उपभोग फलन (Consumption Function)

उपभोग फलन (Consumption Function)

प्रश्न 1. उपभोग की औसत प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसे किस प्रकार मापा जा सकता है?
उत्तर: औसत उपभोग प्रवृत्तिएक अर्थव्यवस्था के सम्पूर्ण समाज में कुल आय का जो उपयोग कर लिया जाता है। उसे औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। दूसरे शब्दों में, औसत उपभोग प्रवृत्ति, कुल आय का वह भाग होता है जिसे उपभोग पर व्यय किया जाता है।
उपभोग की औसत प्रवृत्ति को निम्न सूत्र से ज्ञात किया जाता है।


कुल उपभोग में आय का भाग देकर औसत प्रवृत्ति को मापा जा सकता है।

प्रश्न 2. निवेश से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: निवेश शब्द से अर्थशास्त्र में तात्पर्य नये उत्पादक परिसम्पत्ति को प्राप्त करना और इसे नयी उत्पादक परिसम्पत्ति से वस्तुएँ और सेवाएँ उत्पादित करना है। लेकिन इससे वस्तुएँ और सेवाएँ उत्पादित नहीं की जाती हैं तो यह पूँजी निर्माण कहलाता है और जैसे ही इन परिसम्पत्तियों का वस्तु और सेवाओं को उत्पादित करने में प्रयोग होता है वैसे ही पूँजी निर्माण, निवेश में बदल जाता है।

प्रश्न 3. स्वायत्त निवेश तथा प्रेरित निवेश में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: प्रेरित निवेश

1.    यह आय पर निर्भर होता है।

2.    यह आय लोच होता है।

3.    यह सामान्यता निजी क्षेत्र के द्वारा किया जाता है।

4.    प्रेरित निवेश वक्र बायें से दायें ऊपर की ओर जाता है।


स्वायत्त निवेश

1.    इसका आय से सम्बन्ध नहीं होता है अर्थात् स्वतन्त्र होता है।

2.    यह आय लोच नहीं होता है।

3.    यह सामान्यता सरकार द्वारा किया जाता है।

4.    स्वतन्त्र निवेश वक्र Ox वक्र के समान्तर ही बनता है।


प्रश्न 4. बचत की सीमान्त प्रवृत्ति एवं उपभोग की सीमान्त प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: बचत की सीमान्त प्रवृत्ति-जब बचत की प्रवृत्ति आय में वृद्धि के कारण बचत में होने वाली वृद्धि को दर्शाती है।


उपभोग की सीमान्त प्रवृत्तिजब आय में परिवर्तन होता है तो उपभोग में भी परिवर्तन होता है अत: जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोग में भी वृद्धि होती है तथा जब आय में कमी होती है तो उपभोग में कमी होती है। इस प्रकार आय में होने वाले परिवर्तन (वृद्धि या कमी) और उपभोग में होने वाले परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त प्रवृत्ति कहते हैं।

प्रश्न 5. उपभोग प्रवृत्ति या उपभोग फलन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: प्रो. कीन्स के अनुसार, आय का जो भाग उपभोग पर व्यय हो जाता है उसे उपभोग प्रवृत्ति या उपभोग फलन कहते हैं। अत: उपभोग की मात्रा व्यक्ति की आय पर निर्भर करती है जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोग में भी वृद्धि होती है तथा जब आय में कमी हो जाती है तो उपभोग में भी कमी हो जाती है। लेकिन आय के शून्य होने पर उपभोग शून्य नहीं होता है।


प्रश्न 6. औसत उपभोग प्रवृत्ति को समझाइए।
उत्तर: औसत उपभोग प्रवृत्तिएक अर्थव्यवस्था के सम्पूर्ण समाज में कुल आय का जो भाग उपयोग कर लिया जाता है उसे औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। दूसरे शब्दों में, औसत उपभोग प्रवृत्ति, कुल आय का वह भाग होता है जिसे उपभोग पर व्यय किया जाता है।

प्रश्न 7. सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति को समझाइए।
उत्तर: सीमान्त उपभोग प्रवृत्तिजब आय में परिवर्तन होता है तो उपभोग में भी परिवर्तन होता है अतः जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोग में भी वृद्धि होती है तथा जब आय में कमी होती है तो उपभोग में भी कमी होती है। इस प्रकार आय मैं होने वाले परिवर्तन (वृद्धि या कमी) और उपभोग में होने वाले परिवर्तन (वृद्धि या कमी) के अनुपात को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।


प्रश्न 8. बचत प्रवृत्ति की अवधारणा को समझाइए।
उत्तर: आय और बचत के बीच के सम्बन्ध को बचत प्रवृत्ति या बचत फलन कहते हैं। बचत, आय पर निर्भर होती है, क्योंकि आय के बढ़ने पर बचत बढ़ती है तथा आय के घटने पर बचत भी घटती है। लेकिन बचत में वृद्धि की दर सामान्यतः आय में वृद्धि की दर से अधिक होती है।

प्रश्न 9. औसत बचत प्रवृत्ति और सीमान्त बचत प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: बचत दो प्रकार की होती है
(i) औसत बचत प्रवृत्ति-आय तथा बचत के अनुपात को औसत बचत प्रवृत्ति कहते हैं।


औसत बचत प्रवृत्ति सामान्यत: 1 से कम होती है लेकिन उपभोग यदि आय से भी अधिक हो जाये तो यह ऋणात्मक हो सकती है।
(ii) सीमान्त बचत प्रवृत्ति-सीमान्त बचत प्रवृत्ति आय में वृद्धि के कारण बचत में होने वाली वृद्धि को दर्शाती है।

प्रश्न 10. आर्थिक विश्लेषण में उपभोग प्रवृत्ति के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:

1.    उपभोग फलन की सहायता से व्यापार चक्रों को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।

2.    उच्च उपभोग प्रवृत्ति रोजगार के उच्च स्तर को बनाये रखने में सहायक होती है।

3.    उपभोग प्रवृत्ति यदि ऊँची रहती है तो आर्थिक स्थायित्व बना रहता है।

प्रश्न 11. उपभोग फलन की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

1.    अल्पकाल में उपभोग प्रवृत्ति स्थिर रहती है।

2.    उपभोग आय के शून्य होने पर भी शून्य नहीं होता है क्योंकि इसकी पूर्ति पूर्व में की गई बचतों से होती रहती है।

3.    उपभोग प्रवृत्ति से आशय उपभोग पर व्यय की गई वास्तविक राशि से होता है।

प्रश्न 12. प्रत्याशित बचते का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: एक अर्थव्यवस्था में हम जितनी बचत करने की योजना बनाते हैं उसे प्रत्याशित या नियोजित या इच्छित बचत कहते हैं। यह वह बचत होती है जिसका पूर्वानुमान लगाया जाता है। अतः आवश्यक नहीं होता है कि यह वास्तविक बचत के बराबर ही हो।

प्रश्न 13. प्रत्याशित निवेश से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: एक अर्थव्यवस्था में जितना निवेश करने की हम योजना बनाते हैं उसे प्रत्याशित या नियोजित या सम्भावी निवेश कहते हैं। यह वह निवेश होता है जिसके होने की सम्भावना होती है।

प्रश्न 14. वास्तविक निवेश से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: वास्तविक बचतकुल वास्तविक आय में से उपभोग पर किये गये व्यय को घटाकर जो शेष बचता है उसे वास्तविक बचत कहते हैं। इसे क्रियान्वित बचत भी कहा जाता है। अतः यह वह बचत होती है जो वास्तव में की जाती है।

प्रश्न 15. वास्तविक निवेश से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: वास्तविक निवेश-एक अर्थव्यवस्था में वास्तव में पूँजी भण्डार में जितनी वृद्धि होती है अर्थात् वास्तव में जितना निवेश किया जाता है उसे वास्तविक या क्रियान्वित निवेश कहा जाता है वास्तविक निवेश वास्तविक बचत से कम या अधिक नहीं होता है यह दोनों हमेशा बराबर होते हैं।

प्रश्न 16. निवेश से क्या आशय है?
उत्तर: निवेशनिवेश का आशय उम व्ययों से होता है जिनके करने से पूँजीगत वस्तुओं; जैसेमशीन, कारखाना, मकान, फर्नीचर आदि में वृद्धि होती है। निवेश में उत्पादन कार्य हेतु आवश्यक मशीनों तथा यन्त्रों के साथ-साथ, नये निर्माण तथा स्टॉक में होने वाली वृद्धि को भी शामिल किया जाता है।

प्रश्न 17. ब्याज की दर तथा निवेश में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर: पूँजी कोष के बिना निवेश की कल्पना नहीं की जा सकती है क्योंकि कोई भी परियोजना पूरी करने के लिए पूँजी की आवश्यकता होती है और पूँजी को प्राप्त करने की लागत ब्याज कहलाती है।

प्रश्न 18. पूँजी की सीमान्त क्षमता (कुशलता) से क्या आशय है?
उत्तर: रोजगार में वृद्धि करने के लिए तथा बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अर्थव्यवस्था में निवेश की आवश्यकता होती है। पूँजी की एक अतिरिक्त इकाई के निवेश से जो लाभ प्राप्त होता है उसे पूँजी की सीमान्त क्षमता या कुशलता कहते हैं।

प्रश्न 19. एक अर्थव्यवस्था में निवेश को प्रभावित करने वाले तत्व कौन-कौन से हैं? समझाइए।
उत्तर:

1.    पूँजी की सीमान्त क्षमताब्याज की ऊँची दरों पर निवेश की माँग कम तथा ब्याज की नीची दरों पर निवेश की माँग अधिक होती है इसलिए पूँजी की सीमान्त क्षमता वक्र ऋणात्मक ढाल लिये होता है।

2.    ब्याज की दर– ब्याज की दर कम होगी तो पूँजी की लागत कम हो जायेगी तथा इसके विपरीत ब्याज की दर ऊँची होने पर निवेश में कमी आती है।

प्रश्न 20. पूँजी की सीमान्त कार्यकुशलता को रेखाचित्र पर दर्शाइये।
उत्तर:


प्रश्न 21. उपभोग फलन को रेखाचित्र द्वारा दर्शाइये?
उत्तर:


प्रश्न 22. प्रत्याशित बचत तथा प्रत्याशित निवेश से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: प्रत्याशित बचतकिसी एक विशेष साल में जो लोग बचत करते हैं उसे प्रत्याशित बचत कहते हैं।
प्रत्याशित निवेशजब उद्यमकर्ता को अपनी बिक्री बढ़ाने या वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ने की आशा होती है तो वे अपने वस्तुओं के भण्डार को बढ़ाते हैं जिसे प्रत्याशित निवेश कहते हैं।

प्रश्न 23. पूँजी सीमान्त उत्पादकता विनियोग में वृद्धि के साथ-साथ घटने के कारण बताइए।
उत्तर: इसके दो कारण हैं

1.    अधिकतम उत्पादन हेतु जैसे-जैसे पूँजी का उपभोग बढ़ता है वैसे-वैसे प्रत्याशित लाभ की मात्रा घटती जाती है क्योंकि अधिक उत्पादन से उत्पादित वस्तु की कीमतें घटने लगती हैं।

2.    पूँजी की माँग बढ़ने पर उसकी पूर्ति कीमत में वृद्धि होने से उसकी उत्पादन लागत में भी वृद्धि हो जाती है।

प्रश्न 24. एक निवेशक द्वारा निवेश सम्बन्धी निर्णय को समझाइए।
उत्तर: एक निवेशक, निवेश सम्बन्धी निर्णय करने के लिए पूँजी की सीमान्त कार्यकुशलता की ब्याज दर से तुलना करता है जब तक पूँजी की सीमान्त कार्यकुशलता ब्याज दर से ज्यादा होगी तब तक निवेश किया जाता रहेगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. बचत फलन को सारणी एवं चित्र तथा गणितीय सूत्र के द्वारा समझाइए।
उत्तर: बचत को ज्ञात करने के लिए कुल आय में से उपभोग व्यय को घटाया जाता है।
चूंकि Y = C + S
S = Y – C
बचत फलन को ज्ञात करने के लिए 45° की समता रेखा में से आय के विभिन्न स्तर पर उपभोग को घटा दिया जाए तो हमें बचत फलन ज्ञात होता है।


गणितीय सूत्र
Y = C + S ….(1)
C = a + by ….(2)

(2) का मान (1) में रखने पर
y = a + by + s
– a + (1 – b) y = 5
अतः बचत फलने को गणितीय रूप है।
S = -a + (1 – b) y

प्रश्न 2. पूँजी की सीमान्त कार्यकुशलता को विस्तार से समझाइए।
उत्तर: पूँजी की सीमान्त कार्यकुशलता बट्टे की वह दर है जो पूर्ति कीमते (Supply price) या परियोजना की लागत को परियोजना से होने वाले भविष्य के प्रतिफल के बराबर करती है। प्रो. कुरिहारा के अनुसार यह अतिरिक्त पूँजीगत वस्तुओं की भावी आय और उनकी पूर्ति कीमत के बीच अनुपात है।पूँजी की सीमान्त उत्पादकता, पूँजी निवेश से अनुमानित लाभ की दर होती है। यह दो तत्वों द्वारा प्रभावित होती है। प्रत्याशित आय और पूर्ति कीमत। प्रत्याशित लाभ अर्थात् निवेश करते समय ध्यान में रखा जाता है कि भविष्य में कितने प्रतिफल प्राप्त होंगे। इसी प्रकार पूँजीगत वस्तुओं पर किया गया व्यय लागत अथवा पूर्ति कीमत कहलाता है।


यहाँ पर C = परियोजना की लागत (पूर्ति कीमत)
r = बट्टे की दर
R1,R2 ……. Rn = वार्षिक भविष्य के प्रतिफल पूँजीगत सम्पत्ति से


उपर्युक्त रेखाचित्र चक्र को दर्शाता है x अक्ष पर विनियोग की मात्रा और y अक्ष पर पूँजी की सीमान्त उत्पादकता को दर्शाया गया है, जब विनियोग OI1 से बढ़कर OI2 होता है तो पूँजी की सीमान्त उत्पादकता घटकर OP1 से OP2 हो जाती है। पूँजी सीमान्त उत्पादकता विनियोग में वृद्धि के साथ-साथ घटती जाती है। इसके दो कारण हैं

1. अधिक उत्पादन हेतु जैसे-जैसे पूँजी का उपयोग बढ़ता है वैसे-वैसे प्रत्याशित लाभ की मात्रा घटती जाती है, क्योंकि अधिक उत्पादन से उत्पादित वस्तु की कीमतें क्रमशः घटने लग जाती हैं।
2. पूँजी की माँग बढ़ने पर उसकी पूर्ति कीमत में वृद्धि होने से उसकी उत्पादन लागत में भी वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार जैसे-जैसे निवेश बढ़ता है, पूँजी की सीमान्त कार्यकुशलता (MEC) दाहिने हाथ की तरफ झुकती है।

प्रश्न 3. उपभोग फलन की सारणी, चित्र गणितीय सूत्र के द्वारा समझाइए।
उत्तर: एक व्यक्ति जो भी सम्पूर्ण आय प्राप्त करता है उसके एक भाग को वह अपने उपभोग में लाता है तथा शेष को वह भविष्य की आवश्यकताओं हेतु बचाकर रख लेता है। प्रो. कीन्स के अनुसार, आय का जो भाग उपभोग पर व्यय हो जाता है उसे उपभोग प्रवृत्ति या उपभोग फलन कहते हैं। अत: उपभोग की मात्रा व्यक्ति की आय पर निर्भर करती है। जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोग में वृद्धि होती है तथा जब आय में कमी हो जाती है तो उपभोग में भी कमी हो जाती है। लेकिन आय के शून्य होने पर उपभोग शून्य नहीं होता है क्योंकि इसे बचत से या ऋण लेकर पूरा किया जाता है। यहाँ पर ध्यान रखना होगा कि उपभोग प्रवृत्ति हमारा आशय केवल उपभोग की इच्छा से ही नहीं है अपितु वास्तव में उपभोग की गई मात्रा से है। आय तथा उपभोग में प्रत्यक्ष सम्बन्ध पाया जाता है। अतः यह कहा जाता है कि उपभोग आय का फलन है।

सूत्र रूप में
c = f(y)
यहाँ c = उपभोग
f = उपभोग फलन
y = प्रयोज्य आय

अगर उपभोग फलन एक सरल रेखा है तब
c = a + byd
यहाँ पर a = स्वायत्त उपभोग
b = सीमान्त उपभोग की प्रवृत्ति

उपभोग फलन का चित्र द्वारा प्रदर्शन


प्रश्न 4. कीन्स के रोजगार सिद्धान्त की मुख्य बातें बताइए।
उत्तर: विश्वव्यापी महामंदी (1929-33) के समय उत्पन्न हुई आर्थिक समस्याओं को प्रतिष्ठित सिद्धान्त सुलझाने में असफल रहे। अतः उस समय के अर्थशास्त्रियों को आर्थिक सिद्धान्तों तथा नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए विवश होना पड़ा। ‘General Theory of Employment, Interest and Money’ पुस्तक के लेखक प्रो. कीन्स ने यह स्पष्ट किया कि प्रतिष्ठित सिद्धान्त गलत मूलभूत अवधारणाओं पर आधारित हैं। उन्होंने प्रतिष्ठित सिद्धान्त की आलोचना ही नहीं की बल्कि बेरोजगारी के उत्पन्न होने के कारणों तथा उनसे छुटकारा पाने के उपायों पर भी प्रकाश डाला।

कीन्स के रोजगार सिद्धान्त की व्याख्या

1.    रोजगार प्रभावपूर्ण माँग (Effective Demand) पर निर्भर करता है; प्रभावपूर्ण माँग = कुल उत्पादन = कुल आय = कुल रोजगार

2.    प्रभावी माँग कुल माँग फलन (ADF) तथा कुल पूर्ति फलन (ASF) द्वारा निर्धारित होती है।

3.    प्रभावपूर्ण माँग पर मुख्य प्रभाव कुल माँग फलन (ADF) का ही पड़ता है, क्योंकि कुल पूर्ति फलन (ASF) अल्पकाल में स्थिर रहता है।

4.    कुल माँग फलन (ADF) कुल व्यय द्वारा निर्धारित होता है। कुल व्यय तीन बातों पर निर्भर करता है – (i) उपभोग व्यय (C), (ii) निवेश व्यय (I) तथा (iii) सरकारी व्यय (G)

5.    उपभोग व्यय (C) दो बातों द्वारा निर्धारित होता है-(i) आय का आकार, (ii) उपभोग प्रवृत्ति। उपभोग प्रवृत्ति दो प्रकार की होती है – (i) औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC), (ii) सीमान्त उपभोग व्यय (MPC) उपभोग प्रवृत्ति अल्पकाल में स्थिर रहती है।

6.    विनियोग व्यय (I) भी दो बातों पर निर्भर करता है – (i) पूँजी की सीमान्त दक्षता (MEC) तथा (ii) ब्याज की दर (r)

7.    MEC दो बातों पर निर्भर करती है – (i) पूँजी परिसम्पत्ति की पूर्ति कीमत पर तथा (ii) पूँजी परिसम्पत्ति की सम्भावित आय पर। निवेश जैसे-जैसे बढ़ाते हैं। पूँजी की सीमान्त दक्षता घटती जाती है।

8.    ब्याज की दर (r) भी दो बातों से प्रभावित होती है-(i) तरलता पसंदगी तथा (ii) द्रव्य की पूर्ति। द्रव्य की पूर्ति अल्पकाल में स्थिर रहती है।

9.    तरलता पसंदगी के भी तीन उद्देश्य होते हैं लेन-देन उद्देश्य, सतर्कता उद्देश्य तथा सट्टा उद्देश्य।

10.  लेन-देन तथा सतर्कता उद्देश्य आय (y) पर तथा सट्टा उद्देश्य ब्याज की दर पर (r) पर निर्भर करते हैं। कीन्स का मानना था कि रोजगार में वृद्धि करने हेतु यह जरूरी है कि उपभोग तथा विनियोग में वृद्धि की जाये।

प्रश्न 5. उपभोग प्रवृत्ति से क्या आशय है? सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति तथा औसत उपभोग प्रवृत्ति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: एक व्यक्ति जो भी सम्पूर्ण आय प्राप्त करता है उसके एक भाग को वह अपने उपभोग में लाता है तथा शेष को वह भविष्य की आवश्यकताओं हेतु बचाकर रख लेता है, प्रो. कीन्स के अनुसार, आय का जो भाग उपभोग पर व्यय हो जाता है उसे उपभोग प्रवृत्ति या उपभोग फलन कहते हैं। अत: उपभोग की मात्रा व्यक्ति की आय पर निर्भर करती है। जब आय में वृद्धि होती हे तो उपभोग में भी वृद्धि होती है तथा जब आय में कमी हो जाती हे तो उपभोग में भी कमी हो जाती है। लेकिन आय के शून्य होने पर उपभोग शून्य नहीं होता है क्योकि इसे बचत से या ऋण लेकर पूरा कर लिया जाता है। यहाँ पर ध्यान रखना होगा कि उपभोग प्रवृत्ति से हमारी आशय केवल उपभोग की इच्छा से नहीं है अपितु वास्तव में उपभोग की गयी मात्रा से है। आय और उपभोग में प्रत्यक्ष सम्बन्ध पाया जाता है। अतः यह कहा जाता है कि उपभोग आय का फलन है।
सूत्र रूप में – C = f(Y)
यहाँ C = उपभोग, Y = आय, f = उपभोग फलन या उपभोग प्रवृत्ति।

उपभोग प्रवृत्ति के निम्नलिखित दो प्रकार होते हैं

1. औसत उपभोग प्रवृत्तिएक अर्थव्यवस्था के सम्पूर्ण समाज में कुल आय का जो भाग उपयोग कर लिया जाता है। उसे औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। दूसरे शब्दों में, औसत उपभोग प्रवृत्ति, कुल आय का वह भाग होता है जिसे उपभोग पर व्यय किया जाता है।


2. सीमान्त उपभोग प्रवृत्तिजब आय में परिवर्तन होता है तो उपभोग में भी परिवर्तन होता है अतः जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोग में भी वृद्धि होती है तथा जब आय में कमी होती है तो उपभोग में भी कमी होती है। इस प्रकार आय में होने वाले परिवर्तन (वृद्धि या कमी) और उपभोग में होने वाले परिवर्तन (वृद्धि या कमी) के अनुपात को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।


सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की विशेषताएँ

1.    यह हमेशा धनात्मक होती है।

2.    MPC शून्य से अधिक परन्तु 1 से अधिक नहीं होती है,


3.    आय बढ़ने के साथ-साथ MPC घटती जाती है, क्योंकि उपभोग व्यय घटती हुई दर से बढ़ता है तथा बचत प्रवृत्ति बढ़ती रहती है।

औसत तथा सीमान्त उपभोग प्रवृत्तियों का सम्बन्ध

1.    जब MPC स्थिर होता है तो APC भी स्थिर रहता है।

2.    आय बढ़ने से MPC गिरने लगता है परन्तु यह APC से अधिक गिरता है।

    3.    आय कम होने पर MPC बढ़ने लगता है परन्तु यह APC से अधिक बढ़ता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. कौन-सा कथन सत्य है?
() सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 0
() सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = < 1
() सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 1
() इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 2. MPC + MPS = ?
() अनन्त
() 2
() 1
() 0

प्रश्न 3. “The General Theory of Employment, Interest and Money” किसकी पुस्तक है
() मार्शल
() पीगू
() कीन्स
() सेम्युलसन

प्रश्न 4. ग्रेट-ब्रिटेन, अमेरिका अन्य देशों में आर्थिक मंदी की स्थिति कब आयी?
() 1929 – 33
() 1928 – 33
() 1929 – 34
() 1930 – 1933

प्रश्न 5. कीन्स ने अपनी पुस्तक कब लिखी?
() 1936
() 1940
() 1938
() 1945

प्रश्न 6. c = a + byd में a से आशय है
() स्वायत्त उपभोग
() सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति
() प्रयोज्य आय
() इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 7. MPC का मान होता है
() 0 से अधिक
() 1 से अधिक
() 0 से 1 के बीच
() कोई नहीं

प्रश्न 8. MPC का न्यूनतम मूल्य होगा
() 0
() 1
() 0.5
() 0.7

प्रश्न 9. APC तथा APS का जोड़ कितने के बराबर होता है?
() शून्य
() 1
() अनन्त
() इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 10. सरकारों द्वारा किया गया निवेश कहलाता है
() स्वायत्त निवेश
() निजी निवेश
() सार्वजनिक निवेश
() इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 11. उपभोग की सीमान्त प्रवृत्ति का क्या सूत्र है?

प्रश्न 12. MPC को अधिकतम मूल्य होगा
() शून्य
() एक
() अनन्त
() इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 13. यदि APC = APS है तो APC तथा APS का मान अलग-अलग क्या होगा?
() शून्य
() एक
() 0.5
() 0.7

प्रश्न 14. MPC द्वारा MPS का जोड़ कितने के बराबर होता है?
() शून्य
() अनन्त
() इनमें से कोई नहीं
() एक

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. क्लासिकल अर्थशास्त्रियों का क्या मानना था।
उत्तर: उनका मानना था कि अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार पाया जाता है।

प्रश्न 2. J.M. keynes ने रोजगार के क्लासिकल सिद्धान्त का खण्डन किस पुस्तक में किया?
उत्तर: “The General Theory of Employment, Interest and Money’ में।

प्रश्न 3. कीन्स का आय एवं रोजगार का सिद्धान्त कैसा सिद्धान्त है?
उत्तर: अल्पकालीन सिद्धान्त है।

प्रश्न 4. उपभोग तथा बचत किसके फलन हैं?
उत्तर: उपभोग तथा बचत आय के फलन हैं।

प्रश्न 5. उपभोग प्रवृत्ति से क्या आशय है?
उत्तर: उपभोग की इच्छा नहीं वास्तव में उपभोग की गई मात्रा।

प्रश्न 6. सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति क्या है?
उत्तर: आय में परिवर्तन और उपभोग में परिवर्तन का अनुपात।

प्रश्न 7. सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का सूत्र लिखिए।
उत्तर:


प्रश्न 8. बचत क्या है?
उत्तर: कुल आय का वह भाग जो उपभोग के बाद शेष बचता है।

प्रश्न 9. उपभोग तथा आय के मध्य कैसा सह-सम्बन्ध पाया जाता है?
उत्तर: धनात्मक।

प्रश्न 10. औसत बचत प्रवृत्ति का सूत्र लिखिए।
उत्तर:


प्रश्न 11. सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) का सूत्र लिखिए।
उत्तर:


प्रश्न 12. औसत उपभोग प्रवृत्ति से क्या आशय है?
उत्तर: औसत उपभोग प्रवृत्ति कुल आय का वह भाग है जो कुल उपभोग पर व्यय किया जाता है।

प्रश्न 13. औसत उपभोग प्रवृत्ति का सूत्र लिखिए।
उत्तर:


प्रश्न 14. निवेश को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: किसी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष की अवधि में उत्पादन करने हेतु किया जाने वाला व्यय।

प्रश्न 15. MPC का मूल्य 1 से अधिक क्यों नहीं हो सकता है?
उत्तर: क्योंकि MPC तथा MPS का योग 1 के बराबर होता है।

प्रश्न 16. जब MPS शून्य हो तो MPC का मूल्य क्या होगा?
उत्तर: MPC = 1 – MPS
= 1 – 0
MPC = 1

प्रश्न 17. यदि MPS = 0:4 हो तो MPC क्या होगा?
उत्तर: MPC = 1 – MPS
= 1 – 0.4
MPC = 0.6

प्रश्न 18. समय की दृष्टि से कीन्स का रोजगार सिद्धान्त कैसा विश्लेषण है? बताइए।
उत्तर: यह सिद्धान्त एक अल्पकालीन विश्लेषण है।

प्रश्न 19. कीन्स के अनुसार समाज में आय का निर्धारण किसके द्वारा होता है?
उत्तर: समाज में आय का निर्धारण उपभोग तथा विनियोग के द्वारा होता है।

प्रश्न 20. निवेश प्रेरणा को प्रभावित करने वाले दो तत्व लिखिए।
उत्तर:

1.    पूँजी की सीमान्त कुशलता (MEC)

2.    ब्याज की दर (Rate of intrest)

प्रश्न 21. सार्वजनिक निवेश से क्या आशय है?
उत्तर: सरकार द्वारा आधारभूत संरचना को खड़ा करने में किया गया निवेश, सार्वजनिक निवेश कहलाता है।

प्रश्न 22. सार्वजनिक निवेश के तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर: सरकार द्वारा रोड, पुल, बाँध, सड़कें आदि में निवेश।

प्रश्न 23. निजी निवेश से क्या आशय है?
उत्तर: जब निवेश निजी निवेशकों द्वारा नयी फैक्ट्री, बिल्डिग, उपकरण आदि में किया जाता है, निजी निवेश कहलाया जाता है।

प्रश्न 24. बचत निवेश के कितने पहलू हैं?
उत्तर: दो।

प्रश्न 25. बचत निवेश के दो पहलू कौन-कौन से हैं?
उत्तर: प्रत्याशित बचते प्रत्याशित निवेश।

प्रश्न 26. सम्पादित बचतें क्या हैं?
उत्तर: सम्पादित बचते वे बचते हैं जो पारिवारिक इकाई आय में से वास्तव में बचाते हैं।

प्रश्न 27. सम्पादित निवेश से क्या आशय है?
उत्तर: सम्पादित निवेश वे निवेश हैं जो एक साल में उद्यमकर्ताओं द्वारा वास्तव में किये जाते हैं।

प्रश्न 28. पूँजी की सीमान्त उत्पादकता किन तत्वों से प्रभावित होती है?
उत्तर: प्रत्याशित आय, पूर्ति कीमत से प्रभावित होती है।

प्रश्न 29. पूर्ति कीमत से क्या आशय है?
उत्तर: पूँजीगत वस्तुओं पर किया गया व्यय लागत अथवा पूर्ति कीमत कहलाता है।

प्रश्न 30. निवेश कब तक किया जाता है?
उत्तर: जब तक पूँजी की सीमान्त कार्यकुशलता ब्याज दर से ज्यादा होती है तब तक निवेश किया जाता रहेगा।

प्रश्न 31. निवेश सम्बन्धी निर्णय लेने के लिए सीमान्त कार्यकुशलता की किससे तुलना की जाती है?
उत्तर: निवेश सम्बन्धी निर्णय लेने के लिए सीमान्त कार्य कुशलता की ब्याज दर से तुलना की जाती है।

प्रश्न 32. विनियोग का साम्य स्तर कहाँ होता है?
उत्तर: जहाँ पूँजी की सीमान्त उत्पादकता ब्याज की वर्तमान दर के बराबर हो जाती है।

प्रश्न 33. पूर्ण रोजगार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: मजदूरी की वर्तमान दर पर जितने लोग काम करने को तत्पर हैं, उन्हें रोजगार मिल जाये, तो यह पूर्ण रोजगार की स्थिति कहलाती है।

प्रश्न 34. आय, उपभोग, बचत में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर: आय में वृद्धि होने पर उपभोग तथा बचत दोनों में वृद्धि होती है लेकिन बचत की अपेक्षा उपभोग में वृद्धि की दर कम होती है।

प्रश्न 35. सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

1.    सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति हमेशा धनात्मक होती है।

2.    सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति शून्य से अधिक होती है लेकिन एक से अधिक नहीं होती है।

प्रश्न 36. उपभोग प्रवृत्ति की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

1.    उपभोग प्रवृत्ति से आशय व्यय की वास्तविक राशि से है।

2.    आय के शून्य हो जाने पर भी उपभोग शून्य नहीं हो सकता है।

प्रश्न 37. आय बचत को किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर: आय बचत के मध्य सकारात्मक सम्बन्ध होता है। आय बढ़ने पर बचत में वृद्धि होती है तथा आय कम होने पर बचत भी कम हो जाती है।

प्रश्न 38. क्रीन्स के अनुसार आय तथा रोजगार का स्तर किस पर निर्भर करता है?
उत्तर: कीन्स के अनुसार आय तथा रोजगार का स्तर किसी विशेष अवधि में किसी देश की प्रभावपूर्ण माँग पर निर्भर होता है।

प्रश्न 39. कीन्स के अनुसार पूर्ण रोजगार का लक्ष्य किस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर: कीन्स के अनुसार किसी अर्थव्यवस्था में प्रभावपूर्ण माँग को बढ़ाकर बेरोजगारी दूर करके पूर्ण रोजगार का लक्ष्य प्रापत किया जा सकता है।

प्रश्न 40. कीन्स का उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम बताइए।
उत्तर: कीन्स के नियमानुसार, जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोक्ता का उपयोग बढ़ता है पर यह उतना ही बढ़ता है जितना आय में वृद्धि होती।

प्रश्न 41. MPS तथा MPC के बीच सम्बन्ध समीकरणों द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: MPC तथा MPS दोनों का योग 1 के बराबर होता है। यह निम्न समीकरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
MPC + MPS = 1
MPC = 1 – MPS
MPS = 1 – MPC

प्रश्न 42. आय में वृद्धि होने पर APC तथा MPC पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: जब आय में वृद्धि होती है तो APC तथा MPC दोनों में कमी होती है, लेकिन MPC में APC अपेक्षा अधिक गिरावट आती है।

प्रश्न 43. कीन्स के रोजगार सिद्धान्त में विनियोग का महत्व बताइए।
उत्तर: विनियोग में होने वाले परिवर्तनों के कारण ही रोजगार के स्तर में परिवर्तन होते हैं तथा विनियोग का स्तर उच्च होने पर ही उच्च रोजगार का स्तर प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 44. वास्तविक निवेश से क्या आशय है?
उत्तर: वह निवेश जिससे नवीन सम्पत्ति तथा पूँजीगत वस्तुओं में वृद्धि होती है, अर्थात् नये कारखाने, मशीनों आदि का निर्माण होता है उसे वास्तविक ि कहते हैं।

प्रश्न 45. प्रेरित निवेश से क्या आशय है?
उत्तर: वह राशि जिसे लाभ अथवा ब्याज प्राप्त करने के लिए विनियोजित किया जाता है उसे प्रेरित निवेश कहते है।

प्रश्न 46. ब्याज दर का निवेश पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: ब्याज दर के निम्न होने पर निवेश प्रोत्साहित होता है जबकि ब्याज दर ऊंची होने पर निवेश हतोत्साहित होता है।

प्रश्न 47. प्रयोजित बचत का अर्थ लिखिए।
उत्तर: किसी अर्थव्यवस्था में, एक व्यक्ति अपनी आय का जितना भाग बचाना चाहता है, वह प्रयोजित बचत कहलाती है।

प्रश्न 48. वास्तविक बचत से क्या आशय है?
उत्तर: किसी अर्थव्यवस्था में किसी विशेष आय स्तर पर, उपभोग के पश्चात आय का बचा हुआ भाग वास्तविक बचत कहलाती है।

प्रश्न 49. प्रेरित निवेश किन तत्वों से प्रभावित होता है? लिखिए।
उत्तर: प्रेरित निवेश किसी अर्थव्यवस्था में आय के स्तर, आय के परिवर्तनों, उपभोग प्रवृत्ति, अचल पूँजी के स्टॉक आदि तत्वों से प्रभावित होता है।

प्रश्न 50. स्वायत्त निवेश से क्या आशय है?
उत्तर: स्वायत्त निवेश वह निवेश होता है जिसके द्वारा नयी सम्पत्ति में वृद्धि होती है तथा पूँजीगत सामग्री की मात्रा बढ़ जाती है।

प्रश्न 51. ब्याज किसे कहते हैं? इसका निवेश पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: ब्याज पूँजी का प्रतिफल होता है। ब्याज की निम्न दर पर निवेश प्रोत्साहन प्राप्त करता है तथा ऊँची ब्याज दर होने पर निवेश कम हो जाता है।

प्रश्न 52. पूँजी की सीमान्त दक्षता की प्रक्रति कैसी होती है?
उत्तर: पूँजी की सीमान्त दक्षता पूँजी निवेश के विपरीत कार्य करती है। पूँजी निवेश में होने वाली प्रत्येक वृद्धि के साथ-साथ घटती जाती है।

प्रश्न 53. पूँजी की सीमान्त दक्षता की गणना सूत्र द्वारा बताइए।
उत्तर:


प्रश्न 54. विनियोग में प्रत्येक वृद्धि के साथ पूँजी की सीमान्त दक्षता घटती जाती है। इसके दो कारण बताइए।
उत्तर:

1.    पूँजी सम्पत्ति की पूर्ति बढ़ने के कारण उसकी भावी प्रत्याशित आय कम हो जाती है।

2.    उत्पत्ति द्वारा नियम के लागू होने से मशीनों की निर्माण लागत बढ़ जाती है।

प्रश्न 55. उपभोग की सीमान्तवृत्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: उपभोग में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहा जाता है।


प्रश्न 56. उपभोग फलन किसे कहते हैं?
उत्तर: आय तथा उपभोग के बीच फलनात्मक सम्बन्ध की उपभोग फलन कहते हैं।

प्रश्न 57. यदि MPC = 0.5 तो MPS का मान क्या होगा?
उत्तर: MPS = 1 – MPC
= 1 – 0.5
MPS = 0.5

प्रश्न 58. निवेश फलन किसे कहते हैं?
उत्तर: नये उत्पादक परिसम्पत्ति को प्राप्त करना और इसे नयी उत्पादक परिसम्पत्ति से वस्तुएँ और सेवाएँ उत्पादित करना निवेश फलन कहलाती है।

प्रश्न 59. बचत की औसत प्रवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर: बचत और कुल आय में अनुपात औसत बचत प्रवृत्ति कहलाता है।

प्रश्न 59. उपभोग की सीमान्तवृत्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: उपभोग में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहा जाता है।


प्रश्न 60. उपभोग फलन किसे कहते हैं?
उत्तर: आय तथा उपभोग के बीच फलनात्मक सम्बन्ध की उपभोग फलन कहते हैं।

प्रश्न 61. यदि MPC = 0.5 तो MPS का मान क्या होगा?
उत्तर: MPS = 1 – MPC
= 1 – 0.5
MPS = 0.5

प्रश्न 62. निवेश फलन किसे कहते हैं?
उत्तर: नये उत्पादक परिसम्पत्ति को प्राप्त करना और इसे नयी उत्पादक परिसम्पत्ति से वस्तुएँ और सेवाएँ उत्पादित करना निवेश फलन कहलाती है।

प्रश्न 63. बचत की औसत प्रवृत्ति किसे कहते हैं?
उत्तर: बचत और कुल आय में अनुपात औसत बचत प्रवृत्ति कहलाता है।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1. यदि औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) 0.2, 0.4, 0.7 है तो औसत बचत प्रवृत्ति (APS) की गणना कीजिए।
उत्तर: सूत्र – APS = 1 – APC
(i) APS = 1 – 0.2 = 0.8
(ii) APS = 1 – 0.4 = 0.6
(iii) APS = 1 – 0.7 = 0.3

प्रश्न 2. एक अर्थव्यवस्था, जो कि सन्तुलन में है, के बारे में निम्नलिखित आँकड़ों से स्वायत्ते(स्वतन्त्र) उपभोग व्यय का परिकलन कीजिए।
राष्ट्रीय आय = 500
सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 0.30
निवेश व्यय = 100
उत्तर: MPC = 1 – MPS = 1 – 0.30 = 0.70
हम जानते हैं कि
y = C + 1
500 = C + 100
C = 500 – 100 = 400

प्रश्न 3. एक अर्थव्यवस्था, जो कि सन्तुलन में है, के बारे में निम्नलिखित आँकड़ों से निवेश व्यय का परिकलन कीजिए
राष्ट्रीय आय = 1000
सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 0.20
स्वायत्त (स्वतन्त्र) उपभोग व्यय = 100
उत्तर: C = C + by
C = 100 + 0.8 × 1000
C = 900
y = C + 1
1000 = 900 + 1
I = 100

प्रश्न 4. एक अर्थव्यवस्था, जो कि सन्तुलन में है, के बारे में निम्नलिखित आँकड़ों से सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का परिकलन कीजिए
राष्ट्रीय आय = 2000
स्वायत्त (स्वतन्त्र) उपभोग व्यय = 200
निवेश व्यय = 100
उत्तर: सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति = y = C + I
2000 = 200 + b × 2000 + 100
2000 – 300 = 2000b
1700 = 2000b
b = [latex]\frac { 1700 }{ 2000 } [/latex]
= 0.85

प्रश्न 5. एक अर्थव्यवस्था, जो कि सन्तुलन में है, के बारे में निम्नलिखित आँकड़ों से सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति का परिकलन कीजिए
राष्ट्रीय आय = 1500
स्वायत्त (स्वतन्त्र) उपभोग व्यय = 300
निवेश व्यय = 300
MPC = ?
उत्तर: y = C + I


प्रश्न 6. एक अर्थव्यवस्था, जो कि सन्तुलन में है, के बारे में निम्नलिखित आँकड़ों से स्वतन्त्र (स्वायत्त) उपभोग व्यय को परिकलन कीजिए
राष्ट्रीय आय = 1200
सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 0.20
निवेश व्यय = 100
उत्तर: आय = उपभोग + निवेश
1200 = C +80 × 1200 + 100
1200 = 960 + 100 + C
1200 – 1060 = C
140 = C

प्रश्न 7. निम्नलिखित के आधार पर सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति ज्ञात कीजिए
(i) सन्तुलन आय = ₹ 350
(ii) शून्य आय पर उपभोग व्यय = ₹ 20
(iii) निवेश व्यय = ₹ 50
उत्तर: सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति = 0.8
y = C + I y = i + by + I
350 = 20 + b × 350 + 50
350 = 70 + 350b
350 – 70 = 350b
280 = 350b
b = `\frac{ 280 }{ 350 }` = 0.8

प्रश्न 8. यदि औसत प्रवृत्ति (APS) 0.4, 0.6, 0.9 है तो औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) की गणना कीजिए।
उत्तर: सूत्र- APC = 1 – APS
(i) APC = 1 – 0.4 = 0.6
(ii) APC = 1 – 0.6 = 0.4
(iii) APC = 1- 0.9 = 0.1

प्रश्न 9. यदि सीमान्त प्रवृत्ति (MPC) 0.45, 0.65, 0.72 है तो सीमान्त बचत प्रवृत्ति की गणना कीजिए।
उत्तर: सूत्र – MPS = 1 – MPC
(i) MPS = 1 – 0.45 = 0.55
(ii) MPS = 1 – 0.65 = 0.35
(iii) MPS = 1 – 0.72 = 0.28

प्रश्न 10. यदि स्वायत्त आय ₹ 500 है और उपभोग आय ₹ 300 है तो औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) तथा औसत बचत प्रवृत्ति (APS) की गणना कीजिए।
उत्तर: दिया है-आय (Y) = 500, उपभोग (C) = 300, बचत = 500 – 300 = 200


प्रश्न 11. यदि स्वायत्त आय ₹ 10,000 है और बचत ₹ 3,000 है तो औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) तथा औसत बचत प्रवृत्ति (APS) की गणना कीजिए।
उत्तर: दिया हैआय (Y) = 10,000; बचत (S) = 3,000, उपभोग (C) 10,000 – 3,000 = 7,000


प्रश्न 12. नीचे दी गयी तालिका की सहायता से सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति (MPS) की गणना कीजिए।

उत्तर:


प्रश्न 13. नीचे दी गयी तालिका से सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC) की गणना कीजिए।

उत्तर:


प्रश्न 14. निम्नलिखित तालिका को पूरा कीजिए

आय (Y)

बचत (S)

सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति (MPC)

औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC)

0

-20

 

 

50

-10

 

 

100

0

 

 

150

30

 

 

200

60

 

 


उत्तर:

प्रश्न 15. नीचे दी गयी तालिका को पूरा कीजिए

उत्तर:


प्रश्न 16. नीचे दी गयी तालिका को पूरा कीजिए

उत्तर:


प्रश्न 17. नीचे दी गयी तालिका को पूरा कीजिए

उत्तर:


प्रश्न 18. निम्नलिखित तालिका को पूरा कीजिए

उत्तर:


प्रश्न 19. एक अर्थव्यवस्था में निम्न उपभोग फलन दिया गया है
C = 100 + 0.5
एक संख्यात्मक ज्दाहरण लेकर दर्शाइये कि इस अर्थव्यवस्था में जब आय में वृद्धि होती है तो APC में कमी आती है।
उत्तर: दिया है
C = 100 + 0.5Y
Y = 0; C = 100
यहाँ C = 100 + 0.5(100) = 100 + 500 = 600


प्रश्न 20. अर्थव्यवस्था में सृजित आय स्वायत्त निवेश से दुगनी है। MPC तथा MPS का मूल्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:



JCERT/JAC REFERENCE BOOK

विषय सूची

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची


Economics Group-A

1. व्यष्टि अर्थशास्त्र परिचय (Micro Economics Introduction)

2. उपभोक्ता का संतुलन (Consumer's Equilibrium)

3. उपभोक्ता व्यवहार एवं माँग (Consumer Behavior and Demand)

4. उपभोग फलन (Consumption Function)

5. उत्पादक व्यवहार एवं पूर्ति (Consumer Behavior and Supply)

6. मांग की अवधारणा (Concept of Demand)

7. मांग की कीमत लोच (Price Elasticity of Demand)

पूर्ति की अवधारणा (Concept of Supply)

9. उत्पादन फलन (Production Function)

10. उत्पादन की अवधारणा (Concept of Production Function)

11. लागत की अवधारणा (Concepts of Cost)

12. फर्म का संतुलन (Firm’s Equilibrium)

13. आगम की अवधारणा (Concepts of Revenue)

14. बाजार सन्तुलन (Market Equilibrium)

15. बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण (Forms of Market and Price Determination)

16. बाजार के अन्य स्वरूप (Other Forms of Markets)

17 पूर्ण प्रतियोगी बाजार (Perfect Competition Markets)

Economics Group-B

समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Introduction to Macroeconomics)

राष्ट्रीय आय का लेखांकन (Accounting of National Income)

मुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking)

1.राष्ट्रीय आय(National Income)

2.राष्ट्रीय आय (National Income)

3. राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित समुच्चय (Aggregates related to national income) 

4. राष्ट्रीय आय का मापन (National Income Measurement)

5. आय एवं रोजगार का निर्धारण (Determination of Income And Employment)

6. मुद्रा एवं बैंकिंग (Money and Banking)

7. केन्द्रीय बैंक: कार्य एवं साख नियन्त्रण (Central Bank: Functions & Credit Control)

8. मुद्राः अर्थ, कार्य एवं महत्त्व (Money: Meaning, Functions and Importance)

9. भुगतान संतुलन (Balance of Payment)

10. सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था (Government Budget and The Economy)

11. Government_Budget_And_Economy

12. Commercial-Banks (व्यापारिक बैंकः अर्थ एवं कार्य)

13. Concepts-of-Excess-Deficient-Demand(अधिमाँग एवं न्यून माँग अवधारणा )

14, Income-Production-Determination(आय-उत्पादन का निर्धारण )

15. Foreign Exchange Rate (विदेशी विनिमय दर)

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