प्रोजेक्ट परख (तैयारी उड़ान की)
वर्ग : XII विषय :- अर्थशास्त्र Set-3
पूर्णांक : 80 कुल समय: 3 घंटे 15 मिनट
01. इस प्रश्न-पुस्तिका में दो भाग-A तथा भाग B है।
02. भाग-A में 30 अंक के बहुविकल्पिक प्रश्न तथा भाग B में 50 अंक के विषयनिष्ट प्रश्न है।
03. परीक्षार्थी को अलग से उपलब्ध कराई गई उत्तर पुस्तिका में उत्तर देना है।
04. भाग- A इसमें 30 बहुविकल्पिक प्रश्न हैं जिनके 04 विकल्प (A,B,C, तथा D) है। परीक्षार्थी को उत्तर पुस्तिका में सही उत्तर लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न 01 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जायेगा।
05. भाग-B इस भाग में 03 खण्ड खण्ड A, B तथा C है। इस भाग में अतिलघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रकार के विषयनिष्ट प्रश्न है। कुल प्रश्न की संख्या 22 है।
खण्ड A- प्रश्न संख्या 31-38 अति लघु उत्तरीय है। किन्हीं 06 प्रश्नो के उत्तर दे। प्रत्येक प्रश्न 02 अंक का है।
खण्ड B- प्रश्न संख्या 39-46 लघु उत्तरीय है। किन्हीं 06 प्रश्नो के उत्तर दे। प्रत्येक प्रश्न 03 अंक का है। प्रत्येक
प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दे।
खण्ड C- प्रश्न संख्या 47-52 दीर्घ उत्तरीय है। किन्हीं 04 प्रश्नो के उत्तर दे। प्रत्येक प्रश्न 05 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दे।
06. परीक्षार्थी यथासम्भव अपने शब्दों में ही उत्तर दे।
Part A :- बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions) 1X30=30
1. व्यष्टि अर्थशास्त्र की शाखाएँ कौन सी है?
(अ)
वस्तु कीमत निर्धारण
(ब)
साधन कीमत निर्धारण
(स)
आर्थिक कल्याण
(द) उपयुक्त सभी
2. उस वक्र का नाम बताईए जो आर्थिक समस्या को दर्शाता है-
(अ)
उत्पादन वक्र
(ब)
मांग वक्र
(स)
उदासीनता वक्र
(द) उत्पादन सम्भावना वक्र
3. कीमत या बजट रेखा का ढाल होता है-
(अ) `\frac{-P_x}{P_y}`
(ब) `\frac{-P_y}{P_x}`
(स) `\frac{+P_x}{P_y}`
(द) `\frac{+P_y}{P_x}`
4. मांग को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित में कौन से है?
(अ)
कीमत
(ब)
आय में परिवर्तन
(स)
उपभोक्ता की रूचि
(द) उपर्युक्त सभी
5. निम्नलिखित चित्र प्रदर्शित करता है -
(अ) अधिक लोचदार माँग
(ब) पूर्णत: लोचदार माँग
(स) पूर्णत: बेलोचदार माँग
(द) कम लोचदार माँग
6. निम्न में कौन उत्पादन फलन को व्यक्त करता है?
(अ)
C=f(Q)
(ब) Q=f(C)
(स)
Q = f(P)
(द)
इनमें से कोई नहीं
7. किस बाजार में AR=MR होता है?
(अ)
एकाधिकार
(ब)
एकाधिकारी प्रतियोगिता
(स)
अ तथा ब दोनो में
(द) पूर्ण प्रतियोगिता
8. "पूर्ति अपने लिए माँग स्वंय ही उत्पन्न कर लेती है" यह
किसका कथन है?
(अ) प्रो.जे.बी. से
(ब)
रिकार्डो
(स)
प्रो. पीगू
(द)
कीन्स
9. किस बाजार में वस्तु विभेद पाया जाता है?
(अ)
शुद्ध प्रतियोगिता
(ब)
पूर्ण प्रतियोगिता
(स) एकाधिकार
(द)
एकाधिकार प्रतियोगिता
10. निम्नलिखित में किसके अनुसार "किसी वस्तु की कीमत मांग और
पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है?
(अ)
जेवन्स
(ब)
वालरस
(स) मार्शल
(द)
इनमें से कोई नहीं
11. निम्न में कौन सा जोडा सही है?
(अ)
पूर्णतया लोचदार पूर्ति es = ∞
(ब)
अधिक लोचदार पूर्ति es > 1
(स)
पूर्णताया बेलोचदार
पूर्ति es = 0
(द) उपर्युक्त सभी
12. फर्म के संतुलन की प्रथम शर्त है?
(अ) MC= MR
(ब)
MR = TR
(स)
MR = AR
(द)
AC = AR
13. निम्न में से कौन सा कथन सत्य है?
(अ)
AC = TFC-TVC
(ब)
AC = AFC + TVC
(स)
AC = TFC + AVC
(द) AC = AFC + AVC
14. अल्पकालीन उत्पादन की दशा में एक विवेकशील उत्पादक किस अवस्था तक
उत्पादन करना पसंद करें?
(अ)
प्रथम अवस्था
(ब) द्वितीय अवस्था
(स)
तृतीय अवस्था
(द)
इनमें से कोई नहीं
15. सामान्य कीमत स्तर का अध्ययन किया जाता है-
(अ)
व्यष्टि अर्थशास्त्र में
(ब) समष्टि अर्थशास्त्र
(स)
दोनो अ तथा ब
(द)
इनमें से कोई नहीं
16. द्वितीयक क्षेत्र में कौन सी सेवाएँ सम्मिलित है?
(अ)
बीमा
(ब)
बैंकिग
(स)
व्यापार
(द) विनियोग
17. क्या सत्य है?
(अ)
GNP=GDP+ घिसावट
(ब)
NNP = GNP + घिसावट
(स) NNP = GNP- घिसावट
(द)
GNP = NNP - घिसावट
18. एक अर्थव्यवस्था में कौन सा क्षेत्र सम्मिलित है?
(अ)
प्राथमिक
(ब)
द्वितीयक
(स)
तृतीयक
(द) इनमें सभी
19. निम्नलिखित में किसके अनुसार "मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य
करें।"
(अ) हार्टले विदर्स
(ब)
हाट्रे
(स)
प्रो. थॉमस
(द)
कीन्स
20. साख गुणक होता है-
(अ) 1/CRR
(ब)
नकद x 1/CRR
(स)
नकद X CRR
(द)
इनमें से कोई नहीं
21. भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना हुई-
(अ)
1947 में
(ब) 1935 में
(स)
1937 में
(द)
1945 में
22. नरसिम्हन समिति का संबंध निम्नलिखित में किससे है?
(अ)
कर सुधार
(ब) बैंकिंग सुधार
(स)
कृषि सुधार
(द)
आधारभूत संरचना सुधार
23. कीन्स का रोजगार सिद्धान्त निम्नलिखित में किस पर निर्भर है?
(अ) प्रभावपूर्ण माँग
(ब)
पूर्ति
(स)
उत्पादन क्षमता
(द)
इनमें से कोई नहीं
24. MPC का मान होता है-
(अ)
1
(ब)
0
(स) 0 से अधिक किन्तु 1 से कम
(द)
अनन्त
25. राजकोषीय नीति के अन्तर्गत निम्नलिखित में किसे शामिल किया जाता
है?
(अ)
सार्वजनिक व्यय
(ब)
करारोपण
(स)
सार्वजनिक ऋण
(द) उपर्युक्त सभी
26. भारत का वित्तीय वर्ष है?
(अ) 01 अप्रैल से 31 मार्च
(ब)
01 जनवरी से 31 दिसम्बर
(स)
30 अक्टूबर से 01 सिम्बर
(द)
इनमें से कोई नहीं
27. प्रत्यक्ष कर है?
(अ)
आय कर
(ब)
उपहार कर
(स) अ और ब दोनो
(द)
इनमें से कोई नहीं
28. विदेशी विनिमय दर का निर्धारण होता है?
(अ)
सरकार द्वारा
(ब)
मोल-तोल द्वारा
(स)
विश्व बैंक द्वारा
(द) माँग एवं पूर्ति शक्तियों द्वारा
29. भुगतान शेष का घटक है?
(अ)
चालू खाता
(ब)
पूँजी खाता
(स) 'अ' तथा 'ब' दोनो
(द)
इनमें से कोई नहीं
30. व्यापार शेष है?
(अ) दृश्य मदों का निर्यात - दृश्य मदों का आयात
(ब)
दृश्य तथा अदृश्य मदों का निर्यात - दृश्य तथा अदृश्य मदों का आयात
(स)
दृश्य मदों का आयात - दृश्य मदों का निर्यात
(द)
इनमें से कोई नहीं
Part B Section A अति लघु उतरीय प्रश्न
किन्ही 6 प्रश्नों का उतर दे। 2X6=12
31. आर्थिक क्रिया क्या है?
उत्तर-
आर्थिक क्रिया वह क्रिया है जिसका संबंध आवश्यक्ताओं की संतुष्टि के लिए सीमित साधनों
के उपयोग से है। सभी आर्थिक क्रियाएँ अनिवार्य रूप से आय का श्रृजन नहीं करती अर्थात्
आर्थिक क्रिया से आय का श्रृजन हो भी सकता है और नहीं भी। जैसेः उपभोग एक आर्थिक क्रिया
है लेकिन इससे आय का श्रृजन नहीं होता है।
32. उपभोक्ता संतुलन का अर्थ क्या है?
उत्तर-
एक उपभोक्ता उस समय संतुलन की अवस्था में होता है, जब वह अपने चयन को वर्तमान परिस्थितियों
में सबसे अच्छा मानता है और वह अपने व्यवहार में तब तक कोई परिवर्तन करना नहीं चाहता
है जब तक कि वर्तमान परिस्थिति में ही परिवर्तन न हो जाय।
33. कुल आगम, औसत आगम और सीमांत आगम से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
कुल आगम किसी फर्म का कुल आगम वस्तु की एक इकाई कीमत तथा कुल विक्रय की गई इकाईयों
के गुणनफल द्वारा प्राप्त किया जाता है।
कुल
आगम = बिक्री इकाईयों X प्रति इकाई मूल्य
औसत
आगम:- उत्पादन की प्रति इकाई बिक्री से प्राप्त होने वाला आगम औसत आगम होता है।
`AR=\frac{TR}Q`
सीमांत
आगम: उत्पादक को वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई की किसी से प्राप्त आगम को सीमांत आगम कहते
है।
अर्थात कुल आगम में परिवर्तन की दर। MR = TRn - TRn-1
or, `MR=\frac{\Delta TR}{\Delta Q}`
34. बाजार को पारिभाषित कीजिए ?
उत्तर-
बाजार का अर्थ उस समस्त क्षेत्र से होता है जहाँ क्रेता एवं विक्रेता फैले हुए होते
है। जिन्हें स्वतंत्र एवं पूर्ण प्रतियोगिता या अपूर्ण प्रतियोगिता होती है जो आपसी
सौदेबाजी द्वारा एक ही या विभिन्न किमतों पर वस्तु का क्रय-विक्रय करते है।
35. राष्ट्रीय आय के चक्रीय प्रवाह से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मौद्रिक आय
के प्रवाह या वस्तुओं और सेवाओं के चक्रीय रूप में प्रवाह से है। इसे चक्रीय प्रवाह
इसलिए कहते है क्योंकि इस प्रवाह का न कोई आरम्भ होता है और न ही कोई अंत होता है।
यह निरन्तर एक चक्र के रूप में प्रवाहित होता रहता है।
36. व्यापारिक बैंक के दो कार्य बताईए?
उत्तर – उत्तर-
व्यापारिक बैंक का दो महत्वपूर्ण कार्य है-
(क)
जमाएं स्वीकार करना
(ख)
ऋण देना।
37. सीमांत उपभोग प्रवृत्ति को परिभाषित कीजिए?
उत्तर-
सीमांत उपभोग प्रवत्ति उपभोग में होने वाले परिवर्तन तथा आय में होने वाले परिवर्तन
का अनुपात है।
`MPC=\frac{\Delta C}{\Delta Y}`
∆C
= उपभोग में परिवर्तन , ΔY
= आय में परिवर्तन
38. 'से' का बाजार नियम क्या है?
उत्तर-
फ्रांसीसी अर्थशास्त्री जे.बी.से. ने अपनी पुस्तक Traited Economics Palitique में
से एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे 'से' का बाजार नियम कहा जाता है। इस नियम के अनुसार
"पूर्ति अपनी माँग का निर्माण स्वयं करती है।" अर्थात जहाँ उत्पादन पूर्ति
में वृद्धि लाता है, वही दूसरी ओर साधनों को दी जाने वाली आय के रूप में माँग में वृद्धि
लाता है।
Part B Section B लघु उतरीय प्रश्न
किन्ही 6 प्रश्नों का उतर दे। 3X6=18
39. माँग की कीमत लोच से क्या समझते है? इसकी कितनी श्रेणियाँ होती
है?
उत्तर-
माँग की कीमत लोच किसी वस्तु की कीमत में होने वाले अनुपातिक परिवर्तन तथा उस वस्तु
की माँग में होने वाले अनुपातिक परिवर्तन का अनुपात है।
`E_d=\left(-\right)\frac{\frac{\Delta Q}Q}{\frac{\Delta P}P}`
`E_d=\left(-\right)\frac{\Delta Q}Q\times\frac P{\Delta P}`
माँग
की लोच की 5 श्रेणियाँ है :-
(i)
सापेक्षित : लोचदार माँग
(ii)
सापेक्षित: बेलोचदार माँग
(iii)
इकाई लोचदार माँग
(iv)
पूर्ण बेलोचदार माँग
(v)
पूर्ण लोचदार माँग
40. एकाधिकार बाजार की तीन मुख्य विशेषताओं की व्याख्या करें?
उत्तर-
एकाधिकार बाजार की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित है :-
(i)
एक विक्रेता और अधिक क्रेता एकाधिकार बाजार में किसी वस्तु का एक ही उत्पादक या बिक्रेता
होता है जबकि क्रेताओं की संख्या अधिक होती है जिससे वह कीमत को प्रभावित नहीं कर सकता
है।
(ii)
निकट स्थानापन्नों का अभाव बाजार में एकाधिकारी का कोई निकट स्थानापन्न उपलब्ध नहीं
होता जिसके फलस्वस्वरूप वस्तु की माँग की आड़ी लोच शून्य होती है।
(iii)
एकाधिकार स्वयं कीमत निर्धारक बाजार में एकमात्र उत्पादक या विक्रेता होने के कारण
एकाधिकार अपनी वस्तु की कीमत और उत्पादन दोनो को निर्धारित कर सकता है। किन्तु दोनो
को एक समय में एक साथ निर्धारित नहीं कर सकता है।
41. "माँग और पूर्ति कैंची के दो फलक है।" इस कथन को मूल्य
निर्धारण के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- मार्शल ने पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में संतुलित कीमत निर्धारण की व्याख्या करते हुए कहा है कि वस्तु की कीमत उस बिन्दु पर निर्धारित होती है। जहाँ वस्तु की माँग तथा वस्तु की पूर्ति परस्पर बराबर हो जाते है। मार्शल ने अपने इस विचार के समर्थन में कैंची का उदाहरण दिया। उनके विचार में जिस प्रकार कैंची की दोनो फलके कागज को काटने के लिए आवश्यक है उसी प्रकार वस्तु की कीमत निर्धारण के लिए माँग और पूर्ति भी आवश्यक है। इसे एक चित्र से दिखा सकते है।
चित्र
में DD मांग
वक्र तथा SS आपूर्ति
वक्र है। दोनों E बिंदु
पर बराबर होते हैं। अतः बाजार में संतुलन कीमत OP(20
तथा मांग और पूर्ति
की मात्रा OQ(70)
है।
42. निम्नलिखित आँकड़ों से सीमांत लागत की गणना कीजिए :
उत्पादन
(इकाईयों में) |
कुल
लागत |
0 |
50 |
1 |
100 |
2 |
120 |
3 |
150 |
4 |
210 |
उत्तर-
उत्पादन (इकाईयों में) |
कुल लागत |
सीमांत लागत |
0 |
50 |
-- |
1 |
100 |
50 |
2 |
120 |
20 |
3 |
150 |
30 |
4 |
210 |
60 |
43. व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में क्या अन्तर है?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र
में निम्न अंतर है :-
व्यष्टि अर्थशास्त्र |
समष्टि अर्थशास्त्र |
इसमें व्यक्तिगत आर्थिक इकाईयों का अध्ययन होता है जैसे
फर्म, उपभोक्ता आदि |
इसमें सम्पूर्ण अर्थव्यस्था का वृहत एवं एक समग्र इकाई
के रूप में अध्ययन होता है, जैसे राष्ट्रीय आय, कुल रोजगार आदि |
यह पूर्ण रोजगार की मान्यता पर आधारित है |
यह संसाधनों की अपूर्ण रोजगार की मान्यता पर आधारित है। |
इसकी केन्द्रीय समस्या कीमत निर्धारण है |
इसकी प्रमुख समस्या उत्पादन एवं रोजगार का निर्धारण है |
यह विश्लेषण अपेक्षाकृत सरल है |
यह विश्लेषण अत्यंत जटिल है |
इसके मख्य उपकरण माँग और पूर्ति है |
इसके मुख्य उपकरण समग्र माँग एवं समग्र
पूर्ति है |
44. हरित सकल राष्ट्रीय उत्पाद क्या है?
उत्तर-
हरित सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(GNP) स्थायी आर्थिक वृद्धि को सूचित करता है। स्थिर आधार वर्ष का GNP उत्पादन के दौरान
देश में होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण एवं प्राकृतिक संसाधनों के नष्ट होने की प्रक्रिया
को अपनी गणना में सम्मिलित नहीं करता है। बढ़ते पर्यावरण प्रदुषण एवं प्राकृतिक संसाधनों
के अत्याधिक विदोहन के साथ GNP में होने वाली वृद्धि को स्थायी आर्थिक विकास की श्रेणी
में नहीं माना जा सकता है। इस प्रकार हरित GNP उस GNP को सूचित करता है। जो देश में
प्राकृतिक संसाधनों के उचित स्थायी प्रयोग एवं पर्यावरणीय प्रदुषण पर नियंत्रण करने
में सहायता देती है। अर्थात प्राकृतिक संसाधनों के अत्याधिक प्रयोग एवं पर्यावरणीय
प्रदुषण के साथ किया गया GNP आकलन हरित GNP कहलाता है।
45. तरलता जाल क्या है?
उत्तर-
प्रो० जे०एम० केन्स ने तरलता जाल
की व्याख्या की है। उन्होने मुद्रा की माँग को तरलता पसंदगी कहा। तरलता पसंदगी अर्थात
जनता द्वारा नगदी के रूप में मुद्रा की माँग। केन्स के अनुसार तरलता पंसदगी या मुद्रा
की माँग तीन उद्देश्यों के लिए की जाती है सौदा उद्देश्य, दूरदर्शिता उद्देश्य और सट्टा
उद्देश्य।
सौदा उद्देश्य और दूरदर्शिता उद्देश्य के लिए मुद्रा की माँग
ब्याज के प्रति बेलोच होती है किन्तु सट्टा उद्देश्य के लिए मुद्रा की माँग ब्याज के
प्रति लोचदार होती है। इसी संदर्भ में उन्होनें तरलता जाल की व्याख्या की।
कीन्स के अनुसार तरलता जाल वह दशा है जिससे सट्टे के लिए मुद्रा की माँग पूर्णतः लोचदार हो जाती है। यह पूर्ण तरलता पसंदगी की दशा है। तरलता जाल उस स्थिति को कहते है जब व्यक्ति न्यूनतम ब्याज दर पर बॉण्ड आदि में विनियोग करने की अपेक्षा धन को अपने पास नकदी के रूप में रखना पसंद करता है क्योंकि न्यूनतम ब्याजदर पर हानि होने की आंशंका होती है। इससे बचने के लिए व्यक्ति अतिरिक्त नकदी को निष्क्रिय परिसम्पत्ति के रूप में रखना चाहता है। जिसे एक रेखाचित्र से दिखा सकते है
46. भारतीय रिर्जव बैंक की मौद्रिक नीति के चार घटक लिखिए?
उत्तर-
भारतीय रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति
के चार घटक है-
(i) बैंक दर - बैंक दर वह दर है जिस पर किसी देश का केन्द्रीय बैंक, व्यापारिक
बैंकों को सरकारी एंव अन्य स्वीकृत प्रतिभूतियों की जमानत पर ऋण प्रदान करता है, इसे
कटौती दर भी कहते है।
(ii) खुले बाजार की क्रियाएँ- इसके तहत केन्द्रीय बैंक स्वयं मुद्रा बाजार एवं पूंजी बाजार
में सरकारी तथा अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री कर व्यापारिक बैंकों के
नकद कोष को प्रभावित करती है।
(iii) नकद कोष अनुपात में परिवर्तन- व्यापारिक बैंको को अपनी जमाओं का कुछ प्रतिशत केन्द्रीय
बैंक के पास जमा रखना अनिवार्य होता है। केन्द्रीय बैंक नगद कोष अनुपात में परिवर्तन
करके व्यापारिक बैंकों के नकद कोष को प्रभावित कर साख का विस्तार या संकुचन कर सकता
है।
(iv) सांविधिक तरलता अनुपात में परिवर्तन- प्रत्येक बैंक को अपनी परिसम्पत्तियों का एक निश्चित प्रतिशत
को अपने पास नकद रूप में या अन्य तरल परिसम्पत्तियों के रूप में कानूनी तौर पर रखना
पड़ता है जिससे परिवर्तन कर साख का विस्तार या संकुचन कर सकते है।
Part B Section C दीर्घ उतरीय प्रश्न
किन्ही 4 प्रश्नों के उतर दे। 5X4=20
47. उदासीनता वक्र किसे कहते है? उदासीनता वक्र द्वारा उपभोक्ता का
संतुलन बताईए।
उत्तर-
उपभोक्ता के
संतुलन को ज्ञात करने के लिए दो बातों को जानना आवश्यक है -(1) तटस्थता मानचित्र
तथा(2)कीमत रेखा
संतुलन के शर्त
संतुलन की दशा में उपभोक्ता का उदासीन वक्र कीमत रेखा को स्पर्श करेगा।
संतुलन बिंदु पर संतुष्टि अधिकतम तब होगी जब X वस्तु की Y वस्तु के लिए
सीमांत प्रतिस्थापन दर X वस्तु की कीमत और Yवस्तु की कीमत के बराबर हो जाए
अर्थात MRSxy=Px/Py
तटस्थता वक्र मूल बिंदु के प्रति उन्नतोदर होना चाहिए अर्थात संतुलन बिंदु पर सीमांत प्रतिस्थापन दर घटती हुई होनी चाहिए।
रेखा चित्र में उपभोक्ता संतुलन E बिंदु पर होगा
जहां कीमत रेखा AB को उदासीन वक्र IC1 स्पर्श कर रही है।
48. माँग का नियम समझाईए ? इस नियम की क्या मान्यताएँ है?
उत्तर-
माँग का नियम यह बताता है कि अन्य
बातों के समान रहने पर वस्तु की कीमत एवं वस्तु की मात्रा में विपरीत संबंध पाया जाता
है।
माँग का नियम वस्तु की कीमत और उस कीमत पर माँगी जाने वाली
मात्रा के गुणात्मक संबंध को बताता है। उपभोक्ता अपनी मनोवैज्ञानिक प्रवृति के कारण
कम कीमत पर अधिक माँग और अधिक कीमत पर कम माँग करता है जिस पर माँग का नियम आधारित
है अर्थात् अन्य बातें समान रहने पर किसी वस्तु की कम कीमत पर अधिक माँग की जाती है
विलोमशः स्थिर दशाओं में वस्तु की कीमत और वस्तु की माँग में विपरीत संबंध पाया जाता
है,
अर्थात् P समानुपाती 1/Q
P = कीमत
Q = मात्रा
यह नियम केवल कीमत और माँग के परिवर्तन की दिशा बताता है,
परिवर्तन की मात्रा को नहीं बताता है।
अन्य बातें समान रहे वाक्यांश का अर्थ माँग के नियम की मान्याताएँ
हैं जो निम्न है :-
1. उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
2. उपभोक्ता की रूचि, स्वभाव, पंसंद आदि में कोई परिवर्तन
नहीं होना चाहिए।
3. संबंधित वस्तुओं की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं होना
चाहिए।
4. किसी नवीन स्थानापन्न वस्तु का उपभोक्ता को ज्ञान नहीं
होना चाहिए।
5. भविष्य में वस्तु की कीमत में परिवर्तन की संभावना नहीं
होनी चाहिए।
49. परिवर्त्तनशील अनुपात के नियम की तीन अवस्थाओं की व्याख्या कीजिय?
उत्तर- उत्पादन में जब स्थिर साधनों के साथ परिवर्तनशील साधन की मात्रा में वृद्धि की जाती है तो श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण के कारण अविभाज्य साधन का कुशल प्रयोग संभव हो पाता है और एक बिंदु पर साधनों का आदर्श संयोग स्थापित होता है। इस बिंदु के बाद जैसे-जैसे परिवर्तनशील साधन की इकाईयों में वृद्धि की जाती है, वैसे-वैसे सीमान्त उत्पाद गिरता जाता है जिसे तीन अवस्थाओं में बाँटा गया है इसे एक तालिका से स्पष्ट कर सकते है
1. उत्पति के बढ़ते प्रतिफल की अवस्था:- प्रथम अवस्था में
स्थिर साधन को स्थिर रखकर परिवर्तनशील साधन की इकाइयों को जैसे-जैसे बढ़ाते है TP,
AP और MP तीनों बढ़ता है इसलिए इसे बढ़ते प्रतिफल की अवस्था कहतें है। प्रथम अवस्था
अंत वहाँ होता है जहाँ AP अधिकतम होता है। तालिका में 3 इकाई TVF बढ़ाने तक प्रथम अवस्था
है। प्रथम अवस्था और द्वितीय अवस्था के बीच मोड़ का बिंदु TP वक्र में होता है।
2. घटते प्रतिफल की अवस्था :- तालिका से स्पष्ट है कि
TVF की 4 इकाई प्रयोग से प्रारम्भ हो जाती है जहाँ से MP घटने लगता है जिसके कारण AP भी घटता है
लेकिन TP बढ़ता है यह अवस्था MP = 0 होने पर अंत हो जाती है।
3. ऋणात्मक प्रतिफल की अवस्था :- इस अवस्था में MP ऋणात्मक
हो जाता है जिसके कारण अब TP भी घटने लगता है।
उपरोक्त तीनों अवस्थाओं को एक रेखाचित्र से दिखा सकतें है
उपरोक्त रेखाचित्र में स्पष्ट है कि परिवर्तनशील साधन ON
मात्रा तक प्रथम अवस्था है जब TP, AP, MP तीनों बढ़ती है। TVF की NS मात्रा में दूसरी
अवस्था है जब MP, AP घटता है परन्तु TP बढ़ता है और TVF की OS मात्रा के बाद MP ऋणात्मक
हो जाता है जिसके कारण TP भी घटने लगता है इसे उत्पादन की तीसरी अवस्था कहतें है।
50. चार क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में चक्रीय प्रवाह को समझाइए ।
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह का चार क्षेत्रीय
मॉडल खुली अर्थव्यवस्था को प्रदर्शित करता है। चार क्षेत्रीय चक्रीय प्रवाह मॉडल में
विदेशी क्षेत्र या शेष विश्व क्षेत्र को सम्मिलित किया जाता है। वर्त्तमान समय में
अर्थव्यवस्था का स्वरूप खुली अर्थव्यवस्था का है जिसमें वस्तुओं का आयात एवं निर्यात
होता है। जब एक अर्थव्यवस्था शेष विश्व से आयात की गई वस्तु का भुगतान करती है तो इसमें
देश के बाहर शेष विश्व की ओर मुद्रा का प्रवाह होता है दूसरी ओर जब एक देश शेष विश्व
को निर्यात करता है तो दूसरे देश उसे भुगतान करते है इस प्रकार शेष विश्व से इस देश
की ओर मुद्रा का प्रवाह होता है। खुली अर्थव्यवस्था में आय प्रवाह के पाँच प्रमुख स्तम्भ
होते है-
1. परिवार क्षेत्र
2. व्यावसायिक फर्म
3. सरकारी क्षेत्र
4. शेष विश्व क्षेत्र
5. पूँजी बाजार
शेष विश्व क्षेत्र के समावेश होने पर आयात एवं निर्यात दोनो
का आय के चक्रीय प्रवाह पर प्रभाव पड़ता है। आयातों के होने पर चक्रीय प्रवाह से आय
का रिसाव होता है तथा निर्यात किए जाने पर चक्रीय प्रवाह में आय का अन्तः क्षेपण होता
है।
संतुलन की शर्त्त
Y=C+I+G+(X-M)
जहाँ Y = आय C = उपभोग I = निवेश G = सरकारी व्यय X-M शुद्ध निर्यात
51. एक व्यापारिक बैंक साख का निर्माण कैसे करता है? उदाहरण सहित स्पष्ट
करें?
उत्तर-
वर्त्तमान समय में व्यापारिक बैंक मुद्रा का केवल लेन-देन ही नहीं करता बल्कि साख का
निर्माण भी करता है।
प्रो.
हाॅम के
अनुसार बैंकों की जमाएँ दो प्रकार की होती हैं प्राथमिक जमाएँ और व्युत्पन्न जमा। प्राथमिक
जमाएँ वे जमाएँ होती है जो जमाकर्ताओं द्वारा बैंक वास्तविक मुद्रा के रूप में जमा
की जाती है। जब बैंक किसी व्यक्ति को ऋण देता है, तब वह बैंक अपने बैंक में उसके खातें
में ऋण राशि को डाल देता है तब उस खाते में बैंक द्वारा लिखी गई धनराशि व्युत्पन्न
जमा कहलाती है। व्युत्पन्न जमा साख जमा का परिणाम होता है, क्योंकि बैंक अपने नकद कोष
के आधार पर ही साख प्रदान करता है इसलिए इन व्युत्पन्न जमाओं को साख जमा भी कहते है।
बैंक
जितना अधिक ऋण देता है, उतना ही अधिक साख जमाएँ उत्पन्न होती है। इस प्रकार ऋण जमाओं
को उत्पन्न करते है और जमाएँ ऋणों को जन्म देती है।
उदाहरण
:-
1.
यदि कोई ग्राहक अपने बैंक A में 10,000 रुपये जमा करता है तो यह बैंक A का प्राथमिक
जमा राशि है।
2.
बैंक अपने अनुभव से यह जानता है कि ग्राहक किसी समय पर अपनी जमाओं का एक अंश की ही
माँग करते है इसलिए वह अपने ग्राहक के खाते में 10,000 रुपये नकदी नहीं बनायें रखता।
3.
इस मान्यता पर कि नकद कोष अनुपात 20 प्रतिशत है, बैंक A अपने पास 2000 रुपये नकद कोष
के रूप में रखेगा और बाकि 8000 रुपये उधार दे देगा।
4.
अब बैंक यह रुपया दिनेश को नकद के रूप में न देकर उसके खातें में जमा कर देता है। इस
प्रकार बैंक A में 8000 रुपये की व्युत्पन्न जमा उत्पन्न हो जाती है।
5.
अब दिनेश यदि किसी भुगतान के लिए चैक द्वारा यह रुपया सुरेश को दे देता है।
6.
सुरेश इसे अपने बैंक B में जमा करा देता है। अतः बैंक B में 8000 रुपये प्राथमिक जमा
में से उसका 20 प्रतिशत 1600 रुपये अपने पास नकद रूप में रखकर शेष 6400 रुपये किसी
अन्य व्यक्ति श्याम को उधार दे देगा अर्थात् श्याम के नाम उसके खाते में जमा कर देगा।
यह प्रक्रिया विभिन्न बैंकों में उस समय तक चलती रहेगी जब
तक कि सम्पूर्ण पहली नकद प्राथमिक जमा राशि 10,000 रुपये में 5 गुणी वृद्धि (20%
CRR के आधार पर) नहीं हो जाती है।
इस प्रक्रिया को एक सारणी द्वारा समझ सकते है :-
बैंक |
प्राथमिक जमा |
बैंक द्वारा रखी गई नकद राशि |
ऋण (व्युत्पन्न जमा) |
A |
10000 |
2000 |
8000 |
B |
8000 |
1600 |
6400 |
C |
6400 |
1280 |
5120 |
D |
5120 |
- |
- |
|
50000 |
10000 |
40000 |
52. संतुलित तथा असंतुलित बजट की व्याख्या करें।
उत्तर-
संतुलित बजट वह बजट है जिसमें सरकार
की आय तथा व्यय दोनों बराबर होते है।
संतुलित बजटः- सरकार की आय = सरकार की व्यय
संतुलित बजट का आर्थिक क्रियाओं के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं
पड़ता है। इसके कारण न तो संकुचनकारी और न ही विस्तारवादी शक्तियाँ काम कर पाती है।
प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री सन्तुलित बजट लागू करने के पक्ष
थे। परन्तु सन् 1930 की महामंदी के फलस्वरूप संतुलित बजट की आलोचना की गई। प्रो. कीन्स
के अनुसार विकसित देशों में महामंदी तथा बेरोजगारी के समाधान हेतु और अर्द्धविकसित
देशों के विकास के संतुलित बजट उपयुक्त नहीं है क्योंकि संतुलित बजट इन समस्याओं का
समाधान नहीं हो सकता।
असंतुलित बजट - असंतुलित बजट वह बजट है जिसके सरकार की आय एवं सरकार की
आपस में बराबर नहीं होती है।
असंतुलित बजट दो प्रकार के होते है :-
1. बचत का बजट या अतिरेक बजट
2. घाटे का बजट
1. अतिरेक बजट :- अतिरेक बजट वह बजट है जिसमें सरकार की अनुमानित आय सरकार
के अनुमानित व्यय से अधिक होती है।
अतिरेक बजट :- सरकार की अनुमानित आय > सरकार की अनुमानित
व्यय
अतिरेक बजट स्फीति में वांछनीय होता है क्योंकि स्फीतिक दशाओं
में बचत का बजट अर्थव्यवस्था में सामूहिक माँग के स्तर को घटाकर स्फीतिक अंतराल को
कम करने में सहायक होता है।
अतिरेक बजट मंदी में अवांछनीय होता है क्योंकि सरकारी व्यय
कम होने से आर्थिक क्रियाओं में कमी आती है जो विनियोग एंव रोजगार को कम कर देता है
जो आय में कमी लाती है फलस्वरूप बचत और उपभोग घट जाता है जिससे अर्थव्यवस्था में संकुचन
होता है।
घाटे का बजट :- घाटे का बजट वह बजट है जिसमें सरकार की अनुमानित आय सरकार
के अनुमानित व्यय से कम होती है।
घाटे का बजटः- सरकार की अनुमानित आय < सरकार की अनुमानित
व्यय
इस बजट में सरकार जितनी मात्रा में मुद्रा अर्थव्यवस्था में खप सकती है, उससे अधिक मात्रा में मुद्रा अर्थव्यवस्था में प्रवाहित कर दी जाती है। फलतः अर्थव्यवस्था में विस्तारवादी शक्तियाँ बलवती हो उठती है इसलिए यह बजट मंदी में सहायक सिद्ध होती है। अर्थात् घाटे के बजट मंदी से अर्थव्यवस्था को निकालकर अर्थव्यवस्था का विस्तार करने में सहायक है।
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व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय स्मरण रखें (Remember an Introduction to Microeconomics)
आय/उत्पादक का संतुलन स्मरण रखे (Remember an Revenue/ Producer’s Equilibrium)
अधिमाँग-सरकारी बजट-विनिमय दर-भुगतानशेष-स्मरण रख (Remember an Excess Demand-Budget-Exchange-Balance)
उत्पादन फलन/ लागत स्मरण रखें (Remember an Production Function/ Cost)
पूर्ति/बाजार/बाजार संतुलन स्मरण रखे (Remember an Supply/ Market/Market Equilibrium)
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