आगम की अवधारणा (Concepts of Revenue)

आगम की अवधारणा (Concepts of Revenue)

ति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. कुल आगम का क्या आशय है? कुल आगम को सूत्र बताइए।
उत्तर: कुल आगम का आशय फर्म की कुल बिक्री मूल्य से होता है। कुल बिक्री में वसूली गई कीमत का गुणा करके कुल आगम ज्ञात किया जा सकता है। सूत्रे रूप में
कुल आगम = बिक्री की मात्रा × कीमत
TR = Q × P

प्रश्न 2. औसत आगम किसे कहते हैं?

उत्तर: औसत आंगम का आशय बेची गई वस्तु के औसत मूल्य से होता है। यदि कुल आगम में फर्म की बिक्री की मात्रा से भाग दे दिया जाये तो औसत आगम निकल आता है।

प्रश्न 3. सीमान्त आगम का सूत्र लिखिये।
उत्तर: सीमान्त आगम का सूत्र निम्न है-

`MR=\frac{\Delta TR}{\Delta Q}`

प्रश्न 4. पूर्ण प्रतियोगिता बाजार के दो लक्षण बताइए।
उत्तर:

1.फर्म मूल्य स्वीकार करने वाली होती है निर्धारित करने वाली नहीं।

2.बाजार में वस्तु समरूप होती है।

 प्रश्न 5. अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार की दो विशेषताएँ बताइये।

उत्तर:

1.यह बाजार की वास्तविक स्थिति है।

2.इस बाजार में वस्तु विभेद देखा जाता है जो रंग, पैकिंग, ब्राण्ड आदि के आधार पर किया जाता है।

 प्रश्न 6. एकाधिकार बाजार की दो विशेषताएँ बताइए।

उत्तर:

1.वस्तु का अकेला उत्पादक या विक्रेता होता है।

2.यह एक काल्पनिक स्थिति है, विशुद्ध एकाधिकार देखने को नहीं मिलता है।

 प्रश्न 7. क्या औसत आगम ऋणात्मक हो सकता है?

उत्तर: औसत आगम कभी भी ऋणात्मक नहीं हो सकता है।

प्रश्न 8. अल्पाधिकार (Oligopoly) से क्या आशय है?
उत्तर: अल्पाधिकार बाजार की वह अवस्था है जबकि उद्योग में समरूप वस्तुएँ उत्पादित करने वाली या निकट स्थानापन्न वस्तुओं का उत्पादन करने वाली बहुत थोड़ी फर्मे होती हैं।

प्रश्न 9. अल्पाधिकार की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

1.विक्रेताओं की संख्या थोड़ी होती है।

2.विक्रेताओं में स्पष्ट रूप से पारस्परिक निर्भरता पाई जाती है।

 प्रश्न 10. एकाधिकार से क्या आशय है?

उत्तर: एकाधिकार से आशय ऐसे बाजार की स्थिति से लगाया जाता है जिसमें एक विशेष वस्तु की पूर्ति पर किसी एक उत्पादक अथवी फर्म का पूर्ण नियन्त्रण होता है।

प्रश्न 11. अपूर्ण प्रतियोगिता के बाजार से क्या आशय है?
उत्तर: अपूर्ण प्रतियोगिता के बाजार से आशय ऐसे बाजार से है जिसमें क्रेताओं तथा विक्रेताओं की संख्या कम होती है तथा उन्हें बाजार का पूर्ण ज्ञान नहीं होता है।

प्रश्न 12. पूर्ण प्रतियोगिता बाजार से क्या आशय है?
उत्तर: पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की वह अवस्था है जिसमें अनेक क्रेता एवं विक्रेता होते हैं तथा फर्मों को उद्योग द्वारा निर्धारित मूल्य को स्वीकार करना होता है।

प्रश्न 13. बाजार की वास्तविक एवं व्यावहारिक अवधारणा कौन-सी है?
उत्तर: एकाधिकारात्मक बाजार या अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार ही बाजार की एक वास्तविक एवं व्यावहारिक अवधारणा है। इसे प्रत्येक अर्थव्यवस्था में पाया जाता है।

प्रश्न 14. किसी भी फर्म की वित्तीय स्थिति का आकलन किस आधार पर किया जाता है?
उत्तर: किसी भी फर्म की वित्तीय स्थिति का आकलन औसत आगम AR तथा औसत लागत AC के आधार पर किया जाता है। जब ये दोनों बराबर होते हैं तो फर्म सामान्य लाभ की स्थिति में होती है।

प्रश्न 15. अल्पाधिकार बाजार में माँग वक्र कैसा होता है?
उत्तर: अल्पाधिकार बाजार की अवस्था में विक्रेता की माँग वक्र अनिश्चित होता है। इस बाजार में माँग वक्र विंकुचित होता है जो बाजार में कीमत दृढ़ता को दर्शाता है।

पश्न 16. कौन-से बाजार में औसत आगम (AR) तथा सीमान्त आगम (MR) बराबर होते हैं?
उत्तर: औसत आगम (AR) तथा सीमान्त आगम (MR) पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में बराबर होते हैं।

प्रश्न 17. यदि वस्तु की बेची गई मात्रा में वस्तु की कीमत गुणा कर दिया जाये तो हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर: वस्तु की बेची गई मात्रा में वस्तु की कीमत का गुणा करने पर हमें कुल आगम (TR) प्राप्त हो जाता है।

प्रश्न 18. पूर्ण प्रतियोगिता की अवस्था में फर्म का औसत आय वक्र कैसा होता है?
उत्तर: पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म का औसत आय वक्र (AR Curve) x अक्ष के समानान्तर एक सीधी रेखा होती है।

प्रश्न 19. यदि फर्मको एक माह का कुल आगम के 50,000 है और बेची गई वस्तुओं की मात्रा एक हजार इकाई है तो औसत आगम क्या होगा?
उत्तर: औसत आगम की गणना निम्न सूत्र द्वारा करेंगे-

`AR=\frac{\Delta TR}Q=\frac{50,000}{1000}=50`

अत: औसत आगम ₹ 50 होगा।

प्रश्न 20. यदि एक फर्म की कुल बिक्री 500 इकाई से बढ़कर 501 इकाई हो जाती है तो उस फर्म का कुल आगम बढ़कर ₹2,500 से ₹2,504 हो जाता है तो इस फर्म का सीमान्त आगम (MR) क्या होगा?
उत्तर: सीमान्त आगम ज्ञात करने का सूत्र निम्न है
`MR=\frac{\Delta TR}{\Delta Q}=\frac{2504-2500}{501-500}=\frac{4}{1}=4`

प्रश्न 21. औसत आगम का सूत्र लिखिए।
उत्तर: सीमान्त आगम का सूत्र है

`MR=\frac{\Delta TR}{\Delta Q}`

प्रश्न 22. सीमान्त आगम को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई की बिक्री से जो अतिरिक्त आगम प्राप्त होता है, उसे सीमान्त आगम कहते हैं।

प्रश्न 23. आगम को समझाइए।
उत्तर: उत्पादक को अपनी उत्पादित वस्तु को बेचने से जो मूल्य प्राप्त होता है उसे ही आगम कहते हैं। आगत में लागत के साथ लाभ भी शामिल होता है।

प्रश्न 24. पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में AR और MR वक्र का स्वरूप कैसा होता है?
उत्तर: पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में AR और MR दोनों का एक ही वक्र होता है, जोकि x अक्ष के समानान्तर एक सीधी रेखा के रूप में होता है।

प्रश्न 25. पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में कीमत को प्रदर्शित करने वाला वक्र कौन-सा होता है?
उत्तर: पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में औसत आगम वक्र ही कीमत वक्र होता है। इस अवस्था में AR = MR = P की स्थिति होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आगम का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: आगम का आशय उत्पादक या फर्म द्वारा अपनी वस्तु को बेचने से प्राप्त मूल्य से लगाया जाता है। इस प्रकार फर्म को प्राप्त होने वाले कुल आगम में वस्तु की लागत के साथ-साथ लाभ भी शामिल होता है।

प्रश्न 2. कुल आगम से क्या आशय है? इसकी गणना कैसे की जाती है? उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर: जब कोई फर्म अपनी वस्तु को बेचती है तो बेचने से जो कुल राशि प्राप्त होती है उसे कुल आगम कहते हैं। इसकी गणना का सूत्र – TR = Q × P
उदाहरण के लिएयदि फर्म ₹5 की दर से 1,000 वस्तुएँ बेचती है तो उसका कुल आगम होगा-1,000 × 5 = ₹5000

प्रश्न 3. औसत आगम से क्या आशय है? इसकी गणना कैसे की जाती है? उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर: औसत आगम का आशय प्रति इकाई आगम से है। इसकी गणना करने के लिए कुल आगम में कुल बिक्री की गई वस्तुओं की मात्रा का भाग दिया जाता है। सूत्र रूप में

`AR=\frac{\Delta TR}Q`

उदाहरण के लिए यदि फर्म का एक वर्ष का कुल आगम के ₹20 लाख है तथा कुल बिक्री की मात्रा 20 हजार इकाइयाँ है तो औसत आगम होगा – 20,00,000 + 20,000 = ₹100

प्रश्न 4. सीमान्त आगम का आशय स्पष्ट कीजिए। सीमान्त आगम किस प्रकार ज्ञात किया जाता है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर: फर्म द्वारा एक अतिरिक्त इकाई को बेचने से जो अतिरिक्त आगम प्राप्त होता है उसी को सीमान्त आगम कहते हैं। सीमान्त आगम ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है

`MR=\frac{\Delta TR}{\Delta Q}`

उदाहरण के लिए यदि 100 इकाइयों की बिक्री से ₹500 प्राप्त होते हैं और 101 इकाइयों की बिक्री से ₹504 तो सीमान्त आगम ₹4 होगा

`MR=\frac{\Delta TR}{\Delta Q}`=`\frac{4}{1}=4`

प्रश्न 5. एकाधिकार बाजार से क्या आशय है? एकाधिकार बाजार में आगम वक्र किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर: एकाधिकार बाजार, बाजार की वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु का अकेला उत्पादक अथवा बिक्रेता होता है। उसका कोई प्रतिस्पर्धी नहीं होता है। इस बाजार में औसत आगम (AR) तथा सीमान्त आगम (MR) दोनों वक्र नीचे गिरते हुए होते हैं। लेकिन ये कम लोचदार होते हैं। AR वक्र MR वक्र के ऊपर होता है। औसत आगम (AR) वक्र ही फर्म का माँग वक्र होता है।

प्रश्न 6. अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार क्या है? इस बाजार में फर्म के औसत एवं सीमान्त आगम वक्र किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर: अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकार के बीच की स्थिति है जिसमें विक्रेताओं में आपस में प्रतिस्पर्धा रहती है। यह बाजार की वास्तविक स्थिति है। इस अवस्था में औसत आगम एवं सीमान्त आगम दोनों ही घटते हुए होते हैं, इस कारण इनके वक्र भी ऋणात्मक ढाल लिए हुए होते हैं। इस बाजार के वक़ों का ढाल एकाधिकार ढाल की तुलना में कम होता है।

प्रश्न 7. अल्पाधिकार क्या है? इसमें फर्म का माँग वक्र कैसा होता है?
उत्तर: अल्पधिकार बाजार की वह अवस्था है जिसमें विभेदीकृत वस्तुएँ बेचने वाली कुछ ही फर्मे होती हैं। इस कारण कुल उत्पादन में प्रत्येक फर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है इस बाजार में कीमत स्तर प्रतिद्वन्द्वी फर्म की कीमतों के आधार पर घटता-बढ़ता रहता है। कीमतों की इस अनिश्चितता के कारण विक्रेता का माँग वक्र भी अनिश्चित होता है तथा बाजार को माँग वक्र विंकुचित होता है जो बाजार में कीमत दृढ़ता (Rigidity) को दर्शाता है।

प्रश्न 8. पूर्ण प्रतियोगिता बाजार से क्या आशय है? इसमें फर्म के औसत एवं सीमान्त आगम वक्र कैसे होते हैं?
उत्तर: पूर्ण प्रतियोगिता बाजार वह स्थिति है जिसमें बाजार में वस्तु के क्रेता एवं विक्रेता बहुत अधिक होते हैं तथा फर्म को उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत ही स्वीकार करनी होती है। यह कीमत निर्धारण नहीं होती है। सम्पूर्ण बाजार में इस कारण एक ही कीमत प्रचलित होती है। बाजार की इस अवस्था में एक फर्म के औसत एवं सीमान्त आगम वक्र अलग-अलग होकर एक ही होता है जो x अक्ष के समानान्तर एक सीधी रेखा के रूप में होता है।

प्रश्न 9. यदि एक फर्म की एक माह की कुल बिक्री 20,000 है तथा विक्रय मात्रा 800 इकाइयाँ हैं तो औसत आगम क्या होगा?
उत्तर: औसत आगम निकालने के लिए अग्र सूत्र का प्रयोग करेंगे

`AR=\frac{\Delta TR}Q=\frac{20,000}{800}=25`

प्रश्न 10. निम्नलिखित की सहायता से औसत आगम तथा सीमान्त आगम की गणना कीजिए।

बेची गई इकाइयां

1

2

3

4

5

कुल आगम  

20

38

54

68

80


उत्तर:

बेची गई इकाइयां

(Q)

कुल आगम

(TR)

औसत आगम

(AR)

सीमांत आगम

(MR)

1

20

20

20

2

38

19

18

3

54

18

16

4

68

17

14

5

80

16

12


`AR=\frac{\Delta TR}Q`, `MR=\frac{\Delta TR}{\Delta Q}`

प्रश्न 11. पूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार तथा अपूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार के आगम वक्रों में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:

1.पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में औसत तथा सीमान्त आगम वक्र अलग-अलग होकर एक ही वक़ होता है। अपूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार ये दोनों वक्र अलग-अलग होते हैं।

2.पूर्ण प्रतियोगिता बाजार के आगम वक्र पूर्णतया लोचदार होते हैं जबकि अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार के आगम वक्र लोचदार होते हैं।

 प्रश्न 12. अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार तथा एकाधिकारी बाजार में आगम वक्र ऋणात्मक ढाल क्यों लिये होते हैं?

उत्तर: अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार में कोई भी फर्म यदि बिक्री बढ़ाना चाहती है तो उसे कीमत घटानी होती है। इसी तरह एकाधिकारी बाजार में यद्यपि कीमत निर्धारण एवं उत्पादन दोनों पर एकाधिकारी का अधिकार होता है लेकिन वह भी कीमत घटाकर ही अपनी बिक्री को बढ़ा सकता है। इस स्थिति को ऋणात्मक ढाल वाले आगम वक्र ही दर्शाते हैं।

प्रश्न 13. कुल आगम (TR) तथा सीमान्त आगम (MR) के मध्य सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:

1.सीमान्त आगम एक अतिरिक्त इकाई को बेचने से प्राप्त होने वाला आगम होता है इसीलिए सभी सीमान्त आगमों को जोड़कर कुल आगम ज्ञात किया जा सकता है अर्थात् TR = ΣMR

2.जब तक सीमान्त आगम बढ़ता है कुल आगम में वृद्धि बढ़ती दर से होती है।

3.जब सीमान्त आगम घटता है तो कुल आगम में वृद्धि घटती दर से होती है।

4.सीमान्त आगम के शून्य होने की अवस्था में कुल आगम अधिकतम होता हैं।

5.जब सीमान्त आगम ऋणात्मक होता है तो कुल आगम घटने लगता है।

 प्रश्न 14. औसत आगम (AR) तथा सीमान्त आगम (MR) के मध्य सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

1.औसत आगम वस्तु की प्रति इकाई कीमत को व्यक्त करती है। यह कभी भी ऋणात्मक नहीं हो सकती है, जबकि सीमान्त आगम ऋणात्मक हो सकती है।

2.जब औसत आगम स्थिर होता है तो औसत और सीमान्त आगम बराबर होते हैं।

3.जब औसत आगम घट रहा होता है तो औसत आगम से सीमान्त आगम अधिक होता है।

 प्रश्न 15. एक पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में किसी वस्तु की कीमत ₹ 25 प्रति इकाई है। नीचे दी गई तालिका को पूर्ण कीजिए।

उत्तर:

प्रश्न 16. औसत आगम सीमान्त आगम को एक काल्पनिक गलिका से समझाइये।
उत्तर: काल्पनिक तालिका


उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि कुल आगम में वृद्धि घटती देर से हो रही है तथा औसत आगम निरन्तर गिर रहा है। सीमान्त आगम में भी निरन्तर गिरावट हो रही है लेकिन सीमान्त आगम में गिरावट औसत आगम की तुलना में अधिक तेजी से हो रही है।

प्रश्न 17. निम्न तालिका को पूरा कीजिए।


उत्तर:

प्रश्न 18. निम्नलिखित आँकड़ों से औसत आगम सीमान्त आगम का आकलन कीजिए।


उत्तर:



`AR=\frac{\Delta TR}Q`, `MR=\frac{\Delta TR}{\Delta Q}`

प्रश्न 19. निम्नलिखित आँकड़ों से कुल आगम सीमान्त आगम का आकलन कीजिए


उत्तर:



दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आगम, कुल आगम, औसत आगम तथा सीमान्त आगम को उदाहरणों की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: आगम का अर्थ (Meaning of Revenue) – अर्थशास्त्र में आगम से आशय एक फर्म द्वारा अपने तैयार माल को बाजार में बेचने से प्राप्त होने वाले मूल्य से लगाया जाता है। इसका आशय यह है कि फर्म के कुल आगम में लागत के साथ-साथ लाभ भी शामिल होता है। उदाहरण के लिए-यदि एक फर्म अपनी उत्पादित 100 वस्तुओं को ₹5 प्रति वस्तु की दर से बेचती है तो उसका आगम होगा 100 × 5 = ₹ 500

कुल आगम (Total Revenue) – जैसा कि आगम शीर्षक में स्पष्ट किया गया है कुल आगम बिक्री से मिलने वाली कुल प्राप्ति को कहते हैं। कुल आगम की गणना करने के लिए बेची जाने वाली वस्तु की मात्रा में (Q) उस कीमत (P) का गुणा किया जाता है जिस पर कि वह वस्तु बेची गई है। सूत्र रूप में
कुल आगम = बिक्री मात्रा × कीमत
TR = Q × P
यदि बेची जाने वाली वस्तु की मात्रा 500 है तथा कीमत ₹6 तो कुल आगम (TR) होगा-
TR = Q × P = 500 × 6 = ₹3000

औसत आगम (Average Revenue) – औसत आगम वस्तु के मूल्य को ही कहते हैं। इसकी गणना कुल आगम में कुल बिक्री मात्रा का भाग देकर की जाती है। सूत्रे रूप में

`AR=\frac{\Delta TR}Q`

उदाहरणयदि किसी फर्म का मार्च 2017 का कुल आगम 2 लाख रुपये है तथा उसके द्वारा माह में बेची गई वस्तुओं की संख्या 25,000 है तो औसत आगम होगा – 2,00,000/25,000 = ₹8

`AR=\frac{\Delta TR}Q=\frac{2,00,000}{25000}= 8`

सीमान्त आगम (Marginal Revenue) – किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई बेचने से कुल आगम में जो वृद्धि होती है। उसे ही सीमान्त आगम कहते हैं। सीमान्त आगम ज्ञात करने का सूत्र है

`MR=\frac{\Delta TR}{\Delta Q}`

उदाहरणयदि किसी एक फर्म की कुल बिक्री 100 से बढ़कर 101 हो जाती है और उसका कुल आगम बढ़कर ₹500 से ₹504 हो जाता है तो सीमान्त आगम होगा
दिया हुआ है ∆TR = 4, ∆Q = 1, `MR=\frac{4}{1}=4`

प्रश्न 2. अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार से क्या आशय है। इस बाजार में आगम वक्र किस प्रकार के होते हैं? तालिका एवं रेखाचित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर: अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार का आशय (Meaning of Imperfect Competition Market) – श्रीमती जॉन रोबिन्सन जहाँ इस बाजार के लिए अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार शब्द का प्रयोग करती है वहीं प्रो. चैम्बरलिन इसके लिए एकाधिकारिक प्रतियोगिता शब्द का प्रयोग करते हैं। दोनों में यद्यपि बहुत सूक्ष्म अन्तर है लेकिन दोनों को एक ही अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है। अपूर्ण प्रतियोगिता एकाधिकार एवं पूर्ण प्रतियोगिता के बीच की स्थिति है तथा वास्तव में बाजार में देखने को मिलती है।

अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार में फर्मों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं होती है तथा वे आपस में प्रतिस्पर्धा करके अपनी वस्तु की बिक्री को बढ़ाने का प्रयत्न करती है। इस बाजार में वस्तु विभेद भी पाया जाता है तथा वे एक-दूसरे की निकट स्थानापन्न होती है।

अपूर्ण प्रतियोगिता की बाजार अवस्था में आगम वक्रों में एकाधिकार की तुलना में लोच की मात्रा ज्यादा होती है लेकिन पूर्ण प्रतियोगिता की तरह यह पूर्ण लोचदार नहीं होते हैं।

अपूर्ण प्रतियोगिता में आगम अवधारणा को निम्न तालिका द्वारा समझा जा सकता है

 बिक्री मात्रा

कुल आगम 

 औसत आगम

सीमांत आगम 

 1

 20

 20

 20

 2

 36

 18

 16

 3

 48

 16

 12

 4

 56

 14

 8

 5

 60

 12

 4

 6

 60

 10

 0

 7

 56

 8

 -4

उपर्युक्त तालिका की सहायता से कुल आगम, औसत आगम एवं सीमान्त आगम वक्र रेखाचित्र में अंकित किये जा सकते हैं। तथा उनका तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।

उपर्युक्त चित्रों के अध्ययन से स्पष्ट है कि कुल आगम वक्र पहले बढ़ता हुआ होता है लेकिन बाद में छठी इकाई पर अधिकतम होकर घटना प्रारम्भ हो जाता है। औसत आगम वक्र भी ऋणात्मक ढाल लिए हुए है जिसका आशय है कि उसमें निरन्तर गिरावट रही है क्योंकि कीमत को घटाकर ही ज्यादा वस्तुएँ बेची जा सकती हैं। औसत आगम कभी ऋणात्मक नहीं होता है। सीमान्त अगम वक्र भी ऋणात्मक ढाल लिए हुए है लेकिन उसमें गिरावट की गति तेज है। छठी इकाई पर यह शून्य हो जाता है तथा सातवीं इकाई की बिक्री पर तो ऋणात्मक अर्थात् (-) 4 हो जाता है। औसत आगम तथा सीमान्त आगम दोनों ही वक्रों का ढाल एकाधिकार की तुलना में कम होता है।

प्रश्न 3. एकाधिकार बाजार से क्या आशय है? एकाधिकार बाजार में आगम वक्र किस प्रकार के होते हैं। उदाहरण एवं रेखाचित्रों की सहायता से समझाइए।
उत्तर: एकाधिकार बाजार का आशय (Meaning of Monopoly Market) – एकाधिकार बाजार, बाजार की वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु का एकमात्र उत्पादक अथवा बिक्रेता होता है। बाजार में उसका कोई पतिस्पर्धी नहीं होता है। ऐसे बाजार में एकाधिकार स्वयं अपने वस्तु की कीमत एवं उत्पादन मात्रा निर्धारित करता है।

एकाधिकारी बाजार की आगम की स्थिति को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  बिक्री मात्रा

 कुल आगम 

 औसत आगम 

 सीमांत आगम 

 1

  25 

25

25 

 2

 40

 20

15 

 3

 45

 15

 4

 45

 11.25

 5

 40

 8

 -5


तालिका से स्पष्ट है कि एकाधिकार बाजार में कुल आगम एक सीमा तक बढ़ता है फिर स्थिर होकर घटने लगता है। औसत आगम सीमान्त आगम भी निरन्तर घट रहे है। सीमान्त आगम में गिरावट की गति औसत आगम की तुलना में तेज है।

इन स्थितियों को तालिका के आँकड़ों को रेखाचित्र के रूप में प्रदर्शित करके और स्पष्ट किया जा सकता है।

रेखाचित्रों से स्पष्ट है कि चौथी इकाई के बाद कुल आगम घटने लगता है क्योंकि इसके बाद सीमान्त आगम ऋणात्मक हो जाता है। सीमान्त आगम वक्र का ढाल औसत आगम वक्र की तुलना में ज्यादा है। इसका आशय है कि सीमान्त आगम में औसत आगम की तुलना में ज्यादा गिरावट हो रही है। औसत आगम वक्र ही फर्म का माँग वक्र होता है।

प्रश्न 4. कुल आगम, औसत आगम सीमान्त आगम के पारस्परिक सम्बन्ध को एक काल्पनिक तालिका और रेखाचित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर: बाजार की विभिन्न अवस्थाओं में आगम वक्रों का व्यवहार अलग-अलग होता है। जैसेपूर्ण प्रतियोगिता बाजार में औसत सीमान्त आगम वक्र एक ही होते हैं जो x अक्ष के समानान्तर एक सीधी रेखा होती है जबकि एकाधिकार अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार में ये दोनों वक्र अलग-अलग होते हैं तथा ऊपर से नीचे की ओर गिरते हुए होते हैं। हम अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार से सम्बन्धित एक तालिका नीचे दे रहे हैं

बिक्री की मात्रा 

कुल आगम 

 औसत आगम

सीमांत आगम 

 1

 18

 18

 18

 2

 32

 16

 14

 3

 42

 14

 10

 4

 48

 12

 6

 5

 50

 10

 2

तालिका से निम्न बातें स्पष्ट होती हैं

1.औसत आगम जो कि वस्तु की कीमत है निरन्तर घट रही है। इसका आशय है कि ज्यादा वस्तु बेचने के लिए कीमत को घटाना पड़ता है।

2.सीमान्त आगम भी निरन्तर घट रही है लेकिन औसत आगम की तुलना में इसकी घटने की दर तेज है।

3.कुल आगम में निरन्तर वृद्धि हो रही है लेकिन यह घटती हुई दर से बढ़ रहा है।

4.औसत आगम कभी भी शून्य नहीं होता है जबकि सीमान्त आगम शून्य भी हो सकता है तथा ऋणात्मक भी हो सकता है।

इन तीनों आगमों को रेखाचित्र द्वारा भी प्रदर्शित किया जा सकता है तथा कुल आगम, औसत आगम सीमान्त आगम वक्र प्राप्त किये जा सकते हैं।




चित्र से स्पष्ट है कि AR वक्र MR वक्र के ऊपर है क्योंकि AR की गिरने की गति MR की तुलना में कम होती है। TR वक्र TR के बढ़ने की स्थिति को प्रदर्शित कर रहा है।

प्रश्न 5. पूर्ण प्रतियोगिता बाजार किसे कहते हैं? पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में फर्म का माँग वक्र पूर्णतया लोचदार क्यों होता है? समझाइए।
उत्तर: पूर्ण प्रतियोगिता बाजार (Perfect Competition Market) – पूर्ण प्रतियोगिता बाजार से आशय ऐसे बाजार से लगाया जाता है जिसमें क्रेता एवं विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक होती है तथा उन्हें बाजार का पूरा ज्ञान होता है। कोई भी व्यक्तिगत क्रेता एवं विक्रेता कीमत को प्रभावित करने में समर्थ नहीं होता है। वस्तु की कीमत बाजार की कुल माँग एवं पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है तथा सभी फर्मों या विक्रेताओं को उस कीमत को स्वीकार करना होता है। इस बाजार में सभी वस्तुएँ समरूप होती हैं तथा इस बाजार में नई फर्मों के प्रवेश तथा पुरानी फर्मों के बाजार से जाने पर कोई रोक नहीं होती है।

इस बाजार में क्योंकि व्यक्तिगत फर्म के लिए कीमत दी हुई होती है जिस कीमत पर वह कितनी ही वस्तुएँ बेच सकता है। इसलिए सीमान्त आगम औसत आगम बराबर होते हैं और इनका वक्र x अक्ष के प्रति समानान्तर सीधी रेखा के रूप में होता है। यही रेखा कीमत स्तर को भी व्यक्त करती है।

कोई भी विक्रेता यदि निर्धारित कीमत से ज्यादा कीमत लेना चाहेगा तो उसकी बिक्री शून्य हो जाएगी तथा यदि कम लेना चाहेगा तो सारे क्रेता उसी के पास जायेंगे और उसके लिए पूर्ति करना असम्भव हो जाएगा। इसलिए वह तो कीमत बढ़ा सकता है और ही घटा सकता है। इसी कारण पूर्ण प्रतियोगी बाजार में फर्म का माँग वक्र पूर्णतया लोचदार होता है जिसे नीचे के चित्र में दिखाया गया है


वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. सीमान्त आगम की गणना का सूत्र है।


प्रश्न 2. पूर्ण प्रतियोगिता बाजार है।

() बाजार की एक वास्तविक स्थिति
() बाजार की काल्पनिक स्थिति
(
) दोनों () एवं ()
(
) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 3. पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में फर्म
(
) मूल्य निर्धारक होती है।
() मूल्य स्वीकार करने वाली होती है।
() मूल्य को प्रभावित कर सकती है।
(
) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 4. एकाधिकार बाजार की विशेषता है।
(
) बाजार में अनेक विक्रेता होते हैं।
(
) बाजार में दो-चार विक्रेता होते हैं।
() बाजार में एक ही विक्रेता होता है।
() उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 5. अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार में एक फर्म
() मूल्य निर्धारक होती है।
() मूल्य स्वीकार करने वाली होती है।
(
) मूल्य को प्रभावित नहीं कर सकती है।
(
) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 6. एकाधिकार बाजार
() बाजार की एक काल्पनिक स्थिति है।
() बाजार की एक वास्तविक स्थिति है।
(
) () () दोनों हो सकती हैं।
(
) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 7. आगम का अर्थ
(
) फर्म को होने वाले लाभ से है।
() फर्म की बिक्री से है।
() फर्म द्वारा बेचे जाने वाले माल की लागत से है
(
) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 8. सीमान्त आगम से आशय
(
) वस्तु की कीमत से है।
(
) वस्तु की लागत से है।
() अतिरिक्त इकाई की बिक्री से प्राप्त अतिरिक्त आगम से है।
() उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 9. यदि एक फर्म को वस्तु की 10 इकाइयाँ बेचने पर ₹ 50 प्राप्त होते हैं तथा 11 इकाइयों के बेचने पर ₹54 प्राप्त होते : हैं तो 11वीं इकाइयाँ सीमान्त आगम होगा
() ₹ 54
(
) ₹ 50
() ₹ 4
() उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 10. यदि पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में वस्तु की कीमत के ₹5 है और फर्म 50 वस्तुओं की बिक्री करती है तो औसत आगम: तथा सीमान्त आगम होगा।
() ₹5
() ₹250
(
) ₹10
(
) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 11. वस्तु की कीमत को बेची गई मात्रा से गुणा करने पर प्राप्त होता है
() औसत आगम
() कुल आगम
(
) सीमान्त आगम
(
) औसत निर्गत

प्रश्न 12. यदि किसी माह में ₹10 की दर से कुल 200 इकाई मात्रा की बिक्री की गई तो औसत आगम होगी
() 50
(
) 20
(
) 25
() 10

प्रश्न 13. कौन-से बाजार में AR = MR बराबर होती है?
() पूर्ण प्रतियोगिता बाजार
(
) अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार
(
) एकाधिकार बाजार
(
) उपर्युक्त सभी में

प्रश्न 14. पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में कौन-सा वक्र कीमत रेखा को व्यक्त करता है
() AR = MR
(
) MR
(
) TR
(
) उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 15. एकाधिकार बाजार में AR और MR वक्र में सम्बन्ध होता है?
() AR = MR
() AR > MR
(
) AR < MR
(
) AR × MR


JCERT/JAC REFERENCE BOOK

विषय सूची

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची


Economics Group-A

1. व्यष्टि अर्थशास्त्र परिचय (Micro Economics Introduction)

2. उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

3. उपभोक्ता व्यवहार एवं माँग (Consumer Behavior and Demand)

4. उपभोग फलन (Consumption Function)

5. उत्पादक व्यवहार एवं पूर्ति (Consumer Behavior and Supply)

6. मांग की अवधारणा (Concept of Demand)

7. मांग की कीमत लोच (Price Elasticity of Demand)

पूर्ति की अवधारणा (Concept of Supply)

9. उत्पादन फलन (Production Function)

10. उत्पादन की अवधारणा (Concept of Production Function)

11. लागत की अवधारणा (Concepts of Cost)

12. फर्म का संतुलन (Firm’s Equilibrium)

13. आगम की अवधारणा (Concepts of Revenue)

14. बाजार सन्तुलन (Market Equilibrium)

15. बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण (Forms of Market and Price Determination)

16. बाजार के अन्य स्वरूप (Other Forms of Markets)

17 पूर्ण प्रतियोगी बाजार (Perfect Competition Markets)

Economics Group-B

समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Introduction to Macroeconomics)

राष्ट्रीय आय का लेखांकन (Accounting of National Income)

मुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking)

1.राष्ट्रीय आय(National Income)

2.राष्ट्रीय आय (National Income)

3. राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित समुच्चय (Aggregates related to national income) 

4. राष्ट्रीय आय का मापन (National Income Measurement)

5. आय एवं रोजगार का निर्धारण (Determination of Income And Employment)

6. मुद्रा एवं बैंकिंग (Money and Banking)

7. केन्द्रीय बैंक: कार्य एवं साख नियन्त्रण (Central Bank: Functions & Credit Control)

8. मुद्राः अर्थ, कार्य एवं महत्त्व (Money: Meaning, Functions and Importance)

9. भुगतान संतुलन (Balance of Payment)

10. सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था (Government Budget and The Economy)

11. Government_Budget_And_Economy

12. Commercial-Banks (व्यापारिक बैंकः अर्थ एवं कार्य)

13. Concepts-of-Excess-Deficient-Demand(अधिमाँग एवं न्यून माँग अवधारणा )

14, Income-Production-Determination(आय-उत्पादन का निर्धारण )

15. Foreign Exchange Rate (विदेशी विनिमय दर)

Post a Comment

Hello Friends Please Post Kesi Lagi Jarur Bataye or Share Jurur Kare
Cookie Consent
We serve cookies on this site to analyze traffic, remember your preferences, and optimize your experience.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.