Dumka Economics Model Set-3 2024-25
Art's Sci. Com.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1x30=30
सामान्य निर्देश
1. इम प्रश्न पुस्तिका में
दो भाग A और B है
2. भाग "A" मे
30 अंक बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग
"B" में 50 अंक के विषयनिष्ठ
प्रश्न
है।
3.1-30 तक प्रत्येक प्रश्न
1 अंक का है
4- 31 से 38 तक प्रत्येक प्रश्न
2 अंक का है जिसमे 6 प्रश्नों का उत्तर देना है
5. 39 से 46 तक लघु उत्तरीय
प्रश्न है
जो 3 अंक का है 150 शब्दो में उत्तर देना
है। केवल 6 प्रश्नों का ही उत्तर देना है।
6. 47 से 52 तक दीर्घउत्तरीय प्रश्न है जो 5 अक का है केवल 5 प्रश्नों का ही उत्तर देना है
(1) उत्पादन संभावना वक्र का ढाल गिरता है?
(A) बाँए से दाँए
(B) दाँए
से बाएँ
(C) नीचे
से ऊपर
(D) ऊपर
से नीचे
(2) आर्थिक समस्या मूल रूप से किस तथ्य की
समस्या है?
(A) उत्पादन
की
(B) उपभोग
की
(C) चुनाव की
(D) इनमे
से कोई नही
(3) कॉफी के मूल्य वृद्धि होने से चाय की मांग क्या होगी ?
(A) बढ़ती है
(B) घटती है
(C) स्थिर
रहती है
(D) इनमे
से कोई नही
(4) स्थानापन्न वस्तु का उदाहरण है?
(A) चाय तथा कॉफी
(B) चाय तथा चीनी
(C) दाल तथा ब्रेड
(D) इनमे
से कोई नही
(5) पूरक वस्तु का उदाहरण है?
(A) चाय
तथा चीनी
(B) जूते
तथा जूराब
(C) कलम
तथा स्याही
(D) उपर्युक्त सभी
(6) आवश्यक वस्तु की मांग की लोच होती है?
(A)
0
(B)
1
(C) एक से अधिक
(D) एक से कम
(7) जिस समयावधि में उत्पादन के सभी साधन
परिवर्तनशील होते हैं उसे कहते हैं?
(A) ग्रीष्मकल
(B) अल्पकाल
(C) दीर्घकाल
(D) शीतकाल
(8) वस्तु की पूर्ति
के निर्धारक घटक कौन सा है?
(A) वस्तु की कीमत
(B) संबंधित वस्तु की कीमत
(C) उत्पादन साधनों की कीमत
(D) उपर्युक्त सभी
(9) निम्नांकित चित्र प्रदर्शित करता है

(A) लोचदार पूर्ति
(B) पूर्णतया बेलोचदार
पूर्ति
(C) पूर्णतया लोचदार पूर्ति
(D) बेलोचदार पूर्ति
(10) किस प्रकार के
बाजार में एक फर्म कीमत स्वीकारक होती है
(A) पूर्ण प्रतियोगिता
(B) एकाधिकार
(C) एकाधिकार प्रतियोगिता
(D) अल्पाधिकार
(11) कीमत उस बिंदु पर
निर्धारित होती है जहां-
(A) वस्तु की मांग अधिक होती है
(B) वस्तु की पूर्ति अधिक होती है
(C) वस्तु की मांग और
पूर्ति बराबर हो
(D) इनमें से कोई नहीं
(12) एकाधिकार की निम्न में से कौन सी विशेषता नहीं है?
(A) एक विक्रेता तथा अधिक क्रेता
(B) विक्रय लागतें
(C) निकट स्थानापन्न का अभाव
(D) नई फर्म की प्रवेश पर प्रतिबंध
(13) जिस बाजार संरचना में केवल एक
विक्रेता हो उसे कहा जाता है?
(A) एकाधिकारी प्रतियोगिता
(B) एकाधिकार
(C) पूर्ण प्रतियोगिता
(D) इनमें से कोई नहीं
(14) निकट प्रतिस्थापन वस्तु किस प्रकार
की बाजार में पाई जाती है?
(A) पूर्ण प्रतियोगिता बाजार
(B) एकाधिकार
(C) एकाधिकारी प्रतियोगिता
(D) इनमें से कोई नहीं
(15) बजट रेखा की ढाल
होती है-
(A) -Px/Py
(B) -Py/Px
(C) +Px/Py
(D) +Py/Px
(16) भारत में कौन सी अर्थव्यवस्था है?
(A)
पूँजीवादी
(B)
समाजवादी
(C) मिश्रित
(D)
इनमे से कोई नहीं
17. निम्नलिखित में से कौन सी वस्तु मध्यवर्ती वस्तु है?
(A)
चीनी उत्पादन में मशीनों का प्रयोग
(B)
कार चलाने में पेट्रोल का प्रयोग
(C) बिस्कुट बनाने में आटे का प्रयोग
(D) उपरोक्त सभी
18. विदेशों में काम कर रहे भारतीयों की आय किसमें शामिल होगी,
(A)
भारत की घरेलु आय
(B)
हस्तांतरण आय
(C) विदेशों से प्राप्त साधन आय
(D)
आयात
19. व्यापक मुद्रा की माप है।
(A)
M1
(B)
M2
(C)M3
(7)
Mo
20. भारत में पहली बार विमुद्रीकरण कब किया गया?
(A)
1954
(B)
2016
(C)
1978
(D) 1946
21. MPC =?
(A) ∆C/∆Y
(B)
∆C=∆Y
(C) ∆Y/∆C
(D) ∆S/∆C
22. कीन्स के अनुसार अधिक पूँजी निवेश होने पर पूंजी की सीमान्त क्षमता (MEC) पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(A) घटती है
(B)
बढ़ती है
(c)
स्थिर रहती है
(D)
शून्य
हो जाती है
23. राजस्व घाटा =?
(A) राजस्व व्यय - राजस्व प्राप्तियां
(B)
राजस्व प्राप्तियां-राजख व्यय
(C) राजस्व व्यय + राजस्व प्राप्तियां
(D) राजख प्राप्तियां + राजस्व व्यय
24. ऐसे व्यय जो सरकार के लिए किसी परिसम्पति का सृजन नहीं करते है।
(A) राजस्व व्यय
(B)
पूँजीगत व्यय
(C)
A और B
(D) इनमें से कोई नहीं
25. ऐसी कर प्रणाली जिसके अन्तर्गत आय बढ़ने के साथ कर की दर कम होती है।
(A) प्रगतिशील कर
(B) प्रतिगामी कर
(C) आनुपातिक कर
(D) इनमें से कोई नही
26. समष्टि अर्थशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है?
(A) मार्शल
(B) एडम स्मिथ
(C) प्रो० किन्स
(D) रिकार्डो
27. निम्न में से कौन-सा विनिमय का सर्वोत्तम साधन है?
(A) वस्तु
(B) मुद्रा
(C) चेक
(क) हुंडी
28. बाजार का नियम किसने प्रस्तुत किया?
(A) J.B क्लार्क
(B) J.B. से०
(C) J.M कीन्स
(D) पीगू
29. यदि उपभोग की सीमांत प्रवृति 0.5 है तो गुणक का मान क्या होगा ?
(A) - 1
(B) 1
(C) 0.5
(D) 2
30. खुली तथा मुक्त अर्थव्यस्था में विनिमय दर कौन निश्चित करता है।
(A) सरकार
(B) विश्व बैंक
(C) माँग तथा पूर्ति
(D) इनमे से कोई नहीं
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (2x6=12) किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर दें।
31. किस अर्थव्यवस्था
में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र का अस्तित्व होता है?
उत्तर - मिश्रित अर्थव्यवस्था
32. व्यष्टि अर्थशास्त्र की परिभाषा
दें।
उत्तर- व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत
स्तर पर आर्थिक संबंधों अथवा आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे एक उपभोक्ता,
एक फर्म
33. कुल उपयोगिता से आप क्या समझते
है।
उत्तर- उपभोक्ता द्वारा
उपयोग की जाने वाली वस्तु की सभी इकाइयों से प्राप्त उपयोगिता के संपूर्ण योग को कुल
उपयोगिता कहते हैं।
TU = ΣMU
34. गिफिन पदार्थ क्या है?
उत्तर- ऐसी निम्न कोटि की
वस्तुएं हैं जिनका आय प्रभाव ऋणात्मक होता है तथा कीमत प्रभाव
धनात्मक होता है। इनके मूल्य में वृद्धि से इनकी माँग
में भी वृद्धि हो जाती है तथा मूल्य में कमी से माँग में भी कमी हो जाती है। ऐसी वस्तुओं
को गिफेन वस्तु कहते हैं। इसका प्रतिपादन रॉबर्ट गिफेन ने किया था।

जब मांग का नियम विफल हो जाता
है, तो कीमत और मात्रा के बीच विपरीत संबंध अच्छा नहीं रहता है। इसके बजाय, मांग वक्र
ऊपर की ओर झुक सकता है, जो ऊंची कीमत पर अधिक खरीदारी दर्शाता है।
35. बचत का परिभाषा दें।
उत्तर- बचत किसी व्यक्ति की खर्च न की गई आय को दर्शाती है। यह वह राशि है जो किसी निश्चित अवधि में घरेलू और अन्य व्यक्तिगत खर्चों को पूरा करने के बाद बचती है
36. रेपोदर क्या है?
उत्तर- रेपो दर वह दर है
जिस पर देश का केन्द्रीय बैंक अपने अनुसूचित वाणिज्यक बैंकों को
अल्पकालीन ऋण प्रदान करता है।
37. गुणक का सूत्र
लिखें।
उत्तर- गुणक, विनियोग में हुए परिवर्तन के फलस्वरुप आय में
होने वाले परिवर्तन का अनुपात है।"
`1.\Delta Y=K\Delta I,or,K=\frac{\Delta Y}{\Delta I}`
`2.K=\frac1{1-MPC}`
`3.K=\frac1{MPS}`
38. प्रगतिशील कर क्या है?
उत्तर- प्रगतिशील
कर वह कर है जिसकी दर आय अथवा संपत्ति में वृद्घि के साथ साथ बढ़ती जाती है। इस प्रणाली
में जिस व्यक्ति की आय जितनी अधिक होगी उससे उतना ही अधिक कर वसूला जायेगा।
लघु उत्तरीय प्रश्न किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर दें। 3x6=18
39. मांग फलन क्या है?
उत्तर- मांग फलन किसी बाजार में एक निश्चित समय पर किसी वस्तु की खरीदी जा सकने वाली विभिन्न मात्राओं और उन मात्राओं को निर्धारित करने वाले तत्त्वों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करता है।
40. सीमांत उपयोगिता और कुल उपयोगिता
के बीच सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कुल उपयोगिता :- उपभोक्ता द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तु की सभी इकाइयों से प्राप्त उपयोगिता के संपूर्ण योग को कुल उपयोगिता कहते हैं।
TU = ∑ MU
सीमांत उपयोगिता :- किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग बढ़ाने पर कुल उपयोगिता में जितन वृद्धि होती है उसे वस्तु की सीमांत उपयोगिता कहते हैं।
MU = TUn - TUn-1
कुल उपयोगिता तथा सीमांत उपयोगिता में संबंध
मात्रा | कुल उपयोगिता | सीमांत उपयोगिता | वर्णन |
0 | 0 | - | आरंभिक उपयोगिता |
1 | 8 | 8-0 =8 | |
2 | 14 | 14-8 =6 | |
3 | 18 | 18-14 =4 | धनात्मक उपयोगिता |
4 | 20 | 20-18 =2 | |
5 | 20 | 20-20 =0 | शून्य उपयोगिता |
6 | 18 | 18-20 =-2 | ऋणात्मक उपयोगिता |
चित्र और तालिका से निम्न बातें स्पष्ट है -
i. जब सीमांत उपयोगिता गिरती है तब कुल उपयोगिता में घटती दर पर वृद्धि होती है।
ii. जब सीमांत उपयोगिता शून्य होती है तब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।
iii. जब सीमांत उपयोगिता ऋणत्मक होती है तब कुल उपयोगिता गिरना शुरू हो जाती है।
41. स्थानापन्न और पूरक वस्तु को
परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
स्थानापन्न वस्तुएं |
पूरक वस्तुएं |
स्थानापन्न वस्तुओं का प्रयोग अलग-अलग या एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है
जैसे- चाय के स्थान पर कॉफी |
पूरक या प्रतिपूरक वस्तुओं का प्रयोग एक
दूसरे के साथ किया जाता है जैसे - चाय के साथ दूध |
एक वस्तु के दाम में वृद्धि होने से दूसरी
वस्तु की मांग में वृद्धि होती है जैसे -कॉफी के दाम में
वृद्धि होने पर चाय की मांग में वृद्धि |
एक वस्तु के दाम में वृद्धि होने
से दूसरी वस्तु की मांग में कमी हो जाती है जैसे चाय के दाम बढ़ने पर दूध की मांग
में कमी |
42. स्पष्ट और निहित लागत की परिभाषा
दें।
उत्तर- स्पष्ट लागत -
एक फर्म को बढ़ें आगत (Inputs) खरीदने या किराये पर लेने
पड़ते है। फर्म द्वारा उन बाहरी व्यक्तियों को जो उसे श्रम, माल, ईचन, यातायात,
चालक शक्ति आदि की पूर्ति करते है, मौद्रिक भुगतान करने पड़ते हैं। फर्म द्वारा
दूसरों को किए गए इन मौ भुगतानों को स्पष्ट लागते कहा जाता है।
लेफ्टविच के शब्दों में, "स्पष्ट लागते, वे नकद भुगतान हैं जो फर्म
द्वारा बाहरी व्यक्तियों को उनकी सेवाओं। वस्तुओं के लिए किए जाते हैं।"
निहित लागत- एक
फर्म के पास उत्पादन के कई आगत (Inputs) ऐसे होते हैं जिनकी स्वामी यह स्वयं होती
है तथा जिनका उपयोग भी स्वयं ही करती है। इनके लिए फर्म को किसी बाहरी व्यक्ति को
भुगतान नहीं करना पड़ता यदि फर्म उनका स्वयं प्रयोग करती। उसे इनकी बिक्री करने या
उन्हे किराये पर देने से प्राप्त होने वाली आय के अवसर का त्याग करना पड़ता है।
उदाहरण के लिए, जब फर्म अपनी इमारत का स्वयं प्रयोग करती है तो उसे किसी को किराया
नहीं देना पड़ता। परंतु इस इमारत को किसी अन्य व्यक्ति को किराये पर देने से जो
किराया प्राप्त हो सकता था उसकी हानि उठानी पड़ेगी। अर्थशास्त्र में एक फर्म के
अपने साधनों के प्रयोग की लागत को निहित लागत कहा जाता है।
लेफ्टविच के अनुसार, "अत्पादन की निहित लागतें स्वयं के स्वामित्व एवं
स्वयं के द्वारा लगाए गए साधनों की लागत है "
43. मध्यवर्ती वस्तु तथा अंतिम वस्तु
में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
अन्तिम
वस्तुएं |
मध्यवर्ती वस्तुएं |
अन्तिम वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिन्होंने उत्पादन की सीमा रेखा
को पार कर लिया है। |
मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं
जो अभी उत्पादन की सीमा रेखा में ही है। |
इनमें कोई मूल्य जोड़ना शेष नहीं है। |
मध्यवर्ती वस्तुओ में मूल्य जोड़ना शेष
रहता है। |
अंतिम उपभोग करने वालों
(जिनमें उपभोक्ता तथा उत्पादक सम्मिलित होते हैं) के लिए
तैयार होती है। |
अंतिम उपभोग करने के लिए
तैयार नहीं रहती। |
राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने
के लिए अंतिम वस्तुओं को सम्मिलित किया जाता है। |
राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने
के लिए सम्मिलित नहीं किया जाता है। |
44. औसत बचत प्रवृति
एवं सीमान्त बचत प्रवृत्ति में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर- औसत बचत प्रवृत्ति एक अर्थव्यवस्था के आय तथा रोजगार के एक दिए हुए स्तर पर समग्र बचत और समग्र आय का अनुपात है।
आय में होने वाले परिवर्तन (∆Y) के कारण बचत में होने वाले परिवर्तन (∆C) के अनुपात को सीमांत बचत प्रवृत्ति कहते हैं।
45. राजकोषीय घाटा,
राजस्व घाटा और प्राथमिक घाटा क्या है?
उत्तर-
राजकोषीय घाटा |
राजस्व घाटा |
प्राथमिक घाटा |
राजकोषीय घाटा कुल व्यय (राजस्व पूँजीगत) को उधार छोड़कर कुल प्राप्तियों पर
अधिकता दर्शाता है। |
राजस्व घाटा सरकार के राजस्व
व्यय की राजस्व प्राप्तियों पर अधिकता दर्शाता है। |
यह राजकोषीय घाटे तथा भुगतान किए जाने वाले ब्याज के अंतर को दर्शाता है। |
यह सरकार की ऋण आवश्यकताओं का संकेतक है। |
यह सरकार द्वारा उधार लेने
के कारणों की ओर ध्यान आकर्षित करता है। |
इससे यह जानकारी प्राप्त होती है कि ब्याज के अतिरिक्त खर्च चलाने के लिए
सरकार को और अधिक कितने धन की आवश्यकता है। |
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय उधार छोड़कर कुल प्राप्तियाँ |
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय
राजस्व प्राप्तियाँ |
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा ब्याज भुगतान |
46. विदेशी विनिमय दर
का क्या अर्थ है।
उत्तर- विदेशी
विनिमय
दर उस दर को कहते हैं जिस पर किसी देश की करेंसी की एक इकाई के बदले में दूसरे देश
की मुद्रा की कितनी इकाइयां मिल सकती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न किन्ही चार प्रश्नों का उत्तर दें। 5x4=20
47. माँग की मूल्य लोच का माप किस प्रकार किया जा सकता ?
उत्तर- प्रो.
बोर्डिंग के अनुसार," किसी वस्तु के
मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी मांग मात्रा में जो प्रतिशत परिवर्तन
होता है उसे मांग की लोंच कहते हैं।"
मांग की लोंच की माप
1. कुल व्यय प्रणाली :- इस विधि का प्रयोग मार्शल ने किया था इस विधि द्वारा यह पता लगाया जाता है की मांग की लोच इकाई से ज्यादा ,इकाई के बराबर है अथवा इकाई से कम है।
चित्र से, कुल व्यय = मूल्य × मात्रा
वस्तु पर किया गया कुल व्यय = OP × OQ = OQRP
नई कीमत पर कुल व्यय = OP1 × OQ1 = OQ1R1P1
कीमत बदलने पर कुल व्यय बढ़ेगा या घटेगा, यह मांग की मूल्य लोच पर निर्भर करता है।
मूल्य लोच | कीमत घटने पर | कीमत बढ़ने पर |
ep >1 | कुल व्यय बढ़ता है | कुल व्यय घटता है |
ep < 1 | कुल व्यय घटता है | कुल व्यय बढ़ता है |
ep =1 | कुल व्यय स्थिर रहता है | कुल व्यय स्थिर रहता है |
2. प्रतिशत प्रणाली :- प्रो. फ्लक्स ने इस प्रणाली का सर्वप्रथम प्रयोग किया
मांग की लोंच = (-) मांग में प्रतिशत परिवर्तन / मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन
`=(-)\frac{\Delta Q}{\Delta P}\times\frac PQ`
यदि भागफल 1 आता है तो मांग की लोंच इकाई के बराबर होता है। यदि भागफल 1 से अधिक आता है तो मांग की लोंच इकाई से अधिक होती है और यदि भागफल 1 से कम आता है तो मांग की लोंच इकाई से कम होती है।
3. बिन्दु प्रणाली या ज्यामितिक विधि :-
1. मांग की इकाई लोच :- यदि P बिन्दु रेखा के मध्य में स्थित है तो PN = PM इसलिए P बिन्दु पर मांग की लोच = `\frac{PN}{PM}`1 होगी।
2. इकाई से अधिक या लोचदार मांग :- यदि A बिन्दु मध्य बिन्दु P से ऊपर है तो निचला हिस्सा AN ऊपर के हिस्से AM से अधिक होगा। इसलिए A बिन्दु पर मांग की लोंच =`\frac{AN}{AM}`> 1 होगी।
3. इकाई से कम या बेलोचदार मांग :- यदि B बिन्दु P से नीचे है तो निचला हिस्सा BN ऊपर के हिस्से BM से कम होगा। इसलिए B बिन्दु पर मांग की लोंच =`\frac{BN}{BM}`< 1 होगी।
4. ep= 0 :- N बिन्दु पर मांग की लोंच = `\frac0{NM}` = 0
5. ep= `\infty` :- M बिन्दु पर मांग की लोंच = `\frac{NM}0=\infty`
4. चाप प्रणाली :- प्रो. स्टिगलर ने अपनी पुस्तक ' The Theory of Price' में बिन्दु प्रणाली को गणितीय फलनो तक सीमित ज्ञान कर मांग की लोंच की माप के लिए चाप प्रणाली का प्रयोग किया । इसमें नए एवं पुराने मूल्यों के औसत के आधार पर मांग की मूल्य लोंच की माप की जाती है।
`E_p=(-)\frac{\Delta Q}{\frac{Q_1+Q_2}2}\div\frac{\Delta P}{\frac{P_1+P_2}2}`
`=(-)\frac{\Delta Q}{\Delta P}\div\frac{P_1+P_2}{\Q_1+Q_2}`
48. एक फर्म का उत्पादन लागत निम्न प्रकार है:-
उत्पादन की इकाई |
कुल लागत |
0 |
60 |
1 |
80 |
2 |
100 |
3 |
111 |
4 |
116 |
5 |
130 |
6 |
150 |
गणना करों-
(i) कुल स्थिर लागत (TFC)
(ii) कुल परिवर्तनशील लागत (TVC)
(iii) औसत स्थिर लागत (AFC)
(iv) औसत परिवर्तनशील लागत (AVC)
(v) सीमान्त लगत (MC)
उत्तर-
उत्पादन की इकाई |
कुल लागत |
TFC |
TVC |
AFC |
AVC |
MC |
0 |
60 |
60 |
0 |
0 |
0 |
- |
1 |
80 |
60 |
20 |
80 |
80 |
20 |
2 |
100 |
60 |
40 |
50 |
25 |
20 |
3 |
111 |
60 |
51 |
37 |
12.3 |
11 |
4 |
116 |
60 |
56 |
29 |
7.25 |
5 |
5 |
130 |
60 |
70 |
26 |
5.2 |
14 |
6 |
150 |
60 |
90 |
25 |
4.16 |
20 |
49. एकाधिकार की परिभाषा दो। इसकी विशेषताएँ बताओ।
उत्तर- अंग्रेजी
के
मोनोपोली शब्द का अर्थ एक विक्रेता से होता है अंग्रेजी के मोनो का अर्थ है एक और पोली
का अर्थ है विक्रेता।
अतएव एकाधिकार बाजार की
वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु या सेवा का केवल एक ही उत्पादक होता है तथा उस वस्तु
का कोई निकटतम प्रतिस्थापन नहीं होता।
विशेषताएं
1. एक विक्रेता तथा अधिक क्रेता :- एकाधिकार में एक ही फार्म होती है परंतु वस्तु के
क्रेता काफी संख्या में होते हैं जिसके फलस्वरूप वस्तु की
कीमत को कोई एक क्रेता प्रभावित नहीं कर सकता।
2. नई फर्मों के प्रवेश पर बाधायें :- प्राय एकाधिकारी उद्योग
में नई फर्मों के प्रवेश पर कुछ बाधाएं या प्रतिबंध होते हैं
जैसे पेटेंट अधिकार।
3. निकटतम स्थानापन्न का अभाव :- एक विशुद्ध एकाधिकारी फर्म
वह है जो ऐसी वस्तु का उत्पादन कर रही है जिसका कोई प्रभावशाली स्थानापन्न नहीं होता।
4. कीमत नियंत्रण
:- चूंकि एकाधिकारी अकेला ही बाजार में वस्तु की
पूर्ति करता है इसलिए वस्तु की कीमत पर एकाधिकारी का नियंत्रण होता है। अतएव वह अपने
उत्पादन की कीमत कम या अधिक निर्धारित कर सकता है।
5. कीमत विभेद की संभावना :- एकाधिकार की स्थिति में कीमत
विभेद की संभावना हो सकती है। एकाधिकारी एक वस्तु को विभिन्न
क्रियाओं को अलग-अलग कीमतों पर बेच सकता है।
50. उपभोग प्रवृत्ति क्या है? यह कितने प्रकार के होते है।
उत्तर- उपभोग तथा आय के स्तर में संबंध उपयोग फलन कहलाता है।
C = ¦ (Y)
यहां, उपभोग (C), आय (Y) का फलन (¦) है।
आय
और उपभोग के सम्बन्ध की दो प्रकार से मापा जा सकता है अथवा उपभोग फलन या प्रवृत्ति
निम्न दो प्रकार की हो सकती है-
(1) औसत उपभोग प्रवृत्ति- आय
का वह भाग जो उपभोग पर खर्च किया जाता है, उसे औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
कुरिहारा के अनुसार,
"औसत उपभोग प्रवृत्ति उपभोग व्यय तथा एक आय के विशेष स्तर का अनुपात है।"
सूत्र के रूप में:
औसत
उपभोग प्रवृत्ति को निम्न सारणी द्वारा प्रकट किया जा सकता है:
आय (Rs.) |
उपभोग व्यय (Rs.) |
औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) |
100 |
80 |
0.8 |
200 |
120 |
0.6 |
रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण -
रेखाचित्र
में OX-अक्ष पर आय तथा OY-अक्ष पर उपभोग व्यय प्रकट किया गया है। CC उपभोग वक्र
है। इस वक्र से प्रकट होता है कि बिन्दु S पर APC
= 0.8 तथा बिन्दु T पर APC = 0.6 है।
जैसे-जैसे यह वक्र ऊपर की ओर उठ रहा है, औसत उपभोग प्रवृत्ति कम होती जा रही है।
(2) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति- आय
में थोड़ी-सी वृद्धि के फलस्वरूप उपभोग में जो वृद्धि होती है, उसे सीमान्त
उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं अर्थात् यह अतिरिक्त आय में से अतिरिक्त उपभोग आय है।
प्रो. कीजर के शब्दों में,
"सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति उपभोग योग्य आय में वृद्धि या कमी और उसके फलस्वरूप
उपभोग में वृद्धि या कमी के सम्बन्ध को दिखलाती है।"
सूत्र के रूप में
सीमान्त
उपभोग प्रवृत्ति को सारणी की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है
आय |
ΔΥ |
उपभोग |
ΔC |
MPC |
20 |
|
16 |
|
|
40 |
40-20=20 |
24 |
24-16=8 |
0.4 |
60 |
60-40=20 |
30 |
30-24=6 |
0.3 |
रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण -
रेखाचित्र
में OX-अक्ष पर आय तथा OY-अक्ष पर उपभोग प्रकट किया गया है। CC उपभोग वक्र है। इस
वक्र के बिन्दु से S की सीमान्त उपभोग
प्रवृत्ति 0.4 है।
51. वस्तु विनिमय प्रणाली की परिभाषा दो। इसकी प्रमुख कठिनाइयाँ बताओ।
उत्तर- विनिमय की वह प्रणाली, जिसमें विनिमय के साधन के रूप में
मुद्रा का प्रयोग नहीं होकर, वस्तु का प्रयोग होता है,
वस्तु विनिमय प्रणाली के नाम से जानी जाती है।
वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयां
(i) दोहरे
संयोग का अभाव- वस्तु-विनिमय प्रणाली
के अन्तर्गत विनिमय केवल उसी समय सम्भव हो सकता है जबकि व्यक्तियों के पास एक-दूसरे
की आवश्यकता की वस्तु हो और साथ ही वे आपस में एक-दूसरे से बदलने को तैयार हों परन्तु
ऐसा संयोग सदैव सम्भव नहीं है। उदाहरणार्थ-यदि एक व्यक्ति चावल के बदले में कपड़ा चाहता
है तो वह विनिमय तब ही कर सकेगा, जबकि उसे ऐसा कोई व्यक्ति मिल जाय जिसके पास बदलने
के लिए न केवल कपड़ा फालतू हो वरन् जिसे चावल की भी आवश्यकता हो परन्तु व्यावहारिक
जीवन में ऐसा दोहरा संयोग कठिनता से ही मिलता है।
(ii)
क्रय शक्ति संचय में कठिनाई- वस्तु विनिमय प्रणाली
में एक प्रमुख कठिनाई यह है कि भविष्य के लिए विनिमय शक्ति का संचय नहीं किया जा सकता
क्योंकि अधिकांश वस्तुएँ क्षयशील प्रकृति की होती हैं। फलस्वरूप पूँजी का निर्माण नहीं
हो सकता तथा उत्पादन का कोई भी कार्य बड़े पैमाने पर करना सम्भव नहीं हो सकता है।
(iii)
सर्वमान्य मूल्य मापक का अभाव - वस्तु
विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत मूल्य का कोई मानक न होने के कारण विनिमय की जाने वाली
प्रत्येक वस्तु का मूल्य निश्चित करना, एक कठिन काम है। उदाहरण के लिए, यह कैसे निश्चित
किया जायेगा कि कितने गेहूँ के बदले में एक मीटर कपड़ा मिलेगा या एक किलोग्राम गेहूँ
के बदले में कितना कपड़ा दिया जाएगा।
(iv)
वस्तुओं के विभाजन में कठिनाई- विनिमय
होने वाली वस्तुओं में कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनका विभाजन नहीं किया जा सकता। यदि
उनका विभाजन किया जाय तो वस्तु की उपयोगिता (एवं मूल्य) नष्ट हो जायेगी, जैसे-जीवित
जानवर। उदाहरणार्थ- मान लीजिये, यदि किसी व्यक्ति के पास एक बकरी है और वह इसके बदले
में दो (वस्तुएँ लेना चाहता है- गेहूँ और कपड़ा। ये वस्तुएँ दो भिन्न-भिन्न व्यक्तियों
के पास हैं। अब उसके सामने समस्या आती है कि वह बकरी किसे दे क्योंकि वह बकरी को टुकड़े-टुकड़े
करने की चेष्टा करता है तो उसे हानि उठानी पड़ती है।
52. बजट क्या है? सरकारी बजट के प्रमुख उद्देश्य कौन कौन से है?
उत्तर- सरकारी
बजट
एक वित्तीय वर्ष (अप्रैल 1 से मार्च
31 तक) की अवधि के दौरान सरकार की प्राप्तियों (आय) तथा सरकार के व्यय के अनुमानों का विवरण होता है।
सरकारी बजट के उद्देश्य
(1) आय तथा संपत्ति का पुनः वितरण :- संपत्ति
और आय का समान बटवारा सामाजिक न्याय का प्रतीक है जो कि भारत जैसे किसी भी
कल्याणकारी राज्य का मुख्य उद्देश्य होता है।
(2) संसाधनों का पुनः आवंटन :- अपनी
बजट संबंधी नीति द्वारा देश की सरकार संसाधनों का आवंटन इस प्रकार करती है जिससे
अधिकतम लाभ तथा सामाजिक कल्याण के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके
(3) आर्थिक स्थिरता :- अर्थव्यवस्था में
तेजी और मंदी के चक्र चलते हैं। सरकार अर्थव्यवस्था को इन व्यापार
चक्रो से सुरक्षित रखने के लिए सदा वचनबद्ध होती है। सरकार आर्थिक स्थिरता की स्थिति को प्राप्त करने का प्रयत्न करती
है।
(4) सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंध :- सरकार के बजट संबंधी नीति से ही यह प्रकट होता है कि वह किस प्रकार सार्वजनिक उद्यमों के माध्यम से विकास की गति को तीव्र करने के लिए उत्सुक है। प्राय: सार्वजनिक उद्यमो को उन क्षेत्रों में लगाने का प्रयत्न किया जाता है जहां प्राकृतिक एकाधिकार पाया जाता है।
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व्यष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय स्मरण रखें (Remember an Introduction to Microeconomics)
आय/उत्पादक का संतुलन स्मरण रखे (Remember an Revenue/ Producer’s Equilibrium)
अधिमाँग-सरकारी बजट-विनिमय दर-भुगतानशेष-स्मरण रख (Remember an Excess Demand-Budget-Exchange-Balance)
उत्पादन फलन/ लागत स्मरण रखें (Remember an Production Function/ Cost)
पूर्ति/बाजार/बाजार संतुलन स्मरण रखे (Remember an Supply/ Market/Market Equilibrium)
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