीतिज्ञ नहीं रह गये थे। उनकी जनता भी भोग-विलास में लिप्त हो चुकी थी। उनमें राज्य की सुरक्षा की भावना समाप्त हो गयी थी। विजयनगर साम्राज्य में मुस्लिम राज्यों से संघर्ष के कारण भी जन-धन की काफी हानि हो गयी थी।

विजयनगर साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण उनका तालीकोट के युद्ध में पराजित होना था। विजयनगर साम्राज्य में संगठित सेना का अभाव था। सेना में योग्य सैनिकों एवं तोपखानों का भी अभाव था। यही कारण था कि 1565 ई. में विजयनगर की सेना प्रधानमंत्री रामराय के नेतृत्व में राक्षसी तांगड़ी (जिसे तालीकोट के नाम से भी जाना जाता है।) के युद्ध में उतरी जहाँ उसे बीजापुर, अहमदनगर और गोलकुण्डा की संयुक्त सेनाओं द्वारा करारी शिकस्त मिली। विजयी सेनाओं ने विजयनगर शहर पर धावा बोलकर उसे लूटा। कुछ ही वर्षों के भीतर यह शहर पूरी तरह से उजड़ गया।

44. मुगल काल में सिंचाई के साधनों का उल्लेख करें ?

उत्तर - मुगलकाल में कृषि प्रकृति पर निर्भर थी। जिन क्षेत्रों में जिस तरह की वर्षा होती थी लोग उसी तरह की फसलें पैदा करते थे। कहीं-कहीं नदियों का पानी भी सिंचाई के लिए प्रयोग में आता था। कम वर्षा वाले क्षेत्र में सिंचाई के लिए कृषक को कृत्रिम साधनों का प्रयोग भी करना पड़ा। सिंचाई के कृत्रिम साधन निम्नलिखित थे

(i) रहट- यह रहट लकड़ी या लोहे के पहियों वाला था। स्रोतों में रहट के लिए प्रशियिन बहिल’ शब्द का प्रयोग किया गया है। बाबर ने अपनी आत्मकथा में भारत में सिंचाई प्रणाली व रहट के प्रयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।

(ii) जलाशयों से सिंचाई- कृषक कुछ स्थानों पर प्राकृतिक जलाशयों के साथ-साथ कृत्रिम जलाशय भी खोद लेते थे। इन जलाशयों में वर्षा का पानी एकत्रित हो जाता था जो एक सीमित क्षेत्र की सिंचाई करता था।

(iii) नहरों से सिंचाई- राज्य के द्वारा भी जोत क्षेत्र को बढ़ाने के लिए सिंचाई हेतु कुछ मदद की गई। उदाहरण के लिए शाहजहाँ ने पंजाब में शाह नहर का निर्माण करवाया। इसी तरह फिरोज शाह द्वारा जिस नहर का निर्माण करवाकर हिसार पानी लाया गया था उसकी अकबर व शाहजहाँ के काल में फिर से खुदाई करवाई गई।

45. स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था की विशेषताओं का उल्लेख करें ?

उत्तर - (i) ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1793 में स्थायी बंदोबस्त लागू किया।

(ii) समझौते की शर्तों के अनुसार, राजाओं और तालुकदारों को ज़मींदार के रूप में मान्यता दी गई।

(iii) उन्हें किसानों से लगान वसूलने और कंपनी को राजस्व देने के लिए कहा गया।

(iv) भुगतान की जाने वाली राशि स्थायी रूप से तय कर दी गई तथा भविष्य में इसमें कभी भी वृद्धि नहीं की जाएगी।

(v) राशि तय करने का उद्देश्य कंपनी के खजाने में राजस्व का नियमित प्रवाह सुनिश्चित करना था और साथ ही, ज़मींदारों को भूमि सुधार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना था।

(vi) चूंकि राज्य की राजस्व मांग में वृद्धि नहीं की जा सकती थी, इसलिए ज़मींदारों ने कंपनी को केवल निश्चित राजस्व का भुगतान किया और भूमि से अधिशेष उत्पादन अपने पास रख लिया।

46. भारतीय संविधान की एकात्मक विशेषताओं को लिखें ?

उत्तर - भारतीय संविधान को “संघीय ढांचे के साथ एकात्मक झुकाव” वाला माना जाता है, इसलिए इसमें कई स्पष्ट एकात्मक (Unitary) विशेषताएँ विद्यमान हैं।

1. मजबूत केंद्र- संघ सूची और समवर्ती सूची के व्यापक विषयों पर संसद की सशक्त विधायी भूमिका तथा अवशिष्ट विषयों का केंद्र में निहित होना केंद्र को राज्यों पर प्राधान्य देता है। रक्षा, विदेश मामले, संचार जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में केंद्र का वर्चस्व व्यवस्था को केंद्रीकृत बनाता है।

2. एकल संविधान- पूरे देश (केंद्र व राज्य) के लिए एकही संविधान लागू है, अलग-अलग राज्य संविधानों का अभाव एकात्मकता को पुष्ट करता है।

3. एकल नागरिकता- भारत में केवल भारतीय नागरिकता का प्रावधान है; कोई राज्य-आधारित नागरिकता नहीं, जिससे राष्ट्रीय एकता और समान अधिकारों का भाव सुदृढ़ होता है।

4. एकीकृत न्यायपालिका- सर्वोच्च न्यायालय के नेतृत्व में एकीकृत न्यायिक तंत्र, एक समान नागरिक व आपराधिक कानून व्यवस्था का संचालन करता है, जो एकात्मक स्वरूप को उभारता है।

5. आपातकालीन प्रावधान- राष्ट्रीय आपातकाल आदि स्थितियों में संघीय व्यवस्था व्यावहारिक रूप से एकात्मक रूप ले लेती है, और केंद्र राज्यों के मामलों में व्यापक रूप से हस्तक्षेप कर सकता है।

6. अखिल भारतीय सेवाएँ- IAS/IPS जैसी अखिल भारतीय सेवाएँ केंद्र के नियंत्रण और सर्वभारतीय मानकों द्वारा प्रशासनिक एकरूपता तथा केंद्रीकरण को बढ़ाती हैं।

 खण्ड - D दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दें।

47. भक्ति आदोंलन के प्रभाव का विस्तार से वर्णन करें ।

उत्तर - भक्ति आंदोलन के प्रभाव :

1. हिन्दुओं में आशा तथा साहस का संचार :- भक्ति आंदोलन से हिन्दुओं में आत्म बल का संचार हुआ। जिसके परिणाम स्वरूप हिन्दुओं की निराशा दूर हुई और हिन्दू अपनी सम्यता व संस्कृति को बचाने में सफल रहें।

2. मुसलमानों के अत्याचारों में कमी :- भक्ति आंदोलनो के संतों द्वारा प्रतिपादित शिक्षाओं व उपदेशों का प्रभाव मुस्लिम शासक पर पड़ा। विभिन्न धर्मों के मध्य एकता स्थापित हुई, जिससे मुसलमानों के अत्याचार कम हो गए।

3. बाहरी आडम्बरों में कमी :- भक्ति आंदोलन के सभी संतों ने अपने उपदेशों में आडम्बरों की निंदा की और पवित्रता पर बल दिया। इन उपदेशों का प्रभाव यह हुआ कि लोग बाहरी आडम्बरों को त्यागकर सरल जीवन की ओर अग्रसर हुए।

4. वर्गीयता तथा संर्कीणता पर आघात :- भक्ति आंदोलन में संतों ने ऊंच-नीच, छूत-अछूत का भेदभाव दूर करने का प्रयत्न किया जिसके परिणाम स्वरूप समाज में व्याप्त वर्गीयता और संर्कीणता को आघात लगा।

5. आत्म गौरव एवं राष्ट्र भावना का प्रादुर्भाव :- भक्ति आंदोलन के संतों की ओजस्वी वाणी ने मनुष्य में आत्म गौरव एवं राष्ट्र भावना का संचार किया जिसके परिणाम स्वरूप कालान्तर में महाराष्ट्र, पंजाब आदि में राष्ट्रीय आंदोलनों का प्रादुर्भाव हुआ।

6. प्रांतीय भाषाओं का विकास :- भक्ति आंदोलनों के संतों ने अपने-अपने उपदेश लोकभाषाओं में प्रचारित किए फलस्वरूप प्रांतीय भाषाओं- हिन्दी, मराठी, बंगाली, पंजाबी आदि का विकास हुआ।

48. अबुल फजल कौन था? मुगल दरबार में उसका महत्त्वपूर्ण योगदान क्या था ?

उत्तर- अबुल फजल का जन्म 1557 ई. में आगरा के प्रसिद्ध सूफी शेख मुबारक के यहाँ हुआ था। सन् 1574 ई. अकबर के दरबारियों के रूप में आपना जीवन शुरु किया। अबुल फजल अकबर के काल के महान कवि, निबन्धकार, इतिहासकार, राजनीतिज्ञ, सेनापति तथा आलोचक थे। उसने दो प्रसिद्ध पुस्तकों की रचना की 'अकबरनामा' तथा 'आइने अकबरी'। ये दोनों ग्रंथ फारसी भाषा में लिखे गये हैं जो अकबरकालीन इतिहास के मूल स्रोत हैं।

अकबरनामा जो विभिन्न प्रकार की ऐतिहासिक घटनाओं के वास्तविक विवरणों, शासकीय दस्तावेजों तथा जानकार व्यक्तियों के मौखिक प्रमाणों जैसे विभिन्न प्रकार के साक्ष्यों पर आधारित हैं। अकबरनामा तीन भागों में विभाजित है तीसरा भाग आइन-ए-अकबरी कहलाया। आइन-ए-अकबरी में उन समस्त नियमों का वर्णन है जो अकबर ने शासन चलाने हेतु बनाये थे।

आइन-ए-अकबरी को भी पाँच भागों में विभजित किया गया है प्रथम भाग में शाही घराने, टकसाल, अस्तबल, खाद्यानों के मूल्य, कारखाने, शस्त्रागार इत्यादि । दूसरे भाग में मुगल सैन्य व्यवस्था, मनसबदारों, धर्मगुरूओं, संगीतकारों की सूची मिलती है तीसरे भाग में कृषि तथा भू-राजस्व सम्बन्धी ब्यौरे दिये गये हैं चौथे भाग में हिन्दुओं के विभिन्न रीति-रिवाजों, प्रथाओं, संतों तथा सूफियों की जीवनी दी गई है। पाँचवे भाग में सूक्तियों, किंवदन्तियों, आदर्शों के साथ-साथ अबुल फजल की संक्षिप्त जीवनी दी गई है। 1602 में अबुल फजल, राजकुमार सलीम द्वारा तैयार किये गये षडयंत्र का शिकार हुआ और उसकी हत्या सलीम के सहयोगी एक राजपूत सरदार वीर सिंह बुंदेला द्वारा कर दी गयी।

49. 1857 ई के विद्रोह के क्या परिणाम हुए ? इसने राष्ट्रवाद का विकास कैसे किया ?

उत्तर - 1857 के विद्रोह ने कम्पनी शासन का अंत कर भारत को ब्रिटिश सम्राट के प्रत्यक्ष अधीन कर दिया, सैन्य-प्रशासनिक ढांचे में बड़े बदलाव हुए, रियासतों के प्रति नीति बदली और “फूट डालो और राज करो” प्रवृत्ति तीव्र हुई; साथ ही इसने साझा प्रतिरोध-स्मृति, प्रतीकों और चेतना के माध्यम से भारतीय राष्ट्रवाद के बीज बोए।

प्रमुख परिणाम

1. कम्पनी शासन समाप्त: ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकार समाप्त कर भारत का शासन 1858 के अधिनियम से ब्रिटिश क्राउन के हाथों में दे दिया गया, जिसके लिए सेक्रेटरी ऑफ स्टेट और काउंसिल की व्यवस्था बनी।

2. वायसराय पद सृजन: गवर्नर-जनरल की जगह वायसराय बना और समूचा प्रशासन क्राउन के प्रति उत्तरदायी हुआ; इलाहाबाद दरबार में 1 नवम्बर 1858 की घोषणा ने नई नीति का संकेत दिया।

3. रियासत नीति में बदलाव: लैप्स के सिद्धांत का अंत हुआ, दत्तक अधिकार की मान्यता और सहयोगी रियासतों के साथ समझौतामूलक नीति अपनाई गई।

4. धार्मिक-सामाजिक नीति में आश्वासन: क्राउन ने भारतीय रीति-रिवाजों के सम्मान और धार्मिक सहिष्णुता का वचन दिया, जिससे प्रत्यक्ष हस्तक्षेप कम करने का संकेत मिला।

5. सेना का पुनर्गठन: यूरोपीय सैनिकों का अनुपात बढ़ाया गया, आयुधों पर अंग्रेजी नियंत्रण, और भारतीय रेजीमेंटों में क्षेत्र-जाति-समुदाय आधारित विभाजन कर एकता की संभावना घटाई गई।

6. “फूट डालो और राज करो”: शासन ने समुदायों व समूहों के बीच विभाजन को नीति-उपकरण की तरह गहरा किया, जिसका दीर्घकालीन राजनीतिक-सामाजिक प्रभाव पड़ा।

राष्ट्रवाद का विकास

1. साझा प्रतिरोध-स्मृति: 1857 ने विविध भारतीय समूहों (सिपाही, किसान, जमींदार, शासक) को एक मंच पर लाकर साझा शत्रु के विरुद्ध खड़ा किया, जिससे राष्ट्रीय चेतना का अंकुर फूटा।

2. प्रतीक और नेतृत्व: बहादुर शाह ज़फ़र का प्रतीकात्मक सम्राट रूप, झाँसी, अवध और कानपुर जैसे केंद्रों की लड़ाइयाँ आगे की पीढ़ियों के लिए प्रेरक आख्यान बनीं और “एक भारतीय पहचान” का बोध बढ़ा।

3. सीमाएँ और सीख: समन्वय की कमी और क्रूर दमन ने भविष्य के नेताओं को संगठन, सर्व-भारतीय मंच और वैकल्पिक रणनीतियों की आवश्यकता का सबक दिया, जिससे आगे संस्थागत राष्ट्रीयतावादी राजनीति उभरी।

4. संस्थागत राष्ट्रवाद की राह: 1857 के बाद उपजी राजनीतिक जागरूकता और असंतोष के माहौल ने 1885 में कांग्रेस जैसे संगठनों के उदय के लिए जमीन तैयार की और स्वतंत्रता-संघर्ष को संगठित रूप मिला।

5. साहित्य व स्मृति-राजनीति: 1857 की घटनाएँ साहित्य, इतिहास-लेखन और जन-प्रचार में “पहले बड़े प्रतिरोध” के रूप में स्मरण हुईं, जिससे देशभक्ति और आंदोलनकारी चेतना को सांस्कृतिक संबल मिला।

50. संविधान सभा ने भाषा विवाद को हल करने के लिए क्या रास्ता निकाला ?

उत्तर - भारत एक बहुसंस्कृति वाला बहुभाषी राष्ट्र भी है। भाषा की यह बहुतायत निश्चय ही कभी कभी समस्या भी उत्पन्न कर सकती है। यह स्थिति संविधान निर्माण के समय में उत्पन्न हुई। संविधान सभा में इस सन्दर्भ में अनेक तर्क वितर्क दिये गये। इस समय भाषा की समस्या सुलझाने के लिये अनेक प्रयास किये गये जिन्हें हम निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत समझ सकते हैं।

(1) हिन्दुस्तानी भाषा- 20वीं शताब्दी के तृतीय दशक तक काँग्रेस ने यह स्वीकार कर लिया था कि हिन्दुस्तानी को ही राष्ट्रीय भाषा का स्थान दिया जाये। यह भाषा हिन्दी तथा उर्दू का सम्मिलित रूप थी। इस समय हिन्दू तथा मुसलमानों का मानना था कि राष्ट्रभाषा का दर्जा न तो हिन्दी को मिले न ही उर्दू को। यहाँ मध्यम मार्ग हिन्दुस्तानी भाषा थी जो हिन्दी, उर्दू, संस्कृत, अरबी तथा फारसी के विभिन्न शब्दों से बनी थी। यहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का मानना था कि देश की राष्ट्रीय भाषा ऐसी होनी चाहिये जो सभी देशवासियों की पहुँच में हो।

(2) गाँधीजी का मत- 20वीं शताब्दी के मध्य तक हिन्दुस्तानी भाषा धीरे धीरे बदल रही थी। स्वतंत्रता का संघर्ष जैसे जैसे तीव्र होने लगा, वैसे वैसे साम्प्रदायिक टकराव भी बढने लगा, किन्तु दुर्भाग्य से हिन्दी तथा उर्दू के मध्य खाई बढ़ती जा रही थी। गाँधीजी की आस्था अभी भी हिन्दुस्तानी भाषा में बनी हुई थी।

(3) नवीन सूत्र का उद्भव- संविधान की एक भाषा समिति भी थी जिसे राष्ट्र की भाषा में गहन अनुसन्धान करना था। इसने गहन अनुसन्धान के उपरान्त एक नवीन सूत्र दिया।

(4) धुलेकर का समर्थन- संयुक्त प्रान्त के एक सदस्य आर बी धुलेकर ने हिन्दी के समर्थन में अत्यधिक प्रयास किया। जब किसी ने कहा कि संविधान सभा के अधिकांश सदस्यों को हिन्दी नहीं आती. इस पर धुलेकर बोले "जो सदस्य हिन्दी नहीं समझते, उन्हें संविधान सभा की सदस्यता के अयोग्य माना जाये। उन्हें यहाँ से चले जाना चाहिए।" इस कथन पर हंगामा खडा हो गया तथा नेहरूजी के हस्तक्षेप से शान्ति स्थापित हो सकी।

(5) भाषा समिति का सुझाव- भाषा समिति का यह सुझाव था कि देवनागरी लिपि में हिन्दी भारत की राजकीय भाषा होगी, किन्तु समिति ने इस सूत्र की घोषणा नहीं की। यहाँ बीच का मार्ग सुझाया गया कि हमें हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिये धीरे धीरे ही आगे बढ़ना चाहिये। इसके लिये शीघ्रता नहीं करनी चाहिये। समिति का सुझाव था कि प्रथम 15 वर्षों तक सरकारी कार्यों में अंग्रेजी का प्रयोग जारी रहना चाहिये। इसके अतिरिक्त प्रत्येक प्रान्त को अपनी एक स्वतन्त्र भाषा के चयन का अधिकार होगा।

51. कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के महानतम शासक थे। कैसे ?

उत्तर - राजा कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली राजा थे जिनका सम्बन्ध तुलुव वंश से था। उनके शासन की विशेषताएँ राज्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण थीं। उन्होंने तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच स्थित उपजाऊ भू-क्षेत्र रायचूर दोआब पर अधिकार कर अपने राज्य का विस्तार और आर्थिक सुदृढ़ीकरण किया। साथ ही, उड़ीसा के शासकों और बीजापुर के सुल्तान को पराजित किया। उनकी नीति सामरिक रूप से युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहने की थी, परन्तु राज्य में आन्तरिक शान्ति और समृद्धि की परिस्थितियों में कोई व्यवधान नहीं था।

कृष्णदेव राय ने अनेक मन्दिरों का निर्माण करवाया तथा भव्य गोपुरमों के निर्माण का श्रेय भी उनको ही जाता है। उन्होंने कृषि के विस्तार तथा जलापूर्ति के लिए विशाल हौजों, जलाशयों तथा नहरों का भी निर्माण करवाया। इस प्रकार राजा कृष्णदेव राय ने विजयनगर राज्य की धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि के योगदान में अपनी महती भूमिका का निर्वाह किया।

52. गांधी जी का नमक सत्याग्रह का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर क्या प्रभाव पडा ?

उत्तर - उत्तर अंग्रेजों के नमक कानून के अनुसार नमक के उत्पाद तथा विक्रय पर राज्य का एकाधिकार था। प्रत्येक भारतीय के घर में नमक का प्रयोग होता था किन्तु उन्हें ऊंचे दामों पर नमक को खरीदना पडता था। इसके अतिरिक्त भारतीय स्वयं ही अपने घर के लिये नमक नहीं बना सकते थे। अत इस कानून पर भारतीयों का कुद्ध होना स्वाभाविक था। गाँधीजी नमक के इस कानून को सबसे घृणित मानते थे। अतएव उस समय नमक कानून स्वतंत्रता संघर्ष का एक महत्वपूर्ण विषय बन गया। नमक कानून को तोडने का मतलब था देश की जनता को एकजुट कर विदेशी दासता और ब्रिटिश शासन की अवज्ञा करना, उससे प्रेरित होकर छोटे छोटे अन्य कानूनों को तोडना ताकि स्वराज्य एवं पूर्ण स्वतंत्रता स्वत ही देशवासियों को प्राप्त हो जाए।

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