झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची
वार्षिक इन्टरमीडिएट परीक्षा 2024-25
विषय - अर्थशास्त्र
मॉडल प्रश्न पत्र (MCQ) कक्षा-12 समय- 1:30 घंटे पूर्णांक - 30
सामान्य निर्देश :-
➤ कुल 30 प्रश्न हैं।
➤ सभी प्रश्नों के उत्तर अनिवार्य हैं।
➤ प्रत्येक प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित है।
➤ प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प का
चयन कीजिए।
➤ गलत उत्तर के लिए कोई अंक नहीं काटे जाएंगे।
1. उत्पादन संभावना का वक्र का ढाल गिरता है-
(a) बाएं से दाएं
(b) दाएं से बाएं
(c) नीचे से ऊपर
(d) ऊपर से नीचे
2. सीमांत उपयोगिता को ज्ञात किया जा सकता है-
(a) ∆TU/∆Q
(b) ∆MU/ ∆Q
(c) ∆Q/ ∆MU
(d) ∆Q/ ∆TU
3. नीचे दिए रेखा चित्र में मांग की लोच है?
(a) अधिक
लोचदार
(b) इकाई लोचदार
(c) कम
लोचदार
(d) पूर्ण
लोचदार
4. आगत को निर्गत में परिवर्तन करने की प्रक्रिया को क्या कहा जाता है?
(a) उपभोग
(b) उत्पादन
(c) निवेश
(d) विनिमय
5. किसी परिवर्ती साधन (L) का औसत उत्पादन ज्ञात करने का सूत्र क्या होता है?
(a) Q/L
(b)
L/Q
(c)
Q+L
(d)
a तथा b दोनों
6. पूर्ति के नियम को निम्नलिखित में कौन-सा फलन प्रदर्शित करता है?
(a) S = ¦ (P)
(b)
S = ¦ (1/P)
(c)
S = ¦ (Q)
(d) इनमें
से कोई नहीं
7. निम्नलिखित में किसने कीमत निर्धारण प्रक्रिया में समय तत्व का विचार प्रस्तुत
किया?
(a) रिकार्डो
(b) वालरस
(c) मार्शल
(d) जे.
के. मेहता
8. एकाधिकारी मूल्य विभेद की महत्वपूर्ण शर्त क्या है?
(a) बाजार
का पृथक होना
(b) क्रय
शक्ति में भिन्नता
(c) मांग
की लोच में भिन्नता
(d) उपर्युक्त सभी
9. प्रतिस्पर्धा रहित बाजार में मांग वक्र होता है-
(a) सीमांत
आगम वक्र
(b) कुल
आगम वक्र
(c) औसत आगम वक्र
(d) उपर्युक्त
में से कोई नहीं
10. 'द जनरल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी' नामक पुस्तक के लेखक कौन
हैं?
(a) पीगू
(b) माल्थस
(c) जे. एम. कीन्स
(d) रिकार्डो
11. किसी देश में एक दिए हुए वर्ष में उत्पादन के साधनों के द्वारा उत्पादित अंतिम
वस्तु एवं सेवाओं के बाजार मूल्य को क्या कहा जाता है?
(a) सकल घरेलू उत्पाद
(b) शुद्ध
घरेलू उत्पाद
(c) राष्ट्रीय
आय
(d) व्यक्तिगत
आय
12. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना कब हुई?
(a)
1947
(b) 1935
(c)
1937
(d)
1945
13. एक खुली अर्थव्यवस्था में सामूहिक मॉग के निम्न में से कौन से तत्व हैं?
(a) उपभोग
(b) निवेश
(c) सरकारी
व्यय एवं शुद्ध निर्यात
(d) उपरोक्त सभी
14. निम्नलिखित में से वास्तविक निवेश कौन है?
(a) शेयर
खरीदना
(b) पुरानी
फैक्ट्री खरीदना
(c) भवनों का निर्माण
(d) बैंक
में जमा खाता खोलना
15. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद का सम्बन्ध बजट से है?
(a) अनुच्छेद
108
(b) अनुच्छेद-356
(c) अनुच्छेद
- 248
(d) अनुच्छेद - 112
16. दीर्घकाल में एक पूर्णप्रतियोगी फर्म उत्पादन बंद कर देगा, यदि
(a)
P > MC
(b)
P > AC
(c)
P = AC
(d) P < AC
17. प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत निम्न में से किसे शामिल किया जाता है?
(a) उपहार
कर
(b) आय
कर
(c) बिक्री
कर
(d) a एवं b दोनों
18. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना कब हुई?
(a) 1944
(b)
1951
(c)
1975
(d)
1861
19. निम्न में से किस परिस्थिति में मुद्रा की पूर्ति में कमी हो सकती है?
(a) बैंक
दर में कमी
(b) नगद आरक्षित अनुपात में वृद्धि
(c) आर.बी.आई
के द्वारा प्रतिभूतियों का क्रय
(d) इनमें
से सभी
20. भारत में वित्तीय वर्ष की कालावधि होती है-
(a)
1 जनवरी से 31 दिसम्बर
(b)
1 जुलाई से 30 जून
(c) 1 अप्रैल से 31 मार्च
(d)
1 अगस्त से 31 जुलाई
21. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
(a) उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व
(b) उत्पादन
का उद्देश्य जन कल्याण
(c) सरकार
का पूर्ण हस्तक्षेप
(d) श्रमिकों
की सेवा का क्रय-विक्रय संभव नहीं
22. मान लिया जाए एक देश में 2 लाख व्यक्ति रोजगार में संलग्न हैं तथा 10 हजार
व्यक्ति कार्य करने को इच्छुक हैं लेकिन उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है तो देश में
बेरोजगारी की दर क्या होगी?
(a)
2%
(b) 10%
(c) 5%
(d)
20%
दिए गए आंकड़ों के अनुसार:
कुल श्रम शक्ति = रोजगार में
लोग + बेरोजगार लोग
= 2,00,000 + 10,000
= 2,10,000 व्यक्ति
बेरोजगार लोग = 10,000 व्यक्ति
बेरोजगारी दर की गणना:
बेरोजगारी दर = (बेरोजगार लोगों
की संख्या / कुल श्रम शक्ति) x 100
= (10,000 / 2,10,000) x
100 = 4.76%
23. मुद्रा के स्थैतिक और गत्यात्मक कार्यों का विभाजन किसने किया?
(a) रैग्नर
फ्रिश
(b) पॉल एजिंग
(c) मार्शल
(d) इनमें
से सभी
24. आय के वृत्ताकार प्रवाह माडल में विक्रेता से क्रेता की ओर वस्तुओं एवं सेवाओं
के प्रवाह को क्या कहा जाता है?
(a) मौद्रिक
प्रवाह
(b) वास्तविक प्रवाह
(c) वार्षिक
प्रवाह
(d) स्टॉक
25. मुद्रा ने दूर किया है-
(a) सामाजिक
बुराइयों को
(b) आर्थिक
बुराइयों को
(c) सरकार
की समस्याओं को
(d) वस्तु-विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को
26. आय के संतुलन स्तर पर-
(a) बचत और निवेश बराबर होते है
(b) बचत
निवेश से कम होती है
(c) बचत
निवेश से अधिक होती है
(d) बचत
का निवेश से कोई संबंध नहीं है
27. निम्नलिखित में से विनिमय का एक सर्वमान्य माध्यम कौन सा है?
(a) चेकबुक
(b) बंधपत्र
(c) डिमांड
ड्राफ्ट
(d) मुद्रा
28. पूर्णप्रतियोगी बाज़ार में फर्मों की संख्या होती है-
(a)
2
(b)
1
(c) अल्प
(d) अत्यधिक
29. निम्न में से समग्र माँग का एक घटक नहीं है-
(a) उपभोग
व्यय
(b) निवेश
व्यय
(c) निवल
निर्यात
(d) वित्तीय परिसंपत्तियों पर व्यय
30. विदेशी विनिमय दर क्या है?
(a) वस्तु
की वस्तु में कीमत
(b) वस्तु
की मुद्रा में कीमत
(c) मुद्रा
की वस्तु में कीमत
(d) देशी मुद्रा की विदेशी मुद्रा में कीमत
मॉडल प्रश्न पत्र (विषयनिष्ठ)
सामान्य निर्देश-:
➤ परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों
में उत्तर दीजिए।
➤ कुल प्रश्नों की संख्या 22 है।
➤ प्रश्न संख्या 1 से 8 तक अति लघु-उत्तरीय
प्रश्न है। इनमें से किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक
प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
➤ प्रश्न संख्या 9 से 16 तक लघु-उत्तरीय
प्रश्न है। किन्हीं छः प्रश्नों का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दीजिए। प्रत्येक प्रश्न
का मान 3 अंक निर्धारित है।
➤ प्रश्न संख्या 17 से 22 तक दीर्घ
उत्तरीय प्रश्न है। इनमें से किन्हीं चार प्रश्नों का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में
दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।
खंड-(A) अति-लघूत्तरीय प्रश्न (2 अंकीय)
निम्नलिखित में से किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
1. घटिया या निम्न कोटि
की वस्तु को परिभाषित करें।
उत्तर- ऐसी निम्न कोटि की
वस्तुएं हैं जिनका आय प्रभाव ऋणात्मक होता है तथा कीमत प्रभाव
धनात्मक होता है। इनके मूल्य में वृद्धि से इनकी माँग
में भी वृद्धि हो जाती है तथा मूल्य में कमी से माँग में भी कमी हो जाती है। ऐसी वस्तुओं
को गिफेन वस्तु कहते हैं। इसका प्रतिपादन रॉबर्ट गिफेन ने किया था।

जब मांग का नियम विफल हो जाता
है, तो कीमत और मात्रा के बीच विपरीत संबंध अच्छा नहीं रहता है। इसके बजाय, मांग वक्र
ऊपर की ओर झुक सकता है, जो ऊंची कीमत पर अधिक खरीदारी दर्शाता है।
2. पूर्ण प्रतियोगिता
में AR वक्र X-अक्ष के समानांतर क्यों होता है?
उत्तर - पूर्ण
प्रतियोगिता का माँग वक्र X-अक्ष के समानान्तर पड़ी रेखा के रूप में होता है। जैसा
हमें ज्ञात है कि पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म की कीमत तय करने में कोई हस्तक्षेप
नहीं होता तथा फर्म कीमत प्राप्तकर्ता तथा मात्रा नियोजक होती है। फर्म उद्योग
द्वारा माँग व पूर्ति फलनों के आधार पर निर्धारित कीमत को दिया हुआ मान लेती है
जिसके कारण पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म का माँग वक्र एक पड़ी रेखा के रूप में होता
है।
3. तीन विभिन्न विधियों की सूची बनाइए जिनमें अल्पाधिकार फर्म व्यवहार कर सकता
है।
उत्तर - एक अल्पाधिकारी फर्म तीन विधियों से व्यवहार कर सकती है
(1) स्पर्द्धा से बचने के लिए फर्मों का गठबन्धन।
(2) छोटी
फर्मों द्वारा प्रधान फर्म का नेतृत्व स्वीकार करना
(3) फर्मों
द्वारा कीमत परिवर्तन में रुचि न रखते हुए कीमत दृढ़ता की नीति को अपनाया जाना ।
4. व्यष्टि और समष्टि अर्थशास्त्र में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
व्यष्टि |
समष्टि |
1. इसमें व्यक्तिगत आर्थिक
इकाइयों जैसे एक फर्म, एक उपभोक्ता आदि की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। |
1. इसमें पूरी अर्थव्यवस्था
को एक इकाई मानकर इसकी आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। |
2. माइक्रो (Micro) शब्द
ग्रीक शब्द माइक्रस से बना है जिसका अर्थ होता है छोटा या सूक्ष्म। |
2 अँग्रेज़ी भाषा का मैक्रो
(Macro) शब्द भी ग्रीक शब्द मेक्रोज से बना है जिसका अर्थ होता है विशाल अथवा व्यापक। |
3. व्यष्टि का मुख्य उद्देश्य
संसाधनों के सर्वोत्तम बंटवारे से होता है। |
3. समष्टि का मुख्य उद्देश
संसाधनों के पूर्ण रोजगार व विकास से होता है। |
4. इसकी मुख्य समस्या कीमत
निर्धारण है। |
4. इसकी मुख्य समस्या आय
व रोजगार का निर्धारण है। |
5. इसका मुख्य उपकरण मांग
व पूर्ति है। |
5. इसका मुख्य उपकरण अर्थव्यवस्था
की सम्रग मांग व सम्रग पूर्ति है। |
6. व्यष्टि अर्थशास्त्र की
अवधारणा को समझना सरल होता है। |
6. समष्टि अर्थशास्त्र की
अवधारणा को समझने में कठिनाई होती है । |
7. व्यष्टि अर्थशास्त्र में
आवंटन बहुत जरूरी काम होता है । |
7. इसमें आवंटन को स्थिर माना जा सकता है । |
5. सीमांत लागत और औसत लागत को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- औसत लागत - कुल उत्पादन लागत को उत्पादित इकाइयों से भाग लेकर औसत लागत ज्ञात किया जाता है।
औसत लागत = `\frac{TC}{Unit\of\Produce}`
सीमांत लागत - एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने से लागत
में जितनी वृद्धि होती है उसे उस इकाई विशेष की सीमांत लागत कहा जाता है।
MC = TCn – TCn-1
6. वैधानिक तरलता अनुपात क्या है?
उत्तर : व्यापारिक
बैंकों को अपने कुल जमा (निवल मांग एवं समय देयता- NDTL) का एक निश्चित प्रतिशत अपने पास नकद, स्वर्ण एवं अल्पकालीन अभारित सरकारी प्रतिभूतियों के रूप
में संरक्षित
रखना होता है, जिसे
वैधानिक/साविधिक तरलता अनुपात (SLR) कहते हैं। यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किया जाता है तथा भारतीय
रिज़र्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति के एक उपकरण के रूप में इसमें समय-समय पर परिवर्तन
होता रहता है।
7. उपभोग फलन किन चरों के बीच संबंध को व्यक्त करता है?
उत्तर - उपभोग फलन को निम्न सूत्र से व्यक्त किया जा सकता है:
C = a + bY
जहाँ:
C - कुल उपभोग
a - स्वायत्त उपभोग (अर्थात वह उपभोग जो आय पर
निर्भर नहीं करता है)
b - सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC), जो यह
बताती है कि आय में एक इकाई की वृद्धि होने पर उपभोग में कितनी इकाई की वृद्धि
होती है
Y - कुल आय
8. व्यापार शेष और चालु खाता शेष में अंतर बताएं।
उत्तर -
अंतर |
व्यापार शेष |
चालू खाता शेष |
परिभाषा |
माल और सेवाओं का निर्यात और आयात का अंतर |
व्यापार शेष, सेवाओं का शेष, आय और स्थानांतरण |
घटक |
केवल माल और सेवाएँ |
व्यापार शेष सहित अन्य आर्थिक लेन-देन |
महत्व |
देश का व्यापार संतुलन दर्शाता है |
देश की समग्र आर्थिक स्थिति दर्शाता है |
खंड-(B) लघूत्तरीय प्रश्न (3 अंकीय)
निम्नलिखित में से किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
9. संतुलन को परिभाषित करें। किस स्थिति में बाजार को संतुलन अवस्था में कहा जाता
है?
उत्तर - संतुलन एक ऐसी
स्थिति होती है जब किसी वस्तु या सेवा की मांग और पूर्ति बराबर होती है। दूसरे
शब्दों में, जब खरीदार जितनी मात्रा खरीदना चाहते हैं, उतनी ही मात्रा विक्रेता
बेचना चाहते हैं, तो बाजार संतुलन में होता है।
कब होता है बाजार संतुलन?
1. मांग = पूर्ति - जब किसी वस्तु की मांग की जाने वाली
मात्रा और उसकी पूर्ति की जाने वाली मात्रा बराबर हो।
2. कीमत स्थिर - जब मांग और पूर्ति बराबर होती है, तो
उस वस्तु की कीमत स्थिर रहती है। कोई भी खरीदार या विक्रेता कीमत बदलने का प्रयास
नहीं करता है।
10. घटती सीमांत उपयोगिता के नियम की व्याख्या करें।
उत्तर - सीमांत
उपयोगिता ह्रास नियम को ' गोसेन का प्रथम नियम ' या तृप्ति का नियम भी कहते हैं । इस नियम
की वैज्ञानिक व्याख्या प्रो. मार्शल ने की । इनके अनुसार "एक व्यक्ति के पास किसी वस्तु की जो मात्रा
होती है , उसके उपभोग में लगातार वृद्धि करने से उसकी उपयोगिता घटने लगती है।"
तालिका से
रोटी
की इकाई |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
सीमांत उपयोगिता |
4 |
3 |
2 |
2 |
0 |
-1 |
-2 |
इस तालिका से स्पष्ट है कि व्यक्ति जैसे-जैसे रोटियों का
उपभोग करते जाता है वैसे वैसे रोटी की अगली इकाइयों से प्राप्त सीमांत
उपयोगिता घटती जाती है।
चित्र में MU सीमांत
उपयोगिता की रेखा है जो रोटी की विभिन्न इकाइयों से प्राप्त
सीमांत उपयोगिता को बतलाकर सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को स्पष्ट करती है। व्यक्ति
को पहली रोटी से 4, दुसरी से 3, तीसरी से
2 तथा चौथी से 1 उपयोगिता मिलती है जो उसकी
भूख की पूर्ण संतुष्टि का द्योतक है। अत: चित्र यह भी दिखलाता
है कि उसे पाॅंचवी रोटी से शून्य तथा छठी और सातवीं रोटियों से क्रमशः -1 और -2 के बराबर ऋणात्मक उपयोगिता मिलती
है।इस प्रकार स्पष्ट है कि हर अगली रोटी की इकाई से सीमांत
उपयोगिता घटती जाती है।
वस्तु
की सीमांत उपयोगिता (MU) के ही आधार पर कोई व्यक्ति किसी वस्तु की कीमत देना चाहता
है। अधिक MU पर अधिक कीमत तथा मांग,
जबकि कम MU पर कम कीमत तथा मांग होती है। चूॅकि MU रेखा ऊपर से नीचे झुकी रहती है, इसलिए मांग की
रेखा भी ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकी रहती है।
11. बाजार संतुलन से आप क्या समझते हैं? रेखाचित्र से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
बाजार संतुलन से अभिप्राय बाजार की उस दशा से है जिसमें वस्तु की
मांग व आपूर्ति बराबर होती है। कीमत बढ़ाने व घटाने वाली शक्तियां शांत हो जाती
है। इसे निम्न सारणियों द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं
तालिका से
सेब
की कीमत |
18 |
19 |
20 |
21 |
22 |
मांग
की मात्रा |
90 |
80 |
70 |
60 |
50 |
आपूर्ति
की मात्रा |
50 |
60 |
70 |
80 |
90 |
उपर्युक्त
तालिका से जब सेब की कीमत ₹20 प्रति किलो है, उस दशा
में मांग और पूर्ति 70 किलो है।
चित्र
में DD मांग वक्र तथा SS आपूर्ति वक्र है। दोनों E
बिंदु पर बराबर होते हैं। अतः बाजार में संतुलन कीमत OP(20
तथा मांग और पूर्ति की
मात्रा OQ(70) है।
संतुलन
कीमत निर्धारण में मांग और पूर्ति दोनों का बराबर योगदान है।
12. सकल घरेलू उत्पाद को परिभाषित कीजिए। यह सकल राष्ट्रीय उत्पाद से किस प्रकार
संबंधित है?
उत्तर- सकल घरेलू उत्पाद (GDP) देश के घरेलू क्षेत्र
के उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को बताता है। जबकि सकल
राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) देश के सामान्य निवासियों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा
सेवाओं का बाजार मूल्य होता है।
GNP को सकल घरेलू उत्पाद से ज्ञात करने के लिए आमतौर पर GDP का
उपयोग किया जाता है। GDP एक देश की वास्तविक आर्थिक गतिविधियों का मूल्यांकन करता
है, जो संग्रहित वस्त्र, खाद्य, और सेवाओं के उत्पादन और वितरण में होती है। इसके
माध्यम से, सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य प्राप्त किया जा सकता है, जिससे सकल राष्ट्रीय उत्पाद का आकलन किया जा सकता
है।
GDP को तीन मुख्य तत्वों से प्राप्त किया जाता है:
उत्पाद सेवाएं : इसमें उत्पादन का मूल्य और सेवाओं का मूल्य शामिल होता
है।
व्यय : उत्पादन के लिए विभिन्न सामग्रियों की खरीदारी और खर्च
शामिल होता है।
निवेश : इसमें स्थायी और अस्थायी संपत्ति के निवेश, जैसे कि
निर्माण या उत्पादक उपकरणों की खरीदारी, शामिल होती है।
ये तीनों तत्व मिलाकर GDP को निर्धारित करते हैं, जो देश की
सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य होता है। इससे सकल राष्ट्रीय
उत्पाद का आकलन किया जा सकता है।
13. संतुलन कीमत क्या है? रेखाचित्र बनाइएँ।
संतुलन
से अभिप्राय बाजार की उस दशा से है जिसमें वस्तु की मांग व आपूर्ति बराबर होती है।
चित्र
में DD मांग वक्र तथा SS आपूर्ति वक्र है। दोनों E
बिंदु पर बराबर होते हैं। अतः बाजार में संतुलन कीमत OP(20
तथा मांग और पूर्ति की
मात्रा OQ(70) है।
14. बाजार की परिभाषा दीजिए। उन चार तत्वों को लिखें जिनके आधार पर विभिन्न बाजारों
को परिभाषित किया जाता है।
उत्तर :- बाजार का आशय किसी
वस्तु के क्रेताओं एवं विक्रेताओं के ऐस समूहो की उपस्थिति से होता है जिसमें स्वतंत्र
एवं पूर्ण प्रतियोगिता हो, जिसके फलस्वरूप उस वस्तु की बाज़ार में एक कीमत हो ।
बाजार की विशेषताएं (आधार)
निम्नलिखित है
(i) एक क्षेत्र:- अर्थशास्त्र
में बाजार शब्द का अर्थ किसी स्थान विशेष से नही होता बल्कि उस समस्त क्षेत्र से होता
है जिसमे क्रेता और विक्रेता फैले होते हैं।
(ii) क्रेताओं और विक्रेताओं
की उपस्थिति दूसरी बाजार की प्रमुख विशेषता है।
(iii) प्रत्येक वस्तु के लिए
एक अलग बाजार होता है जैसे गेहूं का बाजार।
(iv) बाजार मे क्रेता और विक्रेताओं
मे प्रतिस्पर्द्धा पाये जाने के कारण समस्त क्षेत्र मे एक ही मूल्य होता है।
15. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषताएं क्या है?
उत्तर- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था,
वह आर्थिक प्रणाली है, जहाँ उत्पादन के साधनों का निजी स्वामित्व होता है, वस्तु का
उत्पादन लाभ-प्राप्ति की दृष्टि से किया जाता है तथा आर्थिक क्रियाओं सरकारी हस्तक्षेप
नहीं होता है।
विशेषताएँ- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
की प्रमुख विशेषताएँ निम्नानुसार हैं-
(1) पूँजीवाद में निजी सम्पत्ति
का अधिकार होता है, प्रत्येक व्यक्ति को सम्पत्ति प्राप्त करने, रखने, प्रयोग करने
तथा उसका क्रय-विक्रय करने का पूर्ण अधिकार होता है।
(2) पूँजीवादी व्यवस्था में
आर्थिक स्वतंत्रता होती है, व्यक्ति अपनी इच्छानुसार किसी भी व्यवसाय को चुन सकता है।
(3) पूँजीवाद में लाभ उद्देश्य
प्रमुख होता है, व्यक्ति केवल उन कार्यों को सम्पादित करता है, जिसमें उसे अधिकतम लाभ
प्राप्ति होती है।
(4) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
का संचालन एवम् समन्वय कीमत, यंत्र द्वारा होता है, अर्थात् उत्पादन उपभोग एवं विनियोग
सभी कीमतों द्वारा निर्धारित होते हैं।
(5) इसके अन्तर्गत उपभोक्ता
अपनी राय को इच्छानुसार विभिन्न वस्तुओं पर व्यय कर सकता है।
16. चित्र के द्वारा वास्तविक प्रवाह तथा मौद्रिक प्रवाह में अंतर बताएं।
उत्तर - मौद्रिक प्रवाह - मौद्रिक प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न
क्षेत्रों में मुद्रा के प्रवाह से है। जैसे- परिवार क्षेत्र द्वारा उत्पादक
क्षेत्र को मुद्रा का प्रवाह।
वास्तविक प्रवाह – वास्तविक प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न
क्षेत्रों में वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रवाह से है। जैसे- उत्पादक क्षेत्र द्वारा
प्रवाह क्षेत्र को वस्तुओं का प्रवाह ।
दो क्षेत्रकीय अर्थव्यवस्था में केवल दो क्षेत्र - फर्म व परिवार होते हैं। परिवार फर्मों को परिवार फर्मों को साधन सेवाएं प्रदान करते हैं, बदले में फार्म साधन सेवाओं का भुगतान परिवारों को करती है। इसी प्रकार फर्म परिवारों को वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करती है तथा परिवार वस्तुओं और सेवाओं का भुगतान फर्म को करते हैं। परिवार उत्पादक क्षेत्र को भूमि, श्रम, पूंजी तथा उद्यम प्रदान करते हैं। फर्म परिवारों को मजदूरी, लगान, व्याज व लाभ के रूप में भुगतान करती है। इसे निम्न प्रकार दर्शा सकते हैं।
खंड-(C) दीर्घउत्तरीय प्रश्न (5 अंकीय)
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
17. अधिमान वक्र से आप क्या समझते हैं? अधिमान वक्र की विशेषताओं को स्पष्ट करें।
उत्तर- उदासीनता वक्र वह वक्र है जो वस्तुओं के उन सभी संयोजनों को दर्शाता है जो उपभोक्ता को समान संतुष्टि देते हैं। चूँकि सभी संयोजन समान मात्रा में संतुष्टि देते हैं, इसलिए उपभोक्ता उन्हें समान रूप से पसंद करता है। इसलिए इसका नाम उदासीनता वक्र है।
उदासीनता वक्रों की निम्न विशेषताएं हैं
1. उदासीनता वक्र बायें से
दायें नीचे गिरता हुआ होता है (अर्थात् उदासीनता वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है)।
2. ऊँचा उदासीनता वक्र नीचे
उदासीनता वक्र की तुलना में ऊँचे सन्तुष्टि स्तर को बताता है।
3. एक ही उपभोक्ता के दो उदासीनता
वक्र एक-दूसरे को कभी नहीं काटते।
4. उदासीनता वक्र कभी भी किसी
अक्ष को स्पर्श नहीं करते।
5. उदासीनता वक्र मूल बिन्दु
की ओर उन्नतोदर (Convex to the origin) होता है क्योंकि MRS घटती हुई होती है।
6. उदासीनता वक्रों का समान्तर
होना आवश्यक नहीं है। पूर्ण स्थानापन्न वस्तुओं में उदासीनता वक्र समानान्तर होते हैं।
7. उदासीनता वक्र की वक्रता
(Curvature) दो वस्तुओं के मध्य स्थानापन्नता एवं पूरकता के अंश को बताती है (अर्थात्
उदासीनता वक्र जितनी कम वक्रता लिए हुए होगा, दो वस्तुओं के बीच स्थानापन्न का अंश
उतना ही अधिक होगा)।
8. उदासीनता वक्र गोलाकार भी
हो सकता है।
18. एक फर्म की कुल स्थिर लागत, कुल परिवर्ती लागत तथा कुल लागत क्या है, वे किस
प्रकार संबंधित हैं?
उत्तर - कुल लागत को दो भागों में बाँटा जाता है - कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत।
कुल लागत (TC) = कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) + कुल स्थिर लागत (TFC)।
कुल स्थिर लागत ऊपरी लागत है, जो उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर स्थिर रहती है।
कुल स्थिर लागत वक्र x अक्ष
के समानांतर एक आड़ी रेखा है। कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) वह लागत है, जो
परिवर्तनशील साधनों, जैसे कच्चा माल, मजदूर आदि के बढ़ते प्रयोग के कारण होती है।
परिवर्ती अनुपातों के नियम के कारण कुल परिवर्तनशील लागत वक्र उल्टे S आकार का
होता है, जो मूल बिन्दु से आरंभ होता है। कुल लागत कुल स्थिर लागत तथा कुल
परिवर्तनशील लागत का योग होता है। कुल लागत वक्र (TC) उल्टे
S आकार का होता है, जो स्थिर लागत के स्तर से आरंभ होता है। इस आकार का कारण
परिवर्ती अनुपातों का नियम होता है।
19. बाजार कीमत एवं सामान्य कीमत में अंतर कीजिए।
उत्तर -
सामान्य मूल्य |
बाजार मूल्य |
• यह काल्पनिक मूल्य है, जो कभी बाजार में प्रचलित नहीं होता है। |
• यह वास्तविक मूल्य है, जो एक समय विशेष पर बाजार में प्रचलित होता है। |
• यह दीर्घकालीन तथा अति दीर्घकालीन मूल्य है। |
• यह अल्पकालीन तथा अति अल्पकालीन मूल्य है। |
• इस मूल्य में अधिक परिवर्तन नहीं होता और यह दीर्घकाल तक एक-सा बना रहता
है। |
• बाजारी मूल्य प्रति दिन, प्रति घण्टे, प्रति सप्ताह में परिवर्तन होता
रहता है। |
• इस मूल्य के निर्धारण में पूर्ति पक्ष की अधिक महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। |
• इस मूल्य के निर्धारण में माँग पक्ष की अधिक महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। |
• यह मूल्य केवल पुनरूत्पादनीय वस्तुओं का ही होता है। |
• यह मूल्य सभी वस्तुओं का होता है। |
• सामान्य मूल्य सामायतः उत्पादन लागत के निकट निर्धारित होता है। |
• बाजार मूल्य का लागत से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता है। |
• सामान्य मूल्य केवल स्थायी कारणों तथा निरन्तर क्रियाशील तत्वों से
प्रभावित होता है। |
• बाजारी मूल्य अस्थायी कारणों से प्रभावित होता है। |
• सामान्य मूल्य न्यायपूर्ण होता है। |
• बाजारी मूल्य अन्यायपूर्ण होता है। |
• सामान्य मूल्य की तुलना अर्थशास्त्री समुद्र की सतह से करते है जो सदैव
स्थिर रहती है। |
• बाजारी मूल्य की तुलना समुद्र की लहरों से की जाती है क्योंकि उसमें
समय-समय पर उतार-चढ़ाव आते रहते है। |
20. GDP से राष्ट्रीय आय की गणना आप कैसे करेंगे? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का अर्थ है एक देश के सभी निवासियों
द्वारा एक वर्ष की अवधि में अर्जित कुल साधन (कारक) आय का जोड़।
`NY=\sum_{i=1}^nFY_i`
यहां NY = राष्ट्रीय आय , ∑ = कुल जोड़ , FY = कारक आय ( मजदूरी ,लगान , व्याज , लाभ ) , n = एक देश के सभी सामान्य निवासी।
राष्ट्रीय आय को सकल घरेलू उत्पाद से ज्ञात करने के लिए आमतौर पर ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) का उपयोग किया जाता है। GDP एक देश की वास्तविक आर्थिक गतिविधियों का मूल्यांकन करता है, जो संग्रहित वस्त्र, खाद्य, और सेवाओं के उत्पादन और वितरण में होती है। इसके माध्यम से, सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य प्राप्त किया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय आय का आकलन किया जा सकता है।
GDP को तीन मुख्य तत्वों से प्राप्त किया जाता है:
उत्पाद सेवाएं : इसमें उत्पादन का मूल्य और सेवाओं का मूल्य शामिल होता
है।
व्यय : उत्पादन के लिए विभिन्न सामग्रियों की खरीदारी और खर्च
शामिल होता है।
निवेश : इसमें स्थायी और अस्थायी संपत्ति के निवेश, जैसे कि
निर्माण या उत्पादक उपकरणों की खरीदारी, शामिल होती है।
ये तीनों तत्व मिलाकर ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट को
निर्धारित करते हैं, जो देश की सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य होता है। इससे राष्ट्रीय
आय का आकलन किया जा सकता है।
21. जब स्वायत्य निवेश और उपभोग व्यय (A) 50 करोड़ हो और सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) 0.2 तथा आय का स्तर रु. 4000 हो तो प्रत्याशित समग्र मांग ज्ञात करें? यह
भी बताएं कि अर्थव्यवस्था संतुलन में है या नहीं?
आय का स्तर Y = ₹ 4000
स्वायत्त निवेश और उपभोग व्यय
(A) = ₹ 50 करोड़
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) = 0.2
Y = A + CY = 50 + 0.2 x
4000
Y = 50 + 800 = ₹850 करोड़
प्रत्याशित समस्त माँग = ₹850
करोड़
चूँकि वर्तमान आय का स्तर
₹ 4,000 करोड़ है जो प्रत्याशित समस्त माँग में ₹3150 करोड़ अधिक है तो वह स्थिति अधिपूर्ति
की होगी। इसलिए अर्थव्यवस्था संतुलन में नहीं है।
22. मुद्रा क्या है? मुद्रा के कार्यों का वर्णन करें?
उत्तर
:- क्राउथर के अनुसार,
“मुद्रा वह वस्तु है जो विनिमय के
माध्यम के रूप में सामान्यतया स्वीकारी जाती है और साथ ही साथ में मुद्रा के माप और
मुद्रा के संग्रह का कार्य भी करे।”
प्रो.
किनले ने मुद्रा के कार्यो को निम्नलिखित तीन वर्गो में विभाजित किया
है -
(A) प्राथमिक या मुख्य कार्य :- इसे आधारभूत अथवा मौलिक कार्य
भी कहते हैं।
मुद्रा के मुख्य
कार्य दो है -
1. विनिमय का माध्यम
:-
वस्तु विनिमय प्रणाली की एक मुख्य कठिनाई यह थी कि उनमें आवश्यकताओ के दोहरे संयोग का अभाव पाया
जाता था। मुद्रा ने इस कठिनाई को दूर कर दिया है। आज किसी वस्तु को बेचकर मुद्रा प्राप्त कर ली जाती है और उस मुद्रा
से आवश्यकतानुसार बाजार में वस्तुएं खरीदी जाती है। अर्थात
मुद्रा विनिमय का माध्यम है।
2. मूल्य का मापक
:-
मुद्रा लेखे की इकाई के रूप में मूल्य का मापदंड करती है लेखे की इकाई से अभिप्राय
यह है कि प्रत्येक वस्तु तथा सेवा का मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जाता है। मुद्रा के द्वारा सभी वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य अथवा कीमतों
को मापा जा सकता है तथा व्यक्त किया जा सकता है।
(B) गौण अथवा सहायक कार्य :- इस श्रेणी
में उन कार्यों को सम्मिलित करते हैं जो प्राथमिक कार्यों के सहायक है। इसमें निम्न कार्य है -
1. स्थगित भुगतानो का मान :- जिन लेन-देनो का भुगतान तत्काल न करके भविष्य
के लिए स्थगित कर दिया जाता है उन्हें स्थगित भुगतान कहा जाता है।
मुद्रा को स्थगित भुगतानो का मान इसलिए माना गया है
क्योंकि - (क) अन्य किसी वस्तु की
तुलना में इसका मूल्य स्थिर रहता है (ख) इसमें सामान्य स्वीकृति
का गुण पाया जाता है (ग) अन्य वस्तुओं की तुलना में यह अधिक टिकाऊ है (घ) स्थगित
भुगतानो के मान के रूप में कार्य करके मुद्रा पूंजी
निर्माण में सहायक होती है।
2. मूल्य का संचय :- मुद्रा के मूल्य संचय से अभिप्राय यह है कि मुद्रा को वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए खर्च करने का तुरंत कोई विचार
नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी आय का कुछ भाग भविष्य के लिए
बचाता है। इसे ही मूल्य का संचय कहा जाता है। मुद्रा के रूप में मूल्य का संचय करना सरल होता है क्योंकि (क) मुद्रा को सब लोग स्वीकार कर लेते हैं
(ख) मुद्रा के मूल्य में अधिक कमी या वृद्धि
नहीं होती है (ग) मुद्रा का संग्रह
सरलता से किया जा सकता है (घ) मुद्रा
के रूप में बचत करने में बहुत कम स्थान की आवश्यकता होती है।
3. मूल्य का हस्तांतरण :- मुद्रा मूल्य के हस्तांतरण का कार्य करती है, क्योंकि इसके माध्यम
से कोई व्यक्ति अपनी क्रय शक्ति दूसरे को दे सकता है अथवा
एक स्थान पर अपनी अचल संपत्ति को बेच कर दूसरे स्थान पर संपत्ति खरीद सकता है।
(C) आकस्मिक कार्य :- मुद्रा के
आकस्मिक कार्य निम्नलिखित है
(a) सामाजिक आय का वितरण (b) साख निर्माण का आधार (c) अधिकतम संतुष्टि का माप (d) राष्ट्रीय आय का वितरण (e) शोधन क्षमता की गारंटी (f) पूंजी की तरलता में वृद्धि।
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उत्पादन फलन/ लागत स्मरण रखें (Remember an Production Function/ Cost)
पूर्ति/बाजार/बाजार संतुलन स्मरण रखे (Remember an Supply/ Market/Market Equilibrium)
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