Class 12 Geography Hazaribagh Pre Board Examination Answer Key – 2024

Class 12 Geography Hazaribagh Pre Board Examination Answer Key – 2024

 Class 12 Geography Hazaribagh Pre Board Examination Answer Key – 2024

Hazaribagh Pre Board Examination – 2024

GEOGRAPHY (Optional)

कुल समय : 3 घंटे 15 मिनट

पूर्णांक : 70

सामान्य निर्देश :

1. इस प्रश्न-पुस्तिका में दो भाग भाग-A तथा भाग-B हैं।

2. भाग-A में 25 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग-B में 45 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं।

3. परीक्षार्थी को अलग से उपलब्ध कराई गई उत्तर-पुस्तिका में उत्तर देना है।

4. भाग-A इसमें 25 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके 4 विकल्प (A, B, C तथा D) हैं। परीक्षार्थी को उत्तर-पुस्तिका में सही उत्तर लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जाएगा।

5. भाग-B इस भाग में तीन खण्ड खण्ड-A, B तथा C हैं। इस भाग में अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रकार के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 23 है।

खण्ड-A - प्रश्न संख्या 26-34 अति लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 7 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।

खण्ड-B - प्रश्न संख्या 35-42 लघु उत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें।

खण्ड-C - प्रश्न संख्या 43-48 दीर्घ उत्तरीय हैं। किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।

6. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।

7. जहाँ आवश्यक हो स्वच्छ तथा स्पष्ट रेखाचित्र बनाएँ।

8. परीक्षार्थी परीक्षा भवन छोड़ने के पहले अपनी उत्तर-पुस्तिका वीक्षक को अनिवार्य रूप से लौटा दें।

9. परीक्षा समाप्त होने के उपरांत परीक्षार्थी प्रश्न-पुस्तिका अपने साथ लेकर जा सकते हैं।

भाग - A

(बहुविकल्पीय प्रश्न)

प्रश्न संख्या 1 से 25 तक बहुविकल्पीय प्रकार हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प हैं। सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।

1. निम्नलिखित में से कौन-सा एक मानव भूगोल का उपागम नहीं हैं?

(1) क्षेत्रीय विभिन्नता

(B) मात्रात्मक क्रांति

(1) स्थानिक संगठन

(D) अन्वेषण और वर्णन

2. निम्नलिखित में से कौन-सा एक विरल जनसंख्या वाला क्षेत्र नहीं है?

(A) अताकामा

(B) भूमध्यरेखीय प्रदेश

(C) दक्षिण-पूर्वी एशिया

(D) ध्रुवीय प्रदेश

3. निम्नलिखित में से कौन सा विकास का सर्वोत्तम वर्णन करता है?

(A) आकार में वृद्धि

(B) गुण में धनात्मक परिवर्तन

(C) आकार में स्थिरता

(D) गुण में साधारण परिवर्तन

4. निम्न देशों में से किस देश में सफल परीक्षण किया गया है?

(A) रूस

(B) डेनमार्क

(C) भारत

(D) नीडरलैंड

5. निम्न में से कौन-सी एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्वामित्व व्यक्तिगत होता है?

(A) पूँजीवाद

(B) मिश्रित

(C) समाजवाद

(D) कोई भी नहीं।

6. निम्नलिखित में से कौन-सा एक तृतीयक क्रियाकलाप है?

(A) खेती

(B) बुनाई

(C) व्यापार

(D) आखेट

7. किस देश में रेलमार्गो के जाल का सघनतम घनत्व पाया जाता है?

(A) ब्राजील

(B) कनाडा

(C) संयुक्त राज्य अमेरिका

(D) रूस

8. निम्नलिखित महाद्वीपों में से किस एक से विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है?।।

(A) एशिया

(B) यूरोप

(C) उत्तरी अमेरिका

(D) अफ्रीका

9. निम्न में से कौन-सा एक जोड्डा सही मेल खाता है।

(A) स्वचालित वाहन उद्योग - लॉस एंजिल्स

(B) पोत निर्माण उद्योग - लूसाका

(C) वायुयान निर्माण उद्यो- फ्लोरेंस

(D) लौह-इस्पात उद्योग – पिट्सबर्ग

10. निम्न में से कौन-सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया गया है?

(A) कोलखोज़

(B) अंगूरोत्पादन

(C) मिश्रित कृषि

(D) रोपन कृषि

11. मानव विकास की अवधारणा निम्नलिखित में से किस विद्वान की देन है?

(A) प्रो० अमर्त्य सेन

(B) डाँ. महबूब-उल-हक

(C) एलन सी० सेम्पुल

(D) रैटजेल

12. सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या निम्नलिखित में से कौन सी है?

(A) 102.8 करोड़

(B) 328.7 करोड़

(C) 318.2 करोड़

(D) 121 करोड़

13. निम्नलिखित में से कौन-सा नगर नदी तट पर अवस्थित नहीं है?

(A) आगरा

(B) पटना

(C) भोपाल

(D) कोलकाता

14. निम्न में से कौन-सा भू-उपयोसंवर्ग नहीं हैं?

(A) परती भूमि

(B) सीमांत भूमि

(C) निवल बोया क्षेत्र

(D) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि

15. शुष्क कृषि में निम्न में से कौन-सी फसल नहीं बोई जाती ?

(A) रात्री

(B) मूँगफली

(C) ज्वार

(D) गन्ना

16. निम्नलिखित में से जल किस प्रकार का संसाधन है?

(A) अजैव संसाधन

(B) अनवीकरणीय संसाधन

(c) जैव संसाधन

(D) चक्रीय संसाधन

17. निम्नलिखित में से किस राज्य में प्रमुख तेल क्षेत्र स्थित है?

(A) असम

(B) बिहार

(C) राजस्थान

(D) तमिलनाडु

18. निम्न‌लिखित में कौन-सा खनिज "भूरा हरा" के नाम से जाना जाता है?

[A] लौह

[B] लिगनाइट

[C] मैंगनीज

[D] अभ्रक

19. राष्ट्रीय जल मार्ग संख्या-1 किस नदी पर तथा किन हो स्थानों के बीच पड़ता है?

(A) ब्रह्मपुत्र , सादिया-धुबरी

(B) गंगा, हल्दि‌या - इलाहाबाद

(C) पश्चिमी, तट नहर,- कोट्टापुरम से कोल्लाम

20. निम्नलिखित में से किस वर्ष में भारत में पहला रेडियो कार्यक्रम प्रसारित हुआ था ?

(A) 1911

(B) 1936

(C) 1927

(D) 1923

21. निम्नलिखित में से कौन सा एक स्थलबद्ध पोतास्य है।

(A) विशाखपतनम

(B) मुम्बई

(C) एन्नोर

(D) हल्दिया

22. निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है?

(A) ब्रह्मपुत्र

(B) सतलुज

(C) यमुना

(D) गोदावरी

23. निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है।

(A) जल प्रदूषण

(B) भूमि प्रदूषण

(C) शोर प्रदूषण

(D) वायु प्रदूषण

24. निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक है?

(A) पश्चिम बंगाल

(B) केरल

(C) उत्तर प्रदेश

(D) पंजाब

25. भारत की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सी एक विशेषता नगर की परिभाषा का अंग नहीं है?

(A) जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी०।

(B) नगरपालिका, निगम का होना।

(C) 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खंड में संलग्न होना।

(D) जनसंख्या आकार 5000 व्यक्तियों से अधिक।

भाग-B (विषयनिष्ठ प्रश्न)

Section-A (अति लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं सात प्रश्नों के उत्तर दें। 1x7= 7

26. पनामा नहर किन दो महासागरों को जोड़ता है?

उत्तर - प्रशांत महासागर तथा (कैरेबियन सागर होकर) अटलांटिक महासागर

27. निश्चयवाद का विकास किस देश मे हुआ ?

उत्तर - ऑस्ट्रेलिया

28. W.T.O का पूरा रूप क्या है?

उत्तर - World Trade Organization (वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइज़ेशन)

29. मानव विकास के तीन मूलभूत क्षेत्र कौन-से है?

उत्तर - मानव विकास के तीन मूलभूत क्षेत्र हैं जिनके आधार पर विभिन्न देशों का कोटि-क्रम तैयार किया जाता है। ये हैं-

1. स्वास्थ्य,

2. शिक्षा तथा

3. संसाधनों तक पहुँच ।

30. खनन कार्य कौन सी क्रिया का उदाहरण है?

उत्तर - खनन पृथ्वी की सतह के नीचे से खनिजों, धातुओं, और अन्य उपयोगी पदार्थों को निकालने की प्रक्रिया है। या प्राथमिक क्रियाकलाप का उदाहरण है।

31. लौह धात्विक खनिज के दो उदाहरण दीजिए ?

उत्तर - वे समस्त प्रकार के धात्विक खनिज जिनमें लौह अंश होता है, लौह धात्विक खनिज कहलाते हैं। उदाहरण - लौह अयस्क, मैंगनीज, टंगस्टन, क्रोमाइट आदि।

32. भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य कौन सा है?

उत्तर - उत्तर प्रदेश राज्य की जनसंख्या 199,812,341 है। उत्तर प्रदेश राज्य का घनत्व 829 प्रति वर्ग किमी है। यह भारत में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में पहले स्थान पर है।

33. भारत में दो खनन नगर के नाम लिखिए

उत्तर - भारत में दो प्रमुख खनन नगरों के नाम हैं: रानीगंज, झरिया

34. पर्यटन से क्या अभिप्राय है?

उत्तर - विश्व व्यापार संगठन (1993) के अनुसार , "पर्यटन में उन व्यक्तियों की गतिविधियों को शामिल किया जाता है जो अवकाश, व्यवसाय और अन्य उद्देश्यों के लिए लगातार एक वर्ष से अधिक समय तक अपने सामान्य वातावरण से बाहर यात्रा करते हैं और रहते हैं।"

Section - B

(लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें। 3x6-18

35. मानव के प्राकृतिकरण की व्याख्या कीजिए।

उत्तर - मानव प्राकृतिक वातावरण के अन्तर्सम्बन्धों की आरम्भिक अवस्था में आदिम मानव समाज अपने प्राकृतिक वातावरण से अत्यधिक प्रभावित रहा तथा मानव समाज की आदिम अवस्था में सभी मानवीय क्रियाओं पर प्राकृतिक वातावरण का पूर्ण नियन्त्रण रहा। मानव समाज की आदिम अवस्था में प्रौद्योगिकी का स्तर अति निम्न था तथा प्रौद्योगिकी विकास की उस अवस्था में मानव अपने प्राकृतिक वातावरण के साथ पूर्णतः दास रूप में कार्य करता था एवं प्राकृतिक शक्तियों को एक शक्तिशाली बल, पूज्यनीय एवं सत्कार योग्य मानता था। साथ ही अपने सतत पोषण के लिए मानव अपने प्राकृतिक वातावरण पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर था। इस प्रकार आदिम मानव पूर्णतया प्राकृतिक वातावरण की शक्तियों द्वारा नियन्त्रित था। इसी प्रक्रिया को मानव का प्राकृतीकरण कहा जाता है।

36. जनांकिकीय संक्रमण की तीन अवस्थाओं की विवेचना कीजिए।

उत्तर - जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का उपयोग किसी क्षेत्र की जनसंख्या के वर्णन तथा भविष्य की जनसंख्या के पूर्वानुमान के लिए किया जा सकता है। यह सिद्धांत हमें बताता है कि जैसे ही समाज ग्रामीण अशिक्षित अवस्था से उन्नति करके नगरीय औद्योगिक और साक्षर बनता है तो किसी प्रदेश की जनसंख्या उच्च जन्म-दर और उच्च मृत्यु- दर से निम्न जन्म-दर व निम्न मृत्यु दर में बदल जाती है। ये परिवर्तन तीन अवस्थाओं में होते हैं-

1. प्रथम अवस्था : उच्च प्रजननशीलता में उच्च मर्त्यता होती है क्योंकि लोग महामारियों और भोजन की अनिश्चित आपूर्ति से पीड़ित थे। जीवन प्रत्याशा निम्न होती है, अधिकांश लोग अशिक्षित होते हैं और उनके प्रौद्योगिकी स्तर निम्न होते हैं।

2. द्वितीय अवस्था : द्वितीय अवस्था के प्रारंभ में प्रजननशीलता ऊँची बनी रहती है किंतु यह समय के साथ घटती जाती है। स्वास्थ्य संबंधी दशाओं व स्वच्छता में सुधार के साथ मर्त्यता में कमी आती है।

3. तीसरी अवस्था तीसरी अवस्था में प्रजननशीलता और मर्त्यता दोनों घट जाती हैं। जनसंख्या या तो स्थिर हो जाती हैया मंद गति से बढ़ती है। जनसंख्या नगरीय और शिक्षित हो जाती है व उसके पास तकनीकी ज्ञान होता है। ऐसी जनसंख्या विचारपूर्वक परिवार के आकार को नियंत्रित करती है।

37. प्राथमिक एवं द्वितीयक गतिविधियों (क्रियाओं) में अंतर क्या है।

उत्तर - प्राथमिक क्रियाएँ– जब प्राकृतिक संसाधनों से प्रयोग की जाने वाली वस्तुएँ सीधे रूप से पर्यावरण से प्राप्त हो जाए तो, उसे प्राथमिक क्रियाएँ कहते हैं।

द्वितीयक क्रियाएँ– जब किसी प्राकृतिक पदार्थ का रूप या स्थान बदल दिया जाए। तो उसका मूल्य बढ़ जाता है उसे द्वितीयक क्रियाएँ कहते हैं ।

38. रोपण कृषि की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करें।

उत्तर - इस प्रकार की कृषि में एकल नगदी फसल उगाई जाती है। इसका उत्पादन केवल बेचने के उद्देश्य से किया जाता है। रबड़, चाय, कहवा, मसाले, नारियल तथा फूल कुछ महत्त्वपूर्ण फसलें हैं जो रोपण कृषि के अन्तर्गत आती हैं।

विशेषताएं

(i) यह एक एकल फसल कृषि है।

(ii) इसमें बड़ी अधिक मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है।

(iii) इसके लिए विस्तृत क्षेत्र, कुशल प्रबन्ध, तकनीकी ज्ञान, वैज्ञानिक मशीनरी, उर्वरक, परिवहन के अच्छे साधनों की सुविधा तथा माल तैयार करने के लिए कारखानों की आवश्यकता होती है।

(iv) इस प्रकार की खेती का विकास उत्तर-पश्चिमी भारत, हिमालय के क्षेत्रों, पश्चिमी बंगाल तथा नीलगिरि में हुआ है।

39. भारत के आर्थिक विकास में सड़कों की भूमिका का वर्णन करें।

उत्तर - भारत के आर्थिक विकास में सड़कों की भूमिका का वर्णन निम्न प्रकार से है :

• भारत के कुल यात्री परिवहन का लगभग 85% सड़क परिवहन पर निर्भर है।

• कुल माल परिवहन का 70% से अधिक सड़क परिवहन पर निर्भर है। भारत में छोटी दूरियों के यातायात के लिए सड़क परिवहन सर्वाधिक उपयुक्त है।

• यह गांव को शहर से जोड़ने का बारहमासी परिवहन तंत्र है, जिससे कृषि उपकरण एवं खाद आदि को गांव तक पहुंचाया जाता है।

• सड़क परिवहन द्वारा कृषिगत उत्पादों को बाजार तक पहुंचाया जाता है, जिससे उन्हें खराब होने से पहले बेचा जा सके।

• सड़क परिवहन द्वारा भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देता है।

• सड़क परिवहन भारतीय सीमा पर सुरक्षा की दृष्टि से निगरानी एवं दुर्गम क्षेत्रों के आर्थिक विकास का कार्य भी करता है।

भारत में प्राचीन काल से वर्तमान तक परिवहन के साधनों में सबसे अधिक उपयोग सड़क परिवहन का हुआ है। वर्तमान में भारत में सड़कों की कुल लंबाई लगभग 52.32 लाख किलोमीटर है, जो विश्व के सबसे बड़े सड़क जाल में से एक है।

40. भारत में जल प्रदूषण की प्रकृति का वर्णन कीजिए

उत्तर- भारत में हो रहे तीव्र जनसंख्या विस्फोट तथा बढ़ते औद्योगीकरण के कारण जल प्रदूषण की समस्या गम्भीर रूप धारण कर चुकी है। भारत के योजना आयोग ने इस सन्दर्भ में लिखा है 'उत्तर की डल झील से लेकर दक्षिण की पेरियार झील तक तथा पूर्व में दामोदर व हुगली नदियों से लेकर पश्चिम में ढाणा नदी तक जल के प्रदूषित होने की गम्भीर स्थिति है। भारत में गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियाँ भी खूब प्रदूषित हो रही हैं, जिसके कारण इन नदियों का जल आचमन करने योग्य नहीं रह गया है।'

भारत में नदियों के किनारे बसे सभी नगर व महानगर अपने यहाँ के सीवेज को इन नदियों में बिना किसी प्रतिबन्ध के डाल रहे हैं। इसके अतिरिक्त, इन नदियों के समीप अवस्थित उद्योग भी अपने औद्योगिक कचरे तथा प्रदूषित अपशिष्ट जल को इन नदियों के प्रवाहित जल में डाल रहे हैं। ऐसे उद्योगों में चमड़ा, लुगदी कागज, वस्त्र तथा रसायन उद्योगों के औद्योगिक अपशिष्ट नदियों के जल को गम्भीर रूप से प्रदूषित कर रहे हैं।

भारत के कृषि क्षेत्रों में कृषि उत्पादन में सतत वृद्धि के उद्देश्य से रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों तथा खरपतवार नाशकों का प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इन खतरनाक रसायनों का कुछ भाग वर्षा जल के साथ घुलकर नदियों या जलाशयों के जल में मिलकर उसे प्रदूषित कर देता है जबकि कुछ भाग भूमिगत जल स्रोतों से मिलकर भी इसे प्रदूषित कर देता है।

भारत की प्रमुख नदियों में चिताओं की राख को नदी जल में विसर्जित करने से भी नदियों का जल प्रदूषित होता है। दुर्गा पूजा तथा गणेश उत्सव जैसे धार्मिक पर्वों पर विषैले रसायनों से रंगी मूर्तियों का विसर्जन नदियों में किया जाता है। नदियों के किनारे पर बसे नगरों में आयोजित धार्मिक मेले तथा सांस्कृतिक उत्सव भी नदियों के जल को प्रदूषित करते हैं।

प्रदूषित जल पीने से डायरिया, आँतों के कृमि तथा हेपेटाइटिस जैसी बीमारियाँ होती हैं। भारत में केवल कुछ ही क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ पीने का स्वच्छ पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसी कारण भारत की एक बड़ी जनसंख्या जल-जनित बीमारियों से पीड़ित रहती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 25 प्रतिशत भाग जलजनित बीमारियों से ग्रस्त है।

41. पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग क्या होता है? विश्व के प्रमुख पारमहाद्वीपीय रेलमार्गो के नाम लिखिए।

उत्तर - महाद्वीप के एक छोर से दूसरे छोर को जोड़ने वाले रेलमार्ग को पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग कहते हैं।

विश्व के प्रमुख पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग निम्नलिखित हैं -

1. ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग।

2. कैनेडियन पैसिफिकं रेलमार्ग।

3. उत्तरी अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग।

4. मध्य अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग।

5. दक्षिणी अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग।

6. आस्ट्रेलियन अन्तर्महाद्वीपीय रेलमार्ग।

42. भारत में ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों का वर्णन कीजिए।

उत्तर - ग्रामीण बस्तियों के प्रकार निर्मित क्षेत्र के विस्तार तथा घरों के मध्य की दूरी (Inter-House Distance) द्वारा सुनिश्चित होते हैं। भारत के उत्तरी मैदानी भाग में कुछ सौ घरों वाले गुच्छित (Clustered) गाँव प्रमुखतया देखने को मिलते हैं जबकि देश के अन्य भागों में ग्रामीण बस्तियों के अन्य प्रकार पाए जाते हैं।

मोटे तौर पर भारत में निम्नलिखित चार प्रकार के ग्रामीण अधिवास मिलते हैं-

1. गुच्छित बस्तियाँ

2. अर्द्ध-गुच्छित अथवा विखण्डित बस्तियाँ

3. पल्ली बस्तियाँ

4. परिक्षिप्त बस्तियाँ या एकाकी बस्तियाँ

Section - C

(दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें। 5 x 4 = 20

43. जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर - विश्व जनसंख्या वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक-विश्व जनसंख्या वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों को सामान्यतः तीन वर्गों में रखा जाता है-

(अ) भौगोलिक कारक

(i) जल की उपलब्धता - जल की उपलब्धता मानवीय जीवन के विविध कार्यों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। यही कारण है कि विश्व की नदी घाटियाँ जहाँ जल की पर्याप्त उपलब्धता मिलती है, विश्व के सर्वाधिक सघन बसे क्षेत्र हैं।

(ii) भू-आकृति-विश्व के समतल मैदानी भाग सामान्यतया सघन बसे मिलते हैं, क्योंकि यह क्षेत्र कृषि फसलों के उत्पादन, सड़क निर्माण तथा उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल दशाएँ रखते हैं, जबकि पहाड़ी तथा पर्वतीय क्षेत्र इस दृष्टि से अधिक उपयुक्त नहीं होते हैं।

(iii) जलवायु -मृदुल जलवायु दशाएँ रखने वाले क्षेत्र जिनमें अधिक मौसमीय परिवर्तन नहीं होते हैं, सघन रूप से बसे मिलते हैं जबकि अति ठण्डे, अति गर्म मरुस्थलीय क्षेत्र, अधिक वर्षा या विषम जलवायु रखने वाले क्षेत्रों में बहुत कम जनसंख्या मिलती है।

(iv) मृदाएँ- कृषि की दृष्टि से उपजाऊ मिट्टियों वाले क्षेत्र अधिक जनसंख्या को आकर्षित करते हैं जबकि कम उपजाऊ मिट्टी रखने वाले क्षेत्रों में विरल जनसंख्या मिलती है।

(ब) आर्थिक कारक

(i) खनिज-खनिज संसाधनों से सम्पन्न क्षेत्र खनन कार्य के साथ-साथ अनेक उद्योगों को भी अपनी ओर आकर्षित करते हैं, जिसके कारण ऐसे क्षेत्रों में जनसंख्या का अधिक जमाव देखने को मिलता है।

(ii) नगरीकरण-अच्छी नागरिक सुविधाएँ रोजगार को अधिक साधन तथा नगरीय जीवन के आकर्षण में बड़ी संख्या में ग्रामीण जनसंख्या नगरीय क्षेत्रों में आकर बस जाती है।

(iii) औद्योगीकरण-औद्योगिक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित होते हैं जिसके कारण यह क्षेत्र सघन जनघनत्व वाले क्षेत्र हो जाते हैं।

(स) सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक

धार्मिक तथा सांस्कृतिक महत्व रखने वाले क्षेत्र अधिक सघन बसे होते हैं जबकि सामाजिक व राजनीतिक अशान्ति रखने वाले क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व विरल हो जाता है।

44. चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन ें अंतर कीजिए।

उत्तर -

क्र० सं०

चलवासी पशुचारण

वाणिज्य पशुधन पालन

1.

चलवासी पशुचारण पुरानी दुनिया तक सीमित है।

वाणिज्य पशुधन पालन नई दुनिया में प्रचलित है।

2.

इसके मुख्य क्षेत्र सहारा, पूर्वी अफ्रीका का तटीय भाग, दक्षिण-पश्चिमी व मध्य एशिया, यूरेशिया में दुण्ड्रा व दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका तथा मालागासी का पश्चिमी भाग है।

इसके मुख्य क्षेत्र उत्तरी अमेरिका के प्रेयरी, मध्य अमेरिका का लागोस, दक्षिणी अमेरिका के पम्पास, दक्षिणी अफ्रीका के वेल्ड, ऑस्ट्रेलिया के डाउन्स तथा न्यूजीलैण्ड के घास स्थल हैं।

3.

चलवासी पशुचारक चारे तथा जल की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं।

वाणिज्य पशुधन पालन एक निश्चित बाड़े में किया जाता है तथा उनके चारे की व्यवस्था स्थानीय रूप से की जाती है।

4.

यह परम्परागत पद्धति पर आधारित है। वर्तमान में यह सीमित होती जा रही है।

यह आधुनिक पद्धति पर आधारित है। वर्तमान में इसका विकास किया जा रहा है।

5.

चलवासी पशुचारक एक ही समय पर विभिन्न प्रकार के पशु रखते हैं।

वाणिज्य पशुचारक उस पशु को विशेष रूप से पालते हैं जिसके लिए क्षेत्र अनुकूल होता है।

6.

इसमें पशु की देखभाल की कोई विशेष व्यवस्था नहीं होती है।

इसमें पशुओं की देखभाल वैज्ञानिक पद्धति से की जाती है।

7.

चलवासी पशुचारण एक जीवन निर्वाह आर्थिक पद्धति है जिसमें स्थानीय खपत के लिए भोजन, वस्त्र, आवास तथा जीवन की अन्य सुविधाएँ जुटाई जाती हैं।

वाणिज्य पशुधन पालन में दूध, मांस, ऊन, खालों आदि का उत्पादन होता है जिनका अन्य क्षेत्रों के -साथ व्यापार किया जाता है।

8.

इसमें चारे की फसल नहीं उगाई जाती हैं। पशुओं को पूर्णरूप से प्राकृतिक घास पर निर्भर रहना पड़ता है।

इसमें प्राकृतिक घास की कमी होने पर चारे की फसल उगाई जाती है।

45. भारत में परम्परागत ऊर्जा संसाधनों की चर्चा कीजिए।

उत्तर - कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे परम्परागत ऊर्जा संसाधन सीमित व समाप्त होने योग्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए प्रदूषणकारी होते हैं। यही कारण है कि भारत में ऊर्जा के नव्यकरणीय गुण रखने वाले ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोतों के उपयोग पर अधिक बल दिया जा रहा है। सन् 1982 में भारत में ऊर्जा मन्त्रालय के अधीन गैर-परम्परागत ऊर्जा विभाग की स्थापना की गई जबकि सन् 1987 में विश्व बैंक की सहायता से भारतीय नव्यकरणीय विकास एजेन्सी (IRDA) की स्थापना की गई।

भारत में इस संस्था द्वारा सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जैविक ऊर्जा, महासागरीय ऊर्जा तथा हाइड्रोजन ऊर्जा जैसे गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के विकास तथा उपयोग पर बल दिया जा रहा है। इस सन्दर्भ में भारत के तीन गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतपवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा तथा जैविक ऊर्जा की संक्षिप्त विवेचना निम्नानुसार है –

1. पवन ऊर्जा:

पवन की गति से उत्पन्न ऊर्जा पवन ऊर्जा कहलाती है। पवन ऊर्जा पूर्णरूपेण प्रदूषण मुक्त एवं ऊर्जा का असमाप्य स्रोत है। पवन की गतिज ऊर्जा को टरबाइन के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। पवन ऊर्जा का प्रमुख उपयोग कुओं से पानी निकालने, जल सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन में किया जाता है। ऊर्जा मन्त्रालय के एक अनुमान के अनुसार भारत पवन ऊर्जा की कुल उत्पादन क्षमता 45 हजार मेगावाट है।

एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी (150 मेगावाट उत्पादन क्षमता) पवन ऊर्जा परियोजना तमिलनाडु राज्य के मुप्पडाल नामक स्थान पर कार्यरत है। पवन ऊर्जा उत्पादन की दृष्टि से तमिलनाडु राज्य का देश में प्रथम स्थान है जबकि गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा राजस्थान अन्य पवन ऊर्जा उत्पादक राज्य हैं।

भारत में पवन ऊर्जा के अग्रणी उत्पादक राज्य:

राज्य

उत्पादन (मेगावाट में)

तमिलनाडु

6007

गुजरात

2884

महाराष्ट्र

2310

कर्नाटक

1730

राजस्थान

1524

                                                      

2. सौर ऊर्जा:

उष्ण कटिबन्धीय देश होने के कारण भारत सौर ऊर्जा उत्पादन की अपार सम्भावनाएँ रखता है। देश के अधिकांश भागों में वर्ष के 300 दिनों से भी अधिक दिनों में पर्याप्त धूप की उपलब्धता रहती है तथा यहाँ प्रतिवर्ष 5 हजार ट्रिलियन किलोवाट प्रति घण्टा सौर विकिरण प्राप्त होता है। वर्तमान में भारत में सौर ऊर्जा का उपयोग पानी गर्म करने, भोजन बनाने, विद्युत पम्प चलाने तथा फसलों के पकाने हेतु किया जा रहा है।

आन्ध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी नामक देवस्थान पर विश्व की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संचालित भोजन प्रणाली कार्यरत है। राजस्थान के बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड साइंस, पिलानी में देश का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा वाटर हीटर स्थापित है। भारत के ऊर्जा मन्त्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सौर तापीय ऊर्जा कार्यक्रम एवं सौर फोटोवाल्टिक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। सन् 2010 तक देश में 15 लाख वर्ग मीटर सौर ऊर्जा संग्राहक क्षेत्र विकसित किया जा चुका है, जिसके अन्तर्गत 66.5 मेगावाट क्षमता की 10.4 लाख से अधिक फोटोवाल्टिक प्रणालियाँ विकसित की गई हैं।

वर्तमान में देश के 60 नगरों को सौर ऊर्जा नगरों के रूप में भारत सरकार द्वारा विकसित किया जा रहा है। साथ ही 11 जनवरी, 2010 को भारत में प्रारम्भ किये गए जवाहरलाल नेहरू सोलर मिशन के अन्तर्गत सन् 2022 तक 2000 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य भारत सरकार द्वारी रखा गया है।

सन् 2012-13 में भारत के प्रमुख राज्यों में सौर ऊर्जा का उत्पादन निम्नवत् रहा – 

राज्य

उत्पादक (मेगावाट)

कुल सौर ऊर्जा उत्पादन का प्रतिशत

गुजरात

654.8

66.9

राजस्थान

197.5

20.2

आन्ध्र प्रदेश

21.9

2.2

महाराष्ट्र

20.0

2.0

तमिलनाडु

15.0

1.5

जैविक ऊर्जा:

जैविक पदार्थों जैसे कृषि अवशेष, नगरपालिकाओं द्वारा एकत्र अपशिष्ट, कृषि व वन अपशिष्ट, औद्योगिक व अन्य अपशिष्टों से प्राप्त ऊर्जा को जैव ऊर्जा कहा जाता है। इस जैविक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा, ताप ऊर्जा तथा खाना पकाने वाली गैस के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। इस ऊर्जा के उत्पादन में एक ओर अपशिष्ट व कूड़ा-करकट का सुचारु निपटान होता है, तो दूसरी ओर उससे उपयोगी ऊर्जा की भी प्राप्ति होती है।

जैविक ऊर्जा ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक जीवन को बेहतर बनाने में सहयोगी तो होती ही है साथ ही पर्यावरण प्रदूषण घटाने तथा जलावन लकड़ी की बचत करने में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान हो सकता है। भारत सरकार ने जैविक ऊर्जा के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य किए हैं –

1. बायोडीजल निर्माण हेतु सन् 2015 तक 166 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर जेट्रोफा नामक फसल के रोपण का लक्ष्य रखा गया है।

2. सन् 2013 तक देश में 1248 मेगावाट जैविक ऊर्जा उत्पादित की गई।

3. कूड़े-कचरे से जैविक ऊर्जा उत्पादन हेतु तानकू (आन्ध्र प्रदेश), फैजाबाद (उत्तर प्रदेश), मुक्तसर (पंजाब), अंकलेश्वर (गुजरात) तथा बेलगाम (कर्नाटक) नामक स्थानों पर ऊर्जा संयन्त्र स्थापित किए गए। इसी प्रकार के संयन्त्र हैदराबाद, विजयवाड़ा तथा लखनऊ महानगरों में कार्यरत हैं।

4. चेन्नई में 250 किलोवाट उत्पादन क्षमता का संयन्त्र सब्जी बाजार के कचरे का उपयोग कर रहा है।

5. लुधियाना में पशुओं के अपशिष्टों पर आधारित ऊर्जा संयन्त्र, सूरत में सीवेज जल के शोधन संयन्त्र से प्राप्त बायोगैस से ऊर्जा उत्पादन तथा विजयवाड़ा में सब्जी बाजार के कचरे से विद्युत उत्पादन संयन्त्र कार्यरत हैं।

46. मानव विकास के चार प्रमुख आधार स्तम्भों की विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का यह मानना है कि 'विकास का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता में वृद्धि करना है। मानव विकास के चार स्तम्भ निम्नलिखित हैं-

(i) समता-समता का आशय एक ऐसे समाज या प्रदेश से है जिसमें निवासित प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था उपलब्ध हो। दूसरे शब्दों में किसी प्रदेश में उपलब्ध समस्त संसाधनों की वहाँ निवासित प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से उपलब्धता को समता कहा जा सकता है। लोगों को उपलब्ध अवसर या संसाधन लिंग, प्रजाति, आय तथा जाति के भेदभाव के विचार के बिना समान रूप से मिलने चाहिए। यद्यपि विश्व के अधिकांश भागों में ऐसा नहीं होता है। भारत जैसे विकासशील देश में महिलाओं, सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों तथा दूरस्थ क्षेत्रों में निवास करने वाले अधिकांश लोग विकास के इन अवसरों से प्रायः वंचित रह जाते हैं। अतः मानव विकास के लिए यह आवश्यक है कि विकास के अवसरों या संसाधनों की समान उपलब्धता समाज के हर व्यक्ति को प्राप्त हो।

(ii) सतत पोषणीयता मानव विकास की अवधारणा में सतत पोषणीयता टिकाऊ विकास की अभिव्यक्ति है। सतत पोषणीयता का अर्थ है अवसरों की उपलब्धता में सततता। इसके अन्तर्गत यह माना जाता है कि किसी क्षेत्र में उपलब्ध पर्यावरणीय, वित्तीय तथा मानवीय संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से इस प्रकार किया जाये जिससे इन संसाधनों की उपलब्धता समान रूप से आगे आने वाली पीढ़ियों को हो सके। वस्तुतः उक्त संसाधनों का दुरुपयोग भावी पीढ़ियों के लिए इन संसाधनों की उपलब्धता के अवसरों को सीमित कर देगा जिससे मानव विकास की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न होंगे।

(iii) उत्पादकता-मानव विकास अवधारणा के सन्दर्भ में उत्पादकता का आशय है- मानव श्रम उत्पादकता या मानव कार्यों के सन्दर्भ में उत्पादकता। इसके लिए यह आवश्यक है कि मानवीय समुदाय में साक्षरता को बढ़ाने तथा उत्तम चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध करायी जायें जिससे उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाकर उत्पादकता में निरन्तर वृद्धि की जा सकती है। वस्तुतः किसी राष्ट्र की वास्तविक पूँजी उसके मानवीय संसाधन होते हैं।

(iv) सशक्तीकरण-मानव विकास की अवधारणा के अन्तर्गत सशक्तीकरण का आशय है-मानव को अपने विकल्पों का चयन करने की शक्ति का प्राप्त होना। सशक्तीकरण के लिए मानव की बढ़ती स्वतन्त्रता तथा कार्यक्षमता आवश्यक है। लोगों को सशक्त करने के लिए यह आवश्यक है कि देश में लोकोन्मुखी नीतियों के साथ-साथ उत्तम शासन व्यवस्था हो। इस सन्दर्भ में देश में निवासित सामाजिक- आर्थिक दृष्टि से पिछड़े मानवीय समूहों के सशक्तीकरण का विशेष महत्व है।

47. खनिज संसाधन से क्या समझते है? इसके विभिन्न प्रकारों का उल्लेख किजिए।

उत्तर - खनिज संसाधन वह भौतिक पदार्थ होते हैं जिन्हें भूमि के भीतर से प्राप्त किया जाता है जैसे इस्पात, बॉक्साइट, नमक, जस्ता, सोना, कोयला, चूना पत्थर आदि। इन पदार्थों को प्राकृतिक रासायनिक यौगिक तत्वों के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इनका निर्माण अजैविक प्रतिक्रियाओं के कारण होता है।

धरती पर पाए जाने वाले खनिज संसाधनों को उनकी संरचना एवं प्रकृति के आधार पर तीन वर्गों में विभाजित किया गया है जैसे:-

• धात्विक खनिज

• अधात्विक खनिज

• अन्य महत्वपूर्ण खनिज

धात्विक खनिज -धात्विक खनिज वह पदार्थ होते हैं जिनमें मुख्य रूप से किसी ना किसी धातु का अंश पाया जाता है। ऐसे पदार्थ विद्युत एवं ताप के सुचालक माने जाते हैं। जब किसी धातु को खनिज की खानों से निकाला जाता है तो उनमें कई सारी अशुद्धियां होती हैं जिन्हें संशोधित करके उपयोग में लाया जाता है। धात्विक खनिजों को अत्यधिक तापमान पर पिघलने के बाद धातु की प्राप्ति की जाती है। धात्विक खनिज की श्रेणी में इस्पात, बॉक्साइट, तांबा, अयस्क, क्रोमाइट, सोना, चांदी आदि शामिल हैं।

अधात्विक खनिज- अधात्विक खनिज वह पदार्थ होते हैं जिसमें मुख्य रुप से कार्बनिक पदार्थों का अंश पाया जाता है। ऐसे पदार्थ विद्युत एवं ताप के कुचालक माने जाते हैं। अधात्विक खनिजों की श्रेणी में ग्रेफाइट, चूना पत्थर, इंधन, डोलोमाइट, नमक, संगमरमर, गंधक, अग्नि मिट्टी, आदि जैसे पदार्थों को रखा जाता है। धात्विक खनिजों को मुख्य रूप से खनिज परतदार एवं अवसादी चट्टानों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।

अन्य महत्वपूर्ण खनिज- पृथ्वी पर भारी मात्रा में धात्विक खनिज एवं अधात्विक खनिजों के साथ-साथ कई अन्य प्रकार के उपयोगी खनिज भी पाए जाते हैं जैसे:-

• इंधन खनिज

• उर्वरक खनिज

• अपघर्षक खनिज

• आण्विक खनिज

48. प्रदत्र संसार के मानचित्र में निम्नलिखित को दिखाइए :

(A) जर्मनी

(B) संयुक्त राज्य अमेरिका

(C) स्वेज नहर

(D) उत्तरी अटलांटिक समुद्री मार्ग

(E) बंगाल की खाड़ी

Class 12 Geography Hazaribagh Pre Board Examination Answer Key – 2024







































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