उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)


प्रश्न 1. सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता के बीच सम्बन्ध बताइए।
> सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता से क्या आशय है? इन दोनों के मध्य सम्बन्ध रेखाचित्र के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: सीमान्त उपयोगिता : किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग करने से कुल उपयोगिता में होने वाली वृद्धि को सीमान्त उपयोगिता कहते हैं।
सूत्र – Nवीं इकाई की सीमान्त उपयोगिता = N इकाइयों से प्राप्त कुल उपयोगिता -(N – 1) इकाइयों से प्राप्त कुल उपयोगिता
MUN = TUN – TU(N-1)
सीमान्त उपयोगिता के निम्नलिखित तीन रूप होते हैं
() धनात्मक सीमान्त उपयोगिताजब किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने से उपभोक्ता को संतुष्टि प्राप्त होती है।
() ऋणात्मक सीमान्त उपयोगिताजब किसी वस्तु के उपभोग से उपभोक्ता को सन्तुष्टि प्राप्त नहीं होती है।
() शून्य सीमान्त उपयोगिताजब किसी वस्तु के उपयोग से उपभोक्ता को तो सन्तुष्टि प्राप्त होती है और ही असन्तुष्टि, यही सीमा पूर्ण सन्तुष्टि का बिन्दु होती है। इन्हें निम्नलिखित तालिका से स्पष्ट समझा जा सकता है

उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

कुल उपयोगिता (Total Utility) – किसी निश्चित समय में उपभोग की गई कुल इकाइयों से प्राप्त उपयोगिता, कुल उपयोगिता कहलाती है।
सूत्र रूप मेंप्रयोग की गई इकाइयों की सीमान्त उपयोगिता का योग = कुल उपयोगिता
ΣMU=TU
कुल उपयोगिता की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ हो सकती हैं
प्रथम अवस्था (First stage) – इस स्थिति में वस्तु की इकाइयों के उपयोग के साथ-साथ कुल उपयोगिता भी बढ़ती जाती है।
द्वितीय अवस्था (Second state) – इस अवस्था में कुल उपयोगिता का बढ़ना रुक जाता है उस स्थिति को पूर्ण सन्तुष्टि की अवस्था कहते हैं।
तृतीय अवस्था (Third stage) – इस अवस्था में कुल उपयोगिता घटना प्रारम्भ हो जाती है उसे कुल उपयोगिता की घटती हुई अवस्थां कहते हैं।

इन अवस्थाओं को निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता है-

उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता में सम्बन्ध
1. जब कुल उपयोगिता बढ़ती है तो सीमान्त उपयोगिता धनात्मक होती है।
2. जब कुल उपयोगिता घटती है तो सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है।
3. जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है और यह पूर्ण सन्तुष्टि के स्तर के बाद घटना प्रारम्भ हो जाती है। जबकि सीमान्त उपयोगिता प्रारम्भ से ही घटना शुरू कर देती है।

सीमान्त एवं कुल उपयोगिता के इस सम्बन्ध को निम्नलिखित रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता हैउपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

रेखाचित्र से स्पष्ट है कि छठवीं इकाई तक सीमान्त उपयोगिता में कमी आयी है लेकिन कुल उपयोगिता में वृद्धि हुई है। सातवीं इकाई पर कुल उपयोगिता अधिकतम तथा सीमान्त उपयोगिता शून्य हो गई है। इसके बाद सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है तथा कुल उपयोगिता कम होने लगती है।

प्रश्न 2. सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम का क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उपयोगिता ह्रास नियम को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
1. इस नियम की खोज से मूल्य विरोधाभास (Paradox value) की व्याख्या करने में सहायता मिली है। हीरा पानीविरोधाभास के अनुसार पानी जो जीवन के लिए अति आवश्यक है वह काफी सस्ता होता है जबकि हीरा जो कि जीवन के लिए आवश्यक नहीं है लेकिन काफी महंगा होता है। आधुनिक अर्थशास्त्रीयों ने इस नियम द्वारा इसे विरोधाभास की समुचित व्याख्या की है। आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार किसी पदार्थ की कीमत उससे प्राप्त कुल उपयोगिता द्वारा निर्धारित नहीं होती, बल्कि यह सीमान्त उपयोगिता ही है जो किसी पदार्थ की कीमत निश्चित करती है। जल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने के कारण इसकी सीमान्त उपयोगिता बहुत कम अथवा शून्य होती है अतएव इसकी कीमत भी बहुत कम या शून्य होती है। दूसरी ओर हीरे दुर्लभ (Scarce) होते हैं। और इसलिए उनकी सापेक्षिक (Relative) सीमान्त उपयोगिता बहुत अधिक होती है और इस कारण उनकी कीमत भी ऊँची होती है।

2. इस नियम का उपयोग सार्वजनिक वित्त में भी किया जाता है। हम जानते हैं कि धनवान के लिए मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता कम और गरीब के लिए अधिक होती है। अत: अमीरों पर कर (TAX) लगाकर उस राशि को गरीबों पर खर्च करने से सामाजिक कल्याण बढ़ता है।

3. उपयोगिता ह्रास नियम द्वारा मांग का नियम, सम सीमान्त उपयोगिता नियम आदि नियमों की व्युत्पत्ति हुई है।

प्रश्न 3. सम सीमान्त उपयोगिता नियम की सीमाएँ (Limitations) स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अर्थशास्त्र के अन्य नियमों की भांति सम-सीमान्त उपयोगिता के नियम की भी अनेक सीमायें हैं। अन्य नियमों के समान यह नियम भी लोगों की एक महत्त्वपूर्ण प्रवृत्ति को दर्शाता है। यह आवश्यक नहीं कि सभी व्यक्ति आय का व्यय करने में इस नियम का पूर्णतया पालन करें और इस प्रकार सम्भवतः सभी उपभोक्ता अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करें। इसके निम्नलिखित कारण हैं
1. इस नियम के लिए उपयोगिता की गणनावाचक रूप में माप करना आवश्यक है लेकिन अर्थशास्त्रियों का विचार है कि उपभोक्ता के लिए उपयोगिता का गणनावाचक के रूप में माप करना सम्भव नहीं है। सन्तुष्टि एक मनोवैज्ञानिक भावना होने के कारण यह गणनावाचक रूप में मापनीय नहीं है।
2. इस नियम में उपभोक्ता को विवेकशील माना गया है किन्तु अर्थशास्त्रियों का मत है कि साधारण उपभोक्ता इतने विवेकशील नहीं होते कि वे सही प्रकार से सीमान्त उपयोगिता की गणना करें। अपनी आय का व्यय करने में उपभोक्ता प्राय: अपने स्वभाव तथा रीति-रिवाजों से प्रभावित होते हैं। अपने स्वभावों तथा रीति-रिवाजों से प्रभावित होकर वे अपनी आय को विभिन्न वस्तुओं पर व्यय करते हैं चाहे उन्हें यह अधिकतम सन्तुष्टि प्रदान करें अथवा नहीं।
3. बजट अवधि का अनिश्चित होना इस नियम के मार्ग में बाधा है। प्रायः बजट अवधि एक वर्ष मानी जाती है जबकि टिकाऊ वस्तुओं का उपयोग दूसरी बजट अवधि में भी जारी रहता है अत: ऐसी वस्तुओं से कई वर्षों में प्राप्त होने वाले लाभ की तुलना हमें दूसरी वस्तु के इस वर्ष के लाभ से करनी होती है।
4. यह नियम इस मान्यता पर आधारित है कि उपभोक्ता को वैकल्पिक पसन्द की पूर्ण जानकारी होती है। वास्तविकता में उपभोक्ता दूसरे वैकल्पिक चयन के बारे में अनभिज्ञ होता है।
5. सम-सीमान्त उपयोगिता नियम की अन्य परिसीमा यह है कि अविभाज्य वस्तुओं की दशा में इसका पालन करना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 4. सारणी तथा रेखाचित्र की सहायता से प्रतिस्थापन की सीमान्त दर को समझाइये।
> प्रतिस्थापन की सीमान्त दर क्या है? विस्तार से समझाइये।
उत्तर: प्रतिस्थापन की सीमान्त दर (Marginal Rate of Substitution) – प्रतिस्थापन की सीमान्त दर यह बताती है कि जब किसी उपभोक्ता के पास दो वस्तुएँ हों तो वह एक के स्थान पर दूसरी को किस दर से त्यागने के लिए तैयार होता है जिससे उसकी कुल सन्तुष्टि वहीं की वहीं रहे। प्रतिस्थापन की दर को नीचे दी गई सारणी की सहायता से समझा जा सकता है

उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

उपरोक्त उदासीनता सारणी में, प्रारम्भ में संयोग A में उपभोक्ता के पास वस्तु X की एक इकाई और वस्तु Y की 12 इकाइयां हैं। उपभोक्ता संयोग B को प्राप्त करने के लिए वस्तु X की एक इकाई के बदले वस्तु Y की 4 इकाइयों का त्याग कर देता है और ऐसा करने से उसकी सन्तुष्टि में कोई परिवर्तन नहीं होता। अर्थात् इस अवस्था में वस्तु Y को वस्तु X में बदलने की दर चीर है। इसे उदासीनता वक्र विश्लेषण में कहते है कि उपभोक्ता की वस्तु X की वस्तु Y के लिए प्रतिस्थापन की सीमान्त दर चार है। इस प्रकार प्रतिस्थापन की सीमान्त दर को परिभाषित कर सकते हैं कि वस्तु X की वस्तु Y के लिए प्रतिस्थापन की सीमान्त दर वस्तु Y की वह मात्रा है जिसका वस्तु X की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता त्याग देने को तैयार होता है जिससे उनकी सन्तुष्टि का स्तर स्थिर रहे।

प्रतिस्थापन की सीमान्त दर को निम्न प्रकार से भी समझा जा सकता है

उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

उपरोक्त रेखाचित्र A B के द्वारा दिखाये गये X Y वस्तुओं के बंडल के बीच तटस्थ है। A बिन्दु पर उपभोक्ता X वस्तु की OC मात्रा तथा Y वस्तु की OP मात्रा का उपयोग करता है। A से B बिन्दु पर पहुँचने के लिए उपभोक्ता Y वस्तु की PQ मात्रा को प्रतिस्थापित कर X वस्तु की CD अधिक मात्रा को प्राप्त करता है। वह दर जिस पर X वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त की जाती है, निम्नानुसार हैउपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

यह अनुपात ही प्रतिस्थापन की सीमान्त दर है जैसे A बिन्दु, B के समीप आता है अनुपात    बिन्दु B पर खींची गयी स्पर्श रेखा के ढाल के बराबर होता है। अत: तटस्थता वक्र के किसी बिन्दु पर डाली गयी रेखा का ढाल ही उस बिन्दु पर प्रतिस्थापन की दर कहलाती है।

प्रश्न 5. एक उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करने के लिए इच्छुक है। दोनों वस्तुओं की कीमतें क्रमशः ₹4 तथा ₹5 हैं। उपभोक्ता की आय ₹20 है।
(i) बजट रेखा के समीकरण को लिखिए।
(ii) उपभोक्ता यदि अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु 1 पर व्यय कर दे, तो वह उसकी कितनी मात्रा का उपभोग कर सकता है?
(iii) यदि वह अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु 2 पर व्यय कर दे, तो वह उसकी कितनी मात्रा का उपभोग कर सकता है?
(iv) बजट रेखा की प्रवणता क्या है?
उत्तर: (i) बजट रेखा का समीकरण
P1x1 + P2x2 = M
जहाँ, P1 = वस्तु 1 की कीमत
P2 = वस्तु 2 की कीमत
x1 = वस्तु 1 की मात्रा
x2 = वस्तु 2 की मात्रा
M = उपभोक्ता की आय।

(ii) बजट समीकरण
P1x1 + P2x2 = M
दिया है P1 = 4, P2 = 5, x2, = 0, M = 20
मान रखने पर – 4 × x1 + 5 × 0 = 20
4x1 = 20
`x_1=\frac{20}4` = 5 इकाइयाँ क्रय कर सकता है।

[नोट – x2 = 0 माना गया है क्योंकि उपभोक्ता ने अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु 1 की क्रय करने पर व्यय कर दी है।

(iii) बजट समीकरण
P1x1 + P2x2 = M
दिया है – P1 = 4, P2 = 5, x1 = 0, M = 20
मान रखने पर- 4 × 0 + 5 × x2 = 20
5x2 = 20
`x_2=\frac{20}5`  = 4 इकाइयाँ क्रय कर सकता है।

[नोट – x1 = 0 माना गया है क्योंकि उपभोक्ता ने अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु 2 को क्रय करने पर व्यय कर दी है।

(iv) बजट रेखा की प्रवणता (ढलान)

अत: बजट रेखा की प्रवणता = -08 होगी।

प्रश्न 6. गणनावाचक विश्लेषण में उपभोक्ता के सन्तुलन को समझाइए।
उत्तर: एक उपभोक्ता सन्तुलन में तब कहलाता है जब वस्तु की दी गई कीमत तथा आय से उसकी सन्तुष्टि अधिकतम हो जाये।

एक मात्र वस्तु के उपभोग के समय यदि उपभोक्ता एक वस्तु को खरीद सकता है या अपनी मौद्रिक आय को अपने पास रख सकता है। गणनावाचक दृष्टिकोण में उपभोक्ता के संतुलन के लिए यह आवश्यक है कि X की सीमान्त उपयोगिता
(MUx), X की बाजार कीमत (Px), के बराबर होगी।

अर्थात् मुद्रा के रूप में सीमान्त उपयोगिता = उत्पाद की कीमत अथवा MUx = Px

यदि X वस्तु से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता (MUx), x की कीमत (Px) से अधिक हो तो उपभोक्ता X की अधिक मात्रा खरीद कर अपने कल्याण को अधिक कर सकता है इसी तरह यदि X वस्तु से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता (MUx), X की कीमत (Px) से कम हो तो व्यक्ति X वस्तु से अपने कल्याण को अधिकतम करने के लिए X की खरीद की मात्रा को कम कर सकता है। एक वस्तु की दशा में उपयोगिता के गणनावाचक माप के द्वारा वस्तु X की विभिन्न इकाइयों की सीमान्त उपयोगिता को मौद्रिक रूप में मापा जा सकता है। मान लो X की कीमत ₹5 प्रति इकाई है।

उपभोक्ता सन्तुलन (Consumer Equilibrium)

उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

उपरोक्त तालिका दर्शाती है कि Px = ₹5 होने पर उपभोक्ता वस्तु की 3 इकाई खरीदता है। यदि उपभोक्ता 3 से कम इकाइयां खरीदता है, मान लो 2 इकाइयां, तब 2 इकाइयों से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता के ₹2 के बराबर होगी और वह ₹5 की कीमत देगा। अब MUx > Px इसलिए वह X की और मात्रा खरीदेगा। यहाँ एक उपभोक्ता उससे अधिक इकाइयाँ नहीं खरीदेगा, क्योंकि यदि वह 4 इकाइयाँ खरीदेगा, तो उसे 5 का भुगतान करना पड़ेगा, जो कि उसकी सीमान्त उपयोगिता (MU) से कम है, जो कि ₹4 के बराबर है। इस प्रकार अपनी उपयोगिता को बढ़ाने के लिए एक उपभोक्ता उतनी ही मात्रा खरीदता है, जहाँ वस्तु की सीमान्त उपयोगिता उसकी कीमत के बराबर होती है।

यदि उपभोक्ता एक से अधिक वस्तुओं का उपभोग करता है तो उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्त होगी

मुद्रा की एक अतिरिक्त इकाई के खर्च करने से प्राप्त उपयोगिता सभी वस्तुओं के लिए समान होगी। यदि उपभोक्ता एक वस्तु पर खर्च करने से अधिक उपयोगिता प्राप्त करता है तो वह अपना कल्याण अधिक करने के लिए उस पर अधिक खर्च करेगा अन्य वस्तुओं के उपभोग पर तब तक कम करता रहेगा जब तक उपरोक्त शर्त पूरी हो जाए। उपरोक्त शर्तों के साथ आमदनी के प्रतिबन्ध की शर्त भी उपभोक्ता के सन्तुलन के लिए आवश्यक है

इस शर्त के अनुसार उपभोक्ता के द्वारा X-वस्तु पर किया गया खर्च अर्थात् X.Px तथा Y वस्तु पर किया गया खर्च Y.Py उपभोक्ता की आय I के बराबर होगा।

प्रश्न 7. तटस्थता वक्र विश्लेषण की सहायता से उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्तों को समझाइए।
उत्तर: एक उपभोक्ता सन्तुलन की प्राप्ति करता है, जब वह दिए गए बजट समीकरण पर सबसे ऊँचे सम्भावित तटस्थता वक्र पर पहुँच जाता है। उपभोक्ता सन्तुलन बिन्दु बजट रेखा पर होना चाहिए तथा यह वस्तुओं एवं सेवाओं का सबसे अधिक प्राथमिक संयोग प्रदान करता हो। तटस्थता वक्र अवधारणा के अनुसार एक उपभोक्ता को सन्तुलन प्राप्त करने के लिए दो शर्तों को पूरा करना आवश्यक होता है।
1. उपभोक्ता के सन्तुलन का बिन्दु वह बिन्दु होता है जहाँ पर बजट रेखा एक तटस्थता वक्र को स्पर्श करती है। यह अधिकतम सन्तुष्टि का बिन्दु है।
2. उपभोक्ता के सन्तुलन का बिन्दु वह बिन्दु है जहाँ पर प्रतिस्थापन की सीमान्त दर कीमत अनुपातों के बराबर होती है।

यह उपभोक्ता के सन्तुलन की आवश्यक शर्त है।
3. उपभोक्ता के संतुलन की तीसरी आवश्यक शर्त यह है कि सन्तुलन के बिन्दु पर प्रतिस्थापन की सीमान्त दर (MRSxy) गिरती हुई होनी चाहिए अर्थात् तटस्थता वक्र मूल बिन्दु के उन्नतोदर (convex) होना चाहिए।

उपभोक्ता के सन्तुलन का चित्र द्वारा स्पष्टीकरण

उपभोक्ता के सन्तुलन का पता लगाने के लिए तटस्थता वक्र बजट रेखा को साथ में ग्राफ में बनाया जाता है। जो तटस्थता वक्र मूल बिन्दु के जितना समीप पाया। जाता है वह सन्तुष्टि के अधिकतम स्तर को बताता है। बजट रेखा के दिए होने पर। उपभोक्ता सन्तुलन उपभोक्ता उच्चतम तटस्थता वक्र को प्राप्त करने का प्रयास करता है।

उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

उपरोक्त चित्र में Ic1, Ic2, Ic3 अलग-अलग तटस्थता वक्र हैं तथा AB के बजट रेखा है। बजट रेखा के दिए हुए होने पर उपभोक्ता अधिकतम Ic2 वक्र को प्राप्त कर सकता है। P बिन्दु पर बजट रेखा तटस्थता वक्र Ic2 को स्पर्श करती है। अत: यह उपभोग के सन्तुलन को बताता है। इस बिन्दु पर उपभोक्ता X की OL मात्र Y की OM मात्रा खरीदता है। बजट रेखा का कोई अन्य बिन्दु नीचे तटस्थता वक्र पर होगा और बिन्दु P (स्पर्श रेखा का बिन्दु) से कम संतुष्टि को बताएगा।

प्रश्न 8. तटस्थता वक्र की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर: तटस्थता वक्र वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाता है, जो उपभोक्ता को समान स्तर की उपयोगिता अथवा सन्तुष्टि प्रदान करते हैं। तटस्थता वक्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. तटस्थता वक्र बायें से दायें नीचे की ओर झुके होते हैं (There is indifference curve downward from left to right) – कोई भी झुका हुआ वक्र इस मूल विचार को दर्शाता है कि एक वस्तु की मात्रा को घटाने पर दूसरी वस्तु की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है, ताकि उपभोक्ता को वस्तु की पूर्ति हो सके और उपभोक्ता को पहले संयोग के समान सन्तुष्टि प्राप्त हो, क्योंकि यदि एक वस्तु की मात्रा घटती है तो दूसरी वस्तु की मात्रा बढ़ती है और संतुष्टि का स्तर समान रहता है।

2. तटस्थता वक्र मूल बिन्दु के उन्नत्तोदर होते हैं (Indifference curve is convex to the origin) – जैसे-जैसे हम तटस्थता वक्र पर नीचे की ओर जाते हैं हमें ज्ञात होता है कि इसका ढलान घटता है। इसकानिहितार्थ है कि सीमान्त प्रतिस्थापन की दर में गिरने की प्रवृत्ति होती है जिसके कारण तटस्थता वक्र मूल बिन्दु की ओर उन्नत्तोदर होता है।

उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

उपरोक्त चित्र के अनुसार X वस्तु की 2 इकाई प्राप्त करने के लिए Y वस्तु की AM मात्रा का परित्याग करना पड़ता है। X वस्तु की 3 इकाई मात्रा प्राप्त करने के लिए Y वस्तु की BN मात्रा का परित्याग करना पड़ता है। जैसे-जैसे उपभोक्ता के पास X वस्तु की अधिक मात्रा होती जाती है वैसे-वैसे उपभोक्ता Y वस्तु को छोड़ने की मात्रा कम करता है। यह घटती हुई सीमान्त प्रतिस्थापन की दर के कारण होता है।

3. तटस्थता वक्र एक-दूसरे को नहीं काटते हैं (Indifference curve do not cross or intersect each other) – दो तटस्थता वक्र कभी एक-दूसरे को नहीं काटते। यदि ये एक-दूसरे को काटते हैं तो यह उपभोक्ता की अभिरुचि के प्रतिकूल निष्कर्ष प्रदान करता है। इसको निम्न चित्र द्वारा समझा जा सकता है-

चित्रानुसार माना दो तटस्थता वक्र IC1 एवं IC2 दोनों एक-दूसरे को काटते हैं। P R बंडल तटस्थता वक्र एक पर होने के कारण समान सन्तुष्टि को बताते हैं। अर्थात् उपभोक्ता P R बंडल में तटस्थता है अर्थात P = R . P २बंडल तटस्थता वक्र दो पर होने के कारण समान सन्तुष्टि को बताते हैं। उपभोक्ता इन दोनों बंडल में तटस्थ है। अतः P = Q इसका अर्थ यह हुआ कि Q = R अर्थात् Q वे R के बीच में उपभोक्ता तटस्थ होना चाहिए। ऐसा सम्भव नहीं है क्योंकि बिन्दु R बिन्दु से ऊपर है अतः ये सिद्ध होता है कि दो तटस्थता वक्र एक दूसरे को नहीं काटते हैं।

प्रश्न 9. सम सीमान्त उपयोगिता नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: यदि किसी मनुष्य के पास ऐसी वस्तु है जिसे वह अनेक प्रयोगों में ला सकता है तो वह अनेक प्रयोगों में इस प्रकार बांटेगा कि प्रत्येक प्रयोग में उसकी सीमान्त उपयोगिता बराबर हो जाये यदि एक प्रयोग में दूसरी की अपेक्षा उसे अधिक सीमान्त उपयोगिता मिलती है तो वह दूसरे प्रयोग से वस्तु की मात्रा हटाकर उसका प्रयोग प्रथम प्रयोग में करके लाभ प्राप्त कर सकता है।

मान लीजिए कि उपभोक्ता निश्चित आय को जिन वस्तुओं पर व्यय करना चाहता है वे केवल दो है, X तथा Y उपभोक्ता को व्यवहार दो बातों से प्रभावित होगा, एक तो वस्तुओं से प्राप्त होने वाले सीमान्त उपयोगिता तथा दूसरे वस्तुओं की कीमतें। मान लीजिए कि दोनों वस्तुओं की कीमतें उपभोक्ता के लिए निश्चित हैं सम सीमान्त उपयोगिता नियम इस दशा में, यह बताता है कि उपभोक्ता अपनी भौतिक आय को विभिन्न वस्तुओं में इस प्रकार वितरित करेगा कि प्रत्येक वस्तु पर व्यय किये अन्तिम रुपये से प्राप्त उपयोगिता समान हो। अन्य शब्दों में, उपभोक्ता उस समय सन्तुलन की स्थिति में होता है। जब प्रत्येक वस्तु पर व्यय की गई मुद्रा से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता समान हो। एक वस्तु पर किये गये मौद्रिक व्यय से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता को उस वस्तु की एक इकाई से प्राप्त उपयोगिता को उसकी कीमत से विभाजित करके ज्ञात किया जा सकता है। अन्य शब्दों में

यहाँ MUE = वस्तु X पर मौद्रिक व्यय की सीमान्त उपयोगिता
MUx = वस्तु X से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता
Px = वस्तु X की कीमत
इस प्रकार, सम सीमान्त उपयोगिता नियम की परिभाषा, निम्न शब्दों में की जा सकती हैउपभोक्ता अपनी मौद्रिक आय को विभिन्न वस्तुओं पर इस प्रकार से व्यय करेगा कि विभिन्न वस्तुओं से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता तथा उनकी कीमत के अनुपात में समानता हो।

नियम की मान्यतायें (Assumptions of Rule) – इस नियम की निम्न मान्यतायें होती हैं

1. उपभोक्ता की आय स्थिर रहती है।

2. जिन वस्तुओं पर उपभोक्ता उपभोग करना चाहता है उनकी कीमत स्थिर या दी हुई मानी जाती है।

3. उपभोक्ता की पसन्द, रुचि अधिमान एक अवधि के लिये दिये होते हैं।

4. मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता स्थिर रहती हैं।

5. एक वस्तु की उपयोगिता सारणी दूसरी वस्तु की उपयोगिता सारणी से स्वतन्त्र होती है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. nth इकाई की सीमान्त उपयोगिता की गणना निम्न प्रकार से की जाती है-

प्रश्न 2. दो वस्तुओं की स्थिति में गणनावाचक विश्लेषण में उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्त है।

प्रश्न 3. गणनावाचक विश्लेषण में यूटिल्स में मापते हैं
() सीमान्त उपयोगिता
() उपयोगिता
() कुल उपयोगिता
() ये सभी

प्रश्न 4. उपयोगिता का गुण है।
() एक उत्पाद से दूसरे उत्पाद में बदलती है।
() एक समय को दूसरे समय में बदलती है।
() एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए बदलती है
() उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5. एक तटस्थता वक्र
() बाएं से दाएं घटता हुआ होता है।
() बाएं से दाएं बढ़ता हुआ होता है।
() X अक्ष के बराबर होता है।
() शून्य होता है

प्रश्न 6. वैकल्पिक विश्लेषण के रूप में प्रो. जे. आर. हिक्स एवं प्रो आर. जी. डी. ऐलन ने क्रमवाचक विश्लेषण को प्रतिपादित किया
() सन् 1934 में।
() सन् 1935 में
() सन् 1835 में
() सन् 1834 में

प्रश्न 7. वस्तु की आवश्यकता पूर्ति की क्षमता को कहते हैं
() उत्पादकता
() उपयोगिता
() योग्यता
() संतुष्टि

प्रश्न 8. उपयोगिता विश्लेषण की विधियाँ हैं
() गणना वाचक विश्लेषण
() क्रमवाचक विश्लेषण
() उपरोक्त दोनों
() कोई नहीं

प्रश्न 9. सीमान्त उपयोगिता सिद्धान्त में उपयोगिता है।
() एक क्रमागत अवधारणा
() एक संख्यात्मक अवधारणा
() उपरोक्त दोनों
() कोई नहीं

प्रश्न 10. वस्तु की सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है तो उसकी कुल उपयोगिता
() गिरती है
() बढ़ती है।
() स्थिर रहती है।
() शून्य होती है।

प्रश्न 11. सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम का प्रतिपादन किया था
() मार्शल ने।
() गौसेन ने।
() जेवन्सन ने
() एजवर्थ ने

प्रश्न 12. उपयोगिता ह्रास नियम की मान्यताएँ हैं
() उपभोग की प्रक्रिया सतत् होती है।
() मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता को स्थिर माना जाता है।
() उपयोगिता मापनीय है और इसके लिए मुद्रा का उपयोग किया जाता है।
() उपरोक्त सभी।

प्रश्न 13. तटस्थता का अर्थ है
() X को Y पर प्राथमिकता दी जाती है।
() Y को X पर प्राथमिकता दी जाती है।
() X तथा Y को समान रूप से प्राथमिकता दी जाती है।
() उपरोक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 14. तटस्थता वक्र विश्लेषण की मान्यताएँ हैं
() उपभोक्ता को विवेकशील माना जाता है।
() उपभोक्ता व्यवहार संगतियुक्त माना जाता है।
() तटस्थता वक्र विश्लेषण में प्रतिस्थापन की सीमान्त दर को घटती हुई माना जाता है।
() उपरोक्त सभी।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. तटस्थता वक्र को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: वह वक्र जिसके विभिन्न बिन्दु दो वस्तुओं के ऐसे संयोगों को दर्शाते हैं, जो उपभोक्ता को समान सन्तुष्टि देते हैं।

प्रश्न 2. दो वस्तुओं की स्थिति में गणनावाचक विश्लेषण में उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्त बताइये।
उत्तर:

प्रश्न 3. प्रतिस्थापन की सीमान्त दर को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: वह दर जिस पर एक उपभोक्ता वस्तु 1 के स्थान पर वस्तु 2 का प्रतिस्थापन करता है तथा उसके प्रति उदासीन रहता है, प्रतिस्थापन की सीमान्त दर कहलाती है।

प्रश्न 4. तटस्थता वक्र मूल बिन्दु के उन्नत्तोदर क्यों होते हैं?
उत्तर: प्रतिस्थापन की सीमान्त दर के कारण।

प्रश्न 5. बजट रेखा का गणितीय समीकरण लिखो।
उत्तर: M =X.Px + Y.Py

प्रश्न 6. उपभोक्ता से क्या आशय है?
उत्तर: वह व्यक्ति अथवा संस्था जो अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करता है, उपभोक्ता कहलाता है।

प्रश्न 7. उपभोग से आप क्या समझते हो?
उत्तर: मानवीय अवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए आर्थिक वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रयोग करना, उपभोग कहलाता है।

प्रश्न 8. वैकल्पिक विश्लेषण के रूप में सन् 1934 में क्रमवाचक विश्लेषण को किसने प्रतिपादित किया?
उत्तर: प्रो. जे. आर. हिक्स एवं प्रो. आर. जी. डी. ऐलन ने

प्रश्न 9. उपयोगिता किसे कहते हैं?
उत्तर: वस्तुओं तथा सेवाओं के उपयोग के पश्चात् मिलने वाली सन्तुष्टि उपयोगिता कहलाती है।

प्रश्न 10. उपयोगिता फलन किसे कहते हैं?
उत्तर: अधिमानों को उपयोगिता अंकों के रूप में प्रस्तुत करने को उपयोगिता फलन कहा जाता है।

प्रश्न 11. उपयोगिता फलन को संकेत समीकरण के रूप में किस प्रकार लिखा जा सकता है?
उत्तर: U = U(X1, X2, X3, Xi,……..Xn,)

प्रश्न 12. उपयोगिता विश्लेषण की कितनी विधियाँ हैं?
उत्तर: दो।

प्रश्न 13. उपयोगिता विश्लेषण की कोई एक मान्यता बताइये।
उत्तर: उपभोक्ता अपनी उपयोगिता को अधिकतम करना चाहता है।

प्रश्न 14. कुल उपयोगिता (Total Utility) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: किसी वस्तु की उत्तरोत्तर एक से अधिक इकाइयों के उपयोग से प्राप्त उपयोगिता के योग को कुल उपयोगिता कहते हैं।

प्रश्न 15. कुल उपयोगिता की गणना का सूत्र लिखिए।
उत्तर: TUn, = U1 + U2 …….. + Un

प्रश्न 16. जिस बिन्दु पर कुल उपयोगिता अधिकतम हो जाती है, उस बिन्दु को क्या कहा जाता है?
उत्तर: अधिकतम सन्तोष का बिन्दु (Point of satiety)

प्रश्न 17. यदि उपभोक्ता को अधिकतम सन्तोष के बिन्दु के बाद भी उस वस्तु का उपभोग जारी करने के लिए बाध्य किया जाये तो उपभोक्ता के लिए कुल उपयोगिता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: कुल उपयोगिता घटने लगती है।

प्रश्न 18. सीमान्त उपयोगिता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई से प्राप्त होने वाली उपयोगिता सीमान्त उपयोगिता कहलाती है।

प्रश्न 19. सीमान्त उपयोगिता (Marginal Utility) को मापने का सूत्र बताइए।
उत्तर:

प्रश्न 20. धनात्मक सीमान्त उपयोगिता (Positive Marginal Utility) से क्या आशय है?
उत्तर: किसी वस्तु के उपयोग से प्राप्त होने वाली उपयोगिता, धनात्मक सीमान्त उपयोगिता कहलाती है।

प्रश्न 21. शून्य सीमान्त उपयोगिता (Zero Marginal Utility) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: वस्तु के उपयोग से उपभोक्ता को तो सन्तुष्टि मिले असन्तुष्टि, तो वह शून्य सीमान्त उपयोगिता कहलाती है।

प्रश्न 22. ऋणात्मक सीमान्त उपयोगिता (Negative Marginal Utility) से क्या आशय है?
उत्तर: जब वस्तु की अतिरिक्त इकाई के उपयोग से उपभोक्ता को अंसतुष्टि मिले, तो वह ऋणात्मक सीमान्त उपयोगिता कहलाती है।

प्रश्न 23. सीमान्त उपयोगिता के ऋणात्मक होने का कुल उपयोगिता पर क्या प्रभाव पड़ता है? बताइए।
उत्तर: कुल उपयोगिता घटने लगती है।

प्रश्न 24. सीमान्त उपयोगिता के शून्य होने पर कुल उपयोगिता कितनी होती है?
उत्तर: कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।

प्रश्न 25. पूर्ण संतुष्टि का बिन्दु आने के पश्चात् सीमान्त उपयोगिता (Marginal Utility) पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है।

प्रश्न 26. सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम का प्रतिपादन कब और किसके द्वारा किया गया?
उत्तर: सन् 1854 में गौसेन द्वारा किया गया।

प्रश्न 27. उपयोगिता ह्रास नियम की कोई एक मान्यता बताइये।
उत्तर: उपभोक्ता की आय, आदतें, रूचि तथा फैशन में दिए हुए समय में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न 28. उपयोगिता ह्रास नियम द्वारा किन-किन नियमों की उत्पत्ति होती है?
उत्तर: मांग का नियम, सम सीमान्त उपयोगिता नियम आदि की उत्पत्ति होती है।

प्रश्न 29. उपभोक्ता सन्तुलन क्या है?
उत्तर: वह स्थिति जिसमें उपभोक्ता अपने दिये साधनों से अधिकतम सन्तुष्टि ग्रहण करता है, उपभोक्ता सन्तुलन कहलाता है।

प्रश्न 30. एक वस्तु की स्थिति में गणनावाचक विश्लेषण में उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्त बताइये।
उत्तर: MUx = Px

प्रश्न 31. सम सीमान्त उपयोगिता नियम को किन अन्य नामों से जाना जाता है?
उत्तर: गौसेन का द्वितीय नियम, प्रतिस्थापन का नियम, अधिकतम सन्तोष का नियम आदि।

प्रश्न 32. सम सीमान्त उपयोगिता नियम की कोई एक सीमा (दोष) बताइये।
उत्तर: वस्तुओं की अविभाज्यता के कारण सम सीमान्त उपयोगिता नियम में काफी कठिनाई आती है।

प्रश्न 33. सम सीमान्त उपयोगिता नियम अर्थशास्त्र के किन क्षेत्रों में लागू होता है?
उत्तर: सम सीमान्त उपयोगिता नियम अर्थशास्त्र के उपभोग, उत्पत्ति, विनिमय वितरण सभी क्षेत्रों में लागू होता है।

प्रश्न 34. वह वक्र क्या कहलाता है, जिसके विभिन्न बिन्दु दो वस्तुओं के ऐसे योगों को दर्शाते हैं, जिनसे समान संतुष्टि मिलती है?
उत्तर: अनधिमान वक्र अथवा उदासीनता वक्र (Indifference Curve or IC)

प्रश्न 35. एक उदासीनता वक्र का ढाल कैसा होता है?
उत्तर: ऋणात्मक।

प्रश्न 36. अनधिमान वक्र द्वारा उपभोक्ता के संतुलन की किसी एक शर्त को लिखिए।
उत्तर: संतुलन के लिए अनधिमान वक्र बजट रेखा को स्पर्श करे, यह आवश्यक है।

प्रश्न 37. अनधिमान वक्र (Indifference Curve) को अन्य किन नामों से जाना जाता है? बताइए।
उत्तर: उदासीनता वक्र अथवा तटस्थता वक्र।

प्रश्न 38. अनधिमान वक्र का रेखाचित्रे बनाइए।
उत्तर:

प्रश्न 39. तटस्थता वक्र को समीकरण के रूप में दर्शाइये।
उत्तर: U = f(X1, X2, X3,…….Xn) = K

प्रश्न 40. तटस्थता वक्र की कोई एक विशेषता बताइये।
उत्तर: तटस्थता वक्र बायें से दायें नीचे की ओर झुके होते हैं।

प्रश्न 41. बजट रेखा क्या है?
उत्तर: बजट रेखा एक ऐसी रेखा है जो दो वस्तुओं के उन सभी संभव संयोगों को दर्शाती है जिन्हें एक उपभोक्ता दी हुई आय तथा मूल्यों पर खरीद सकता है।

प्रश्न 42. बजट रेखा का ढलान का सूत्र बताइये।
उत्तर: बजट रेखा ढलान =

प्रश्न 43. एक उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करना चाहता है, जिसमें से एक की कीमत ₹4 दूसरी की ₹5 है। उपभोक्ता की आय ₹40 है। बजट रेखा का समीकरण लिखिए।
उत्तर: 40 = 4x1 + 5x2,

प्रश्न 44.एक उपभोक्ता की आय 1000 है। वह दो वस्तुओं का उपयोग करना चाहता है। इनकी कीमतें क्रमशः ₹10 ₹15 हैं। बजट रेखा समीकरण लिखिए।
उत्तर: 1000 = 10x1 + 15x2

प्रश्न 45. कीमत अनुपात बजट रेखा (Budget Line) के ढलान के किस मूल्य को मापता है? सापेक्ष अथवा निरपेक्ष।
उत्तर: सापेक्ष मूल्य।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. तटस्थता वक्र की मान्यताएँ बताइये।
उत्तर:

1. उपभोक्ता की कुल उपयोगिता विभिन्न वस्तुओं की उपभोग की गई मात्रा पर निर्भर करती है।

2. तटस्थता वक्र विश्लेषण में प्रतिस्थापन की सीमान्त दर को घटती हुई माना जाता है।

3. उपभोक्ता को विवेकशील माना जाता है।

प्रश्न 2. उपभोक्ता की आय के कारण बजट रेखा पर होने वाले प्रभाव को चित्र से समझाइए।
उत्तर

प्रारम्भिक कीमत रेखा MN है आय के बढ़ने पर बजट रेखा ऊपर की ओर M1N1 हो जाती है।

प्रारम्भिक कीमत रेखा MN है। उपभोक्ता की आय में कमी होने पर नीचे की ओर M1N1 स्थानान्तरित हो जाती है।

प्रश्न 3. सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम की मान्यतायें बताइये।
उत्तर: सीमान्त उपयोगिता हास नियम की मान्यतायें निम्न हैं-

1. उपभोक्ता का व्यवहार विवेकशील माना जाता है।

2. उपयोगिता मापनीय है और इसके लिए मुद्रा का उपयोग किया जाता है।

3. मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता को स्थिर माना जाता है।

4. उपभोग की प्रक्रिया सतत् होती है।

5. उपभोक्ता की आय, आदतें रुचि तथा फैशन में दिए हुए समय में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

6. उपभोग की गई वस्तु की इकाइयाँ उचित आकार एवं गुणों की दृष्टि से समरूप होनी चाहिए।

प्रश्न 4.तटस्थता वक्र की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: तटस्थता वक्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं

1. तटस्थता वक्र का ढलान बायें से दायें, नीचे की ओर होता है।

2. तटस्थता वक्र मूल बिन्दु के उन्नतोदर (Convex to the origin) होते हैं।

3. एक तटस्थता मानचित्र में ऊँचा तटस्थता वक्र सन्तुष्टि के ऊँचे स्तर को प्रकट करता है।

4. तटस्थता वक्र एक-दूसरे को काटते नहीं हैं।

5. तटस्थता वक्र का ढलान सीमान्त प्रतिस्थापन की दर को व्यक्त करता है।

प्रश्न 5. गणनावाचक विश्लेषण का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया?
उत्तर: गणनावाचक विश्लेषण का प्रतिपादन मार्शल, पीगू जैसे नवक्लासिकल अर्थशास्त्रियों द्वारा किया गया है। इनके अनुसार उपयोगिता मापनीय है तथा इसकी गणना की जा सकती है।

प्रश्न 6. गणनावाचक विश्लेषण पर सुधार हेतु अथवा वैकल्पिक विश्लेषण हेतु किस विधि का प्रतिपादन हुआ?
उत्तर: वैकल्पिक विश्लेषण के रूप में प्रो. जे. आर. हिक्स एवं प्रो. आर. जी. डी. ऐलन ने सन 1934 में क्रमवाचक विश्लेषण को प्रतिपादित किया।

प्रश्न 7. उपयोगिता एक अमूर्त (Intangible) धारणा है।इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उपयोगिता को केवल अनुभव किया जा सकता है, तो इसे देख सकते हैं और नहीं छू सकते हैं, इस आधार पर उपयोगिता एक अमूर्त धारणा है।

प्रश्न 8. क्यो उपयोगिता (Utility) लाभदायक वस्तुओं में ही होती है?
उत्तर: नहीं, उपयोगिता लाभदायक तथा हानिकारक दोनों ही प्रकार की वस्तुओं में हो सकती है; जैसे-दूध, घी, मक्खन आदि लाभदायक वस्तुएं हैं जबकि शराब सिगरेट हानिकारक है परन्तु इन सबमें उपयोगिता है।

प्रश्न 9. उपयोगिता सापेक्षित होती है।इस कथन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: इस कथन का तात्पर्य यह है कि एक ही उपभोक्ता के लिए किसी एक वस्तु की उपयोगिता समय परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है।

प्रश्न10. उपयोगिता विश्लेषण की कौन-कौन सी विधियां हैं?
उत्तर: उपयोगिता विश्लेषण की दो विधियाँ हैं

1. गणनावाचक विश्लेषण (Cardinal Analysis)

2. क्रमवाचक विश्लेषण (Ordinal Analysis)

प्रश्न 11. “उपयोगिता को मापा जा सकता है।ऐसा किन अर्थशास्त्रियों ने बताया है?
उत्तर: एजवर्थ (1881), एण्टोनेली (Antonelli) (1886) इरविंग फिशर (Irving Fisher) (1892) ने बताया कि उपयोगिता को मापा जा सकता है और उपयोगिता विभिन्न वस्तुओं की उपभोग की गई मात्रा पर निर्भर करती है।

प्रश्न 12. उपयोगिता फलन क्या है? इसको किस संकेत समीकरण के रूप में लिखा जाता है?
उत्तर: अधिमानों की उपयोगिता अंकों के रूप में प्रस्तुत करने को उपयोगिता फलन कहा जाता है। उपयोगिता फलन को निम्न प्रकार लिखा जाता है – U = U(X1,X2, X3,Xi,……..,Xn,) यहाँ पर xi.i वस्तु की मात्रा है। यह फलनीय सम्बन्ध है जो एक व्यक्ति की पसन्द को दर्शाता है।

प्रश्न 13. कुल उपयोगिता किसे कहते हैं?
उत्तर: किसी दिए हुए समय में एक वस्तु की विभिन्न इकाइयों के उपभोग से प्राप्त हुई उपयोगिता के योग को कुल उपयोगिता कहा जाता है।

प्रश्न 14. सीमान्त उपयोगिता क्या है?
उत्तर: उपभोक्ता के द्वारा किसी वस्तु की एक इकाई का उपभोग बढ़ाने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है उसे उसे इकाई की सीमान्त उपयोगिता कहते हैं। इसमें अन्य वस्तुओं के उपभोग को स्थिर माना जाता है।

प्रश्न 15. कुल उपयोगिता और सीमान्त उपयोगिता में क्या सम्बन्ध है? कोई एक सम्बन्ध बताइये।
उत्तर: जिस बिन्दु पर कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तथा वहाँ सीमान्त उपयोगिता शून्य के बराबर होती है।

प्रश्न 16. मार्शल द्वारा सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम को किस प्रकार परिभाषित किया गया है?
उत्तर: मार्शल के अनुसार-“एक वस्तु के स्टॉक में वृद्धि होने से व्यक्ति को जो अतिरिक्त सन्तुष्टि प्राप्त होती है वह भण्डार में हुई प्रत्येक वृद्धि से कम होती जाती है।

प्रश्न 17. उपयोगिता ह्रास नियम के महत्त्व को समझाइये।
उत्तर: उपयोगिता ह्रास नियम का उपयोग सार्वजनिक वित्त में किया जाता है। हम जानते हैं कि धनवान के लिए मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता कम और गरीब के लिए अधिक होती है अतः अमीरों पर कर लगाकर उस राशि को गरीबों पर खर्च करने से सामाजिक कल्याण बढ़ता है।

प्रश्न 18. गणनावाचक विश्लेषण में उपभोक्ता के सन्तुलन की शर्त बताइये।
उत्तर:

प्रश्न 19. सम सीमान्त उपयोगिता की दो कमियां (सीमा) बताइये।
उत्तर:

1. सम सीमान्त नियम इस मान्यता पर आधारित है कि उपभोक्ता को वैकल्पिक पसन्द की पूर्ण जानकारी होती है। वास्तविकता में उपभोक्ता दूसरे वैकल्पिक चयन के बारे में अनभिज्ञ होता है।

2. इस नियम में सभी वस्तुओं को विभाज्य माना है जबकि वास्तविकता में मकान अथवा कार जैसी वस्तुएँ अभाज्य होती हैं।

प्रश्न 20. सम सीमान्त उपयोगिता के महत्व को समझाइये।
उत्तर: सम सीमान्त उपयोगिता नियम का प्रयोग अपने सीमित साधन से उत्पादन को अधिकतम करने में किया जाता है जिससे प्रति इकाई लागत में कमी आती है।

प्रश्न 21. तटस्थता वक्र की दो विशेषताएं बताइये।
उत्तर:

1. तटस्थता वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है।

2. दो तटस्थता वक्र एक-दूसरे को काटते नहीं हैं।

प्रश्न 22. तटस्थता वक्रों की सहायता से उपभोक्ता सन्तुलन की शर्त बताइये।
उत्तर: तटस्थता वक्र का ढलान = बजट रेखा का ढलान

प्रश्न 23. उपयोगिता अवधारणा तथा तटस्थता वक्र अवधारणा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उपयोगिता एक गणनावाचक अवधारणा है इसे मौद्रिक इकाइयों में मापा जा सकता है लेकिन तटस्थता वक्र क्रमवाचक अवधारणा है इसे मापा नहीं जा सकता है।

प्रश्न 23. बजट रेखा पर इष्टतम बंडल कहाँ स्थित होता है? बताइए।
उत्तर: विभिन्न अनधिमान वक्रों में से किसी एक को जिस बिन्दु पर ज़ट रेखा स्पर्श करती है, वही इष्टतम बंडल माना जायेगा।

प्रश्न 24. यदि एक उपभोक्ता की एकदिष्टप्राथमिकता है तो क्या वह (5,4) और (4,4) बंडलों के मध्य तटस्थ रह सकता है?
उत्तर: उपभोक्ता दोनों बंडलों के मध्य तटस्थ नहीं रह सकता है। वह बंडल (5, 4) को प्राथमिकता देगा क्योंकि इसमें वस्तु 1 की एक संख्या अधिक है जबकि वस्तु 2 बराबर है।

प्रश्न 25. यदि उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं तब क्या वह (10, 4) (8, 2) संयोगों के बीच तटस्थ हो सकता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर: उपभोक्ता के अधिमान दोनों संयोगों के बीच तटस्थ (Neutral) नहीं रह सकते क्योंकि पहले संयोग (10, 4) में दूसरे संयोग (8, 2) की अपेक्षा दोनों वस्तुओं की संख्या अधिक है। 23. संतुलन की अवस्था में अनधिमान वक्र का ढाल कैसा होता है? समझाइए। उत्तर-संतुलन की अवस्था या स्थिति में अनधिमान वक्र (Indifference Curve) का ढाल बजट रेखा (Budget Line) के ढाल के बराबर होता है।

प्रश्न 26. बजट रेखा का ढाल कैसा होता है? बताइए।
उत्तर: बजट रेखा का ढाल ऋणात्मक होता है क्योंकि उपभोक्ता को एक वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने के लिए दूसरी वस्तु की कुछ मात्रा त्यागनी पड़ती है।

प्रश्न 27. बजट रेखा (Budget line) का क्षेजित कटाव क्या दर्शाता है?
उत्तर: बजट रेखा का क्षैतिज कटावं यह दर्शाता है कि एक उपभोक्ता अपनी पूरी आय से वस्तु 1 की कितनी मात्रा खरीद सकता है।

प्रश्न 28. बजट रेखा का लम्बवत् कटाव क्या बतलाता है?
उत्तर: बजट रेखा का लम्बवत् कटाव यह बतलाता है कि एक उपभोक्ता अपनी पूरी आय से वस्तु 2 की कितनी मात्रा खरीद सकता है।

प्रश्न 29. बजट रेखा का ढलान क्या मापता है? बताइए।
उत्तर: बजट रेखा का ढलान यह मापता है कि वस्तु 1 में प्रति इकाई का परिवर्तन लाने के लिए वस्तु 2 में कितना परिवर्तन किया जाना चाहिए।

प्रश्न 30. बजट समूह (Budget Set) कब बदल जाता है?
उत्तर: दो स्थितियों में

1. जब किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन हो जाए।

2. जब उपभोक्ता की आय परिवर्तित हो जाए।

प्रश्न 31. उपभोक्ता की आय के बढ़ने तथा कम होने पर बजट रेखा कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर: जब उपभोक्ता की आय बढ़ जाती है तो बजट रेखा दायीं ओर तथा आय कम होने पर बायीं ओर खिसक जाती है।

प्रश्न 32. प्रतिस्थापन की सीमांत दर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: वह दर जिस पर एक उपभोक्ता वस्तु

1. के स्थान पर वस्तु

2. का प्रतिस्थापन करता है तथा उसके प्रति उदासीन (Neutral) रहता है, प्रतिस्थापन की सीमांत दर कहलाती है।

प्रश्न 33. उपयोगिता से क्या आशय है? इसकी विशेषतायें बताइये।
उत्तर: आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता को ही उपयोगिता कहते हैं। अर्थात् किसी वस्तु की वह क्षमता जिससे मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टि होती है उसे उस वस्तु की उपयोगिता कहते हैं। उपयोगिता की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं

1. उपयोगिता व्यक्तिगत होती है, वस्तुगत नहीं।

2. उपयोगिता आवश्यकता द्वारा उत्पन्न होती है।

3. उपयोगिता सापेक्षिक होती है।

प्रश्न 34. उपयोगिता को मापना कठिन क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उपयोगिता का मापन इसलिए कठिन है क्योकि यह मनोवैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। एक वस्तु का उपभोग करने पर व्यक्ति को प्राप्त उपयोगिता उसी वस्तु को दूसरे के द्वारा उपभोग करने से प्राप्त उपयोगिता से अलग हो सकती है। उपयोगिता एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति, एक स्थान से दूसरे स्थान तथा एक समय से दूसरे समय में भिन्न हो सकती है।

प्रश्न 35. उपयोगिता विश्लेषण की विधियों के बारे में संक्षेप में बताइये।
> उपयोगिता विश्लेषण की कितनी विधियाँ हैं?
उत्तर: उपयोगिता विश्लेषण की दो विधियाँ हैं
1. गणनावाचक विश्लेषण (Cardinal Analysis) विधि इस विधि में यह माना जाता है कि उपयोगिता को | मापा जा सकता है अर्थात् एक उपभोक्ता वस्तु से प्राप्त उपयोगिता को अंकों में व्यक्त कर सकता है जैसे निश्चल को 2 आम खाने से 10 यूटिल उपयोगिता प्राप्त हुई।

2. क्रमवाचक विश्लेषण (Ordinal Analysis) विधि इस विधि के अनुसार उपयोगिता को इकाइयों में मापा नहीं जा | सकता है। इसको अधिक से अधिक क्रम के रूप में दिया जा सकता है या उच्च या निम्न के आधार पर इसकी तुलना की जा सकती है।

प्रश्न 36. उपयोगिता को Utils (यूटिल्स) के रूप में मापा जा सकता है। इस सम्बन्ध में किन-किन अर्थशास्त्रियों ने अपने विचार दिए हैं?
उत्तर: अर्थशास्त्री विलियम स्टांले जेबोन्स, कार्ल मेन्जर, लिआन वल्रेस, अल्फ्रेड मार्शल के अनुसार उपयोगिता का माप उसी तरह से सम्भव है;
जैसेदूध को लीटर में, ऊँचाई को मीटर में, दूरी को किलोमीटर में, तापक्रम को डिग्री में मापा जा सकती है।

प्रश्न 37. उपयोगिता विश्लेषण किन-किन मान्यताओं पर आधारित है?
उत्तर: उपयोगिता विश्लेषण निम्न मान्यताओं पर आधारित है-

1. उपभोक्ता विवेकशील है तथा वह विभिन्न वस्तुओं से प्राप्त उपयोगिता की तुलना करता है, उनकी गणना करता है और उनके मध्य चुनाव करता है।

2. उपभोक्ता अपनी उपयोगिता को अधिकतम करता है।

3. उपयोगिता को मुद्रा के रूप में मापा जाता है।

4. मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता स्थिर मानी जाती है।

प्रश्नं 38. उपयोगिता एवं सन्तुष्टि में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: एक उपयोगिता को उपभोग करने से पूर्व किसी भी वस्तु की उपयोगिता हो सकती है किन्तु सन्तुष्टि तो वस्तु के उपभोग करने पर ही प्राप्त होती है। उपयोगिता को आशातित और संतुष्टि को प्राप्त उपयोगिता कहा जा सकता है। उपयोगिता को यूटिल द्वारा मापा जा सकता है किन्तु सन्तुष्टि अमापनीय है। उपयोगिता विश्लेषण में यह दोनों शब्द पर्यायवाची माने गये हैं।

प्रश्न 39. कुल उपयोगिता से क्या आशय है? गणितीय रूप में इसकी गणना किस प्रकार की जाती है?
उत्तर: किसी दिए हुए समय में एक वस्तु की विभिन्न इकाइयों के उपयोग से जो कुल संतुष्टि प्राप्त होती है उसे कुल उपयोगिता कहा जाता है। इसकी गणना निम्न प्रकार की जाती है
TUn = U1 + U2 ……… + Un
TUn = किसी वस्तु की N इकाइयों से प्राप्त कुल उपयोगिता
U1 = वस्तु की प्रथम इकाई से प्राप्त उपयोगिता
U2 = वस्तु की द्वितीय इकाई से प्राप्त उपयोगिता
Un = वस्तु की n इकाई से प्राप्त उपयोगिता

प्रश्न 40. कुल उपयोगिता की कौन-कौन सी अवस्था होती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर: कुल उपयोगिता की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ हो सकती हैं
प्रथम अवस्था (First stage) – इस स्थिति में वस्तु की इकाइयों के उपयोग के साथ-साथ कुल उपयोगिता भी बढ़ती जाती है।
द्वितीय अवस्था (Second stage) – जिस स्थिति में कुल उपयोगिता का बढ़ना रुक जाता है उस स्थिति को पूर्ण सन्तुष्टि की अवस्था कहते हैं।
तृतीय अवस्थाः (Third stage) – इस अवस्था में कुल उपयोगिता घटना प्रारम्भ हो जाती है उसे कुल उपयोगिता की घटती हुई अवस्था कहते हैं। इन अवस्थाओं को निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता है 

प्रश्न 41. सीमान्त उपयोगिता किसे कहते हैं?
उत्तर: उपभोक्ता द्वारा किसी वस्तु की एक इकाई का उपभोग बढ़ाने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है उसे उस इकाई की सीमान्त उपयोगिता कहते हैं। इसमें अन्य वस्तुओं के उपभोग को स्थिर माना जाता है। संकेतों के रूप में
MUn = TUn – TUn-1
यहाँ पर MUn = n वीं इकाई की सीमान्त उपयोगिता
TUn = n इकाई की कुल उपयोगिता
TUn-1 = (n – 1) इकाई की कुल उपयोगिता

प्रश्न 42. सीमान्त उपयोगिता के कौन-कौन से रूप होते हैं? वर्णन कीजिए।
> सीमान्त उपयोगिता की विभिन्न अवस्थाओं को समझाइये।
उत्तर: सीमान्त उपयोगिता के निम्नलिखित तीन रूप होते हैं
() धनात्मक सीमान्त उपयोगिता जब किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने से उपभोक्ता को संतुष्टि प्राप्त होती है।
() ऋणात्मक सीमान्त उपयोगिता जब किसी वस्तु के उपभोग से उपभोक्ता को सन्तुष्टि प्राप्त नहीं होती है।
() शून्य सीमान्त उपयोगिता जब किसी वस्तु के उपयोग से उपभोक्ता को तो सन्तुष्टि प्राप्त होती है और ही असन्तुष्टि, यही सीमा पूर्ण सन्तुष्टि का बिन्दु होती है।

इन्हें निम्नलिखित तालिका से स्पष्ट समझा जा सकता है 

प्रश्न 43. एक उपभोक्ता की सीमान्त उपयोगिता सारणी से कुल उपयोगिता सारणी बनाइये।

उत्तर:

प्रश्न 44. वस्तु X की कुल उपयोगिता के आधार पर सीमान्त उपयोगिता ज्ञात कीजिए।

उत्तर:

प्रश्न 45. कुल उपयोगिता और सीमान्त उपयोगिता के बीच सम्बन्ध बताइये।
उत्तर: कुल उपयोगिता और सीमान्त उपयोगिता के बीच सम्बन्ध को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

उपरोक्त तालिका से स्पष्ट होता है कि जब कुल उपयोगिता बढ़ती है तो सीमान्त उपयोगिता धनात्मक होती है। जब कुल उपयोगिता घटती है तो सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है। जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है और यह पूर्ण सन्तुष्टि के बाद घटना प्रारम्भ हो जाती है जबकि सीमान्त उपयोगिता प्रारम्भ से ही घटना प्रारम्भ हो जाती है।

प्रश्न 46. सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यदि किसी समय विशेष पर अन्य बातें समान रहें तो मनुष्य जैसे-जैसे किसी वस्तु का अधिकाधिक मात्रा में उपभोग करता है वैसे-वैसे उसके लिए आवश्यकता की तीव्रता घटती जाती है और उपभोग की जाने वाली वस्तु की अगली इकाइयों की उपयोगिता कम होती जाती है। अर्थशास्त्र में इस प्रवृत्ति को सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम कहते हैं।

मार्शल के अनुसार, “एक वस्तु के स्टॉक में वृद्धि होने से व्यक्ति को जो अतिरिक्त संतुष्टि प्राप्त होती है वह भण्डार में हुई प्रत्येक वृद्धि से कम होती जाती है।

प्रश्न 47. उपभोक्ता सन्तुलन का क्या अर्थ है? उपभोक्ता के सन्तुलन की पूर्ति बताइये।
> उपभोक्ता सन्तुलन से क्या आशय है? एक वस्तु की स्थिति में इसकी पूर्ति बताइये।
उत्तर: उपभोक्ता सन्तुलन (Consumer’s Equilibrium) – वह स्थिति जिसमें उपभोक्ता अपने दिए साधनों से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करता है, उपभोक्ता सन्तुलन कहलाता है। उपभोक्ता सन्तुलन की पूर्ति निम्न प्रकार है

प्रश्न 48. सम सीमान्त उपयोगिता नियम के महत्व को समझाइये।

उत्तर: सम सीमान्त उपयोगिता नियम का प्रयोग व्यापक है, इस नियम का प्रयोग विनिमय, वितरण, सार्वजनिक क्षेत्र में भी किया जाता है बचत और उपभोग के मध्य निर्णय भी इस नियम के प्रयोग द्वारा किया जाता है और अपने सीमित साधन से उत्पादन को अधिकतम करने में इस नियम को प्रयोग में लाया जाता है। ऐसा करने पर प्रति इकाई लागत में कमी आती है।

प्रश्न 49. उदासीनता वक्र किसे कहते है? इसकी तीन विशेषताएँ बताइये।
> तटस्थता वक्र की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर: दो वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाने वाला वह वक्र जो उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्रदान करे, वह अनधिमान् वक्र कहलाता है।

विशेषताएँ

1. इसका ढाल ऋणात्मक होता है।

2. यह मूल बिन्दु के प्रति उन्नतोदर होते हैं।

3. प्रत्येक ऊँचा अधिमान वक्र अधिक संतुष्टि व्यक्त करता है।

4. दो अधिमान वक्र एक-दूसरे को नहीं काट सकते।

प्रश्न 50. उदासीनता अथवा तटस्थता मानचित्र क्या है?
> उदासीनता मानचित्र को समझाइए।
उत्तर: वह मानचित्र जिसके माध्यम से किसी उपभोक्ता को प्राप्त सन्तुष्टि के विभिन्न स्तरों को एक साथ प्रदर्शित किया जाता है, उसे तटस्थता मानचित्र या उदासीनता मानचित्र कहते हैं। यह सन्तुष्टि के एक निश्चित स्तर को बताता है।

प्रश्न 51. समझाइए क्यों अनधिमान वक्र () नीचे की ओर ढलवाँ, और () उत्तल होता है?
उत्तर: () अनधिमान वक्र का ढाल नीचे की ओर होता है क्योंकि एक उपभोक्ता द्वारा जब एक वस्तु का उपभोग बढ़ाया जाता है तो दूसरी वस्तु का उपभोग उसे घटाना पड़ता है।
() अनधिमान वक्र वस्तुओं की प्रतिस्थापन की सीमा (Marginal Rate of Substitution MRS.,) घटने के कारण नतोदर होता है।

प्रश्न 52. संख्यात्मक उदाहरण की सहायता से प्रतिस्थापन की सीमांत दरकी अवधारणा समझाइए। अनधिमान वक्र पर इसका व्यवहार भी समझाइए।
उत्तर: वह दर जिस पर उपभोक्ता वस्तु X की अतिरिक्त इकाई को प्राप्त करने के लिए वस्तु Y की मात्रा को त्यागने के लिए तैयार होता है, सीमांत प्रतिस्थापन दर कहलाती है।

प्रश्न 53. उदासीनता वक्र ( तटस्थता वक्र ) मूल बिन्दु की ओर उन्नतोदर क्यों होता है? रेखाचित्र के माध्यम से समझाइये।
उत्तर: जैसे-जैसे हम तटस्थता वक्र पर नीचे की ओर जाते हैं हमें ज्ञात होता है कि इसका ढलान घटता है। इसका निहितार्थ है कि सीमान्त प्रतिस्थापन की दर में गिरने की प्रवृति होती है जिसके कारण तटस्थता वक्र मूल बिन्दु की ओर उन्नतोदर होता है।

प्रश्न 54. बजट रेखा क्या है?
उत्तर:किन्दी दो वस्तुओं के उन सभी संयोगों को दर्शाने वाली रेखा, जिन्हें एक उपभोक्ता अपनी आय से एक निश्चित मूल्य पर क्रय कर सकता है, बजट रेखा (Budget line) कहलाती है। इसे मूल रेखा या उपभोक्ता सम्भावना वक्र (Consumer Possibility Curve) भी कहते हैं।

प्रश्न 55. यदि उपभोक्ता की आय बढ़कर ₹20 के स्थान पर है ₹40 हो जाती है, परन्तु कीमत अपरिवर्तित रहती है तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर: यदि उपभोक्ता की आय बढ़कर है ₹40 हो जाती है, परन्तु कीमत अपरिवर्तित रहती है तो बजट रेखा आय में वृद्धि के अनुपात में दायीं ओर ऊपर की ओर खिसक जायेगी। क्योंकि अयि ₹20 के स्थान पर है ₹40 अर्थात दोगुनी हो जाने से उपभोक्ता दोनों वस्तुओं की दोगुनी मात्रा खरीद सकेगा। इसे निम्न चित्र के माध्यम से समझा जा सकता है

प्रश्न 56. यदि वस्तु 2 की कीमत में ₹1(एक) की गिरावट जाए, परन्तु वस्तु 1 की कीमत में तथा उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन हो तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन आयेगा?
उत्तर: उपभोक्ता की आय (M) = ₹20
वस्तु 1 की कीमत (P) = ₹4 इकाई
वस्तु 2 की नई कीमत (P2) = 5 – 1 = ₹4 इकाई
यदि उपभोक्ता वस्तु 2 की कीमत में गिरावट के बाद सम्पूर्ण आय बजट रेखा से वस्तु 2 की इकाइयाँ क्रय करे तो `\frac{20}4` = 5 इकाइयाँ क्रय  कर सकेगा। इस प्रकार उपभोक्ता पहले की तुलना में एक इकाई अधिक क्रय कर सकेगा और उसका चित्र इस प्रकार बनेगा

उपरोक्त ग्राफ से स्पष्ट है कि बजट रेखा ऊपर Y – अक्ष की ओर खिसक जायेगी लेकिन X अक्ष पर उसी बिन्दु पर स्थिर रहेगी।

प्रश्न 57. “तटस्थता वक्र बायें से दायें नीचे की ओर झुके होते हैं।स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कोई भी झुका हुआ वक्र इस मूल विचार को दर्शाता है कि एक वस्तु की मात्रा को घटाने पर दूसरी वस्तु की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है ताकि उपभोक्ता को वस्तु की पूर्ति हो सके और उपभोक्ता को पहले संयोग के समान सन्तुष्टि प्राप्त हो, क्योंकि यदि एक वस्तु की मात्रा घटती है तो दूसरी वस्तु की मात्रा बढ़ती है और सन्तुष्टि का स्तर समान रहता है।

प्रश्न 58. बजट रेखा की प्रवणता (ढलान) नीचे की ओर क्यों होती है? समझाइए।
उत्तर: ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक उपभोक्ता एक वस्तु की अतिरिक्त इकाई का उपयोग तब तक नहीं कर सकता जब तक कि वह दूसरी वस्तु की कुछ मात्रा का त्याग करे अर्थात् उसे एक वस्तु की अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने के लिए दूसरी वस्तु की कुछ मात्रा को त्यागना पड़ेगा। बजट रेखा की प्रवणता की माप = p1/p2 यहाँ p1 तथा p2, उपभोक्ता द्वारा क्रय की जाने वाली वस्तुओं की कीमतें हैं।

प्रश्न 59. उपयोगिता अवधारणा और तटस्थता वक्र अवधारणा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

JCERT/JAC REFERENCE BOOK

विषय सूची

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची


Economics Group-A

1. व्यष्टि अर्थशास्त्र परिचय (Micro Economics Introduction)

2. उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

3. उपभोक्ता व्यवहार एवं माँग (Consumer Behavior and Demand)

4. उपभोग फलन (Consumption Function)

5. उत्पादक व्यवहार एवं पूर्ति (Consumer Behavior and Supply)

6. मांग की अवधारणा (Concept of Demand)

7. मांग की कीमत लोच (Price Elasticity of Demand)

पूर्ति की अवधारणा (Concept of Supply)

9. उत्पादन फलन (Production Function)

10. उत्पादन की अवधारणा (Concept of Production Function)

11. लागत की अवधारणा (Concepts of Cost)

12. फर्म का संतुलन (Firm’s Equilibrium)

13. आगम की अवधारणा (Concepts of Revenue)

14. बाजार सन्तुलन (Market Equilibrium)

15. बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण (Forms of Market and Price Determination)

16. बाजार के अन्य स्वरूप (Other Forms of Markets)

17 पूर्ण प्रतियोगी बाजार (Perfect Competition Markets)

Economics Group-B

समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Introduction to Macroeconomics)

राष्ट्रीय आय का लेखांकन (Accounting of National Income)

मुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking)

1.राष्ट्रीय आय(National Income)

2.राष्ट्रीय आय (National Income)

3. राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित समुच्चय (Aggregates related to national income) 

4. राष्ट्रीय आय का मापन (National Income Measurement)

5. आय एवं रोजगार का निर्धारण (Determination of Income And Employment)

6. मुद्रा एवं बैंकिंग (Money and Banking)

7. केन्द्रीय बैंक: कार्य एवं साख नियन्त्रण (Central Bank: Functions & Credit Control)

8. मुद्राः अर्थ, कार्य एवं महत्त्व (Money: Meaning, Functions and Importance)

9. भुगतान संतुलन (Balance of Payment)

10. सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था (Government Budget and The Economy)

11. Government_Budget_And_Economy

12. Commercial-Banks (व्यापारिक बैंकः अर्थ एवं कार्य)

13. Concepts-of-Excess-Deficient-Demand(अधिमाँग एवं न्यून माँग अवधारणा )

14, Income-Production-Determination(आय-उत्पादन का निर्धारण )

15. Foreign Exchange Rate (विदेशी विनिमय दर)

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