17. शेर, पहचान, चार हाथ, साझा
जीवन परिचय
*
जन्म काल - 5 जुलाई 1946
*
जन्म स्थान - फतेहपुर उत्तर प्रदेश
*
शिक्षा - अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हिंदी
में एम. ए.,
वहीं
से पी-एच.डी. उपाधि
*
पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली
से किया
संपादन
- हंस, वर्तमान साहित्य
साहित्यिक
परिचय
कहानी
संग्रह-
अँधेरे
से- 1977
दिल्ली
पहुँचना है - 1983
स्विमिंग
पूल- 1990
राब
कहाँ कुछ- 1991
मैं
हिन्दू हूँ - 2006
मुश्किल
काम (लघुकथा संग्रह) - 2010
डेमोक्रेशिया-
2010
भीड़तंत्र
(लघुकथा संग्रह) - 2018
नाटक-
फ़िरंगी
लौट आये
इन्ना
की आवाज़- 1986
वीरगति- 1981
समिधा
जिस
लाहौर नहीं देख्या ओ जम्याइ नई-1991
सबसे
सस्ता गोश्त (14 नुक्कड़ नाटकों का संग्रह)
उपन्यास
-
सात
आसमान- 1996
पहर
दोपहर
कैसी
आगी लगाई- 2006
बरखा
रचाई - 2011
घरा
अँकुराई - 2014
यात्रा
वृत्तांत-
चलते
तो अच्छा था - 2008
पाकिस्तान
का मतलब क्या - 2011
रास्ते
की तलाश में - 2012
दो
कदम पीछे भी - 2017
आलोचना-
हिंदी-उर्दू
की प्रगतिशील कविता-1985
विविध-
बूंद
बूंद
बाकरगंज
के सैयद -2015
सफाई
गंदा काम है -2015
ताकि
देश में नमक रहे (निबंध) - 2015
सम्मान
-
*
श्रेष्ठ नाटककार' सम्मान (हिन्दी अकादमी द्वारा)-2009-10
*
‘आचार्य निरंजननाथ सम्मान' -2012
*
संगीत नाटक अकादमी सम्मान-2014
*
हिन्दी अकादमी का सर्वोच्च शलाका सम्मान -2016
साहित्यिक विशेषताएं
*
असगर वजाहत मुलतः कहानीकार हैं लेकिन गद्य के विविध विधाओं पर सफलतापूर्वक लेखनी चलाई
है।
*
असगर वजाहत की भाषा में बहुत गांभीर्य, सबल भावाभिव्यक्ति तथा व्यंग्यात्मकता है।
*
मुहावरो तथा तद्भव शब्दों के प्रयोग से उसमें सादगी एवं सहजता आ गई हैं।
पाठ परिचय
शेर,
पहचान, चार हाथ, साझा
विधा
-लघु कथाएं
पाठ
की मूल संवेदना- इन चार लघु कथाओं में शासन तंत्र की व्यवस्था, शासक की व्यक्तिगत उन्नति,
मजदूरों का शोषण, किसानों की समस्या पर कुठाराघात किया गया है।
'शेर'
व्यवस्था (सत्ता) का प्रतीक
'शेर'
असगर वजाहत की प्रतीकात्मक और व्यंग्यात्मक
लघु कथा है। शेर व्यवस्था का प्रतीक है, वह तब तक खामोश रहती है। जब तक सारी जनता उसके
खिलाफ नहीं बोलती। जैसे ही व्यवस्था के खिलाफ उंगली उठती है, सत्ता उसे कुचलने का प्रयास
करती है। अर्थात् शासक वर्ग तभी तक शांत रहते हैं जब तक उसके सत्ता को जाने का डर नहीं
रहता। जैसे ही जनता सत्ता धारियों के प्रति आवाज बुलंद करती हैं, वैसे ही सत्ताधारी
अपना वास्तविक रूप में आ जाते हैं। सत्ता में बैठे लोग जनता को तरह-तरह के प्रलोभन,
आश्वासन देते हैं अर्थात् सत्ता में आने से पहले घोषणा करते हैं और आम जनता उन पर विश्वास
कर लेती हैं। जबकि सच्चाई यह है कि शासक वर्ग केवल अपना उल्लू सीधा कर रहे होते हैं
अर्थात् अपना काम निकालते हैं। शेर द्वारा दिए गए प्रलोभन से गधा, लोमड़ी, उल्लू और
कुत्ता का समूह बिना कुछ सोचे विचारे उसके मुंह में जा रहे थे। कहने का तात्पर्य है
की सब सीधी-सादी आम जनता सत्ताधारीओं की बात मान लेते हैं।
प्रमाण से अधिक विश्वास महत्वपूर्ण
भोली-भाली आम जनता प्रमाण से अधिक विश्वास को महत्व देती
है और इसी विश्वास का फायदा सत्ता वर्ग उठाती है। यह जानते हुए भी कि शेर एक मांसाहारी
जीव है, जो सभी को खा जाता है। सभी जानवरों को यह विश्वास दिला दिया जाता है कि अब
शेर, अहिंसा और अस्तित्ववादी का समर्थक हो गया है और वह जानवरों का शिकार नहीं करेगा।
अतः जानवर उनकी बात मान कर शेर के मुंह में स्वयं प्रवेश कर लेते हैं। किंतु लेखक जैसे
कुछ लोग हैं जो प्रमाण को ही अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं, जिन्हें सत्ता कुचलने का प्रयास
करती है। अर्थात् समाज के शिक्षित वर्ग से शासक वर्ग को हमेशा डर बना रहता है इसीलिए
उन्हें दबाने का प्रयास करती है।
पहचान
राजा द्वारा दिए गए हुकुम - राजा ने समस्त जनता को आंखें बंद रखने का आदेश दिया ताकि उन्हें शांति मिलती
रहे। जनता आंखें बंद किए सारा काम करने लगी और काम पहले की अपेक्षा बहुत बढ़िया और
अच्छा हो रहा था। तात्पर्य यह है कि राजा को ऐसी प्रजा पसंद है जो बहरी, गूंगी और आंधी
हो। जो बिना कुछ बोले, बिना कुछ सोचे और बिना कुछ देखें राजा के आदेशों का पालन करते
रहे। शासक राजा ने अपने राज्य में उत्पादन बढ़ाने के लिए खैराती, रामू, छिदू आदि आम
जनता को यह आज्ञा दी कि अपनी आंखें बंद करके काम करें। अपने-अपने कानों में पिघला शीशा
डलवा ले, अपने होंठ सिलवा ले क्योंकि बोलना उत्पादन में सदा बाधक रहा है, फिर उन्हें
कई तरह की चीजें कटवाने और जुड़वाने का हुक्म दिया गया। जिससे राजा आश्चर्यजनक रूप
से दिन-रात प्रगति करने लगा।
राजा की निरंकुशता का परिणाम -
इस कहानी में शासनतंत्र की निरंकुशता और लालच को दर्शाया
गया है। यदि जनता राज्य की स्थिति को अनदेखा करती है तो शासक वर्ग निरंकुश हो जाता
है। प्रगति के नाम पर समस्त साधनों को हड़प कर अपना भला करता है, ऐसे शासक वर्ग को
बहरी, गूंगी और अंधी जनता पसंद आती है जो केवल उसकी आज्ञा का पालन करें। खैराती, रामू
और छिद्धू ऐसी जनता के प्रतीक है जो आंख मूंदकर अपने राजा पर विश्वास करती है, पर जब
तक वह अपनी आंखें खोल दी है तब तक राजा अत्यधिक बलशाली हो चुका होता है। अर्थात् उसका
विरोध करने की हिम्मत उसमें (आम जनता) नहीं था।
3. चार हाथ
'चार हाथ' पूंजीवादी व्यवस्था में मजदूरों के शोषण को उजागर
करती है। मिल मालिकों का लालच मजदूरों के शोषण का कारण बनता है, मिल मालिक मजदूरों
को मात्र एक मशीन के रूप में लेता है, जो उसको लाभ देंगे व हर संभव प्रयास करता है
कि उन मजदूरों का अस्तित्व समाप्त हो जाए और वह विरोध की स्थिति में ना रहे ताकि उसके
इशारे पर चलते हुए वह दुगना दाम कर सके। अधिक उत्पादन के चक्कर में वह मजदूरों के लोहे
के हाथ लगाता है जिससे सारे मजदूर मर जाते हैं। अंत में उसे समझ आता है कि यदि अधिक
उत्पादन और मुनाफा चाहिए तो मजदूरी आधी कर दो और दुगने मजदूर रख लो। इन मिल के कलपुर्जे
बन गए हैं और लाचारी में आधी मजदूरी पर भी काम करने के लिए तैयार हैं। शोषण पर आधारित
व्यवस्था का पर्दाफाश करती है
4. साझा
साझा लघुकथा में आजादी के बाद किसानों की बदहाली का वर्णन
किया गया है। पूंजीपतियों व गांव के प्रभुत्वशाली वर्ग की नजर में किसान की जमीन और
उत्पाद पर है वह हर संभव प्रयास द्वारा उसे हासिल करना चाहता है। हाथी समाज के अमीर
और प्रभुत्व शाली वर्ग का प्रतीक है जो किसानों की सारी मेहनत और कमाई धोखे से हड़प
लेता है और किसानों को पता भी नहीं चलता। किसान सक्षम होते हुए भी लाचार रह जाता है।
महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर (असगर वजाहत अन्तरा भाग 2)
1 प्रश्न 'प्रमाण से अधिक महत्वपूर्ण है विश्वास' कहानी के आधार पर
टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
लघु कथा 'शेर' से ली गई इन पंक्तियों में लेखक ने भोली-भाली जनता और धूर्त सत्ता के
बारे में बताया है। लेखक यह मानने को तैयार नहीं है कि शेर के मुंह में रोजगार का दफ्तर
है। किंतु उसे बार-बार यह विश्वास दिलाने का प्रयास किया जाता है कि शेर का मुंह यही
सब दुखों का अंत है। शेर का मुंह हिंसा का प्रतीक है, यह सभी जानवर मानते हैं, किंतु
केवल विश्वास दिलाने पर वह स्वेच्छा से उस मुंह के अंदर जा रहे हैं। आज का सत्ताधारी
व राजनैतिक वर्ग भी सर्वप्रथम लोगों का विश्वास हासिल करता है, उसके पश्चात् उनका शोषण
करता है। जिसका पता जनता को नहीं चलता वह अंत तक यही सोचती है कि सत्ता उसके हित के
लिए काम करती है।
2 प्रश्न- लोमड़ी स्वेच्छा से शेर के मुंह में क्यों जा रही थी?
उत्तर
- लेखक ने शेर लघु कथा में जितने भी जानवरों को शामिल किया है वह सभी प्रतीकात्मक पात्र हैं उनका संबंध मानव से है लोमड़ी चालाक
प्रवृत्ति का प्रतीक है, कुत्ता झुंड तथा समूह का प्रतीक है। इसी प्रकार उल्लू, गधा
जैसे पात्रों को लेखक ने अपने लघुकथा में स्थान दिया है। इसके माध्यम से वह भोली-भाली
सामान्य जनता को संबोधित करते हुए उन्हें जागृत करने का प्रयत्न कर रहे हैं। लोमड़ी
(चालाक) प्रवृत्ति का व्यक्ति अपने स्वार्थ के कारण शेर के मुंह में स्वेच्छा से जा
रहा था उसका उद्देश्य यह था कि वह वहां जाकर अपने लिए चालाकी से रोजगार प्राप्त कर
लेगा। किंतु राजनेता और एक सामान्य जनता के बीच की खाई को हम आप भली- भांति जानते हैं।
वहां सामान्य जनता के स्वार्थ या भलाई का कार्य कभी नहीं किया जाता।
3 प्रश्न- कहानी के लेखक ने शेर को किस बात
का प्रतीक बताया है?
उत्तर- लेखक ने कहानी में जितने भी पात्र का प्रयोग किया
है वह सब प्रतीकात्मक है, उसी क्रम में शेर को शासन और व्यवस्था का प्रतीक बताया है।
यह प्रजा को अपने ढंग से चलाना चाहती है, अगर प्रजा आंख, मुंह बंद कर इनकी आज्ञा का
पालन करें इसके अनुसार कार्य करें, तो वह शांत रहते हैं। किंतु जहां प्रजा कोई प्रश्न
उठाएं या विरोध करें तो यह शेर की बनाई हुई व्यवस्था उसे ध्वस्त करने के लिए आक्रमक
हो जाती है। यहां लेखक में सामंती व्यवस्था पर व्यंग्यात्मक चोट किया है।
4 प्रश्न- शेर के मुंह को और रोजगार के दफ्तर
के बीच क्या अंतर है?
उत्तर- असगर वजाहत का यह लेख व्यंग्यात्मक रूप से लिखा गया
है जिसमें सभी पात्र प्रतीकात्मक हैं। शेर हिंसा का प्रतीक है वह अपने शिकार को पीछा
करके उसकी हत्या कर अपना पेट भरता है। अर्थात् जो कोई शेर के मुंह में जाता है उसका
अस्तित्व समाप्त हो जाता है, उसका जीवन खत्म हो जाता है। ठीक उसी प्रकार वर्तमान की
स्थिति में रोजगार पाने वाले युवा रोजगार दफ्तर के चक्कर लगा लगा कर अंत में हताशा
और निराशा को ही प्राप्त करते हैं। नौकरी के उम्मीद में वह अपना जीवन का महत्वपूर्ण
समय बर्बाद कर देते हैं। उनका महत्वपूर्ण समय रोजगार दफ्तर के चक्कर काटते हुए बीत
जाते हैं, शासन व्यवस्था शेर के मुंह के समान है जो युवाओं के उम्मीद को आशाओं को निगल
जाता है, उसके अस्तित्व को समाप्त करने को आतुर रहता है।
पहचान
1. प्रश्न- राजा ने जनता को हुक्म क्यों दिया
कि सब लोग अपनी आंखें बंद कर ले?
उत्तर- सत्ता पर आरूढ़ कोई भी व्यक्ति यह नहीं चाहता की प्रजा
उसके ऊपर कोई उंगली उठाए। वह सदैव मनमानी करने के लिए आतुर रहता है, उसके मन के अनुरूप
क्रियाकलाप पर कोई लगाए यह उन्हें गवारा नहीं होता। इस पाठ में भी वैसी ही स्थिति है।
राजा ने जनता को इसलिए अपनी आंखें बंद करने के लिए कहा कि वह एक-दूसरे को ना देख सके,
अपने कार्य को करते रहे, ताकि वह सभी को अपने अनुसार चलाते रहे। अगर जनता की आंखें
खुल गई तो वह सत्ता पर प्रश्नचिन्ह उठाने लगेंगे, वह अपने अधिकारों के लिए जागरूक होंगे
और सत्ता पर बैठे हुए लोगों के मंसूबे कभी पूरा नहीं हो सकेंगे।
2. आँखें बंद रखने और आँखें खोलकर देखने के
क्या परिणाम निकले?
उत्तर - आखें बंद रखने से लोगों ने लंबे समय तक अपना शोषण करवाया।
उन्होंने आँखें बंद करके राजा को उनका शोषण करने की पूरी आज़ादी दे दी। उत्पादन, क्षमता
का विकास हुआ तथा एकाग्रता अवश्य बड़ी पर वह मात्र भ्रम थी। आखें खोलकर देखने से उन्हें
समझ में आया कि वह अभी तक क्या कर रहे थे। जिस विकास और प्रगति के नाम पर वे ठगे जा
रहे थे, आँखें खोलने पर उन्हें पता चला कि इसका लाभ तो केवल राजा ही उठा रहा था।
3. राजा ने कौन-कौन से हुक्म निकाले? सूची
बनाइए और इनके निहितार्थ लिखिए।
उत्तर - राजा ने निम्नलखित हुक्म निकाले-
(क) प्रजा अपनी आँखें बंद कर ले। इसमें छिपा निहितार्थ है
कि लोग राजा के अत्याचार, शोषण तथा दोहन के प्रति उपेक्षित हो जाएँ। इस तरह वह लोगों
का मनचाहा शोषण कर उनसे अपने कार्य करवाता रहे।
(ख) प्रजा अपने कानों में पिघलता सीसा डलवा दे। - इसमें छिपा
निहितार्थ है कि लोगों द्वारा सुनने की क्षमता खत्म करके अपने विरोधियों को चुप रख
सके। लोग राजा के विरुद्ध सुन ही नहीं पाएँगे, तो वह उसका विरोध कैसे करेंगे।
(ग) प्रजा अपने मुँह को सिलवा ले। इसमें छिपा निहितार्थ है
कि लोगों के विरोध करने की शक्ति को ही समाप्त कर देना।
4. जनता राजा की स्थिति की ओर से आँखें बंद
कर ले तो उसका राज्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -जनता राजा की स्थिति की ओर से आँखें बंद कर ले तो
उसका राज्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। राजा तानाशाही हो जाएगा। इससे उनकी प्रगति तथा विकास
होगा ही नहीं। वे राजा की आज्ञा के गुलाम बनकर रह जाएँगे। उनकी मेहनत पर राजा अधिकार
कर लेगा और उन्हें अपना गुलाम बना देगा।
5. खैराती, रामू और छिद्दू ने जब आँखें खोली
तो उन्हें सामने राजा ही क्यों दिखाई दिया?
उत्तर - इतने समय तक राजा के कहने पर अँधे, गूंगे तथा बहरे बनने से
प्रजा ने अपना अस्तित्व ही समाप्त कर दिया। अब वे राजा की कठपुतली थे। यदि वे अपनी
मर्जी से देखना भी चाहते थे, तो उनके पास अब कुछ शेष नहीं था। वे अपनी पहचान खो चुके
थे। अतः राजा के अतिरिक्त उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता है। राजा उनकी पहचान बन जाता
है। बस उसके आदेश का पालन करना ही उनके जीवन का उद्देश्य बन जाता है। अतः जब वे आँखें
खोलकर देखने का प्रयास करते हैं, तो मात्र राजा ही दिखाई देता है।
6. मज़दूरों को चार हाथ देने के लिए मिल मालिक
ने क्या किया और उसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर - मज़दूरों को चार हाथ देने के लिए मालिक ने निम्नलिखित कार्य
किए तथा उनके निम्नलिखित परिणाम निकले-
(क) मिल मालिक ने कई विख्यात वैज्ञानिकों को कई वर्षों तक
मोटी तनख्वाह पर रखा। लेकिन उसे इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
(ख) उसने मृत व्यक्तियों के हाथ मंगवाकर मज़दूरों पर लगवाए
लेकिन वे व्यर्थ हुआ।
(ग) उसने लकड़ी के हाथ बनवाकर मज़दूरों पर लगवाए लेकिन इससे
कुछ न मिला।
(घ) उसने लोहे के हाथ बनवाकर मज़दूरों पर लगवाए लेकिन इससे
मज़दूरों को जीवन से हाथ धोना पड़ा।
चार हाथ प्रश्न उत्तर
1. चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की समझ
में क्या बात आई?
उत्तर - चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की समझ में आई कि यह प्रयास
व्यर्थ है। इससे अच्छा है कि मज़दूरों की मज़दूरी कम करके नए मज़दूर इसी मज़दूरी में
रख लो और अपना कार्य तेज़ी से करवाओ।
2. साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान
को क्या बताया?
उत्तर- साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को बताया
कि वह उसके खेतों की रक्षा करेगा। बाद में दोनों फसल को आधा आधा बाँट लेगें। उसने बताया
कि उसके साथ साझा खेती करने का यह फायदा होगा कि जंगल के छोटे जानवरों से उसका खेत
सुरक्षित रहेगा।
3. हाथी ने खेती की रखवाली के लिए क्या घोषणा
की?
उत्तर - हाथी ने खेती की रखवाली के लिए जंगल में यह घोषणा की कि किसान
की खेती में उसका भी साझा है। किसी भी जानवर ने उसकी इस घोषणा की अनदेखी कि तो उसके
लिए यह उचित नहीं होगा।
साझा प्रश्न उत्तर
1. आधी-आधी फसल हाथी ने किस तरह बाँटी?
उत्तर - हाथी ने किसान को कहा कि हम मिलकर खाएँगे। साझे का अर्थ यह
नहीं है कि वह फसल को आधा-आधा बाँट ले। साझे का अर्थ है कि दोनों एक गन्ने को मिलकर
खाएँगे। किसान ने विवश होकर हाथी के साथ गन्ना आरंभ किया, तो वह खिंचते हुए हाथी के
मुँह की ओर जाने लगा। उसने आखिरकार गन्ना छोड़ दिया। हाथी ने किसान द्वारा गन्ना छोड़ते
ही गन्ने को पूरा खा लिया।
योग्यता विस्तार
1. इस कहानी में हमारी व्यवस्था पर जो व्यंग्य
किया गया है, उसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - इस कहानी में लेखक ने हमारी शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य
किया है। शेर के माध्यम से उसने यह व्यंग्य किया है। पहली बार में कहानी स्पष्ट नहीं
हो पाती है। जब हम गंभीरता से इसे पुनः पढ़ते हैं, तो समझ आता है कि लेखक ने शासन व्यवस्था
की खिल्ली उड़ाई है। उसे पढ़कर हँसने लगते हैं। शेर का मुँह उस शासन व्यवस्था को दर्शाता
है, जिसमें लोग जाकर कभी लौट नहीं पाते हैं। वे मुँह में समाकर मर जाते हैं या उनका
अस्तित्व नष्ट हो जाता है। यहाँ पर बस विश्वास के सहारे ही खाई में गिरने को तैयार
हो जाते हैं। नेताओं द्वारा चुनाव जीतने से पहले आम जनता को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन
दिए जाते हैं। उन्हें विश्वास दिलाया जाता है कि वह उनका पूरा ख्याल रखेंगे। जनता उस
झाँसे को सच मान लेती है और अपना मत देकर उन्हें विजयी बना देती है। इस प्रकार वे विश्वास
में अपना शोषण करवाती है और गलत उम्मीदवार को चुन लेती है। उम्मीदवार भी अंत तक उन्हें
विश्वास के धोखे में रखता है और उनका जमकर शोषण करता है।
2. यदि आपके भी सींग निकल आते तो आप क्या करते?
उत्तर - यदि मेरे सींग निकल आते तो मैं डॉक्टर के पास जाता और उसके
उगने का कारण पूछता। उसके बाद प्रयास करता कि इसका इलाज करवाया जा सके ताकि समय रहते
मैं इस समस्या से मुक्ति पा जाऊँ।
3. गांधी जी के तीनों बंदर आँख, कान, मुँह
बंद करते थे किंतु उनका उद्देश्य अलग था कि वे बुरा न देखेंगे, न सुनेंगे, न बोलेंगे।
यहाँ राजा ने अपने लाभ के लिए या राज्य की प्रगति के लिए ऐसा किया। दोनों की तुलना
कीजिए।
उत्तर - गांधी जी के तीनों बंदरों का उद्देश्य बहुत ही अलग और शुद्ध
है। वे आँख बंद किए रहते हैं ताकि बुराई को न देखें। बुराई को देखकर मनुष्य स्वयं बुराई
करने के लिए प्रेरित होता है। अतः इस तरह बुराई की तरफ मनुष्य को जाने से रोका गया
है। दूसरा बंदर बुराई न सुनने के लिए कहता है। दूसरे की बुराई सुनने वाला व्यक्ति अच्छा
नहीं होता है। दूसरे की बुराई सुनकर उसके मन में भी बुराई आ सकती है। अतः उसे ऐसा करने
से रोका गया है। इसी तरह तीसरा बंदर मुँह बंदर करके बताना चाहता है कि हम बुराई नहीं
बोलेंगे। इस तरह बुराई को मुँह से नहीं निकालने के लिए प्रेरित किया गया है। इस तरह
मनुष्य को पवित्रता की ओर बढ़ाया गया है। राजा द्वारा प्रजा की आँखें बंद करवाना, कानों
में सीसा डलवाना तथा मुँह को सिलवा देना प्रतीक है कि प्रजा को इस कार्य के लिए दबाव
बनाया जा रहा है। यह कार्य प्रजा अपनी स्वेच्छा से और अपनी प्रगति के लिए नहीं कर रही
है। यह राजा द्वारा उन्हें बहकाकर या जबरदस्ती करवाया जा रहा है। इसमें प्रजा का नुकसान
है। उसकी खुशहाली और प्रगति की बातें मात्र झूठ और धोखा है। अतः दोनों में बहुत अंतर
है।
प्रश्न 4: भारतेंदु
हरिशचंद्र का 'अंधेर नगरी चौपट राजा' नाटक देखिए और उस राजा से 'पहचान' के राजा की तुलना कीजिए।
उत्तर - भारतेंदु हरिशचंद्र द्वारा रचित नाटक 'अंधेर नगरी चौपट राजा'
नाटक में राजा निरा मूर्ख है। उसके पास ऐसी बुद्धि ही नहीं है कि वह प्रजा की सोच को
बंद कर सके। वह अपने अजीब फैसलों से जनता को परेशान करता रहता है। उसके यहाँ रबड़ी
से लेकर सोना तक एक आना सेर मिलता है। अर्थात् वह कीमती और मूल्यविहिन वस्तुओं की कीमत
एक-सी रखता है। उसे प्रजा की प्रगति और विकास से कोई सरोकार नहीं है। न्याय के नाम
पर किसी ओर के स्थान पर किसी दूसरे को फांसी चढ़ा देता है। यहाँ तक की अंत में अपनी
मूर्ख बुद्धि के कारण स्वयं ही फांसी पर लटक जाता है। इस पाठ का राजा बहुत बुद्धिमान
है। वह जानता है कि जनता को अपने फायदे के लिए कैसे गुलाम बनाया जा सकता है? अपनी शक्ति
का कैसे गलत फायदा उठाया जा सकता है? वह जनता को विवश कर देता है कि प्रगति तथा विकास
के लिए अपनी आँख, कान तथा मुँह को बंद करके रखे। वह जनता का फायदा भी उठता है, उन्हें
पता भी नहीं चलने देता। अतः यह राजा अधिक चतुर है।
प्रश्न 5: आप
यदि मिल मालिक होते तो उत्पादन दो गुना करने के लिए क्या करते?
उत्तर - यदि मैं मिल मालिक होता तो उत्पादन दो गुना बढ़ाने के लिए
मज़दूरों को बोनस देता। ऐसे उपहार रखता, जिससे लोगों को काम करने के लिए प्रोत्साहन
मिले। उनको ओवर टाइम देता। इसके अतिरिक्त उनकी हर सुख-सुविधा का ध्यान रखता। मुझे यकीन
है कि इसके बाद मेरा उत्पादन दो गुना नहीं बल्कि चार गुना बढ़ जाता।
प्रश्न 6: पंचतंत्र
की कथाएँ भी पढ़िए।
उत्तर - यह पुस्तक विद्यार्थियों को विद्यालय के पुस्कालय से सरलतापूर्वक
मिल जाएगी। वहाँ से लेकर इन्हें पढ़िए।
प्रश्न 7: 'भेड़'
और 'भेड़िए' हरिशंकर परसाई की रचना पढ़िए।
उत्तर - यह पुस्तक विद्यार्थियों को विद्यालय के पुस्कालय से सरलतापूर्वक
मिल जाएगी। वहाँ से लेकर इन्हें पढ़िए।
प्रश्न 8: कहानी
और लघुकथा में अंतर जानिए।
उत्तर - कहानी और लघुकथा में अंतर इस प्रकार है-
(क) कहानी के अंदर आरंभ, मध्य तथा अंत होता है। लघुकथा में
ऐसा नहीं होता है।
(ख) कहानी में कथा का गठन तथा पात्रों का चरित्र-चित्रण होता
है। लघुकथा में ऐसा नहीं होता है।
(ग) कहानी का आकार लघुकथा से बड़ा होता है।
(घ)
लघुकथा संक्षिप्त होती है। कहानी लघुकथा की तुलना में बहुत बड़ी होती है।
JCERT/JAC REFERENCE BOOK
Hindi Elective (विषय सूची)
भाग-1 | |
क्रं.सं. | विवरण |
1. | |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | |
6. | |
7. | |
8. | |
9. | |
10. | |
11. | |
12. | |
13. | |
14. | |
15. | |
16. | |
17. | |
18. | |
19. | |
20. | |
21. | |
भाग-2 | |
कं.सं. | विवरण |
1. | |
2. | |
3. | |
4. |
JCERT/JAC Hindi Elective प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अंतरा भाग 2 | ||
पाठ | नाम | खंड |
कविता खंड | ||
पाठ-1 | जयशंकर प्रसाद | |
पाठ-2 | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | |
पाठ-3 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय | |
पाठ-4 | केदारनाथ सिंह | |
पाठ-5 | विष्णु खरे | |
पाठ-6 | रघुबीर सहाय | |
पाठ-7 | तुलसीदास | |
पाठ-8 | मलिक मुहम्मद जायसी | |
पाठ-9 | विद्यापति | |
पाठ-10 | केशवदास | |
पाठ-11 | घनानंद | |
गद्य खंड | ||
पाठ-1 | रामचन्द्र शुक्ल | |
पाठ-2 | पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी | |
पाठ-3 | ब्रजमोहन व्यास | |
पाठ-4 | फणीश्वरनाथ 'रेणु' | |
पाठ-5 | भीष्म साहनी | |
पाठ-6 | असगर वजाहत | |
पाठ-7 | निर्मल वर्मा | |
पाठ-8 | रामविलास शर्मा | |
पाठ-9 | ममता कालिया | |
पाठ-10 | हजारी प्रसाद द्विवेदी | |
अंतराल भाग - 2 | ||
पाठ-1 | प्रेमचंद | |
पाठ-2 | संजीव | |
पाठ-3 | विश्वनाथ तिरपाठी | |
पाठ- | प्रभाष जोशी | |
अभिव्यक्ति और माध्यम | ||
1 | ||
2 | ||
3 | ||
4 | ||
5 | ||
6 | ||
7 | ||
8 | ||
Class 12 Hindi Elective (अंतरा - भाग 2)
पद्य खण्ड
आधुनिक
1.जयशंकर प्रसाद (क) देवसेना का गीत (ख) कार्नेलिया का गीत
2.सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (क) गीत गाने दो मुझे (ख) सरोज स्मृति
3.सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय (क) यह दीप अकेला (ख) मैंने देखा, एक बूँद
4.केदारनाथ सिंह (क) बनारस (ख) दिशा
5.विष्णु खरे (क) एक कम (ख) सत्य
6.रघुबीर सहाय (क) वसंत आया (ख) तोड़ो
प्राचीन
7.तुलसीदास (क) भरत-राम का प्रेम (ख) पद
8.मलिक मुहम्मद जायसी (बारहमासा)
11.घनानंद (घनानंद के कवित्त / सवैया)
गद्य-खण्ड
12.रामचंद्र शुक्ल (प्रेमघन की छाया-स्मृति)
13.पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी (सुमिरिनी के मनके)
14.ब्रजमोहन व्यास (कच्चा चिट्ठा)
16.भीष्म साहनी (गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफात)
17.असगर वजाहत (शेर, पहचान, चार हाथ, साझा)
18.निर्मल वर्मा (जहाँ कोई वापसी नहीं)
19.रामविलास शर्मा (यथास्मै रोचते विश्वम्)
21.हज़ारी प्रसाद द्विवेदी (कुटज)
12 Hindi Antral (अंतरा)
1.प्रेमचंद = सूरदास की झोंपड़ी