प्रोजेक्ट परख (तैयारी उड़ान की)
Class 12 विषयः- इतिहास
Set-5 मॉडल प्रश्न पत्र
वार्षिक इंटरमीडिएट परीक्षा-2025
सामान्य निर्देश
परीक्षार्थी यथा संभव अपने शब्दो में उत्तर दें।
सभी प्रश्न अनिवार्य है। कुल प्रश्नों की संख्या 52 है।
खण्डवार निर्देश को ध्यान में रखकर अपने उत्तर दें।
खण्ड क- बहुविकल्पीय प्रश्न
इस खंड में कुल 30 प्रश्न है। सभी प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प है सही विकल्प का चयन करें। प्रत्येक प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित हैं।
1. हड़प्पा सभ्यता के बंदरगाह का प्रमाण कहां
से मिला है ?
(क) लोथल
(ख) कालीबंगा
(ग) माहेनजोदड़ों
(घ) हड़प्पा
2. भारत का नेपोलियन किस शासक के कहा गया है
?
(क) चंद्रगुप्त
(ख) अकबर
(ग) समुद्रगुप्त
(घ) अशोक
3. महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश कहां दिया
था ?
(क) लुंबिनी
(ख) पावापुरी
(ग) कुंडलवन
(घ) सारनाथ
4. गैर मुसलमान को कौन सा कर देना पड़ता था ?
(क) जकात
(ख) खराज
(ग) जजिया
(घ) खम्स
5. तालीकोटा की लड़ाई कब हुई
?
(क) 1526 ई०
(ख) 1556 ई०
(ग) 1565 ई०
(घ) 1575 ई0
6. आईन-ए-अकबरी कितने भागों में विभक्त है ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
7. पांचवी रिपोर्ट ब्रिटिश संसद में कब पेश की गई
थी ?
(क) 1800 ई०
(ख) 1812 ई०
(ग) 1813 ई०
(घ) 1850 ई0
8. हड़प नीति किसने लागू की थी ?
(क) लॉर्ड कर्जन
(ख) लॉर्ड डलहौजी
(ग) लॉर्ड क्लाइव
(घ) हेस्टिंग
9. काला कानून किसे कहा गया है ?
(क) शिक्षा बिल
(ख) इल्बर्ट बिल
(ग) रॉलेट बिल
(घ) इनमें से कोई नहीं
10. स्वराज पार्टी के संस्थापक थे ?
(क) दादा भाई नौरोजी
(ख) रामकृष्ण गोखले
(ग) सी. आर दास.
(घ) गाँधी जी
11. कैबिनेट मिशन भारत कब आया ?
(क) मार्च 1946
(ख) अप्रैल 1945
(ग) जून 1942
(घ) मई 1945
12. भारतीय संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष कौन
थे ?
(क) जवाहरलाल नेहरु
(ख) डॉ राजेंद्र प्रसाद
(ग) सरदार पटेल
(घ) डॉ भीमराव अंबेडकर
13. भारत में रियासतों की संख्या कितनी थी ?
(क) 562
(ख) 563
(ग) 564
(घ) 654
14. उद्देश्य प्रस्ताव कब प्रस्तुत किया गया था
?
(क) 13 दिसंबर 1946
(ख) 9 दिसंबर 1946
(ग) 8 अगस्त 1942
(घ) 26 जनवरी 1950
15. मुस्लिम लीग की स्थापना कहां की गई थी ?
(क) लखनऊ
(ख) ढाका
(ग) सूरत
(घ) कोलकाता
16. महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब
लौटे ?
(क) 1893 ई.
(ख) 1915 ई.
(ग) 1917 ई.
(घ) 1908 ई.
17. कोलकाता में अंग्रेजों की किलेबंदी का क्या
नाम था ?
(क) फोर्ट सेंट जॉर्ज
(ख) फोर्ट विलियम
(ग) फोर्ट सेंट डेविड
(घ) इनमें से कोई नहीं
18. कब से भारत में दशकीय जनगणना एक नियमित व्यवस्था
बनई ?
(क) 1872 ई.
(ख) 1881 ई.
(ग) 1890 ई.
(घ) 1672 ई.
19. 1857 की क्रांति के समय भारत का गवर्नर जनरल
कौन था ?
(क) वैलेजली
(ख) डलहौजी
(ग) कैनिंग
(घ) विलियम बैंटिक
20 फ्रांसिस बुकानन कौन था ?
(क) चिकित्सक
(ख) कालाकार
(ग) कलेक्टर
(घ) निदेशक
21. तंबाकू पर किस मुगल शासक के प्रतिबंध लगाया
?
(क) जहांगीर
(ख) अकबर
(ग) हुमायूं
(घ) शाहजहां
22. अकबरनामा की रचना किसने की ?
(क) अमीर खुसरो
(ख) अलबरुनी
(ग) इब्नबतूता
(घ) अबुल फजल
23. सलुव वंश के संस्थापक कौन थे ?
(क) हरिहर
(ख) कृष्ण देव राय
(ग) राम राय
(घ) सलुव नरसिंह
24. अमुक्तमाल्यद की रचना किसके द्वारा की गई
?
(क) हरिहर
(ख) कृष्ण देव राय
(ग) राम राय
(घ) देव राय
25. पीर का क्या अर्थ है ?
(क) ईश्वर
(ख) गुरु
(ग) उलेमा
(घ) मौलवी
26. असम में भक्ति आंदोलन का प्रचार-प्रसार किसने
किया ?
(क) कबीर
(ख) नामदेव
(ग) नर्सिंग मेहता
(घ) शंकरदेव
27. उलुक डाक व्यवस्था में किसका प्रयोग किया
जाता था ?
(क) हाथी
(ख) घोड़ा
(ग) ऊंट
(घ) नाव
28. तृतीय बोद्ध संगीति का आयोजन कहां हुआ था
?
(क) राजगीरी
(ख) पाटलिपुत्र
(ग) कुंडलवन
(घ) वैशाखी
29. संस्कृत ग्रन्थों में "कूल" शब्द
का प्रयोग किसके लिए हुआ है ?
(क) परिवार
(ख) जाती
(ग) बांधव
(घ) इनमें से कोई नहीं
30. "देवनाम पियदसी" का प्रयोग किसके
लिए किया गया है ?
(क) चंद्रगुप्त मौर्य
(ख) अशोक
(ग) समुद्रगुप्त
(घ) बिंदुसार
खण्डः-ख अति लघुउत्तरीय प्रश्न
किन्ही छः प्रश्नो का उत्तर दें 2X6=12
31. मेगास्थनीज भारत
में किसके दरबार में आया था ?
उत्तर- मेगास्थनीज भारत में चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था
।
32. स्तूप क्या है ?
उत्तर- स्तुप बोद्ध धर्म से संबंधित एक स्मारक है जो टिले के आकार का
होता है एवं बौद्ध भिक्षुओं के अवशेष को रखा जाता है।
33. इंडो इस्लामिक स्थापत्य
शैली की दो विशेषताओं को लिखें।
उत्तर- इंडो-इस्लामिक स्थापत्य शैली की दो विशेषताएँ निम्नलिखित है।
1. गुंबद का निर्माण।
2. मीनार एवं जटिल मेहराब ।
34. खुद कास्त एवं पाही
कास्त कौन थे ?
उत्तर- मुगलकालिन वैसे किसान जिनकी अपनी जमीन होती थी तथा वे कृषि कार्य
करते थे वे खुद-काश्त कहलाते थे।
वे किसान जो दूसरों की भूमि पर अनुबंध या अन्य रुपों में कृषि
कार्य करते थे वे पाहि काश्त कहलाते थे।
35. पूर्ण स्वराज का
प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में और कब पास किया गया ?
उत्तर- पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव कॉग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 19 दिसंबर
1929 को पारित किया गया।
36. भारत छोड़ों आंदोलन
कब और किसने शुरु किया ?
उत्तर- भारत छोड़ो आंदोलन 08 अगस्त 1942 को बॉम्बे अधिवेशन के तहत्
महात्मा गाँधी के द्वारा शुरु किया गया।
37. 1857 के विद्रोह
में मुख्य भूमिका निभाने वाले दो महिलाओं का नाम लिखें ?
उत्तर- 1857 की क्रांति में अहम भूमिका निभाने वाली दो महिलाएँ:-
01 रानी लक्ष्मीबाई 02 बेगम हजरत महल थी।
38. निर्गुण भक्ति से
क्या अभिप्राय हैं ?
उत्तर- भक्ति का वह रुप जिसमें ईश्वर के निराकर रुप एवं सर्वव्यात मानकर
अराधना की जाती है उसे निर्गुण भत्ति कहते है।
खण्डः- ग लघुउत्तरीय प्रश्न
किन्ही छः प्रश्नो का उत्तर दें 3X6=18
39. कलिंग युद्ध का अशोक
पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- कलिंग युद्ध मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल की एक प्रमुख घटना
थी जो 261 ई० पू० में हुई थी। इस युद्ध में लगभग एक लाख लोग मारे गये तथा कई बंदी बनाने
गए। निर्दोषों के मारे जाने से सम्राट अशोक का दिल द्रवित हो गया तथा उनका हृदय परिवर्तित
हो गया। उन्होंने दिग्वजय निती के स्थान पर धम्म विजय की नीति अपनाई।
40. बे-शरिया और बा शरिया
परंपरा में क्या समानता एवं भिन्नता थी ?
उत्तर- बे-शरिया एवं बाशरिया में कुछ समानताएँ तो कुछ भिन्नताएँ थी
जो इस प्रकार है।
समानताएँ-। दोनो एकेश्वरवाद में विश्वास करते थे II दोनो में
पीर अथवा गुरु का अत्यधिक महत्व था।
भिन्नताएँ :- II बा-शरिया इस्लामी शरियत का पालन करते थे जबकि
बे-शरिया शरीयत का पालन नहीं करते थे। बा-शरिया खान काहो में रहते थे, जबकि बे-शरिया
खान काहो में निवास नहीं करते थे वे घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करते थे।
41. अमर नायक कौन थे
उनकी क्या भूमिका थी ?
उत्तर- विजयनगर साम्राज्य में सेना से संबंधित उच्चाधिकारी को अमरनायक
कहा जाता था जिन्हे सेना के रख-रखाव हेतु भूमि अनुदान (अमरम) दिया जाता था। अमरनायको
का प्रमुख कार्य अमरम से प्राप्त आय के आधार पर सेना, घोड़ा एवं हाथी दल को रखना तथा
किसानों, शिल्पियों, व्यापरियों से निश्चित कर वसुल कर राजा को भेजना था।
42. स्थाई बंदोबस्त के
गुण एवं दोष को लिखें।
उत्तर- स्थायी बन्दोबस्त व्यवस्था के गुण एवं दोष को निम्नलिखित बिदुओं
द्वारा दर्शा सकते है।
गुण :-
(I) इस व्यवस्था से बंगाल की आंतरिक आर्थिक स्थिति में सुधार
हुई गान की निश्चितता होने से किसान कृषि की और लौटने लगे।
(II) कपंनी को लाभ मिला।
(III) एक समृद्ध जमींदार वर्ग का उदय हुआ।
दोष :-
(I) कंपनी को घाटा हुआ।
(II) किसानों पर शोषण एवं अत्याचार बढ़ गया।
(III) सामाजिक विभेद एवं तनाव को बढ़ावा मिला।
43. खिलाफत आंदोलन में
आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- खिलाफत आंदोलन की शुरुआत 1919 ई. में हुई। प्रथम विश्व युद्ध
में तुर्की की हार के फलस्वरुप इस्लामी जगत के धर्मगुरु तुर्की के खलीफा का अस्तित्व
संकट में आ गया। खलीफा के साथ अन्याय से मुसलमान उद्वेलित हो गए तथा शक्ति एवं प्रतिष्ठा
की स्थापना हेतु खिलाफत समितियाँ की स्थापना कर खिलाफत आंदोलन चलाएँ गए। भारत में इस
आंदोलन को अली बंधुओं, मुहम्मद अली, शौकत अली इत्यादि ने संगठित क्रिया तथा गाँधी जी
का भी इसमें सहयोग प्राप्त हुआ।
44. प्रत्यक्ष कार्यवाही
दिवस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर- 1946 ई. में कैबिनेट मिशन ने कांग्रेस और मुस्लिम लोग के बीच
मध्यस्थता कर संप्रदायिक प्रश्नों का समाधान ढूँढ़ने का प्रयास किया परंतु आपसी मतभेदो
को दूर नहीं किया जा सका जिन्ना ने कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया तथा
पकिस्तान निर्माण हेतु 16 अगस्त 1946 को सीधी कार्यवाही की धमकी दी जिससे कलकत्ता में
खुनी दंगे शुरु हो गए इसी घटना को प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस कहा जाता है।
45. संविधान सभा के प्रमुख
समितियाँ का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर- भारत की आजादी के पश्चात् संविधान का निर्माण हेतु विभिन्न समितियाँ
का निर्माण किया गया जो निम्नलिखित है :-
(I) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में संचालन समिति।
(II) पंडित जवाहर लाल नेहरु की अध्यक्षता में संघ संविधान समिति।
(III) एस. वी. पटेल की अध्यक्षता में प्रांतीय संविधान समिति।
(IV) जे. बी. कृपलानी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ध्वज समिति
।
(V) डॉ. भीम राव अंबेदकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यों की प्रारुप
समिति।
46. डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स
से आप क्या समझते है ?
उत्तर- डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स या हड़प नीति लार्ड डलहौजी द्वारा अपनाई
गई वह नीति थी जिसमें देशी नरेशो
के अपनें संतान न होने पर उत्तराधिकारी हेतु गोद लेने की प्रथा को समाप्त कर दिया तथा
उनका राज्य कंपनी में मिला लिया गया। इस नीति के तहत् सतरा, झाँसी, नागपुर को ब्रिटिश
साम्राज्य में मिला लिया गया इस तरह डलहौजी के उक्त साम्राज्य विस्तार नीति को ही डॉक्ट्रिन
ऑफ लैप्स या गोद निषेद नीति के नाम से जाना जाता है।
खण्डः- घ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
किन्ही चार प्रश्नो का उत्तर दें 5X4=18
47. सिंधु घाटी सभ्यता
के प्रमुख स्थलों का वर्णन करें।
उत्तर- सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल निम्न है।
(I) हड़प्पा :- हड़प्पा
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मौटगोमरी जिले में स्थित था। यह रावी नदी किनारे स्थित
है। इसकी खोज दयाराम साहनी ने की थी। हड़प्पा से 6 कोठार मिले हैं ईटो के बने चबूतरे
पर स्थित है। प्रत्येक कोठार 15.28 मीटर लंबा और 6.09 मीटर चौड़ा है।
(II) मोहनजोदड़ो :- यह
पाकिस्तान के लरकाना जिला में सिंधु नदी के किनारे स्थित है, इसकी खोज राखलदास बनर्जी
ने 1922 ई. में की थी। मोहनजोदड़ो का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल विशाल स्नानागार
है। यह 11.8 मीटर लंबा 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा है। स्नानागार में उतरने
के लिए इसके उत्तर एवं दक्षिण दिशा में सीढ़िया बनी हुई है इसका फर्श पक्की ईंटो का बना हुआ है। इस स्नानागार
का विशेष धार्मिक महत्व था। मोहन मोहनजोदड़ों की सबसे बड़ी इमारत अनाज रखने का कोठार
है जो 45.78 मीटर लंबा और 15.23 मीटर चौड़ा है। यहाँ के कई आवासों में कुएँ मिले है
जिनकी संख्या 700 है।
(III) लोथल :- लोथल गुजरात के खंभात की खाड़ी
में स्थित है यह भोगवा नदी के किनारे स्थित है। इसकी खोज रंगनाथ राव ने 1957 से में
की थी। लोथल में बंदरगाह पाया गया है यहाँ समुद्र के रास्ते आने वाली नाव रुकती थी,
संभवतः यहाँ माल उतारा और चढ़ाया जाता था। यहाँ मनके बनाने का कार्य होता था। वहाँ
के लोग धान उगाते थे। इसका अवशेष मिला है।
(IV) कालीबंगा :- कालीबंगा राजस्थान के घग्गर नदीं
के किनारे स्थित है इसकी खोज अमलानंद घोष ने की थी। कालीबंगा का अर्थ है काले रंग की
चूड़िया यहाँ से हल तथा जुते हुए खेत का प्रमाण मिला है।
(V) चन्हुदड़ो : चन्हूदड़ो पाकिस्तान के सिंध प्रांत
में सिंधु नदी के किनारे स्थित है। इसकी खोज 1931 ई. में एन. जी. मजूमदार ने की थी।
यहाँ से केवल एक टीले की संरचना मिली है। इसके अलावा बाकी स्थलों से प्राप्त सुरक्षा
दीवार जैसी कोई संरचना नहीं मिली है, अतः इस हड़प्पा सभ्यता का बिना दुर्ग का एकमात्र
नगर भी कहा जाता है।
(VI) धोलावीरा :- गुजरात के कच्छ क्षेत्र में धौलावीरा
है। यह नगर तीन भागो में बाटा गया था। धौलावीरा अपनी जल प्रणाली एवं सिचाई प्रणाली
के लिए प्रसिद्ध ।
48. गौतम बुद्ध की जीवनी
एवं उपदेशों का वर्णन करें।
उत्तर- महात्मा बुद्ध का जीवनी महात्मा
बुद्ध का जन्म 563 ई० पू० में कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी ग्राम में हुआ था इसके पिता
शुद्धोधन शाक्य कुल के क्षत्रिय वंश के राजा थे। जिनकी राजधानी कपिलवस्तु थी बुद्ध
के जन्म के सातवे दिन ही इनकी माता महामाया का देहांत हो गया तथा इनकी मौसी महा प्रजापति
गौतमी ने इनका लालन पालन किया। गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था। गौतम बुद्ध
बचपन से ही चितनशील थे, उनकी इन गतिविधियों को देखते हुए 16 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध
का विवाह राजकुमारी यशोधरा से हो गई। उनसे एक पुत्र राहुल भी हुआ। गौतम बुद्ध की विचारधारा
विचारशील प्रकृति को विलासिता से परिपूर्ण वैवाहिक जीवन भी बदल ना सका। गौतम बुद्ध
के जीवन में चार दृश्यों का गहरो प्रभाव पड़ा :-
(I) एक बृदध व्यक्ति
(II) एक रोग ग्रस्त व्यक्ति
(III) एक मृत व्यक्ति
(IV) एक सन्यासी
जहाँ प्रथम तीन दृश्यों को देखकर दुःखमय
जीवन के प्रति गौतम बुद्ध के मन में गहरा आघात पहुंचा वहीं चौथे दृश्य ने उन्हें दुख
निरोध का मार्ग दिखाया।
29 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध ने गृह
त्याग दिया, गृह त्याग के बाद ज्ञान की खोज में गौतम बुद्ध ने अलार कलाम एवं रुद्रक
रामपुत्र जैसे आचार्य से शिक्षा प्राप्त की कठोर तपस्या के बाद गौतम बुद्ध को बोधगया
में निरंजना नदीं के किनारे एक पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्रप्ति हुई। ज्ञान प्राप्ति
के बाद गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया। 80 वर्ष की आयु में 483 ई०
पू० गौतम बुद्ध की मृत्यु कुशीनगर में हुई।
महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं:- बौद्ध
धर्म के चार आर्य सत्य
(I) दुःख गौतम बुद्ध के अनुसार समस्त संसार
दुःख से भरा है यहाँ जन्म मरण वृद्धावस्था अप्रिय का मिलन, प्रिय का वियोग एवं इच्छित
वस्तु का प्राप्त ना होना आदि सभी दुःख है।
(II) दुःख समुदाय :- समुदाय का अर्थ है कारण गौतम बुद्ध
के अनुसार संसार में दुःखों का कोई न कोई कारण अवश्य है, उन्होंने समस्त दुःखो का कारण
इच्छा बतलाया है।
(III) दुःख निरोध निरोध का अर्थ है दूर करना गौतम बुद्ध
ने दुःख निरोध या दुःख निवारण के लिए इच्छा का उन्मूलन आवश्यक बताया है।
(IV) दुःख निरोध मार्ग- गौतम बुद्ध के अनुसार संसार में प्रिय
लगने वाली वस्तु का त्याग ही दुख निरोध मार्ग है।
दुःख का विनाश करने के लिए गौतम बुद्ध
ने जिस सिद्धांत का प्रतिपादन किया उसे अष्टांगिक मार्ग कहा जाता है।
अष्टांगिक मार्ग गौतम बुद्ध द्वारा
प्रतिपादित दुख निरोध हेतू आठ निम्नलिखित :-
(i) सम्यक दृष्टि चार आर्य सत्य की
सही परख ।
(ii) सम्यक वाणी धर्म सम्मत एवं मृद्ध
वाणी का प्रयोग ।
(iii) सम्यक संकल्प भौतिक वस्तु एवं
दुर्भावना का त्याग।
(iv) सम्यक अजीव सदाचारी जीवन जीते
हुए ईमानदार से जीविका कमाना।
(v) सम्यक कर्म :- अच्छा कर्म करना
(vi) सम्यक व्यायाम शुद्ध विचार ग्रहण
करना, एवं अशुद्ध विचारों को त्यागते रहना।
(vii) सम्भक स्मृति अपने कर्मों के
प्रति विवेक तथा सावधानी को सदैव स्मरण रखना ।
(viii) सम्यक समाधि लोभ, द्वेष, आलस्य,
बीमारी एवं अनिश्चत की स्थिति से दूर रहने का उपाय करना ही सम्यक समाधि है।
49. 1857 के विद्रोह
की विफलता के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर- 1857 के विद्रोह में विद्रोहियों
को आरंभिक सफलता तो मिली, परंतु शीघ्र ही वे पराजित होने लगे। दिल्ली, कानपुर, लखनऊ,
झांसी कालपी और अन्य स्थानों पर अंग्रेजो में कब्जा जमा लिया। दिसम्बर 1858 तक विद्रोह
को पूरी तरह दबा दिया गया। इस तरह विद्रोह असफल हो गया। जिसके कारण इस प्रकार है।
(i) योग्य नेतृत्व का अभाव :- विद्रोह मुगल बादशाह बहादुरशाह
के नेतृत्व में हुआ, परंतु उसमें नेतृत्व करने की क्षमता नहीं थी। विद्रोह के अन्य
नेताओ में भी आपसी तालमेल नहीं था। वे एक साथ योजना बनाकर युद्ध नहीं करते थे। तथा
उनमें कुशल सेनापति के गुणों का अभाव था। अतः वे अंग्रेज सेनापतियों का सामना नहीं
कर सके।
(ii) समय से पूर्व विद्रोह आंरभ बिना किसी निश्चित योजना के निर्धारित
समय से पूर्व ही विद्रोह शुरु हो गया। इससे विद्रोह योजना योजनाबद्ध रूप से नहीं हो
सका। एक अंग्रेज इतिहासकार ने लिखा कि "यदि पूर्व निश्चय के अनुसार एक तारीख को
सारे भारत में स्वाधीनता का युद्ध शुरु होता तो भारत में एक भी अंग्रेज जीवित न बचता।
(iii) विद्रोह का अनुपयुक्त समय विद्रोह का समय क्रांतिकारियों के
लिए अनुपयुक्त था। उस समय तक लगभग पूरा भारत अंग्रेजी सत्ता के अधीन हो चुका था अंतरराष्ट्रीय
परिस्थिति भी अंग्रेजों के अनुकूल थी। अतः अंग्रेजो ने अपनी सारी शक्ति विद्रोह के
दमन में लगा दी।
(iv) विद्रोह का निश्चित उद्देश्य नहीं विद्रोह में भाग लेने वालों नायको
का एकसमान उद्देश्य नहीं था। अपने व्यक्तिगत स्वाथों की पूर्ति के लिए वे इसमें भाग
ले रहे थे। यह निश्चित नहीं किया गया था। कि क्रांति की सफलता के बाद क्या व्यवस्था
होगी। अतः विद्रोही पूरे मनोयोग से विद्रोह में भाग नहीं ले सके।
(v) संगठन लं योजना का अभाव विद्रोहियों में संगठनात्मक दुर्बलता
थी। विभिन्न क्षेत्रों के क्रांतिकारी एवं उनके नेता अपनी-अपनी योजनानुसार अलग-अलग
कार्य करते रहे। इसके विपरीत अंग्रेजों ने योजनाबद्ध रूप से विद्रोह का दमन किया।
(vi) विद्रोहियों के सीमित साधन अंग्रेजो की तुलना में विद्रोहियों
के साधन अत्यंत सीमित थे । उनके पास पर्याप्त धन, रसद, गोला-बारूद और प्रशिक्षित सैनिको
का सर्वथा अभाव था। उनके पास आवागमन के साधनों के साथ गुप्तचर व्यवस्था का भी अभाव
था।
(vii) विद्रोह का सीमित स्वरूप विद्रोह के स्थानीय एवं सीमित स्वरूप
ने भी इसकी विफलता में योगदान दिया। क्रांति को केन्द्रबिंदु उतरी और मध्य भारत के
कुछ भाग ही थे। बंगाल, पूर्वोतर भारत, पंजाब कश्मीर उड़ीसा, पश्चिम और दक्षिण भारत
में इसका व्यापक प्रभाव नहीं था। दिल्ली को केन्द्र बनाने से विद्रोह उतना अधिक नहीं
फैला सका जितना फैल सकता था। फलतः विद्रोहों की अत्यधिक स्थानबध प्रकृति के कारण अंग्रेज
उनसे एक-एक कर निपटने में कामयाब रहे।
50. भारतीय राष्ट्रीय
आंदालेन में गाँधीजी की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भारतीय स्वंतंत्रता संग्राम
के अग्रदूत गाँधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन को राष्ट्रीय आंदोलन से जन आंदोलन बनाया
इसके लिए उन्होंने निम्न रणनीतियाँ अपनाएँ :-
(i) अंहिसा :- राष्ट्रीय
आंदोलन में अंहिसा का प्रयोग पहली बार गाँधी जी ने ही किये गाँधी जी आंदोलन को किसी
भी प्रकार से हिंसात्मक होने देना नहीं चाहते थे।
(ii) सत्याग्रह का प्रयोग सत्य के लिए आग्रह को एक संघर्ष रुप देना ही सत्याग्रह है।
सत्याग्रह का प्रारंभिक प्रयोग गाँधी ने चंपारण और खेड़ा आंदोलन में किया था।
(iii) हड़ताल का सफल प्रयोग गाँधी जी राष्ट्रीय स्वंतंत्रता आंदोलन में हड़ताल का प्रयोग
एक हथियार के रुप में किया था। इसका सफल प्रयोग अहमदाबाद, खेड़ा आंदोलन में किये थे।
(iv) असहयोग गाँधी
जी ने आंदोलन के हर स्तर पर बहिष्कार एवं विरोध का प्रयोग कियें।
(v) सविनय अवज्ञा सरकार
के कानून को विनम्रता पुर्वक मानने से मना करना ही सविनय अवज्ञा है। गाँधी जी ने सविनय
अवज्ञा को आंदोलन का एक हथियार बनाये।
(vi) स्वदेशी बहिष्कार गाँधी जी ने स्वदेशी को अपनाया तथा प्रतीक के रुप में स्वयं चरख चलाया। उन्होने
किसी भी प्रकार के विदेशी वस्तुओं को बहिष्कार करने का आह्वान किया ।
इसके अतिरिक्त उन्होंने
* हिन्दु मुस्लिमें एकता स्थापित करने का प्रयास किया।
* छुआ छुत जाति प्रथा पर जोरदार प्रहार किया है।
* कुटीर उद्योगो को बढ़ावा देने का प्रयास किया ।
* राष्ट्रीय आंदोलन में स्त्रियों की भागीदारी सुनिश्चित करने
का प्रयास किया।
51. संथाल विद्रोह के
परिणामों की विवेचना करें।
उत्तर- संथाल विद्रोह के परिणाम
संथाल विद्रोह 1855 आदिवासियों का सबसे शक्ति शाली महत्वपूर्ण
माना जाता है। इसे हुल आंदोलन भी कहा जाता है हलाकि इस आंदोलन को दमन कर दिया गया ।
परंतु इसका दीर्घगामी परिणाम हुआ इसके परिणाम निम्नांकित शीर्षकों से वर्णित किया जा
सकता है।
(i) वन पर अधिकार
1855 के संथाल विद्रोह के उपरांत आदिवासियों को वन एंव वन उत्पाद पर अधिकार प्राप्त हुआ।
(ii) जमीन पर अधिकार :- संथाल विद्रोह के उपरांत अंग्रेजो को अपनी भू-नीति पर पुर्नविचार करना पड़ा।
जमीन पर आदिवासियों को खोया हुआ अधिकार प्राप्त हुआ ।
(iii) वेगारी प्रथा बंद हुआ भागलपुर वर्द्धमान रेल लाईनो के निर्माण के समय आदिवासियों से जबरन बेगारी
लिया जाता था। परंतु इस विद्रोह के उपरांत अंग्रेजो ने लाचार बस बेगारी लेना बंद किया।
(iv) संथाल परगना का जिला का निर्माण संथाल विद्रोह 1855 का एक प्रमुख परिणाम यह रहा कि संथाल बाहुल
क्षेत्र को अलग संथाल परगना जिला बना। जो आज एक प्रमण्डल के रुप में विद्यमान है।
52. मौर्य प्रशासन के
प्रमुख विशेषताओं की लिखें। अशोक के अभिलेखों में कौन-कौन तत्वों के प्रमाण मिलते है
?
उत्तर- मौर्य प्रशासन का प्रमुख विशेषताएँ निम्न है :-
(i) मौर्य प्रशासन में राजनीतिक केन्द्र राजधानी ही था। सम्पूर्ण
साम्राज्य पाँच भागो में विभक्त था। प्रत्येक भाग का प्रमुख राज्यपाल होता था राज्य
सीधे तौर पर राजा के अधीन था।
(ii) र्मार्य प्रशासन में प्रशासनिक व्यवस्था अति केन्द्रीकृत
था। राजा ही सर्वेसर्वा होता था।
(iii) मंत्रिपरिषद :- राजा
को शासन कार्य में सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होता था। हालाँकि यह मंत्रिपरिषद
केवल सलाह कारी होते थे। सर्वोच्च निर्णायक राजा ही होता था।
(iv) मौय प्रशासन में न्याय व्यवस्था स्थापित किया था। संपूर्ण
न्याय व्यवस्था का प्रमुख राजा ही होता था।
(v) सैन्य व्यवस्था :- मौर्यकाल
में सैन्य व्यवस्था अत्यंत ही सुदृढ़ था। सर्वोच्च सेनापति राजा ही होता था। सेना को
नियमित वेतन दिया जाता था। सेना में चतुरंगिणी सेना, अश्व सेना हस्त सेना, रथ सेना
एवं पैदल सेना थे।
(vi) गुप्तचर व्यवस्था मौर्य शासको ने गुप्त चर व्यवस्था को मजबुती से स्थापित किया था। गुप्तचरो को
चर अथा गुढ पुरुष कहा जाता था।
अशोक के अभिलेख में मौर्य प्रशासन के निम्न तत्वो की झलक मिलती
है।
(i) प्रशासन का प्रमुख केन्द्र पाटिलीपुत्र था।
(ii) अभिलेख में शासन अध्यक्ष को आर्य पुत्र का जिक्र है।
(iii) अशोक अभिलेख में धम्म माहामात्रो की नियुक्ति का उल्लेख
है।
(iv) अभिलेख में राजुक का कार्य का उल्लेख है।
(v) गुप्तचरो को 24 घंटा राजा के साथ मिलने का अधिकार प्राप्त
था।
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