GODDA PRE TEST QUESTION
ANNUAL INTERMEDIATE EXAMINATION (JAC) 2025
Subject Economics
Class-12th Time Allowed - 3 Hour. Full Marks-80.
सामान्य
निर्देश :-
1. सभी प्रश्नों के उत्तर देना
अनिवार्य है।
2. इस प्रश्न-पत्र में कुल
52 प्रश्न हैं।
3. गलत उत्तर के लिए कोई ऋणात्मक
अंक नहीं है।
4. प्रश्न संख्या एक से तीस
(1-30) बहुविकल्पीय प्रश्न है प्रत्येक प्रश्न के लिए चार विकल्प दिए गए है। सही विकल्प
(क, ख, ग, घ) का चयन कर अपना उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
5. प्रश्न संख्या इक्तीस से
अड़तीस (31-38) तक अति लघु उत्तरीय है और प्रत्येक प्रश्न के लिए 02 अंक निर्धारित
है।
6. प्रश्न संख्या उन्चालीस
से छियालीस (39-46) तक लघु उत्तरीय है और प्रत्येक प्रश्न के लिए 03 अंक निर्धारित
है।
7. प्रश्न संख्या सैतालीस से
बावन (47-52) तक दीर्घ उत्तरीय है और प्रत्येक प्रश्न के लिए 05 अंक निर्धारित है।
8. परीक्षा समाप्ति से पहले
किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा से बाहर जाने की अनुमति नहीं है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. व्यष्टि अर्थशास्त्र
के अन्तर्गत निम्न में किसका अध्ययन किया जाता है ?
(क) व्यक्तिगत परिवार
(ख) व्यक्तिगत फर्म
(ग) व्यक्तिगत उद्योग
(घ) उपर्युक्त
सभी
2. आर्थिक समस्या
मूलतः किस तथ्य की समस्या है ?
(क) चुनाव की
(ख) उपभोक्ता चयन की
(ग) फर्म चयन की
(घ) इनमें से कोई नहीं
3. किस अथव्यवस्था
में कीमत तंत्र के आधार पर निर्णय लिये जाते हैं ?
(क) समाजवादी
(ख) पूंजीवादी
(ग) मिश्रित
(घ) इनमें से कोई नहीं
4. उत्पादन संभावना
वक्र की ढाल गिरता है ?
(क) बायें से
दायें
(ख) दायें से बायें
(ग) ऊपर से नीचे
(घ) नीचे से ऊपर
5. बजट रेखा
की ढाल होती है:-
(क) `-\frac{P_x}{P_y}`
(ख) `-\frac{P_y}{P_x}`
(ग) `\frac{P_x}{P_y}`
(घ) `\frac{P_y}{P_x}`
6. समसीमान्त
उपयोगिता नियम के मूल प्रतिपादक कौन थे ?
(क) मार्शल
(ख) गोसेन
(ग) रिकार्डे
(घ) मिल
7. जब कुल उपयोगिता
अधिकतम होती है, तब सीमान्त उपयोगिता
(क) धनात्मक होती है
(ख) ऋणात्मक होती है।
(ग) शून्य होती
है
(घ) इनमें से सभी
8. मांग का नियम
है
(क) गुणात्मक
कथन
(ख) मात्रात्मक कथन
(ग) A और B दोनो
(घ) इनमें से कोई नहीं
9. गिफिन वस्तुओं
के लिए कीमत मांग की लोच होती है
(क) ऋणात्मक
(ख) धनात्मक
(ग) शून्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
10. उत्पादन
फलन को व्यक्त करता है -
(क) Qx = Px
(ख) Qx = f
(A, B, C, D)
(ग) Qx = Dx
(घ) इनमें से कोई नहीं
11. निम्नलिखित
में सही अंकित कीजिए
(क) TVC =
TC - TFC
(ख) TC = TVC - TFC
(ग) TFC = TVC + TC
(घ) TC = TVC X TFC
12. किस बाजार
में AR = MR होता है ?
(क) एकाधिकार
(ख) एकाधिकारी प्रतियोगिता
(ग) A और दोनो B
(घ) पूर्ण प्रतियोगिता
13. पूर्ति के
नियम को निम्नलिखित में कौन सा फलन प्रदर्शित करता है ?
(क) S =
f(P)
(ग) S = F(Q)
(घ) इनमें से कोई नहीं
14. किस बाजार
में वस्तु विभेद पाया जाता है ?
(क) शुद्ध प्रतियोगिता
(ख) पूर्ण प्रतियोगिता
(ग) एकाधिकार
(घ) एकाधिकारी प्रतियोगिता
15. यदि किसी
वस्तु की कीमत में 60% की वृद्धि हो, परन्तु पूर्ति में केवल 5% की वृद्धि हो ऐसी वस्तु
की पूर्ति होगी -
(क) अत्यधिक लोचदार
(ख) लोचदार
(ग) बेलोचदार
(घ) पूर्णतः लोचदार
16. अंग्रेजी
का शब्द 'मेक्रो' ग्रीक भाषा के शब्द 'मेक्रोज' से लिया गया है जिसका अर्थ है
(क) सूक्ष्म
(ख) व्यापक
(ग) व्यक्तिगत
(घ) इनमें से कोई नहीं
17. चक्रीय प्रवाह
के निम्नलिखित में कौन से प्रकार हैं ?
(क) वास्तविक प्रवाह
(ख) मौद्रिक प्रवाह
(ग) A और दोनो
B
(घ) इनमें से कोई नहीं
18. चार क्षेत्रीय
मॉडल के चक्रीय प्रवाह में संतुलन के लिए शर्त्त निम्नलिखित में कौन सी है?
(क) C+I
(ख) C+I+G
(ग)
C+I+G+(X-M)
(घ) इनमें से कोई नहीं
19. राष्ट्रीय
आय में निम्नलिखित में किसे शामिल किया जाता है ?
(क) लगान, मजदूरी, ब्याज
(ख) लगान, मजदूरी, वेतन
(ग) लगान, लाभ, ब्याज
(घ) लगान, मजदूरी,
वेतन, ब्याज, लाभ
20. राष्ट्रीय
आय का मापन निम्नलिखित में किस विधि से किया जाता है ?
(क) उत्पादन विधि
(ख) आय विधि
(ग) व्यय विधि
(घ) ये सभी
21. निम्नलिखित
में किसके अनुसार "मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करे।"?
(क) हार्टले
विदर्स
(ख) हाट्रे
(ग) प्रो० टामस
(घ) कीन्स
22. जनता का
बैंक कौन सा है ?
(क) व्यपारिक
बैंक
(ख) केन्द्रीय बैंक
(ग) A और दोनों B
(घ) इनमें से कोई नहीं
23. साख गुणक
होता है -
(ख) नगद x `\frac{P_x}{P_y}`
(ग) नगद x CPR
(घ) इनमें से कोई नहीं
24. "पूर्ति
स्वयं माँग का सृजन करती है" निम्नलिखित में किसने प्रतिपादित किया है ?
(क) जे०बी० से०ने
(ख) जे०एस० मिल० ने
(ग) कीन्स
(घ) रिकार्डो
25. MPC +
MPS =?
(क) 0
(ख) 1
(ग) अनन्त
(घ) इनमें से कोई नहीं
26. भारत का
वित्तीय वर्ष है
(क) 1 अप्रैल
से 31 मार्च
(ख) 1 जनवरी से 31 मार्च
(ग) 30 अक्टूबर से 1 सितम्बर
(घ) इनमें से कोई नहीं
27. प्रत्यक्ष
कर के अन्तर्गत निम्नलिखित में किसे शामिल किया जाता है -
(क) आय कर
(ख) उपहार कर
(ग) A और दोनो B
(घ) कोई नहीं
28. भारत में
एक रूपया का नोट कौन जारी करता है?
(क) भारतीय रिजर्व बैंक
(ख) भारत सरकार
का वित्त मंत्रालय
(ग) भारतीय स्टेट बैंक
(घ) इनमें से कोई नहीं
29. अदृश्य मदों
के अन्तर्गत निम्नलिखित में किसे सम्मिलित किया जाता है ?
(क) बैकिंग
(ख) जहाजरानी
(ग) सूचना
(घ) उपर्युक्त
सभी
30. बजट के प्रमुख
संघटक है
(क) बजट प्राप्तियाँ
(ख) बजट व्यय
(ग) A और दोनों
(घ) उपर्युक्त सभी
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
31. सीमान्त
उपयोगिता को स्पष्ट करें।
उत्तर-
किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग बढ़ाने पर कुल उपयोगिता में जितन वृद्धि होती
है उसे वस्तु की सीमांत उपयोगिता कहते हैं।
MU = TUn - TUn-1
32. संतुलन कीमत
क्या है ?
उत्तर-
संतुलन से अभिप्राय बाजार की उस दशा से है जिसमें वस्तु की मांग
व आपूर्ति बराबर होती है। कीमत बढ़ाने व घटाने वाली शक्तियां शांत हो जाती है।
33. उत्पादन
लागत को परिभाषित करें ?
उत्तर-
किसी उत्पाद के निर्माण या सेवा को बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए संसाधनों, जैसे कि
कच्चा माल, श्रम और अन्य के लिए भुगतान की गई कुल कीमत को उत्पादन लागत कहा जाता है।
34. उपयोगिता
के गणना वाचक विश्लेषण के प्रतिपादक कौन हैं ?
उत्तर-
मार्शल
35. समष्टि अर्थशास्त्र
को परिभाषित करें ?
उत्तर-
एम. एच. स्पेन्सर के अनुसार," समष्टि
अर्थशास्त्र का संबंध अर्थव्यवस्था अथवा उसके बड़े-बड़े हिस्सों
से है। इसके अंतर्गत ऐसी समस्याओं का अध्ययन किया जाता है जैसे बेरोजगारी का
स्तर, मुद्रास्फीति की दर राष्ट्र का कुल उत्पादन आदि जिनका संपूर्ण अर्थव्यवस्था के
लिए महत्व होता है"।
36. राष्ट्रीय
आय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- राष्ट्रीय आय का अर्थ है एक देश के सभी निवासियों द्वारा एक वर्ष की अवधि में अर्जित कुल साधन ( कारक) आय का जोड़।
`NY=\sum_{i=1}^nFY_i`
यहां NY = राष्ट्रीय आय , ∑ = कुल जोड़ , FY = कारक आय ( मजदूरी ,लगान , व्याज , लाभ ) , n = एक देश के सभी सामान्य निवासी।
37. ATM का पूर्ण
रूप क्या है ?
उत्तर-
AUTO MATED TELLER MACHINE (स्वयंचलित मुद्रा वितरण यंत्र
) इसका आविष्कार 1939 ई. में लूथर जार्ज सिमियन ने किया था।
38. बजट से क्या
तात्पर्य है ?
उत्तर-
सरकारी बजट एक वित्तीय वर्ष ( अप्रैल
1 से मार्च 31 तक ) की अवधि के दौरान
सरकार की प्राप्तियों ( आय ) तथा
सरकार के व्यय के अनुमानों का विवरण होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
39. उत्पादन
सम्भावना वक्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- एक ऐसा वक्र जो दिए हुए साधनों तथा तकनीक द्वारा दो वस्तुओं के उत्पादनों की वैकल्पिक संभावनाओं को प्रकट करता है, उत्पादन संभावना वक्र कहलाता है।
मान्यताएं
1. साधनों का पूर्ण तथा कुशलता पूर्वक प्रयोग किया जाता है।
2. उत्पादन की तकनीक स्थिर रहती है।
3. उत्पादन संभावना वक्र मूल बिंदु की ओर नतोदर होता है।
यदि अर्थव्यवस्था दो वस्तुओं का उत्पादन करता है तो इन सीमाओं के भीतर दोनों वस्तुओं के कई संयोगो का उत्पादन किया जा सकता है। इसे तालिका द्वारा प्रकट किया जाये तो उस तालिका को उत्पादन संभावना अनुसूची कहेंगे ।
वस्तुएं | उत्पादन संभावनाएं | ||||
संयोग | A | B | C | D | E |
गेहूं (लाख टन) | 100 | 90 | 70 | 40 | 0 |
कपड़ा (हजार गाठे) | 0 | 1 | 2 | 3 | 4 |
चित्र में, बिन्दु A,B,C,D,E क्रमश: गेहूं और कपड़ा के विभिन्न संयोग को व्यक्त करता है। इन बिंदुओं को मिलाने से एक वक्र प्राप्त होता है, जिसे उत्पादन संभावना वक्र कहते हैं। इसे रूपांतरण रेखा भी कहा जाता है ; क्योंकि इस रेखा से ज्ञात होता है कि यदि एक वस्तु X (कपड़ा) का अधिक उत्पादन किया जाता है तो दूसरी वस्तु Y(गेहूं) से उत्पादन के साधन हटाकर X वस्तु के उत्पादन में लगाये जाते हैं अर्थात Y वस्तु के साधन को X वस्तु के साधन में रूपांतरण किया जाता है।
40. सीमान्त
उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता के बीच सम्बन्ध को स्पष्ट करें ?
उत्तर-
कुल उपयोगिता :- उपभोक्ता द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तु की सभी इकाइयों से प्राप्त उपयोगिता के संपूर्ण योग को कुल उपयोगिता कहते हैं।
TU = ∑ MU
सीमांत उपयोगिता :- किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग बढ़ाने पर कुल उपयोगिता में जितन वृद्धि होती है उसे वस्तु की सीमांत उपयोगिता कहते हैं।
MU = TUn - TUn-1
कुल उपयोगिता तथा सीमांत उपयोगिता में संबंध
मात्रा | कुल उपयोगिता | सीमांत उपयोगिता | वर्णन |
0 | 0 | - | आरंभिक उपयोगिता |
1 | 8 | 8-0 =8 | |
2 | 14 | 14-8 =6 | |
3 | 18 | 18-14 =4 | धनात्मक उपयोगिता |
4 | 20 | 20-18 =2 | |
5 | 20 | 20-20 =0 | शून्य उपयोगिता |
6 | 18 | 18-20 =-2 | ऋणात्मक उपयोगिता |
चित्र और तालिका से निम्न बातें स्पष्ट है -
i. जब सीमांत उपयोगिता गिरती है तब कुल उपयोगिता में घटती दर पर वृद्धि होती है।
ii. जब सीमांत उपयोगिता शून्य होती है तब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।
iii. जब सीमांत उपयोगिता ऋणत्मक होती है तब कुल उपयोगिता गिरना शुरू हो जाती है।
41. अल्पकालीन
सीमान्त लागत वक्र 'U' आकार का क्यों होता है ?
उत्तर- अल्पकाल में औसत लागत वक्र 'U' आकार की होती है। इसके निम्नलिखित कारण है
(क) परिवर्तनशील अनुपात
:- अल्पकाल
में स्थित साधनों को स्थिर रखकर जब परिवर्तनशील साधन में वृद्धि की जाती है
तो सबसे पहले उत्पत्ति वृद्धि नियम लागू होता है जिसे लागत
ह्रास नियम भी कहा जाता है। उसके बाद लागत समता नियम और अंत में लागत वृद्धि नियम लागू
होता है जिसके कारण लागत वक्र 'U' आकार की होती है।
चित्र में, A से B तक लागत ह्रास नियम ,B पर समता नियम तथा B से C लागत वृद्धि नियम लागू होता है।
(ख) औसत लागत, औसत स्थिर लागत एवं औसत परिवर्तनशील लागत का योगफल होता है -
हम जानते हैं की , TC = TFC + TVC
X से भाग लागाने पर
`\frac{TC}x=\frac{TFC}x=\frac{TVC}x`
AC = AFC + AVC
जहां, X = उत्पादन , TC = कुल लागत , TFC = कुल स्थिर लागत
TVC = कुल परिवर्तनशील लागत , AC = औसत लागत , AFC = औसत स्थिर लागत , AVC = औसत परिवर्तनशील लागत
चित्र में AFC ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकती है लेकिन अक्ष को स्पर्श नहीं करती है। यह बतलाती है की उत्पादन बढ़ने से औसत स्थिर लागत घटती है लेकिन शून्य नहीं होती है। AC वक्र दोनों के योगफल से 'U' आकृति की प्राप्त होती है।
Q1F1 + Q1V1 = Q1A1
Q2F2 + Q2V2 = Q2A2
Q3F3 + Q3V3 = Q3A3
Q4F4 + Q4V4 = Q4A4
42. पूर्ण प्रतियोगिता
तथा एकाधिकार में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
अंतर का
आधार |
पूर्ण
प्रतियोगिता |
एकाधिकार |
विक्रेताओं
तथा क्रेताओं की संख्या |
बहुत
अधिक |
एक
विक्रेता परन्तु अनेक क्रेता |
वस्तु |
एक
समान |
एक
समान हो सकता है नहीं भी हो सकता |
कीमत |
एक
कीमत |
कीमत
विभेद के कारण कीमत समान नहीं होती |
फर्मो
का प्रवेश |
प्रवेश
की स्वतंत्रता |
प्रवेश
पर रुकावट |
बाजार
की दशाओं का ज्ञान |
पूर्ण
ज्ञान |
अपूर्ण
ज्ञान |
फर्म
की मांग वक्र |
पूर्णतया
लोचदार |
बहुत
कम लोचदार |
फर्म
की मांग विक्रय का ढलान |
पड़ी
हुई सरल रेखा |
नीचे
की ओर झुकी हुई कम लोचदार |
विक्रय
लागत |
नहीं
होता |
बहुत
कम |
कीमत
नियंत्रण |
कीमत
पर कोई नियंत्रण नही |
पूर्ण
नियंत्रण |
43. स्टॉक तथा
प्रवाह में क्या अंतर है ?
उत्तर-
स्टॉक (Stock) |
प्रवाह (Flow) |
1. स्टॉक का अर्थ किसी एक
विशेष समय बिन्दु पर मापी जाने वाली आर्थिक चर की मात्रा है। |
1. प्रवाह का अर्थ एक आर्थिक
चर की वह मात्रा है जिसे किसी समय अवधि के दौरान मापा जाता है। |
2. स्टॉक का कोई समय परिमाप
नहीं होता। |
2. प्रवाह का समय परिमाप
होता है जैसे, प्रति घंटा, प्रतिदिन, प्रति मास तथा प्रति वर्ष । |
3. उदाहरण- (a) मुद्रा का
परिमाप, (b) धन, (c) गोदाम में रखे गेहूँ की मात्रा, (d) टंकी में रखा पानी |
3. उदाहरण - (a) उपभोग,
(b) निवेश, (c) आय, (d) नदी में जल। |
44. मुद्रा के
मुख्य कार्य कौन-कौन से है ?
उत्तर-
क्राउथर के अनुसार, “मुद्रा वह वस्तु है जो विनिमय के माध्यम के रूप में
सामान्यतया स्वीकारी जाती है और साथ ही साथ में मुद्रा के माप और मुद्रा के संग्रह का
कार्य भी करे।”
प्रो.
किनले ने मुद्रा के कार्यो को निम्नलिखित तीन वर्गो में विभाजित किया
है -
(A) प्राथमिक या मुख्य कार्य :- इसे आधारभूत अथवा मौलिक कार्य
भी कहते हैं।
मुद्रा के मुख्य
कार्य दो है -
1. विनिमय का माध्यम
:-
वस्तु विनिमय प्रणाली की एक मुख्य कठिनाई यह थी कि उनमें आवश्यकताओ के दोहरे संयोग का अभाव पाया
जाता था। मुद्रा ने इस कठिनाई को दूर कर दिया है। आज किसी वस्तु को बेचकर मुद्रा प्राप्त कर ली जाती है और उस मुद्रा
से आवश्यकतानुसार बाजार में वस्तुएं खरीदी जाती है। अर्थात
मुद्रा विनिमय का माध्यम है।
2. मूल्य का मापक
:-
मुद्रा लेखे की इकाई के रूप में मूल्य का मापदंड करती है लेखे की इकाई से अभिप्राय
यह है कि प्रत्येक वस्तु तथा सेवा का मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जाता है। मुद्रा के द्वारा सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य अथवा कीमतों
को मापा जा सकता है तथा व्यक्त किया जा सकता है।
(B) गौण अथवा सहायक कार्य :- इस श्रेणी
में उन कार्यों को सम्मिलित करते हैं जो प्राथमिक कार्यों के सहायक है। इसमें निम्न कार्य है -
1. स्थगित भुगतानो का मान :- जिन लेन-देनो का भुगतान तत्काल न करके भविष्य
के लिए स्थगित कर दिया जाता है उन्हें स्थगित भुगतान कहा जाता है।
मुद्रा को स्थगित भुगतानो का मान इसलिए माना गया है
क्योंकि - (क) अन्य किसी वस्तु की
तुलना में इसका मूल्य स्थिर रहता है (ख) इसमें सामान्य स्वीकृति
का गुण पाया जाता है (ग) अन्य वस्तुओं की तुलना में यह अधिक टिकाऊ है (घ) स्थगित
भुगतानो के मान के रूप में कार्य करके मुद्रा पूंजी
निर्माण में सहायक होती है।
2. मूल्य का संचय :- मुद्रा के मूल्य संचय से अभिप्राय यह है कि मुद्रा को वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए खर्च करने का तुरंत कोई विचार
नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी आय का कुछ भाग भविष्य के लिए
बचाता है। इसे ही मूल्य का संचय कहा जाता है। मुद्रा के रूप में मूल्य का संचय करना सरल होता है क्योंकि (क) मुद्रा को सब लोग स्वीकार कर लेते हैं
(ख) मुद्रा के मूल्य में अधिक कमी या वृद्धि
नहीं होती है (ग) मुद्रा का संग्रह
सरलता से किया जा सकता है (घ) मुद्रा
के रूप में बचत करने में बहुत कम स्थान की आवश्यकता होती है।
3. मूल्य का हस्तांतरण :- मुद्रा मूल्य के हस्तांतरण का कार्य करती है, क्योंकि इसके माध्यम
से कोई व्यक्ति अपनी क्रय शक्ति दूसरे को दे सकता है अथवा
एक स्थान पर अपनी अचल संपत्ति को बेच कर दूसरे स्थान पर संपत्ति खरीद सकता है।
(C) आकस्मिक कार्य :- मुद्रा के
आकस्मिक कार्य निम्नलिखित है
(a) सामाजिक
आय का वितरण (b) साख निर्माण का आधार (c) अधिकतम संतुष्टि
का माप (d) राष्ट्रीय आय का वितरण (e) शोधन क्षमता की गारंटी
(f) पूंजी की तरलता में वृद्धि।
45. सरकार के
राजस्व प्राप्ति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
यह सरकार की सभी स्रोतों से प्राप्त
आय का जोड़ है जिसमें कर तथा गैर-कर राजस्व तथा व्यय शामिल होते हैं तथा राजस्व व्यय
इन प्राप्तियों से ही पूरे किये जाते हैं। इनमें व्यक्तिगत आय कर, निगम कर, सीमा शुल्क,
उत्पाद शुल्क आदि शामिल होते हैं। गैर-कर राजस्व प्राप्तियों में फीस, लाइसेंस एवं
परमिट, कीमतें, विशेष आंकन तथा विशेष कर शामिल होते हैं। ये प्राप्तियाँ अर्थव्यवस्था
में न तो देयताओं का निर्माण करती हैं और न ही परिसम्पत्तियों को कम करती हैं।
46. वस्तु विनिमय
प्रणाली से आप क्या समझते हैं। इनकी कौन-कौन सी कठिनाईयाँ हैं ? वर्णन करें।
उत्तर- विनिमय की वह प्रणाली, जिसमें विनिमय के साधन के रूप में
मुद्रा का प्रयोग नहीं होकर, वस्तु का प्रयोग होता है,
वस्तु विनिमय प्रणाली के नाम से जानी जाती है।
वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयां
(i) दोहरे
संयोग का अभाव- वस्तु-विनिमय प्रणाली
के अन्तर्गत विनिमय केवल उसी समय सम्भव हो सकता है जबकि व्यक्तियों के पास एक-दूसरे
की आवश्यकता की वस्तु हो और साथ ही वे आपस में एक-दूसरे से बदलने को तैयार हों परन्तु
ऐसा संयोग सदैव सम्भव नहीं है। उदाहरणार्थ-यदि एक व्यक्ति चावल के बदले में कपड़ा चाहता
है तो वह विनिमय तब ही कर सकेगा, जबकि उसे ऐसा कोई व्यक्ति मिल जाय जिसके पास बदलने
के लिए न केवल कपड़ा फालतू हो वरन् जिसे चावल की भी आवश्यकता हो परन्तु व्यावहारिक
जीवन में ऐसा दोहरा संयोग कठिनता से ही मिलता है।
(ii)
क्रय शक्ति संचय में कठिनाई- वस्तु विनिमय प्रणाली
में एक प्रमुख कठिनाई यह है कि भविष्य के लिए विनिमय शक्ति का संचय नहीं किया जा सकता
क्योंकि अधिकांश वस्तुएँ क्षयशील प्रकृति की होती हैं। फलस्वरूप पूँजी का निर्माण नहीं
हो सकता तथा उत्पादन का कोई भी कार्य बड़े पैमाने पर करना सम्भव नहीं हो सकता है।
(iii)
सर्वमान्य मूल्य मापक का अभाव - वस्तु
विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत मूल्य का कोई मानक न होने के कारण विनिमय की जाने वाली
प्रत्येक वस्तु का मूल्य निश्चित करना, एक कठिन काम है। उदाहरण के लिए, यह कैसे निश्चित
किया जायेगा कि कितने गेहूँ के बदले में एक मीटर कपड़ा मिलेगा या एक किलोग्राम गेहूँ
के बदले में कितना कपड़ा दिया जाएगा।
(iv)
वस्तुओं के विभाजन में कठिनाई- विनिमय
होने वाली वस्तुओं में कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनका विभाजन नहीं किया जा सकता। यदि
उनका विभाजन किया जाय तो वस्तु की उपयोगिता (एवं मूल्य) नष्ट हो जायेगी, जैसे-जीवित
जानवर। उदाहरणार्थ- मान लीजिये, यदि किसी व्यक्ति के पास एक बकरी है और वह इसके बदले
में दो (वस्तुएँ लेना चाहता है- गेहूँ और कपड़ा। ये वस्तुएँ दो भिन्न-भिन्न व्यक्तियों
के पास हैं। अब उसके सामने समस्या आती है कि वह बकरी किसे दे क्योंकि वह बकरी को टुकड़े-टुकड़े
करने की चेष्टा करता है तो उसे हानि उठानी पड़ती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
47. आर्थिक समस्या
क्यों उत्पन्न होती है ? अथवा आर्थिक समस्या के क्या कारण है।
उत्तर-
प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकताएं असीमित है परंतु उनको संतुष्ट करने वाले अधिकतर साधन
सीमित हैं । एक अर्थव्यवस्था के लिए यह संभव नहीं है कि वह प्रत्येक नागरिक के लिए
प्रत्येक वस्तु उत्पादन कर सके क्योंकि किसी भी अर्थव्यवस्था के पास इतने अधिक साधन
नहीं होते। अत एव प्रत्येक अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है कि अर्थव्यवस्था
के साधनों जैसे भूमि, श्रम, पूँजी आदि का किस प्रकार कुशलता पूर्वक प्रयोग किया जाए।
साधनों के चुनाव संबंधी इस
समस्या को ही आर्थिक समस्या कहा जाता है
आर्थिक समस्या के उत्पन्न होने
के तीन कारण निम्नलिखित हैं
(क) असीमित आवश्यकताएँ : मनुष्य
की आवश्यकताएं असीमित होती है कोई भी मनुष्य अपनी सभी आवश्यकताओं को पूर्ण रूप से संतुष्ट
नहीं कर सकता है अतः आर्थिक समस्या उत्पन्न होती है।
(ख) सीमित या दुर्लभ साधन
: आवश्यकताओं को संतुष्ट करने वाले अधिकतर वस्तुएं तथा सेवाएं सीमित या दुर्लभ होती
है।
दुर्लभता = D > S
पूर्ति की अपेक्षा मांग अधिक
होने से साधन दुर्लभ हो जाते हैं।
(ग) वैकल्पिक प्रयोग : प्रत्येक
साधन या वस्तु के वैकल्पिक प्रयोग होते हैं किंतु साधन सीमित तथा आवश्यकताएं अनंत होती
है अतः समाज को यह निर्णय लेना होता है कि कौन सी आवश्यकताओं को पहले संतुष्ट करें
तथा कौन सी बाद में यही चुनाव की समस्या है।
48. पूर्ण प्रतियोगिता
से आप क्या समझते हैं ? पूर्ण प्रतियोगिता की विभिन्न विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-
बोल्डिग के शब्दों में," पूर्ण प्रतियोगिता
बाजार की वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु के बहुत से क्रेता तथा विक्रेता होते हैं।
विक्रेता समरूप वस्तु को एक समान कीमत पर बेचते हैं। फर्म द्वारा कीमत निर्धारित नहीं
की जाती बल्कि उद्योग द्वारा निर्धारित होती है।"
1.
फर्मो या विक्रेताओं की अधिक संख्या :- किसी वस्तु को बेचने
वाले विक्रेताओं की संख्या इतनी अधिक होती है कि किसी एक फर्म द्वारा पूर्ति में की जाने वाली वृद्धि या कमी का बाजार
की कुल पूर्ति पर बहुत ही कम प्रभाव पड़ता है। अतएव कोई अकेला फर्म वस्तु की कीमत
को प्रभावित नहीं कर सकती।
2. क्रेताओ की अधिक संख्या :- क्रेताओं की संख्या बहुत अधिक होती है। इसलिए कोई
एक क्रेता कीमत को प्रभावित करने के योग नहीं होता।
3. एक सामान या समरूप वस्तुएं :- पूर्ण प्रतियोगिता
की दूसरी शर्त यह है कि सभी विक्रेता एक जैसी ही इकाइयां बेचते उनमें रुप, रंग, गुण या किस्म में किसी भी प्रकार का अंतर नहीं होता।
सभी वस्तुएं समरूप होती है।
4. फर्मों का स्वतंत्र प्रवेश व छोड़ना :-
पूर्ण प्रतियोगिता की अवस्था में किसी उद्योग में कोई भी फर्म
प्रवेश कर सकती है अथवा पुरानी फर्म उस उद्योग को छोड़ सकती है।
5. पूर्ण ज्ञान :-
क्रेता और विक्रेताओं को कीमत की पूरी - पूरी जानकारी होती है।
6. पूर्ण गतिशीलता :-
उत्पादन के साधन पूर्णतया गतिशील होते हैं। एक क्रेता उसी
फर्म से वस्तुएं खरीदेगा जहां वे सस्ती मिलेगी तथा एक साधन वही अपनी सेवाएं बेचेगा
जहां उसे अधिक कीमत मिलेगी।
49. एक फर्म
20 इकाइयों का उत्पादन कर रही है। उत्पादन के इस स्तर पर ATC तथा AVC क्रमशः 40 रूपये
तथा 37 रूपये के बराबर है। इस फर्म के TFC का पता लगाये।
उत्तर-
कुल लागत = 20 x 40 = ₹800
कुल परिवर्तनशील
लागत = 20 x 37
= ₹740
TC = TFC + TVC
TFC = TC - TVC
TFC = 800 - 740 = ₹60
50. भुगतान संतुलन
के असंतुलन के कौन कौन से कारण है? असंतुलन को दूर करने के क्या उपाय हैं ?
उत्तर-
भुगतान संतुलन से आशय देश के समस्त आयातो
एवं निर्यात एवं अन्य सेवाओं के मूल्य के सम्पूर्ण विवरण से होता
है। इसके अंतर्गत लेन-देन के दो पक्ष होते हैं। एक ओर तो देश
की विदेशी मुद्रा की लेनदारियो का विवरण रहता है जिसे धनात्मक
पक्ष कहते हैं तथा दूसरी ओर उस देश की समस्त देनदारियों का
विवरण रहता है जिसे ऋणात्मक पक्ष कहते हैं।
भुगतान
संतुलन
के प्रतिकूल होने के निम्नलिखित कारण है
(A) आर्थिक कारण
(a) सरकार द्वारा विकास
पर अत्यधिक खर्च :- इस कारण से बड़े पैमाने पर आयात
किये जाते हैं। फलस्वरुप भुगतान शेष
में घाटे का असंतुलन उत्पन्न हो जाता है।
(b) व्यापार चक्र :- मंदी
तथा तेजी के रूप में व्यापार चक्रो का चलना । तेजी के समय देश में बड़ी मात्रा में निर्यात किए जाते हैं। फलस्वरुप भुगतान शेष में 'बचत' का असंतुलन
पाया जाता है।
(c) मुद्रास्फीति की ऊंची दर :- घरेलू
बाजार में मुद्रास्फीति की ऊंची दर के कारण बड़ी मात्रा में आवश्यक वस्तुओं
का आयात करना पड़ता है। इससे अर्थव्यवस्था में भुगतान शेष
में घाटे का असंतुलन उत्पन्न हो जाता है।
(B) राजनीतिक
कारण
(a) राजनीतिक अस्थिरता :- देश में राजनीतिक
अस्थिरता के कारण विदेशों से प्रत्यक्ष निवेश तथा पोर्टफोलियो निवेश में कमी आती है
जिसके कारण भुगतान शेष के जमा पक्ष कम हो जाता है।
(b) लोकप्रिय नीति :- चुनाव के समय सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली लोकप्रियवादी नीतियों
के परिणामस्वरूप आयात शुल्को में
भारी कमी की जाती है जिससे आयातो को प्रोत्साहन प्राप्त होता
है तथा भुगतान शेष के घाटे में वृद्धि होती है
(C) सामाजिक कारण
(a) रुचि एवं प्राथमिकताओं
में अंतर :- विश्व के विभिन्न भागों में लोगों
की रुचियो तथा प्राथमिकताओं में परिवर्तन के कारण अन्तर्राष्ट्रीय
बाजार में मांग का स्वरूप भी बदल जाता है। यदि परिवर्तन अनुकूल
है तो बचत का और यदि प्रतिकूल है तो घाटे का भुगतान शेष हो जाता है।
(b) विभिन्न देशों
में पूर्वाग्रह :- विभिन्न देशों में
पूर्वधारणाएं या पूर्वाग्रह कई बार देशों (जैसे भारत तथा पाकिस्तान)
को महंगे आयात खरीदने तथा सस्ते निर्यात बेचने पर विवश कर
देते हैं। ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था को भुगतान शेष के घाटे
वाले असंतुलन का सामना करना पड़ता है।
प्रतिकूल भुगतान संतुलन को ठीक करने के निम्न तरीके हैं -
1. मुद्रा संकुचन
:-
मुद्रा संकुचन के फलस्वरूप देश में वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों
में कमी आ जाती है। जिससे निर्यात में वृद्धि हो जाती है। आय के कम होने के कारण लोगों की आयात करने की प्रवृत्ति कम हो
जाती है।
2. विनिमय ह्रास :- किसी देश के विनिमय
ह्रास से विदेशियों के लिए घरेलू वस्तुएं सस्ती हो जाती है
और आयात महंगे हो जाते हैं अतः निर्यात में वृद्धि तथा आयातो
मे कमी आ जाती है।
3. विनिमय नियंत्रण :- विनिमय नियंत्रण
पूंजी के निर्यात एवं बहिर्गमन को रोक कर भुगतान संतुलन को ठीक करने में सहायता देता
है।
4. अवमूल्यन :- अवमूल्यन के अंतर्गत
सरकारी घोषणा के अनुसार देश के मुद्रा के बाह्य मूल्य को कम कर दिया जाता है।
जिससे देश के निर्यात विदेशों में सस्ते पड़ते हैं
जबकि आयात महंगे हो जाते हैं।
5. अमौद्रिक उपाय :- (a) आयात में कमी करना (b) निर्यात को प्रोत्साहन (c) विदेशी निवेश को प्रोत्साहन (d) सरकार की आर्थिक नीतियों में परिवर्तन (e) विदेशी ऋण (f) विदेशी पर्यटकों को प्रोत्साहन ।
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आय/उत्पादक का संतुलन स्मरण रखे (Remember an Revenue/ Producer’s Equilibrium)
अधिमाँग-सरकारी बजट-विनिमय दर-भुगतानशेष-स्मरण रख (Remember an Excess Demand-Budget-Exchange-Balance)
उत्पादन फलन/ लागत स्मरण रखें (Remember an Production Function/ Cost)
पूर्ति/बाजार/बाजार संतुलन स्मरण रखे (Remember an Supply/ Market/Market Equilibrium)
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