उत्पादन फलन (Production Function)

उत्पादन फलन (Production Function)
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. उत्पादन फलन की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर: उत्पादन फलन का अर्थ (Meaning of Production Function)
उत्पादन फलन का अर्थ जानने से पूर्वफलनशब्द का आशय जानना आवश्यक है। फलन शब्द गणित से लिया गया शब्द है। यह दो परिवर्तनशील तत्वों के बीच के सम्बन्ध को व्यक्त करती है। इसके माध्यम से एक चर की दूसरे चर पर निर्भरता को ज्ञात करते हैं। जैसेकिसी वस्तु की माँग (D) उसकी कीमत (P) पर निर्भर करती है तो वस्तु की माँग कीमत का फलन है। गणितीय रूप से D = f(P)

फलन का आशय स्पष्ट होने के बाद उत्पादन फलन का आशय समझना आसान हो जाता है। जब हम किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं तो इसके लिए उत्पत्ति के विभिन्न साधनों; यथा-भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन एवं साहस का सहयोग लेना होता है। अतः किसी वस्तु का उत्पादन इन साधनों की मात्रा पर निर्भर करता है। उत्पादन के साधनों एवं उत्पादन के बीच के सम्बन्ध को ही उत्पादन फलन कहते हैं। दूसरे शब्दों में, उत्पादन को अर्थशास्त्र में उत्पाद या उपज या प्रदा या निर्गत (Output) कहते हैं तथा जिन साधनों के माध्यम से उत्पादन किया जाता है उन्हें आदी या पड़त या आगत (Input) कहते हैं। साधनों (Input) तथा उत्पाद (Output) के भौतिक सम्बन्ध को उत्पादन फलन की संज्ञा दी जाती है।

उत्पादन फलन की प्रमुख परिभाषाएँ (Definitions of Production Function)
अल्फा सी. चियांग (Alfa C. Chiang) के अनुसार, “फलन एक विशेष क्रम में चरों (स्वतन्त्र आश्रित चरों) के जोड़े का समूह है जिनकी यह विशेषता है कि फलन उनके बीच X का कोई एक मूल्य Y के एक अद्वितीय मूल्य का निर्धारण करता है।

हैण्डरसन क्वाण्ट (Handerson and Quandt) के शब्दों में, “उत्पादन फलन एक अभियांत्रिकी संकल्पना है जो उत्पादन के साधनों की सहायता से उत्पादन के बीच विद्यमान तकनीकी मात्रात्मक सम्बन्ध को समझाता है।

डॉ. बलवन्त कन्दोई (Dr. Balwant Kandoi) के अनुसार, “यदि एक फर्म द्वारा उत्पादित उत्पादन की मात्रा ‘’ है जब उत्पादन के साधन श्रम, पूँजी, प्रबन्धन तकनीक तथा साहस या उद्यमशीलता (Ld LKO) को उत्पादन में लगाया जाता है, हम उत्पादन फलन को इस प्रकार लिखेंगे – f(Ld, L, K,O)”

एन. ग्रेगॉरी मेन्कीव (N. Gregory Mankiw) के शब्दों में, “उत्पादन के साधनों की मात्रा और उत्पादन की मात्रा के मध्य सम्बन्ध उत्पादन फलन कहलाता है।

प्रो. वाटसन (Watson) के अनुसार, “किसी फर्म की भौतिक पड़तों (Input) तथा उपज की भौतिक मात्रा के बीच के सम्बन्ध को उत्पादन फलन कहते हैं।

उत्पादन फलन को गणितीय समीकरण के रूप में निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है
x = f(a, b, c…n)
यहाँ x = उत्पादन मात्रा
a, b, c, उत्पादन साधन; यथा-भूमि, श्रम पूँजी आदि।
समीकरण से स्पष्ट है कि * वस्तु की उत्पादन मात्रा उत्पत्ति के विभिन्न साधनों (a, b, c…n) पर निर्भर करती है।

उत्पादन फलन की मान्यताएँ (Limitations or Assumptions of Production Function) – उत्पादन फलन की अवधारणा निम्न मान्यताओं पर आधारित है

1.   दिए हुए समय में उत्पादन तकनीक में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

2.   उत्पादन फलन एक निश्चित समय से सम्बन्धित होता है।

3.   उत्पादन की कुशलतम तकनीक का प्रयोग किया जाता है।

4.   उत्पादन के साधनों की कीमतें अपरिवर्तित रहती है।

5.   उत्पादन के साधन छोटी-छोटी इकाइयों में विभाज्य है।

6.   उत्पादन के साधनों में समरूपता होनी चाहिए।

7.   उत्पादन साधनों के संयोग एक सीमा तक ही बदले जा सकते हैं।

8.   फर्म का उद्देश्य लाभ को अधिकतम करना है।

उत्पादन फलन की विशेषताएँ (Characteristics of Production Function) – उत्पादन फलन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है-

1.   उत्पादन फलन अभियांत्रिकी संकल्पना है।

2.   यह कीमत निरपेक्ष होता है। वस्तु की कीमत साधनों की कीमत से इसका कोई मतलब नहीं है यह वस्तु एवं साधनों की भौतिक मात्रा से सम्बन्धित है।

3.   उत्पादन फलन का सम्बन्ध एक निश्चित समयावधि से होता है।

4.   यह एक निश्चित दी हुई तकनीक से सम्बन्धित होता है।

5.   उत्पादन फलन साधनों की प्रतिस्थापन सम्भावनाओं को स्वीकार करता है।

6.   उत्पादन फलन अवधि के आधार पर अल्पकालीन दीर्घकालीन होता है।

7.   उत्पादन फलन स्थैतिक अर्थशास्त्र का विषय है।

8.   उत्पादन फलन में साधनों द्वारा रूपान्तरित उत्पादन के सम्बन्ध को व्यक्त करता है।

प्रश्न 2. अल्पकालीन दीर्घकालीन उत्पादन फलन में अन्तर करते हुए विस्तार से समझाइए।
उत्तर: अल्पकालीन दीर्घकालीन उत्पादन फलन (Short period and Long period Production Function) – समय के आधार पर उत्पादन फलन दो प्रकार के होते हैं

(i) अल्पकालीन उत्पादन फलनअल्पकालीन अवधि से आशय उस अवधि से लगाया जाता है जिसमें उत्पत्ति के सभी साधनों को बदलना सम्भव नहीं होता है। अल्पकाल में उत्पादन का समय कम होने के कारण केवल कुछ साधनों को ही परिवर्तित किया जा सकता है। जिन साधनों को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है उन्हें स्थिर साधन कहते हैं। जिन साधनों को परिवर्तित किया जा सकता है उन्हें परिवर्तनशील साधन कहते हैं। इस कारण अल्पकालीन उत्पादन फलन में उत्पत्ति के कुछ साधन स्थिर रहते हैं तथा कुछ परिवर्तनशील जब अन्य साधनों के स्थिर रहने पर एक साधन में परिवर्तन किया जाता है तो इसे अल्पकालीन उत्पादन फलन कहते हैं। इन स्थिति को परिवर्तनशील अनुपातों का नियम भी कहा जाता है। इस अवस्था में उत्पादन में परिवर्तन अल्पकालीन उत्पादन फलन की शर्तों के अनुसार होता है तथा इस स्थिति में स्थिर एवं परिवर्तनशील साधनों के अनुपात उत्पादन में परिवर्तन के साथ बदलते रहते हैं।

(ii) दीर्घकालीन उत्पादन फलन दीर्घकाल वह अवधि होती है जिसमें उत्पत्ति के सभी साधनों को परिवर्तित किया जा सकता है। इस कारण इस अवधि में कोई साधन स्थिर नहीं रहता है। इस अवस्था में फर्म या उत्पादक उत्पत्ति के साधनों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर सकता है लेकिन इसमें तकनीक में सुधार के परिवर्तनों को शामिल नहीं किया जाता है। दीर्घकालीन उत्पादन फलन को स्थिर अनुपातों के उत्पादन फलन कहते हैं क्योंकि इसमें सभी साधनों में समान तथा एक साथ परिवर्तन होते हैं। यह उत्पादन फलन पैमाने के प्रतिफल (Returns to scale) का विषय है अर्थात् इसके अन्तर्गत बड़े पैमाने के उत्पादन का अध्ययन किया जाता है।

इस प्रकार अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन उत्पादन फलन में दो प्रमुख अन्तर हैं

(a) अल्पकाल में स्थिर तथा परिवर्तनशील साधनों के अनुपात उत्पादन में परिवर्तन के साथ बदलते रहते हैं जबकि दीर्घकाल में सभी साधनों के अनुपात पूर्व की भाँति अपरिवर्तित रहते हैं।

(b) अल्पकालीन उत्पादन फलन में तकनीक की दशा अपरिवर्तित रहती है जबकि दीर्घकाल में तकनीकी परिवर्तन की स्थिति लचीली होती है।

प्रश्न 3. अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन उत्पादन फलन में अन्तर कीजिए।
> परिवर्तनशील अनुपात के नियम तथा पैमाने के प्रतिफल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अल्पकालीन तथा दीर्षकालीन उत्पादन फलन में निम्नलिखित अन्तर देखे जा सकते है

(i) अल्पकालीन उत्पादन फलन परिवर्तनशील अनुपातों के नियम से सम्बन्धित है जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन पैमाने के प्रतिफल से सम्बन्धित है।

(ii) अल्पकालीन उत्पादन फलन अर्थात् परिवर्तनशील अनुपातों के नियम के अन्तर्गत कुछ साधन स्थिर होते हैं तथा कुछ साधन परिवर्तनशील होते हैं क्योंकि फर्म के पास इतना समय नहीं होता है कि वह सभी साधनों में परिवर्तन कर सके। इसके विपरीत दीर्घकालीन उत्पादन फलन अर्थात् पैमाने के प्रतिफल के अन्तर्गत सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं। क्योंकि फर्म के पास इतना समय होता है कि वह उत्पत्ति के सभी साधनों में परिवर्तन कर सके।

(iii) अल्पकालीन उत्पादन फलन वास्तविक है क्योकि इसे वास्तविक रूप में देखा जा सकता है जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन अवास्तविक है। वास्तविक रूप में इसे किसी नियम में नहीं देखा जाता है।

(iv) अल्पकालीन उत्पादन फलन में परिवर्तनशील उत्पादन के साधनों की कीमतें स्थिर नहीं रहती हैं जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन में उत्पादित वस्तु की कीमत तथा साधनों की कीमत को स्थिर माना जाता है।

(v) अल्पकालीन उत्पादन फलन तथा दीर्घकालीन उत्पादन फलन में घटते हुए एवं बढ़ते हुए प्रतिफल की अवस्थाएँ अलग-अलग कारणों से क्रियाशील होती हैं। अल्पकालीन उत्पादन फलन की स्थिति में ये इस कारण क्रियाशील होती है। क्योंकि उत्पत्ति में एक साधन को स्थिर मानकर अन्य साधनों को परिवर्तित किया जाता है जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन में ये आन्तरिक एवं बाह्य बचतों के कारण अवयवों के कारण क्रियाशील होती हैं।

उत्तर: उत्पादन फलन उत्पादन तथा उत्पादन में योगदान करने वाले साधनों के बीच के भौतिक या मात्रात्मक सम्बन्ध को कहते हैं। उत्पादन फलन की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं

(i) हैण्डरसन क्वॉण्ट (Handerson and Quandt) के अनुसार, “उत्पादन फलने एक अभियांत्रिकी (Engineering) संकल्पना है, जो उत्पादन के साधनों (Inputs) की सहायता से उत्पादन (Output) के बीच विद्यमान तकनीकी मात्रात्मक सम्बन्ध को समझाता है।

(ii) डॉ. बलवन्त कन्दोई (Dr. Balwant Kandoi) के शब्दों में, “यदि एक फर्म द्वारा उत्पादित उत्पादन की मात्रा है। जब उत्पादन के साधन श्रम, पूँजी, भूमि, प्रबन्धन तकनीक तथा साहस या उद्यमशीलता (Ld, L, K,O) को उत्पादन में लगाया जाता है, हम उस उत्पादन फलन को इस प्रकार लिखेंगे- Y = f(Ld, L, K,O)”

(iii) एन. ग्रेगॉरी मेन्कीव (N. Gregory mankiw) के अनुसार, “उत्पादन के साधनों की मात्रा और उत्पादन की मात्रा के मध्य सम्बन्ध उत्पादन फलन कहलाता है।

(iv) प्रो. वाटसन (Prof. Watson) के शब्दों में, “किसी फर्म की भौतिक पड़तों (Inputs) तथा उपज की भौतिक मात्रा के बीच के सम्बन्ध को उत्पादन फलन कहते हैं।

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर उत्पादन फलन को सरल शब्दों में निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता हैउत्पादन फलन प्रदा (Output) तथा आदा (Input) के बीच के भौतिक सम्बन्ध को कहते हैं।

उत्पादन फलन की सामान्य विशेषताएँ (General Characteristics of Production Function)उत्पादन फलन की मान्यताएँ ही इसकी विशेषताओं का निर्माण करती हैं। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(i) उत्पादन फलन कीमत निरपेक्ष होता है-उत्पादन फलन का वस्तु तथा साधनों की कीमतों से कोई मतलब नहीं होता है। इसका सम्बन्ध तो केवल उत्पादन की भौतिक मात्रा से होता है। हाँ, इतना अवश्य है कि प्रत्येक उत्पादक को उत्पादन स्तर तथा साधनों के संयोग का चयन करते समय वस्तु तथा साधनों की कीमतों को ध्यान में अवश्य रखना होता है।

(ii) उत्पादन फलन एक अभियांत्रिकी (Engineering) समस्या है, आर्थिक समस्या नहीं-उत्पादन फलन का कार्य उत्पादन के साधनों तथा उत्पाद की भौतिक मात्रा के सम्बन्ध की व्याख्या करना होता है। इसीलिए इसे आर्थिक समस्या मानकर अभियांत्रिक समस्या माना जाता है।

(iii) उत्पादन फलन एक समय निरपेक्ष धारणा हैउत्पादन फलने का सम्बन्ध एक निश्चित समय से होता है। समय के बदल जाने पर इसका कोई अर्थ नहीं रहता है। इसी कारण इसे समय निरपेक्ष धारणा माना जाता है।

(iv) उत्पादन फलन साधनों की प्रतिस्थापन सम्भावनाओं को स्वीकार करता हैउत्पादन फलन यह मानकर चलता है। कि उत्पादन के साधनों का परस्पर प्रतिस्थापन किया जा सकता है। जैसे-श्रम के स्थान पर पूँजी का प्रतिस्थापन।

(v) उत्पादन फलन साधनों की पूर्ण विभाज्यता को स्वीकार करता है-उत्पादन फलन उत्पत्ति के विभिन्न साधनों की पूर्ण विभाज्यता को मानकर चलता है अर्थात् सभी उत्पत्ति के साधन विभाजन करने योग्य हैं।

(vi) उत्पादन फलन दी गई तकनीक से सम्बन्धित होता हैउत्पादन फलन सदैव एक दी हुई तकनीक पर आधारित होता है। तकनीक के बदल जाने पर उत्पादन में बिना साधनों के बढ़ाये ही वृद्धि हो सकती है।

(vii) उत्पादन फलन स्थैतिक अर्थशास्त्र का विषय है-उत्पादन फलन की अवधारणा में तकनीकी ज्ञान के स्तर, वस्तु तथा साधनों की कीमत तथा समयावधि को निश्चित मान लिया जाता है, इसलिए यह अवधारणा प्रावैगिक अर्थशास्त्र का विषय होकर स्थैतिक अर्थशास्त्र के अध्ययन का विषय बन जाता है।

(viii) अवधि के आधार पर उत्पादन फलन अल्पकालीन दीर्घकालीन होता है-उत्पादन फलन को समय के आधार पर दो भागों में बाँटा जाता हैअल्पकालीन उत्पादन फलन तथा दीर्घकालीन उत्पादन फलन। इन दोनों उत्पादन फलनों में साधन अनुपातों के आधार पर अन्तर होता है। अल्पकाल में जहाँ स्थिर तथा परिवर्तनशील साधनों के अनुपात उत्पादन के साथ-साथ बदलते रहते हैं वहीं दीर्घकाल में सभी साधनों के अनुपात समान रहते हैं।

अति लघुउत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. फलन किसे कहते हैं?
उत्तर: फलन का आशय दो चरों (स्वतन्त्र आश्रित चर) के बीच पाये जाने वाले मात्रात्मक सम्बन्ध से होता है।

प्रश्न 2. उत्पादन फलन किसे कहते हैं?
उत्तर: उत्पादन फलन उत्पादन की आगतों (Input) और अन्तिम उत्पाद के बीच के तकनीकी सम्बन्ध को कहते हैं। यह दिये हुए समय के लिए उत्पादन की मात्रा तथा उत्पत्ति के साधनों में मौलिक सम्बन्ध को बताता है।

प्रश्न 3. समय के आधार पर उत्पादन फलन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: समय के आधार पर उत्पादन फलन दो प्रकार के होते हैं-

1. अल्पकालीन उत्पादन फलन तथा, 2. दीर्घकालीन उत्पादन फलन।

प्रश्न 4. पड़तोंका क्या अभिप्राय है?
उत्तर: पड़तों (Input) से आशय उत्पादन के साधनों से लगाया जाता है।

प्रश्न 5. पैमाने शब्द का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: पैमाने (Scale) से आशय मापने की किसी एक विशेष इकाई से हो सकता है। जैसेमीटर, लीटर, किलोग्राम, हेक्टेयर आदि।

प्रश्न 6. अल्पकाल से क्या आशय है?
उत्तर: अल्पकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पादन के केवल परिवर्तनशील साधनों में ही बदलाव सम्भव हो पाता है।

प्रश्न 7. दीर्घकाल से क्या आशय है?
उत्तर: दीर्घकाल वह समयावधि है जिसमें फर्म उत्पादन के सभी साधनों में परिवर्तन करने में सक्षम हो जाती है। इस अवधि में कोई साधन स्थिर नहीं रहता है।

प्रश्न 8. अल्पकालीन उत्पादन फलन से क्या आशय है?
उत्तर: जब अन्य साधनों के स्थिर रहते हुए एक साधन में परिवर्तन किया जाता है तो इसे अल्पकालीन उत्पादन फलन कहते हैं।

प्रश्न 9. दीर्घकालीन उत्पादन फलन क्या होता है?
उत्तर: दीर्घकाल में उत्पत्ति के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं। इस अवधि के उत्पादन एवं साधनों के सम्बन्ध को दीर्घकालीन उत्पादन फलन कहते हैं।

प्रश्न 10. परिवर्तनशील अनुपातों का नियम किस काल से सम्बन्धित है?
उत्तर: परिवर्तनशील अनुपातों का नियम अल्पकाल से सम्बन्धित है।

प्रश्न 11. पैमाने के प्रतिफलकिस काल से सम्बन्धित है?
उत्तर: पैमाने के प्रतिफल दीर्घकाल से सम्बन्धित है।

प्रश्न 12. उत्पादन फलन की दो मान्यताएँ बताइए।
उत्तर:

1. तकनीकी ज्ञान का स्तर यथास्थिर रहता है, 2. उत्पादन के साधन समरूप होते हैं।

प्रश्न 13. उत्पादन फलन की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: उत्पादन फलन की दो विशेषताएँ निम्न हैं

1. उत्पादन फलन कीमत निरपेक्ष होता है, 2. उत्पादन फलन एक अभियांत्रिकी समस्या है, आर्थिक समस्या नहीं।

प्रश्न 14. पैमाना (Scale) शब्द का क्या आशय है?
उत्तर: पैमाने शब्द का आशय मापने की किसी विशेष इकाई से होता है। जैसे-लीटर, मीटर, किलोग्राम, हेक्टेयर आदि।

प्रश्न 15. पैमाने के प्रतिफल से क्या आशय है?
उत्तर: अर्थशास्त्र में पैमाने के प्रतिफल का आशय उत्पादन की उस स्थिति से लगाया जाता है जिसमें सभी उत्पत्ति के साधनों को एक निश्चित अनुपात या प्रतिशत में परिवर्तित किया जाता है।

प्रश्न 16. घटता हुआ सीमान्त उत्पादन नियमशब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किस अर्थशास्त्री द्वारा किया गया?
उत्तर: घटता हुआ सीमान्त उत्पादन नियमशब्द का प्रयोग सर्वप्रथम फ्रांसीसी अर्थशास्त्री टुगोंट (Turgot) ने किया था।

प्रश्न 17. उत्पादन फलनके कोई दो प्रकार बताइए।
उत्तर: उत्पादन फलन के दो प्रकार हैं

1. कॉब-डगलस (Cobb-Douglas) का उत्पादन फलन

2. रेखीय समरूप (Linear Homogeneous) उत्पादन फलन।

प्रश्न 18. अर्थशास्त्र में उत्पादन फलन को क्या उपयोग है?
उत्तर: अर्थशास्त्र में अनुकूलतम उत्पादन से सम्बन्धित निर्णय लेने के लिए किसी भी वस्तु अथवा सेवा के अलग-अलग वैकल्पिक उत्पादन फलनों की जानकारी आवश्यक होती है।

प्रश्न 19. अल्पकालीन दीर्घकालीन उत्पादन फलन में एक अन्तर बताइए।
उत्तर: अल्पकालीन उत्पादन फलन की अवस्था में स्थिर एवं परिवर्तनशील साधनों के अनुपात उत्पादन के साथ बदलते रहते हैं, जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन की अवस्था में सभी साधनों के अनुपात पूर्व की भाँति अपरिवर्तित रहते हैं।

प्रश्न 20. अल्पकाल में उत्पादन के स्थिर साधनों की पूर्ति कैसी होती है?
उत्तर: अल्पकाल में उत्पादन के स्थिर साधनों की पूर्ति बेलोचदार होती है।

प्रश्न 21. वस्तुओं सेवाओं के उत्पादन की मात्रा किन दो बातों पर निर्भर करती है?
उत्त्तर: वस्तुओं सेवाओं के उत्पादन की मात्रा निम्न दो बातों पर निर्भर करती है

1. उत्पादन के साधनों की कीमत तथा, 2. उत्पादन फलन पर।

प्रश्न 22. उत्पादन फलन की कोई एक परिभाषा दीजिए।
उत्तर: एन. ग्रेगॉरी मेन्कीव के अनुसार, “उत्पादन के साधनों की मात्रा और उत्पादन की मात्रा के मध्य सम्बन्ध उत्पादन फलन कहलाता है।

प्रश्न 23. उत्पादन फलन को हिन्दी में संकेताक्षरों के रूप में किस प्रकार लिख सकते हैं?
उत्तर: = (श्र, पूँ, भू, , सा), यहाँ = उत्पादन फलन, = फलन का संकेत चिह्न, श्र= श्रम, पूँ = पूँजी, भू = भूमि, = तकनीक प्रबन्धन तथा सा = साहस।

प्रश्न 24. विभिन्न उत्पादन फलनों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण किस उत्पादन फलन को माना जाता है?
उत्तर: विभिन्न उत्पादन फलनों के प्रकारों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कॉब-डगलस (Cobb-Douglas) के उत्पादन फलन को माना जाता है।

प्रश्न 25. कॉब-डगलस उत्पादन फलन का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया है?
उत्तर: इसे उत्पादन फलन का प्रतिपादन प्रो. सी.डब्ल्यू.कॉब (C.W. Cobb) तथा पी.एच. डगलस (P.H. Douglas) द्वारा किया गया था।

प्रश्न 26. उत्पादन फलन का विचार कौन-से अर्थशास्त्र का विषय है?
उत्तर: उत्पादन फलन का विचार स्थैतिक अर्थशास्त्र का विषय है क्योंकि इसमें साधनों की कीमतों, तकनीक ज्ञान के स्तर तथा समयावधि को स्थिर मान लिया गया है।

प्रश्न 27. उत्पादन फलन को गणितीय समीकरण के रूप में व्यक्त कीजिए।
उत्तर: उत्पादन फलन को गणितीय समीकरण के रूप में निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है
x = f(a, b, c…n)
यहाँ, X = वस्तु की उत्पादन मात्रा, abc आदि उत्पादन के साधन हैं जिन्हें क्रमश: भूमि, श्रम, पूँजी कह सकते हैं। f = फलन

प्रश्न 28. जिस वस्तु का फर्म द्वारा उत्पादन किया जाता है उसे अर्थशास्त्र में क्या कहते हैं?
उत्तर: फर्म के उत्पादन को अर्थशास्त्र में उत्पाद या उपज या प्रदा या निर्गत (Output) कहते हैं।

प्रश्न 29. जिन साधनों की सहायता से उत्पादन किया जाता है उन्हें अर्थशास्त्र में क्या कहते हैं?
उत्तर: जिन साधनों की सहायता से उत्पादन होता है उन्हें अर्थशास्त्र में आदा या पड़त या आगत (Input) कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. उत्पादन फलन की अवधारणा को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर: किसी भी वस्तु का उत्पादन उत्पत्ति के साधनों पर निर्भर करता है। अत: उत्पादन के साधनों तथा उसके उत्पादन के बीच के सम्बन्ध को उत्पादन फलन कहा जाता है। यह एक दिये हुए समय के लिए उत्पादन की मात्रा तथा उत्पत्ति के साधनों के बीच के भौतिक सम्बन्धों को बताता है। यह मात्रात्मक (Quantitative) सम्बन्ध होता है गुणात्मक (Qualitative) नहीं।

प्रश्न 2. उत्पादन फलन की विशेषताओं को संक्षेप में समझाइये।
उत्तर: उत्पादन फलन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1.   उत्पादन फलन कीमत निरपेक्ष होता है अर्थात् यह कीमतों से स्वतन्त्र होता है।

2.   उत्पादन फलन एक अभियांत्रिकी (Engineering) संकल्पना है।

3.   यह एक निश्चित दी हुई तकनीक से सम्बन्धित होती है।

4.   उत्पादन फलन का सम्बन्ध एक निश्चित समयावधि से होता है।

5.   अवधि के आधार पर यह अल्पकालीन दीर्घकालीन होता है।

6.   उत्पादन फलन साधनों की प्रतिस्थापन सम्भावनाओं को स्वीकार करता है।

7.   उत्पादन फलन साधनों उत्पादन के प्रवाह से सम्बन्धित है।

प्रश्न 3. उत्पादन फलन की मान्यताओं को बताइए।
उत्तर: उत्पादन फलन की निम्नलिखित मान्यताएँ हैं

1.   तकनीकी ज्ञान के स्तर में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

2.   उत्पादन फलन एक निश्चित समयावधि से सम्बन्धित होता है।

3.   उत्पत्ति के साधन विभाज्य होने चाहिए।

4.   उत्पत्ति के साधनों की कीमतें स्थिर रहनी चाहिए।

5.   उत्पादन की कुशलतम तकनीक का प्रयोग होना चाहिए।

6.   फर्म का उद्देश्य अधिकतम उत्पादन करना होना चाहिए।

7.   उत्पादन के साधनों की आपस में समरूपता होती है।

8.   उत्पादन में साधनों का एक सीमा तक ही प्रतिस्थापन हो सकता है।

प्रश्न 4. घटता हुआ सीमान्त उत्पादने का नियम या साधनों के परिवर्तनशील अनुपातों के प्रतिफल के नियम में से कौन-सा नाम आपके अनुसार सही है क्यों? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर: घटते हुए सीमान्त उत्पादन के नियम को अर्थशास्त्री एडम स्मिथ, प्रो. मार्शल तथा रिकॉर्डो जैसे अर्थशास्त्रियों ने कृषि से सम्बन्धित किया है। इनका मत था कि यदि कृषि कला में सुधार किया जाए तो भूमि पर उपयोग की जाने वाली श्रम पूँजी की मात्रा को बढ़ाने से कुल उपज में सामान्यत: अनुपात से कम वृद्धि होती है। आधुनिक अर्थशास्त्री इस विचारधारा से सहमत नहीं हैं। आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार यह नियम उत्पादन के प्रत्येक क्षेत्र में लागू होता है। इस विचारधारा के समर्थक अर्थशास्त्री जॉन रोबिन्सन, बैन्हम, स्टिगलर एवं बोल्डिग आदि हैं।

आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार यह नियम उत्पादन के प्रत्येक क्षेत्र में अन्ततः लागू होता है। प्रारम्भ में उत्पादन वृद्धि नियम लागू होता है तथा इसके बाद उत्पत्ति समता नियम तथा अन्तत: उत्पत्ति ह्रास नियम लागू होता है। इसीलिए ये अर्थशास्त्री इसको साधनों के परिवर्तनशील अनुपातों के प्रतिफल के नियम से जानते हैं। यह नाम ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होता है क्योंकि यह उत्पादन की तीनों अवस्थाओं की व्याख्या करता है।

प्रश्न 5. पैमाने के प्रतिफल परिव्यय/खर्चे के प्रतिफल में अन्तर को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर: पैमाने के प्रतिफल की स्थिति में सभी साधनों में समान अनुपात या प्रतिशत से परिवर्तन किया जाता है अलग-अलग अनुपात या प्रतिशत से नहीं। जैसे-भूमि के क्षेत्रफल को 20%, पूँजी को 10 प्रतिशत% तथा श्रमिकों को 50% के हिसाब से परिवर्तित नहीं किया जाता है। जब उत्पादन के साधनों को उन पर होने वाले खर्चे को समान या अलग-अलग अनुपाते। में परिवर्तित करते हैं तो उसे परिव्यय/खर्चे के प्रतिफल के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 6. फलनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: फलनगणित का शब्द है। सामान्यत: फलन का अर्थ दो चरों (स्वतन्त्र एवं आश्रित) के बीच पाया जाने वाला मात्रात्मक सम्बन्ध होता है। जैसे – y = f(x) में y एक आश्रित चर है जो स्वतन्त्र चर x पर निर्भर करता है अर्थात् y का मूल्य निर्धारित होता है x के मूल्य से। इसका आशय यह है कि जो आश्रित चर है वह स्वतन्त्र चर x से मात्रात्मक रूप में सम्बन्धित है।

प्रश्न 7. अल्फा सी. चियांग द्वारा दी गई फलन की परिभाषा बताइए।
उत्तर: अल्फा सी. चियांग द्वारा दी गई फलन की परिभाषा निम्न है
फलन एक विशेष क्रम में चरों (स्वतन्त्र आश्रित) के जोड़ों का समूह है। जिनकी (फलन की) यह विशेषता है कि फलन उनके बीच x का कोई एक मूल्य y के एक अद्वितीय मूल्य का निर्धारण करता है।

प्रश्न 8. उत्पादन फलन की कोई दो परिभाषा दीजिए।
उत्तर: उत्पादन फलन की दो परिभाषाएँ
(i) हैण्डरसन एवं क्वॉण्ट (Handerson and Quandt) के शब्दों में, “उत्पादन फलन एक अभियांत्रिकी संकल्पना है। जो उत्पादन के साधनों की सहायता से उत्पादन के बीच विद्यमान तकनीकी मात्रात्मक सम्बन्ध को समझाता है।

(ii) एन. ग्रेगॉरी मेन्कीव (N. Gregory Mankiw) के अनुसार, “उत्पादन के साधनों की मात्रा उत्पादन की मात्रा के मध्य सम्बन्ध उत्पादन फलन कहलाता है।

प्रश्न 9. अल्पकालीन दीर्घकालीन उत्पादन फलन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन उत्पादन फलन में अन्तर साधन अनुपातों के आधार पर किया जाता है। अल्पकाल में उत्पादन में परिवर्तन परिवर्तनशील साधनों अर्थात् अल्पकालीन उत्पादन फलन के आधार पर होता है। इस कारण स्थिर एवं परिवर्तनशील साधनों का अनुपात उत्पादन की मात्रा के साथ बदलता रहता है।

दीर्घकाल में सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं। इनमें परिवर्तन समान अनुपात में ही होते हैं इसलिए सभी साधनों के अनुपात पूर्व की भाँति अपरिवर्तित रहते हैं। अतः उत्पादन में परिवर्तन दीर्घकालीन उत्पादन फलन के आधार पर होता है।

प्रश्न 10. उत्पादन फलन के पाँच प्रकार बताइए।
उत्तर: उत्पादन फलन के पाँच प्रारूप निम्न हैं

1.   रेखीय समरूप (Lineaw Homogeneous) उत्पादन फलन

2.   कॉब-डगलस (Cobb-Douglas) का उत्पादन फलन

3.   आदा-प्रदा प्रकार (Input-Output) का उत्पादन फलन

4.   प्रक्रिया विश्लेषण (Activity Analysis) उत्पादन फलेन

5.   अतिक्रमी लघुगुणकीय (Transcendental-Logarithmic) उत्पादन फलन।

प्रश्न 11. उत्पादन फलन का क्या महत्व है?
उत्तर: उत्पादन फलन का यद्यपि सम्बन्ध प्रत्यक्ष रूप से अर्थशास्त्र से होकर अभियांत्रिकी से है तथापि अनुकूलतम उत्पादन के सम्बन्ध में निर्णय लेने हेतु इसकी अहम् भूमिका है। क्योंकि इसके लिए किसी भी वस्तु एवं सेवा के अलग-अलग वैकल्पिक उत्पादन फलन की जानकारी आवश्यक होती है। इनकी तुलना करके ही प्रबन्धन सही निर्णय ले सकता है। क्योंकि उत्पादन फलनों को तुलना द्वारा उचित निर्णय हेतु इसका ज्ञान अवबोध आवश्यक माना जाता है।

प्रश्न 12. अल्पकालीन उत्पादन अवधि से क्या आशय है?
उत्तर: अल्पकालीन उत्पादन अवधि से आशय उस समयावधि से लगाया जाता है जिसमें उत्पत्ति के सभी साधनों में परिवर्तन किया जाना सम्भव नहीं होता है क्योंकि उत्पादन का समय बहुत कम होता है। इस अवधि में श्रम ही परिवर्तनशील साधन होता है अत: उत्पादन के शेष साधन स्थिर रहते हैं स्थितर-साधनों के संकेतों के ऊपर एक सिरे-रेखा खींचकर फलन को दिखाया जाता है।

प्रश्न 13. दीर्घकालीन उत्पादन अवधि क्या होती है?
उत्तर: दीर्घकालीन उत्पादन अवधि से आशय अर्थशास्त्र में उस समयावधि से लगाया जाता है जिसमें फर्म के लिए उत्पादन के सभी साधनों में परिवर्तन करना सम्भव होता है। इस अवधि में कोई साधन स्थिर नहीं होता बल्कि सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं। यद्यपि दीर्घकालीन उत्पादन अवधि में सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं किन्तु इसमें तकनीक में सुधार को सम्मिलित नहीं किया जाता है। अर्थात् तकनीक स्तर पूर्ववत हो रखा हुआ माना जाता है।

प्रश्न 14. परिव्यय/खर्चे (Outlays) के प्रतिफल से क्या आशय है?
उत्तर: जब उत्पादन के साधनों को उन पर होने वाले परिव्यय को समान अथवा अलग-अलग अनुपात में या प्रतिशत में परिवर्तन करते हैं तो उसे परिव्यय के प्रतिफल कहते हैं। परिव्यय के प्रतिफल में संयोजन-अनुपात में परिवर्तन हो जाता है जबकि पैमाने के प्रतिफल की अवस्था में संयोजन-अनुपात पहले की तरह स्थिर रहते हैं।

प्रश्न 15. उत्पादन की एक निश्चित तकनीक होती है।उत्पादन फलन की इस मान्यता को समझाइए।
उत्तर: उत्पादन फलन की यह एक महत्वपूर्ण मान्यता है कि उत्पादन की तकनीक अपरिवर्तित रहनी चाहिए। इसका कारण यह है कि वस्तु का उत्पादन साधनों की मात्रा से तो प्रभावित होता ही है, उत्पादन तकनीक पर भी निर्भर करता है। अच्छी उत्पादन तकनीक का प्रयोग करके उन्हीं साधनों से ज्यादा उत्पादन किया जा सकता है। उत्पादन तकनीक निम्न कोटि की होने पर साधनों की मात्रा को घटाये बिना भी उत्पादन कम हो सकता है। इसीलिए उत्पादन फलन तकनीक के स्थिर रहने पर ही उत्पादन साधनों में परिवर्तन होने पर उत्पादन मात्रा पर क्या प्रभाव पड़ेगा, स्पष्ट कर सकता है।

प्रश्न 16. उत्पादन फलन कीमत निरपेक्ष होता है। इस विशेषता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उत्पादन फलन का सम्बन्ध केवल उत्पादन की भौतिक मात्रा से होता है। उत्पादन के साधनों एवं उत्पादित वस्तु की कीमतों से उसका कोई सम्बन्ध नहीं होता है। फिर भी यह बात सच है कि प्रत्येक उत्पादक जब उत्पादन का स्तर निर्धारित करता है तथा साधनों के संयोग का चयन करता है तो वह वस्तु तथा साधनों की कीमतों को दृष्टि में अवश्य रखता है।

प्रश्न 17. उत्पादन फलन साधनों की प्रतिस्थापन सम्भावनाओं को स्वीकार करता है। इस तथ्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उत्पादन फलन की अवधारणा इस बात को स्वीकार करती है कि उत्पादन के साधनों का परस्पर प्रतिस्थापन सम्भव है। अर्थात् एक साधन विशेष के स्थान पर किसी दूसरे साधन का प्रयोग किया जा सकता है। जैसेपूँजी को श्रम के स्थान पर प्रतिस्थापित किया जा सकता है।

प्रश्न 18. उत्पादन फलन को स्थैतिक अर्थशास्त्र का विषय क्यों माना जाता है?
उत्तर: उत्पादन फलन को स्थैतिक अर्थशास्त्र का विषय इसलिए माना जाता है क्योंकि उत्पादन फलन के सिद्धान्त में साधनों की कीमतों, तकनीकी ज्ञान के स्तर एवं समयावधि को निश्चित या स्थिर मान लिया गया है। इसलिए यह प्रावैगिक (Dynamic) अर्थशास्त्र का विषय होकर स्थैतिक अर्थशास्त्र के अध्ययन का विषय हो जाता है।

प्रश्न 19. दीर्घकालीन उत्पादन फलन से क्या आशय है?
उत्तर: दीर्घकालीन उत्पादन फलन के अन्तर्गत उत्पादन के सभी साधनों की मात्रा में परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पादन की मात्रा में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है; दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं। इस कारण दीर्घकाल में पैमाने के प्रतिफल का नियम लागू होता है।

प्रश्न 20. पैमाने के प्रतिफल (Return to scale) परिव्यय के प्रतिफल (Returns outlays) में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: पैमाने के प्रतिफल परिव्यय के प्रतिफल दोनों में अन्तर होता है। पैमाने के प्रतिफल की स्थिति में साधन संयोजन अनुपात पहले की तरह स्थिर रहते हैं जबकि परिव्यय के प्रतिफल में संयोजन अनुपात बदल जाते है।

प्रश्न 21. परिवर्तन अनुपातों के प्रतिफल के नियम तथा घटते हुए सीमान्त उत्पादन नियम को एक ही क्यों माना जाता है?
उत्तर: आजकल अर्थशास्त्री घटते हुए सीमान्त उत्पादन नियम को परिवर्तनशील अनुपातों के प्रतिफल का नियम कहने लगे हैं। परिवर्तनशील अनुपातों के प्रतिफल नियम के अनुसार एक स्थिर साधन के साथ एक परिवर्तनशील साधन प्रयुक्त करने से साधनों का अनुपात बदल जाता है और उसका प्रभाव उत्पादन पर दृष्टिगोचर होता है। यह प्रभाव बढ़ते हुए प्रतिफल, समान प्रतिफल तथा घटते हुए प्रतिफल तीनों रूपों में देखने को मिल सकता है तथा बढ़ते हुए प्रतिफल की स्थिति प्रारम्भिक अवस्था में ही होती है। अन्ततः तो घटता हुआ प्रतिफल ही होता है। अतः परिवर्तनशील अनुपातों के प्रतिफल नियम में ही घटता हुआ सीमान्त उत्पादन नियम समाया हुआ है। इसलिए दोनों को एक ही माना जाता है।

प्रश्न 22. उत्पादन फलन को सूत्र रूप में व्यक्त करते समय अल्पकाल में किन साधनों के संकेतों के ऊपरसिरे रेखाखींची जाती हैं?
उत्तर: अल्पकालीन उत्पादन फलन की अवस्था में केवल श्रम ही परिवर्तनशील साधन होता है। शेष साधन स्थिर रहते हैं। श्रम को छोड़कर शेष सभी साधनों के संकेतों के ऊपर सिरे रेखा खींची जाती है।

प्रश्न 23. परिवर्तनशील अनुपातों के उत्पादन फलन की स्थिति को तालिका के रूप में दर्शाइये।
उत्तर:परिवर्तनशील अनुपातों के उत्पादन फलन की स्थिति दर्शाने वाली तालिका

तालिका से स्पष्ट है कि भूमि की मात्रा स्थिर है तथा परिवर्तन केवल श्रम में हो रहा है जिसके फल कुल उत्पादन में भी बदलाव हो रहा है। इसमें साधन अनुपात निरन्तर बदलता रहता है।

प्रश्न 24. स्थिर अनुपातों के उत्पादन फलन की स्थिति को तालिका द्वारा दर्शाइए।
उत्तर: स्थिर अनुपातों के उत्पादन फलन की तालिका

तालिका से स्पष्ट है कि दीर्घकाल में साधनों में परिवर्तन समान अनुपात में ही होते हैं। उनका आपसी अनुपात पूर्ववत् रहता है।

प्रश्न 25. क्या दीर्घकालीन उत्पादन फलन के सूत्र में साधनों के ऊपर सिरे रेखा खींची जाती है?
उत्तर: दीर्घकालीन उत्पादन फलन की अवस्था में सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं, कोई साधन स्थिर नहीं रहता है। इस कारण दीर्घकालीन उत्पादन फलन के सूत्र में उत्पादन के साधनों के ऊपर कोईसिरे रेखानहीं होती है। इस अवस्था में उत्पादन फलन का सूत्र निम्न प्रकार होगा
= (श्र, भू, पूँ, , सा)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. उत्पादन फलन कौन-से दो चरों के मध्य सम्बन्ध बताता है?
() पड़ता और निर्गत में
() माँग और कीमत में
() पूर्ति और कीमत में
() उपभोग और आय में

प्रश्न 2. उत्पादन फलन साधनों उत्पाद के कौन-से सम्बन्ध को व्यक्त करता है?
() मात्रात्मक
() गुणात्मक
() आर्थिक
() उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 3. समय के आधार पर उत्पादन फलन होते हैं।
() अल्पकालीन
() दीर्घकालीन
() मध्यकालीन
() दोनों () और ()

प्रश्न 4. घटता हुआ सीमान्त उत्पादन नियम, शब्द का प्रयोग किसने नहीं किया है?
() श्रीमती जॉन रोबिन्सन
() मार्शल
() स्टिगलर
() .एच. चैम्बरेलीन

प्रश्न 5. उत्पादन फलन = (श्र, पूँ, भू, , सा) में सिरे रेखा का अर्थ है।
() सिरे रेखा के नीचे साधन परिवर्तनशील हैं
() सिरे रेखा के नीचे साधन स्थिर हैं।
() सिरे रेखा के नीचे साधन समरूप हैं।
() उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 6. अल्पकालीन उत्पादन फलन में
() सभी साधन स्थिर होते हैं।
() सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं।
() कुछ स्थिर तथा कुछ परिवर्तनशील होते हैं
() इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 7. दीर्घकालीन उत्पादन फलन में
() सभी साधन स्थिर होते हैं।
() सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं।
() कुछ साधन स्थिर तथा कुछ परिवर्तनशील होते हैं
() इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 8. उत्पादन फलन से आशय है
() साधनों के परिवर्तन से
() उत्पादन में वृद्धि से
() साधने उत्पादन की मात्रा के मध्य सम्बन्ध से
() इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 9. परिवर्तनशील अनुपातों के नियम का सम्बन्ध है।
() अल्पकाल से
() दीर्घकाल से
() अल्पकाल दीर्घकाल दोनों से
() इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 10. उत्पादन फलन की विशेषता नहीं है।
() उत्पादन फलन कीमत निरपेक्ष होता है।
() उत्पादन फलन अभियांत्रिकी समस्या है।
() उत्पादन फलन प्रावैगिक अर्थशास्त्र का विषय है।
() उत्पादन फलन समय निरपेक्ष धारणा है।

प्रश्न 11. फलन शब्द लिया गया है।
() समाजशास्त्र से
() गणित से
() भौतिकी से
() इनमें से कोई नही

प्रश्न 12. फलनका अर्थ है।
() स्वतन्त्र तथा आश्रित चर के बीच पाये जाने वाले मात्रात्मक सम्बन्ध से
() दो चरों के बीच पाये जाने वाले गुणात्मक सम्बन्ध से
() दो चरों के बीच पाये जाने वाले गुणात्मक एवं मात्रात्मक सम्बन्ध से
() उपरोक्त में से किसी से नहीं

प्रश्न 13. अर्थशास्त्र में जिस वस्तु का उत्पादन किया जाता है उसे कहते हैं
() आदा या पड़त
() प्रदा या उपज
() आदा तथा प्रदा दोनों
() इनमें से कोई नही


JCERT/JAC REFERENCE BOOK

विषय सूची

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

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Economics Group-A

1. व्यष्टि अर्थशास्त्र परिचय (Micro Economics Introduction)

2. उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

3. उपभोक्ता व्यवहार एवं माँग (Consumer Behavior and Demand)

4. उपभोग फलन (Consumption Function)

5. उत्पादक व्यवहार एवं पूर्ति (Consumer Behavior and Supply)

6. मांग की अवधारणा (Concept of Demand)

7. मांग की कीमत लोच (Price Elasticity of Demand)

पूर्ति की अवधारणा (Concept of Supply)

9. उत्पादन फलन (Production Function)

10. उत्पादन की अवधारणा (Concept of Production Function)

11. लागत की अवधारणा (Concepts of Cost)

12. फर्म का संतुलन (Firm’s Equilibrium)

13. आगम की अवधारणा (Concepts of Revenue)

14. बाजार सन्तुलन (Market Equilibrium)

15. बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण (Forms of Market and Price Determination)

16. बाजार के अन्य स्वरूप (Other Forms of Markets)

17 पूर्ण प्रतियोगी बाजार (Perfect Competition Markets)

Economics Group-B

समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Introduction to Macroeconomics)

राष्ट्रीय आय का लेखांकन (Accounting of National Income)

मुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking)

1.राष्ट्रीय आय(National Income)

2.राष्ट्रीय आय (National Income)

3. राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित समुच्चय (Aggregates related to national income) 

4. राष्ट्रीय आय का मापन (National Income Measurement)

5. आय एवं रोजगार का निर्धारण (Determination of Income And Employment)

6. मुद्रा एवं बैंकिंग (Money and Banking)

7. केन्द्रीय बैंक: कार्य एवं साख नियन्त्रण (Central Bank: Functions & Credit Control)

8. मुद्राः अर्थ, कार्य एवं महत्त्व (Money: Meaning, Functions and Importance)

9. भुगतान संतुलन (Balance of Payment)

10. सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था (Government Budget and The Economy)

11. Government_Budget_And_Economy

12. Commercial-Banks (व्यापारिक बैंकः अर्थ एवं कार्य)

13. Concepts-of-Excess-Deficient-Demand(अधिमाँग एवं न्यून माँग अवधारणा )

14, Income-Production-Determination(आय-उत्पादन का निर्धारण )

15. Foreign Exchange Rate (विदेशी विनिमय दर)

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